Nabard in hindi: जैसा कि हमें मालूम है कि भारत की आज बहुत बडी संख्या गांवों में निवास करती है और कृषि और गांव दोनों एक दूसरे को बल प्रदान करते हैं, क्योंकि एक बिना दूसरे का विकास संभव नहीं हैं यानी गांव के विकास को छोड़, कृषि का विकास नहीं कर सकते।
स्वतंत्र भारत में सरकार और आरबीआई की यह जिम्मेदारी थी कि वे ग्रामीण विकास को बढ़ाव दें। उस वक्त क्या होता था कि जैसे एक गांव है जहां पर कृषि और निवास हो रहा है
Nabard 2023 - राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
उसके विकास के लिये भारत सरकार आरबीआई को पैसा देती थी और आरबीआई ग्रामीण विकास कराती थी। आरबीआई क्या करती थी। जो पैसा भारत सरकार ने आरबीआई को दिया है उस पैसों को आरबीआई बैंकों(वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक आदि) को दिया करती थी।
ऐसे में होता क्या था कि मान लेते हैं कोई किसान है उसको अपनी खेती के लिये लोन चाहिए तो वह किसान पास की बैंक के पास जायेगा ना कि आरबीआई के पास। क्योंकि आरबीआई खुद इतनी ब्रांचें तो नहीं खोल पायेगा तो इसलिये आरबीआई इन बैंकों के माध्यम से किसानों को पैसा बांटता था। यह सिलसिला काफी समय तक चलता रहा,
लेकिन 1975-80 के दशक तक आरबीआई की जिम्मेदारियां बहुत ज्यादा बढ़ गयीं और काम का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया। साथ ही जो आरबीआई इन बैंकों को पैसा देती थी किसानों के लिये तो ये बैंक सही से भूमिका अदा नहीं करते थे,
इसका ये दुरूपयोग भी करते थे और आरबीआई भी इन पैसों की मॉनिटरिंग भी नहीं कर पाता था यानी मॉनिटरिंग का मतलब है कि जो पैसा आरबीआई ने दिया है उस पैसा का ये बैंक सही सही से उपयोग कर पा रहे हैं या नहीं।
तो उस वक्त यह चर्चा होने लगी कि आरबीआई जो पैसा कृषि के लिये देती थी वह ना दे|
नाबार्ड क्या है? - (What is Nabard)
इसी क्रम में 1981 में भारत सरकार ने शिवरामन सिंह समिति का गठन किया।
Full form: National Bank for Agriculture and Rural Development.
शिवरामन सिंह समिति के सूझाव-
इस समिति ने कहा कि आरबीआई के पास काम का बोझ बहुत ज्यादा है और कृषि के वित्त के लिये एक अलग से बैंक बना दिया जाये जिसका नाम इसने नाबार्ड दिया।इन्हीं की सिफारिश पर नाबार्ड अधिनियम भारतीय संसद में पारित हुआ और 1982 में नाबार्ड की स्थापना की गयी।
नाबार्ड एक Refinancing Agency है क्योंकि नाबार्ड - सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या आरबीआई द्वारा अनुमोदित अन्य वित्तीय संस्थान को पैसा देती है और ये बैंक किसानों को लोन देते है।
नाबार्ड के उद्देश्य :-
कृषि क्षेत्र में लम्बे समय और कम समय में लोन देना जैसे किसान क्रेडिट कार्ड के द्वारा 3 साल के लिये लोन मिलता है, जबकि ट्रेक्टर खरीदने के लिये 10 साल तक भी लोन मिल सकता है। यानी कृषि क्षेत्र में कम समय का लोन हो या लम्बे समय का लोन लेना हो यह सब काम नाबार्ड का है।
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों के संचालन के लिये लोन देना क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में केवल कृषि पर निर्भरता नहीं है और कृषि 12 महिने रोजगार नहीं देती है।
जिसके कारण किसान जिस समय फ्री रहता है उसमें वह दूसरी गतिविधियों में भागीदारी कर लेता है। इसलिये गांव में जो कृषि के अलाव दूसरी गतिविधियां होती हैं उनमें किसान ही काम करता है।
जब किसान इन गतिविधियों में शामिल होता है तो इससे उसकी आय तो बढ़ती है साथ ही वहां आर्थिक विकास भी होता है। रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का निर्माण करना जैसे जब सरकार बजट में कृषि के लिये जो फंड की घोषणा करती है
तो फिर यह पैसा सरकार नाबार्ड को देगी और नाबार्ड इस पैसे को रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाकर उसमें रखेगी और फिर यह पैसा ग्रामीण विकास में लगेगा यानी इस फंड की जिम्मेदारी नाबार्ड को दी गयी।
ग्रामीण क्षेत्र में विकास करनी की जिम्मेदारी नाबार्ड को दी गयी है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करना- वाटरशेड प्रोग्राम चालू करना यानी ग्रामीण क्षेत्र में जो वर्षा का पानी होता है।
