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RBI monetary policy update : आरबीआई मौद्रिक नीति : आरबीआई ने क्या घोषणा की

RBI ने Repo Rate 6.50 % को बरक़रार रखा है, कुल 6 सदस्यों में से 5 सदस्य रेपो रेट को बरकरार रखने के पक्ष में है | फरवरी, 2023 से रेपो रेट एक समान है, इसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है, इसका कारण बताया जा रहा है कि मंहगाई अभी इतनी ही है।

RBI ने भारत की GDP Growth F.Y. 2024-25   में 7 % रहने का अनुमान बताया है एवं  F.Y. 24  में मुद्रास्फीति दर 5.2 %  से घटाकर 5.1% का अनुमान है।

Monetary Policy में क्या फैसला लिया गया :- 


  • इस मिटिंग में कहा गया है कि प्राइवेट सेक्टर धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है।
  • विदेश मुद्रा भंडार 622.5 बिलियन डॉलर है जो कि अच्छी स्थिति में है।
  • ग्रामीण क्षेत्र में भी लगातार डिमांड बढ़ रही है | 
  • भू राजनीतिक चिंता हमारी सप्लाई चेन को प्रभावित कर रही है।                        
  • (मौद्रिक नीति के प्रकार)    

    पैसे  को संतुलित करने के लिये 2 प्रकार की नीतियां बनायी जाती हैं-

    1.राजकोषीय नीति(Fiscal Policy)  2. मौद्रिक नीति(Monetary Policy)

    1. राजकोषीय नीति(Fiscal Policy) :- 

    यह सरकार द्वारा तय की जाती है जैसे सब्सिडी देकर, पैट्रोल-डीजल की कीमत घटाकर, Direct Benefit Transfer आदि तरीकों से सरकार नीति बनाती है कि जनता के पास कितना धन देना है।

    यानी Fiscal Policy में सरकार की भूमिका बहुत अहम हो जाती है।

    2. मौद्रिक नीति क्या है(Monetary Policy) :-  

    यह RBI द्वारा तय की जाती है, क्योंकि पैसे के संबंध में इसे स्वायत्ता(Autonomy) दी गयी है।

    जनता द्वारा Bank के लेन-देन के लिये RBI की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि Money Supply को RBI द्वारा Control किया जाता है जैसे- RBI अपनी दरों में(Repo Rate, CRR...... आदि) कमी कर देती है तो इससे ब्याज की दर सस्ती हो जाती है तो लोग ब्याज ज्यादा लेंगे एवं इसके उलट कर देने पर ब्याज की दर मंहगी हो जाती है।

    इसके अलावा RBI के महत्वपूर्ण कार्य-

    • धन का वितरण सुनिश्चित करना(Flow of Money)
    • मंहगाई को Control  करना।
    भारत की Monetary Policy(मौद्रिक नीति) क्या है ?- 

    यह आर्थिक नीति की Demand है जो देश के केन्द्रीय बैंक(जैसे-भारत के संदर्भ में RBI) द्वारा Money Supply को Control करने, सतत आर्थिक विकास(Sustainable Development Growth) को बढ़ावा देने आदि को संदर्भित(Referenced) करता है।

    मौद्रिक नीति(Monetary Policy) के प्रकार- 

    1. सस्ती मौद्रिक नीति - 

    जब अर्थव्यवस्था में तरलता(Liquidity) बढ़ान के लिये यानी लोगों के पास पैसा पहूंचाने के लिये RBI अपने ब्याज दरों में कमी कर देती है जिससे ब्याज सस्ता हो जाता है तो लोग लोन ज्यादा लेते है और इसी कारण बाजार में तरलता बढ़ती है।

    2. मंहगी मौद्रिक नीति - 

    जब अर्थव्यवस्था में तरलता कम करने के लिये यानी लोगों के पास से पैसे खींचने के लिये RBI अपने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी कर देती है जिससे ब्याज मंहगा हो जाता है तो लोग लोन कम लेते हैं और इसी कारण बाजार में तरलता कम होती है।

