केन्द्र सरकार ने अरविंद पनगढिया को 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया है, इन्होंने 2015 से अगस्त 2017 तक नीति आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया तथा वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रत्विक रंजनम पांडे को वित्त आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-280 में वित्त आयोग की व्यवस्था की गयी है, अनुच्छेद-280(2)- संसद कानून के जरिए वित्त आयोग के सदस्य की योग्यताओं और उनकी नियुक्ति के लिए तरीके को निर्धारित कर सकती है,
जबकि अनुच्छेद-281 में वित्त आयोग की सिफारिशों की चर्चा की गयी है |
एक संवैधानिक निकाय है, इसकी सिफारिशें सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता सुधार लाने और राजकोषीय स्थिरता को बढ़ाने में सक्षम है।
16वें वित्त आयोग की सिफारिशें :
16वें वित्त आयोग का गठन दिसम्बर, 2023 में किया गया, इसके अध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया को बनाया गया है जो कि नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष थे, 16वां वित्त आयोग अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक प्रस्तुत करेगा, तक यह रिपोर्ट 1 अप्रैल, 2026 से पांच साल के लिये शुरू होगी।
सिफारिशें-
केन्द्र और राज्यों के बीच करों की आय का बंटवारा करना।
राज्यों के बीच जो वितरण के समय जो सिद्वांत तय किये जाते हैं उनको पूरा करना।
यह प्लान तैयार करना कि राज्यों के बीच धन का कैसे बंटवारा हो।
आपदा प्रबंधन के लिये वित्तपोषण की पहल की समीक्षा करना।
पहला वित्त आयोग कब गठित हुआ :- पहला वित्त आयोग साल 1951 में के.सी.नियोगी की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
वित्त आयोग को राजकोषीय संघवाद की धुरी माना जाता है(राजकोषीय संघवाद- संघीय सरकार में केन्द्र और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंध)।
वित्त आयोग की सिफारिशें सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में सुधार लाने और राजकोषीय स्थिरता बढ़ाने में सक्षम होती हैं।
वित्त आयोग की सिफारिशें गैर-बाध्यकारी प्रकृति की होती है।
वित्त आयोग एक अर्द्वन्यायिक संस्था है।
जब वित्त आयोग का गठन होता है तो वित्त आयोग प्रत्येक राज्य की समीक्षा करता है और राज्यों की आवश्यकतानुसार धन के आवंटन के लिये अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में रखता है।
रिपोर्ट के साथ उसका आकलन संबधी ज्ञापन एवं इस संबंध में उठाये जा सकने वाले कदमों के बारें में विवरण भी रखा जाता है।
उददेश्य- राज्य सरकार और पंचायती राज्य संस्थाओं के बीच संसाधनों का बंटवारा करना।
वित आयोग को Civil Procedure Code, 1908 के तहत सिविल कोर्ट का दर्जा प्राप्त है एवं राष्ट्रपति द्वारा हर पांचवे साल या आवश्यकतानुसार उससे पहले गठन किया जाता है।
केन्द्र और राज्यों के बीच तालमेल बनाने के उद्देश्य से वित आयोग के गठन की व्यवस्था की गयी है, क्योंकि हमारे यहां केन्द्र ज्यादा मजबूत है जिससे राज्यों को शिकायत रहती है
जबकि हमारा लक्ष्य एक ही है लोगों का विकास करना। इसलिये वित आयोग राजकोषीय संघवाद का संतुलक के रूप में भुमिका अदा करता है।
वित्त आयोग की भूमिका :- यह केन्द्र और राज्यों के बीच में आर्थिक संतुलन स्थापित करता है।
वित्त आयोग के सदस्य
संरचना:- 1 अध्यक्ष और 4 अन्य सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, उनका कार्यकाल राष्ट्रपति के आदेश से तय होता है तथा इनकी पुनर्नियुक्ति भी हो सकती है।
सदस्य के लिये योग्यताएं-
- उच्च न्यायालय का न्यायाधीश के पद के लिये योग्य व्यक्ति।
- ऐसा व्यक्ति जिसे सरकार के लेखा एवं वित मामलों का विशेष ज्ञान हो।
- ऐसा व्यक्ति जिसे प्रशासन और वित्तीय मामलों का व्यापक अनुभव हो।
- ऐसा व्यक्ति जो अर्थशास्त्र का ज्ञाता हो।
- ये योग्यताएं संसद द्वारा तय की जाती हैं।
वित्त आयोग के कार्य क्या है?-
- केन्द्र और राज्यों के बीच जो करो की शुद्व प्राप्ति हुई है उसे केन्द्र और राज्यों के बीच कैसे बांटना है इसकी सिफारिश राष्ट्रपति को करता है। राज्यों को उनकी जरूरत के आधार पर धन बांटने की सिफारिश करता है।
- अनुच्छेद-275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान/सहायता देने की सिफारिश करता है।
- राज्य वित आयोग द्वारा जो सिफारिशें पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की आपूर्ति के लिये राज्य की संचित निधि में वृद्वि के लिये आवश्यक कदम उठाने की सिफारिश करना।
- आयोग वर्टीकल और हॉरिजोंटल दोनों तरह के असंतुलन को दूर करने पर काम करता है |
- देश में वित मामलों से जुड़े मामलों में सिफारिश करना।
16वें वित्त आयोग की प्रमुख बातें :-