    Objectives of Monetary Policy(मौद्रिक नीति) in hindi  -   

    केन्द्रीय बैंक, अन्य मौद्रिक प्राधिकरण जो अर्थव्यवस्था में Money को Control करते हैं, ऐसे माध्यम जिसके द्वारा नये धन की Supply की जाती है। इनके द्वारा बनाई गई कार्य योजना की Drafting, घोषणा और इनको अमल करने का Process है।

    मौद्रिक नीति में Money Supply और ब्याज दरों का प्रबंधन किया जाता है जिसका लक्ष्य मंहगाई को Control करना, विकास और Liquidity जैसे लक्ष्य आर्थिक उद्देश्य को पूरा करना है। 

    इसके द्वारा ब्याज दरों में संशोधित करने सरकारी बॉन्डों की खरीद या बिक्री, विदेशी मुद्रा विनियम दरों को Regulate आदि  कार्य किये जाते हैं।

    इसके अलावा RBI के महत्वपूर्ण कार्य-

    • धन का वितरण सुनिश्चित करना(Flow of Money)
    • मंहगाई को Control  करना।
    भारत की Monetary Policy(मौद्रिक नीति) क्या है ?

    यह आर्थिक नीति की Demand है जो देश के केन्द्रीय बैंक(जैसे-भारत के संदर्भ में RBI) द्वारा Money Supply को Control करने, सतत आर्थिक विकास(Sustainable Development Growth) को बढ़ावा देने आदि को संदर्भित(Referenced) करता है।

                            ( मौद्रिक नीति कौन बनाता है)

    मौद्रिक नीति समिति की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 45ZB के तहत किया गया था, यह RBI Act, 1934 के अन्तर्गत एक संविधिक निकाय(Statutory Body) है, इसके द्वारा आर्थिक विकास के लक्ष्यों को ध्यान से रखते हुए मुद्रा स्थिरता(Currency Stability को बनाये रखने आदि कार्य किये जाते हैं।

    मौद्रिक नीति समिति भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है इसका गठन जून, 2016 को ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी व पारदर्शी बनाने के लिये किया गया।

    RBI का गवर्नर मौद्रिक नीति समिति का पदेन अध्यक्ष होता है।

    RBI का डिप्टी गवर्नर समिति का प्रभारी होता है।

    RBI के वर्तमान गवर्नर-शक्तिकांत दास है जो 25वें गवर्नर हैं जो मौद्रिक नीति समिति(Monetary Policy Committee) के head है। 

    मौद्रिक नीति समिति(Monetary Policy Committee) जो Monetary Policy है उसको Update को लेकर काम करती है एवं सामान्यतः Monetary Policy Committee की बैठक तीन दिन तक चलती है।

    हर दो महिने में Monetary Policy का Review किया जाता है मंहगाई के अनुसार कि Monetary Policy में बदलाव की जरूरत है या नहीं।

    इस समिति में 6 सदस्य होते हैं 3 सदस्य RBI(Dr. Rajiv Ranjan, Dr. Michael Debabrata patra and Sh.Shaktikant Das) से होते हैं और 3 सदस्य केन्द्रीय सरकार(Dr. Shashanka Bhide, Dr. Ashia Goyal and Prof. Jayanth R. Verma) द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

    Monetary Policy in Hindi

    मौद्रिक नीति समिति(MPC)  :- 

    • यह महंगाई के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है,
    • RBI का मौद्रिक नीति विभाग(MPD) मौद्रिक नीति तैयार करने में MPC की मदद करता है,
    • RBI का विश्लेषणात्मक कार्य नीतिगत रेपो दरों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में योगदान करता है 

    निर्णय- मौद्रिक नीति समिति के निर्णय बहुमत के आधार पर तय किये जाते हैं यदि किसी निर्णय पर मत समान रहते हैं तो RBI का गवर्नर अपना निर्णायक मत देता है।

    इस समिति द्वारा मंहगाई दर को प्राप्त करने के लिये रेपो रेट का निर्धारण का कार्य किया जाता है।

    लक्ष्य-आर्थिक वृद्वि को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाये रखना। RBI Act, 1934 के अनुसार भारत सरकार द्वारा RBI से परामर्श करके प्रत्येक 5 वर्ष में एक बार मंहगाई के लक्ष्यों को निर्धारित किया जाता है।

    केन्द्र सरकार ने इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक(Consumer Price Index) के अनुसार अगस्त, 2017 से मार्च, 2022 के लिये( 2 % से लेकर 6 % तक) निर्धारित किया है।

    प्रमुख शब्द-(RBI Monetary Policy in hindi)

    Repo Rate(रेपो रेट) :- 

    रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंक RBI से ऋण लेते हैं यदि RBI रेपो रेट में कटौती करता है तो बैंकों को यह संदेश जाता है कि उन्हें आम लोगों और कम्पनियों के लिये ऋण दरों को आसान करनाचाहिए। वर्तमान में रेपो रेट 6.50 % है।

    RBI द्वारा Repo Rate के बढाने से RBI से बैंकों को ज्यादा ब्याज पर Loan(लोन) मिलेगा जिससे बैंक भी अपने ग्राहकों को ज्यादा ब्याज पर लोन देंगी जिससे लोग कम Loan लेंगे तो बाजार में मांग कम होगी जिसके कारण मंहगाई कम होगी(बाजार में तरलता(Liquidity) के Flow कम होने से वस्तुओं की कीमत कम होगी।)

    Reverse Repo Rate(रिवर्स रेपो रेट) :- 

    यह रेपो रेट के विपरीत होती है यानी बैंक अपनी कुछ धन राशि को RBI में जमा करते है, जिस पर RBI उन्हें ब्याज देता है। वर्तमान में रिवर्स रेपो रेट 3.35% है।

    तरलता समायोजन सुविधा(Liquidity Adjustment Facility- LAF) :- 

    LAF में सभी व्यापारिक बैंक सरकारी बैंक, ग्रामीण बैंक, गैर-वित्तीय संस्थाएं  RBI से उधार ले सकती हैं, जबकि MSF केवल अनुसूचित बैंक के संबंध में है।

    इसमें बैंकों को पुनखर्रीद समझौतों, रेपो एग्रीमेंट के माध्यम से ऋण प्राप्त करने या रिवर्स रेपो के माध्यम से RBI को ऋण प्रदान करने की अनुमति प्रदान की जाती है। बैंकों को उनकी Liquidity को समायोजित करने में सहायता करती है। इसमें Overnight और Term रेपो नीलामियां दोनों LAF का हिस्सा हैं।

    नकद आरक्षित अनुपात(Cash Reserve Ratio) :- 

    CRR एक उपाये है कि बैंकों के पास कितना पैसा है और प्रत्येक बैंक को अपने कुल Cash Reserve का एक निश्चित हिस्सा RBI के पास रखना होता है(नकद में) 

    ऐसा इसलिये किया जाता है कि यदि किसी भी समय बहुत बड़ी तादाद में जमाकर्ताओं को रकम निकालने की आवश्यकता पड़े तो बैंकों को पैसा चुकाने में दिक्कत का सामना ना करना पड़े।वर्तमान में  CRR 4.50% है।

    इन पैसों पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं मिलता है।

    Bank Rate(बैंक दर) :- 

    इसमें सामान्य ब्याज दर पर RBI द्वारा अन्य बैंकों को पैसा उधार दिया जाता है। यह वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को लंबी अवधि के लिये ऋण देता है इसके द्वारा RBI साख नियंत्रण(Credit Control) का काम करता है। वर्तमान में बैंक रेट 6.75% है।

    सीमांत स्थायी सुविधा(Marginal Standing Facility-MSF) :- 

    MSF के तहत बैंक अन्तर-बैंक तरलता(Inter-Bank Liquidity) की कमी को पूरा करने के लिये आपातकालीन स्थिति में RBI से उधार लेते हैं।(किसी बैंक के पास सरकारी प्रतिभूति  बगैरा नहीं है तो वह अपने NTDL का 1 % उधार ले सकती है। ) वर्तमान में MSF 6.75 % है।

    इसमें ब्याज दर रेपो रेट से ज्यादा होती है।

    बैंक, Inter-Bank उधार के तहत एक निर्दिष्ट(Specified) अवधि के लिये एक-दूसरे को धन उधार देते हैं। 