- केन्द्र और राज्य के बीच कर का बंटवारा
- स्थानीय पंचायतों के लिय राज्य की संचित निधि में सुधार की सिफारिश,
- आपदा प्रबंधन वित्त पोषण का मूल्यांकन
15वें वित्त आयोग की प्रमुख बातें :-
15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में 5 वित्तीय वर्षों (2021-22 से 2025-26) से संबंधित सिफारिशें शामिल हैं, जिन्हें केन्द्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया गया।
15वां वित्त आयोग एन.के.सिंह की अध्यक्षता में गठित किया गया था।
इस रिपोर्ट से संबंधित मुख्य बातें- 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों की हिस्सेदारी में कमी होने के कारण केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद बढ़ सकते हैं।
GST Compensation Cess के भुगतान को लेकर केन्द्र सरकार राज्य सरकारों के बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण राजस्व पर पड़े दबाव के कारण बनी है।
15वें वित आयोग के अध्यक्ष- एन.के.सिंह( 27नवम्बर, 2017)
15वें वित्त आयोग का कार्यकाल कितना है ? :- 15वें वित आयोग का कार्यकाल 2020-21 से 2025-26 तक है।
15वें वित्त आयोग की सिफारिशें :-
- 14वें वित आयोग में राज्यों को राजस्व के बंटवारे की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत थी जबकि 15 वें वित आयोग ने 41 प्रतिशत हिस्सेदारी की सिफारिश की है,
- क्योंकि जम्मू कश्मीर (केन्द्रशासित प्रदेश होने के कारण) के लिये राजस्व के बंटवारे की हिस्सेदार 0.85 प्रतिशत थी जो कि कम कर दी गयी है इसलिये 41 प्रतिशत हिस्सेदारी कर दी गयी है।
- डेमोग्राफिक परफॉर्मेंस- जिन राज्यों ने अपने यहां जनसंख्या नियंत्रण किया उन्हें रिवॉर्ड दिया गया।
- राज्य वित्त आयोग का गठन न होने पर मार्च 2024 के बाद स्थानीय निकायों को कोई ग्रांट जारी नहीं किया जायेगा।
- केन्द्र को राजकोषीय घाटे को 2025-26 तक जीडीपी के 4 प्रतिशत तक लाने की सलाह।
- जीएसटी के क्षेत्र में आयोग ने 12 और 18 फीसदी का स्लैब को मर्ज करने का सूझाव दिया।
12th vitt aayog ke adhyaksh(12वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ):
12 वें वित्त आयोग की सिफारिशों का कार्यकाल 2005 से लेकर 2010 तक था, और इसके अध्यक्ष आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ सी. रंगराजन थे, राष्ट्रपति द्वारा उनको 12वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नबंवर, 2002 में नियुक्त किया गया एवं इस आयोग को अपनी रिपोर्ट नबंवर, 2004 को प्रस्तुत करनी थी।
12वां वित्त आयोग केन्द्र और राज्यों के बीच करों का शुद्व बंटवारा करने के लिये नबंवर 2002 में गठित हुआ। वैसे वित्त आयोग का मुख्य कार्य होता हो केन्द्र और राज्यों के बीच करों का बंटवारा करना व इसके अलावा केन्द्र द्वारा राज्यों को दी जाने वाली सहायता राशि के संबंध में राष्ट्रपति को सिफारिश पेश करना।
वित्त आयोग के बारे में जानकारी(FAQs) :-
Q.वित्त आयोग का गठन कब किया जाता है ?
A. राष्ट्रपति द्वारा हर पांचवे साल या आवश्यकतानुसार उससे पहले गठन किया जाता है।
Q.वित्त आयोग का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
A. यह केन्द्र और राज्यों के बीच में आर्थिक संतुलन स्थापित करता है।
Q.वित्त आयोग कौन सी संस्था है ?
A. वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है, इसकी सिफारिशें सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता सुधार लाने और राजकोषीय स्थिरता को बढ़ाने में सक्षम है।
Q. भारत के पहले वित्त आयोग के अध्यक्ष कौन हैं ?
A. भारत के पहले वित्त आयोग के अध्यक्ष के. सी. नियोगी थे|
Q. वित्त आयोग 2024 के वर्तमान अध्यक्ष कौन है ?
A. वर्तमान में 16वें वित आयोग के अध्यक्ष- अरविंद पनगढिया|
Q. भारत में कौन सा वित्त आयोग है ?
A. वर्तमान में 16वां वित्त आयोग है |
वित्त आयोग अध्यक्ष List :-
वित्त आयोग | नियुक्ति वर्ष | अध्यक्ष | अवधि |
पहला | 1951 | के.सी. नियोगी | 1952-1957 |
दूसरा | 1956 | के. संथानम | 1957-1962 |
तीसरा | 1960 | ए.के. चंद्रा | 1962-1966 |
चौथा | 1964 | डॉ. पी.वी. राजमन्नार | 1966-1969 |
पाँचवां | 1968 | महावीर त्यागी | 1969-1974 |
छठा | 1972 | पी. ब्रह्मानंद रेड्डी | 1974-1979 |
सातवाँ | 1977 | जे.पी. शेलट | 1979-1984 |
आठवाँ | 1982 | वाई.पी. चौहान | 1984-1989 |
नौवाँ | 1987 | एन.के.पी. साल्वे | 1989-1995 |
10वाँ | 1992 | के.सी. पंत | 1995-2000 |
11वाँ | 1998 | प्रो. ए.एम. खुसरो | 2000-2005 |
12वाँ | 2003 | डॉ. सी. रंगराजन | 2005-2010 |
13वाँ | 2007 | डॉ. विजय एल. केलकर | 2010-2015 |
14वां | 2012 | डॉ. वाई.वी. रेड्डी | 2015-2020 |
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