    सरकारी प्रतिभूति(Government Security) :- 

    यह एक सरकारी शपथपत्र है जिसके माध्यम से सरकार RBI से पैसे उधार लेती है। 

    Standing Deposit Facility-SDF क्या है ?:- 

    RBI ने तरलता को जमा करने के लिये एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में SDF की शुरूआत की है। जिस पर 3.75 प्रतिशत की ब्याज दर लागू होगी।

    RBI ने SDF को वर्ष 2018 में RBI Act, की संशोधित धारा-17 के तहत पेश किया था। 

    यह तरलता को Manage करने के लिये एक अतिरिक्त उपकरण है।

    इसके द्वारा बैंकों को अपना अतिरिक्त फंड RBI के पास deposit करने के लिये कोलैटरल या सहायक प्रावधान की जरूरत नहीं पड़ेगी यानी RBI बिना कुछ गिरबी रखे ही SDF के तहत बैंकों से धनराशि जमा करा सकेगा।

    SDF, LAF गलियारे के रूप में Fixed Rate Reverse Repo(FRRR) की जगह लेगी।

    MSF और SDF दोनों स्थाई सुविधाएं सप्ताह के सभी दिन पूर साल उपलब्ध रहेंगी।

    SDF rate 6.25 हो गई।

    SDF कैसे काम करेगी : -SDF दर पॉलिसी रेट(रेपो रेट) से 25 पाइंट कम होगी और यह इस स्तर पर ओवरनाइट जमा पर लागू होगी।

    लेकिन आवश्यकता पड़ने पर यह उचित मूल्य निर्धारण के साथ लम्बी अवधि तक तरलता को अवशोषित करने के लिये भी लचीलापन बनाये रखेगी।

    कैसे काम करता है RBI :- हम बैंक में पैसे जमा इसलिये करते हैं क्योंकि बैंक Secure होती है जिससे हमारा पैसा डूबने से बचता है और साथ ही ब्याज भी मिलता है।

    बैंक इस पैसे को Loan पर देती है जो कि जमाकर्ता के ब्याज से ज्यादा ब्याज लेती है, लेकिन जब Loan का पैसा वापस ना आये या जमाकर्ताओं द्वारा बड़ी मात्रा में राशि निकाली जाये तो इससे बैंक के डूबने की संभावना हो सकती है। 

    इसलिये इस परिस्थिति से निपटने के लिये RBI द्वारा कुछ Tools जैसे- CRR, SLR] Repo Rate] Reverse Repo Rate आदि के माध्यम का use किया जाता है ताकि बैंकों को दिवालिया होने से बचाया जा सके।

    CRR-  बैंकों द्वारा RBI के पास कुछ नकद धनराशि जमा करनी होती है।

    SLR - बैंकों को अपने पास कुल जमा का नकद, सोना, प्रतिभूति के रूप में खुद के पास जमा करना होता है ताकि बैंकों को मुसीबत में काम आ सके।


    Monetary Policy in Hindi(मौद्रिक नीति क्या है ?) मौद्रिक नीति समिति

     मौद्रिक  शब्द मुद्रा  से बना है इसलिये मुद्रा से संबंधित सभी नीतियां मौद्रिक नीति कहते हैं।

    किसी भी देश  की अर्थव्यवस्था को सही रूप से चलाने के लिये मुद्रा पर उपयुक्त Control रखना बहुत जरूरी होता है

    किसी दे की केन्द्रीय बैंक(जैसे भारत के रूप में RBI) द्वारा अर्थव्यवस्था में विशेष आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति के लिये मुद्रा की मात्रा के प्रसार तथा संकुचन के प्रबंध को मौद्रिक नीति कहा जाता है

    यानी इस नीति के कारण बाजार में करेंसी का बढ़ना या कम होना इसी को Control करने के लिये मौद्रिक नीति बनाई जाती है।

    हैरी जी. जनसन(Harry G. Johnson) के अनुसार मौद्रिक नीति-

    "मौद्रिक नीति का आशय उस नीति से, जिसके द्वारा  केन्द्रीय बैंक सामान्य आर्थिक नीति के उद्देश्य की पूर्ति के लिये मुद्रा की पूर्ति को Control  करता है।"

    मौद्रिक नीति के उद्देश्य  :-

    • कीमतों में स्थायित्व - ना कीमतें तेजी से बढ़े ना कीमतें तेजी से घटें।
    • रोजगार में वृद्वि,
    • आर्थिक विकास,
    • विनिमय दर में स्थायित्व - डॉलर का रूपये में Exchange तेजी से बढ़ना और गिरना।

    मौद्रिक नीति के उपकरण(Tools of Monetary Policy in hindi):-

    मात्रात्मक विधि- CRR, Repo Rate, OMO, Bank Rate, Reverse Repo Rate, SLR आदि

    गुणात्मक विधि - Selective Credit Control, Publicity, Direct Action आदि।

    राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) - राजकोषीय नीति का संबंध सरकार के कराधान और खर्चे के फैसलों से है।

    राजकोषीय नीति के कई भाग होते हैं जैसे- Tax Policy, Expenditure Policy, निवेश और ऋण प्रबंधन।

    राजकोषीय नीति किसी भी देश के समग्र आर्थिक ढांचे का  एक महत्वपूर्ण भाग हैं

    कुलबर्सटॉन के अनुसार रोजकोषीय नीति- ‘‘राजकोषीय नीति का मतलब सरकारी कार्यवाही द्वारा इसकी प्राप्तियों और व्यय को प्रभावित करना है जिसे आमतौर  पर सरकार की प्राप्तियों के रूप में मापा जाता है यह अधिशेष या घाटे के रूप में होती है"

       सरकार द्वारा इस नीति से आय प्रभावित की जा सकती है।

    • पूर्ण रोजगार की स्थिति को बनाये रखना।
    • मूल्य स्तर को स्थिर बनाये रखना।
    • अर्थव्यवस्था की वृद्वि दर को स्थिर रखना।
    • भुगतान संतुलन को संतुलित करना।
    • जो  देश विकसित नहीं है उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

    आसान भाषा में इसका मुख्य उद्देश्य है- अर्थव्यवस्था  के विकास में सुधार करना और लोगों के लिये सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना।

    राजकोषीय नीति के उपकरण विधि-

    • बजट नीति, 
    • सार्वजनिक व्यय,
    • कराधान,
    • सार्वजनिक ऋण

    मौद्रिक नीति RBI द्वारा जारी होती है जबकि राजकोषीय नीति सरकार द्वारा जारी की जाती है।

    मौद्रिक नीति प्रत्येक दो माह में आती है जबकि राजकोषीय नीति साल में एक बार आती है।

    रेपो रेट बढ़ने पर क्या होता है  ? :- जब आरबीआई रेपो रेट को बढ़ाती है तो इससे साफ दिखाई देता है कि आरबीआई महंगाई को Control करना चाह रही है। 

    जो कि महंगाई को Control करने का एक तरीकाहै जहां तक आम जनता का सवाल है तो उसके लिए बुनियादी जरूरतों में उसके पास मकान भी हो जिसके लिए वह बैंकों से लोन लेता है और EMI के तौर पर भुगतान करता है 

    लेकिन जैसे ही रेपो रेट बढ़ी तो वह सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि लोन ले या नहीं ले, क्योंकि इससे EMI महंगी हो जाएगी जिसके कारण उसे ज्यादा ब्याज देना पड़ेगा।

    ऐसे ही पर्सनल लोन पर भी इसका असर पड़ेगा जैसे मान लेते हैं किसी ने 5 लाख  का पर्सनल लोन 5 साल के लिए लिया तो उसकी EMI  ₹11300 जा रही है 

    जैसे ही रेपो रेट बड़ी तो इसकी यह EMI बढ़ जाएगी यदि वह EMI नहीं बढ़ाना चाहता है तो उसका tenure बढ़ जाएगा यानी उसकी लोन चुकाने की अवधि बढ़ जाएगी।

     interest Rate GDP पर कैसे असर डालता है ?:- interest Rate बढ़ने से जीडीपी में negative Effect पड़ता है तथा जब interest  Rate महंगा होगा तो लोग लोन नहीं  लेंगे, जिसके बाजार में purchasing power कम रहेगी, क्योंकि लोगों के पास पैसा कम रहेगा यानी बाजार में तरलता कम रहेगी /

    रुपया क्यों गिर रहा है ? :-  रुपया अपने रिकॉर्ड के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है जो कि 1 जुलाई को डॉलर के मुकाबले 79.11 था /

    रुपया गिरने के क्या कारण हैं :- 

    • तेल की कीमतों में वृद्धि, 
    • रूस यूक्रेन युद्ध जो कि अब तक कोई परिणाम 

    • नहीं आया है,
    • भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा तेल आयात करता है, जिसके कारण भारत के आयात बिल बढ़ रहा है और इसका असर रुपए पर पड़ रहा है,
    • भारत से विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं,
    • आंकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष से अब तक भारतीय इक्विटी बाजार से लगभग 32 बिलियन डॉलर निकाले गए हैं,
    • डॉलर की मांग बढ़ रही है और डॉलर की आपूर्ति कम हो रही है,
    • देश में महंगाई - अधिक महंगाई होने से मुद्रा की कीमत कम होती है।

    रुपये की कीमत कैसे तय होती है:-  इसको एक संस्था तय नहीं करती जो की मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारण होती है क्योंकि भारत एक मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था है /

    लेकिन उदारीकरण से पहले "स्थाई विनिमय दर प्रणाली" का प्रयोग होता था जिस का निर्धारण आरबीआई द्वारा किया गया 

    जैसे भारत की मुद्रा का मूल्य एक पूर्वनिर्धारित अनुपात में एक अन्य अधिक स्थिर मुद्रा (डॉलर यूरो आदि) के आधार पर तय किया जाना।

    ब्याज दर या रेपो रेट :- रेपो रेट बढ़ने से ज्यादा निवेश यानी विदेशी मुद्रा का प्रभाव बढ़ जाता है जिससे रुपया मजबूत होता है यदि रेपो रेट कम हो जाए तो विदेशी निवेशक पैसा निकाल लेंगे, जिससे रुपया कमजोर होगा।

    रुपया कमजोर होने के प्रभाव

    सकारात्मक प्रभाव:- यदि रुपया कमजोर होगा तो भारत के निर्यात को बढ़ावा मिलता है /

    नकारात्मक प्रभाव:- रुपया कमजोर  होने से आयात की वस्तुएं महंगी हो जाती हैं।

    Questions and Answer 

    Q. MPC के सदस्य कौन हैं ? :- इस समिति में 6 सदस्य होते हैं 3 सदस्य RBI(Dr. Rajiv Ranjan, Dr. Michael Debabrata patra and Sh.Shaktikant Das) से होते हैं और 3 सदस्य केन्द्रीय सरकार(Dr. Shashanka Bhide, Dr. Ashia Goyal and Prof. Jayanth R. Verma) द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

    Q. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति वर्ष में कितनी बार जारी की जाती है? :- मौद्रिक नीति प्रत्येक दो माह में आती है जबकि राजकोषीय नीति साल में एक बार आती है।

    Q.मौद्रिक नीति समिति का गठन कब किया गया? :- मौद्रिक नीति समिति की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 45ZB के तहत किया गया था, यह RBI Act, 1934 के अन्तर्गत एक संविधिक निकाय(Statutory Body) है, इसके द्वारा आर्थिक विकास के लक्ष्यों को ध्यान से रखते हुए मुद्रा स्थिरता(Currency Stability को बनाये रखने आदि कार्य किये जाते हैं।

    मौद्रिक नीति समिति भारत सरकार द्वारा गठित एक समिति है इसका गठन जून, 2016 को ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी व पारदर्शी बनाने के लिये किया गया। 

    Q.मौद्रिक नीति समिति में कितने सदस्य हैं? :- इस समिति में 6 सदस्य होते हैं 3 सदस्य RBI से होते हैं और 3 सदस्य केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त किये जाते हैं।

    Q.मौद्रिक नीति कितनी बार आती है ? :-आरबीआई हर 2 महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है यानी 1 साल में 6 बार RBI समीक्षा करता है | 
      

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