उसको संरक्षित करना पड़ता है विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां वर्षा कम होती है जैसे पानी को संरक्षित करने के लिये तालाब बनाना आदि मतलब वर्षा के पानी को अधिक से अधिक इकट्ठा करना और उसका इस्तेमाल करना है।
जनजातीय विकास की जिम्मेदारी- जैसे जनजातीय द्वारा प्राकृतिक पदार्थों(जैसे -महुआ) को इकट्ठा किया जाता है तो उसको व्यापारी लोग सस्ते में ले जाते हैं,
तो इस शोषण से जनजातियों को बचाने के लिये नाबार्ड ट्राइफेड जैसी संस्था को पैसा देती है और यह संस्था जनजातीय सामानों को खरीदती है और फिर उनको बेचती है।
कृषि के क्षेत्र में जो इन्नोवशन होता है उसके लिये डायरेक्ट फंड की व्यवस्था की गयी जैसे कोई विश्वविधालय में नई मशीन बना ली हो तो उसके लिये प्रत्यक्ष फंड की व्यवस्था होना।
सरकार ग्रामीण विकास के लिये कई सारे प्रोजेक्ट चलाती है उनकी निगरानी की जिम्मेदारी नाबार्ड को सौंपी गयी है।
SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम- यह प्रोग्राम 1992 से चला आ रहा है इसे भारतीय बैंको द्वारा इसे चलाया जाता है। इसको प्रोत्साहित नाबार्ड करता है।
वित्तीय समावेशन- इसकी सबसे आसान भाषा है कि सबसे कमजोर से कमजोर व्यक्ति को भी बैंक से जोड़ देना वित्तीय समावेशन कहलाता है।
जैसे 2014 में शुरू की गयी जन धन योजना जिसमें सभी के खाते खुलवाना।
2008 में भारत सरकार द्वारा वित्तीय समावेशन संगठन बनाया गया और इस संगठन का सदस्य नाबार्ड को भी बनाया गया और जो भी इस संगठन के सदस्य हैं उन सबको कहा गया कि वे वित्तीय समावेशन को बढ़ायें।
नाबार्ड ने आरआरबी और सहकारी बैंकों से कहा की वे वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ायें।
नाबार्ड के प्रमुख कार्य:
नाबार्ड किसानों को Refinancing Agency के रूप में लोन उपलब्ध कराती है यानी Refinancing Agency का मतलब है।
नाबार्ड - सहकारी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक या आरबीआई द्वारा अनुमोदित अन्य वित्तीय संस्थान को पैसा देती है और ये बैंक किसानों को लोन देते है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियो को चलाने के लिए नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है।
क्योंकि गांवों में केवल कृषि पर निर्भरता नहीं है। क्योंकि कृषि में रोजगार की कमी है। जिसके के कारण किसान दूसरे कामों करते है।
नाबार्ड प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करता है। जैसे गावों में जहां वर्षा कम होती है। वहां पर वर्षा के पानी को इकट्ठा कारना और उसका प्रयोग करना ।
जनजातिय विकास की जिम्मेदारी लेनां और उनके उत्थान के लिये कदम उठाना। नाबार्ड कृषि को प्रभावी तरीके से समर्थन करने के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करता है।
क्योंकि जो देश में कृषि सम्बन्धित संस्थानो के साथ सहयोग करता है, और गांवों में विभिन्न विकास परियोंजनाओं के लिए वित्तिय सहायता देता है।
गांवों में कृषि विकास के लिए नाबार्ड बैकिग सेवाएं प्रदान करता है।
यह गांवों में बैकों की स्थापना और संचालन करता है। ताकि किसानों को आसानी से वित्तिय संसाधन प्राप्त करने में मदद मिल सके। नाबार्ड वित्तिय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए तकनीकी सलाह भी देता है। जिसके लिए नाबार्ड आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराता है।
नाबार्ड ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी मॉडल की स्थापना ट्रेनिंग का कार्य भी करता है। यह सरकारी बैकिग संस्थानों को वित्तीय सहायता देता है। नाबार्ड ने ग्रामिण क्षेत्रों में सिचाई परियोजनाओं, जल संरक्षण कार्यक्रमों, जलाशय निर्माण आदि योजनाओं को संचालित करता है। नाबार्ड कृषि क्षेत्र में वित्तीय समावेशन (ऑनलाइन बैंकिग, माबाईल बैंकिंग) को बढाने का काम करता है।
नाबार्ड किसानों के लिए तकनिकी ज्ञान और कौशल का विकास करने के लिए ट्रेनिग प्रदान करता है।
NABARD Grade A Exam pattern 2023 :
आयु- इसमें आयु 21 से 30 के बीच होनी चाहिए। सामान्यतः आयु की गणना जब नोटिफिकेशन आता है उस माह की 1 तारीख से तय होती है।
योग्यता- 60 प्रतिशत अंक के साथ स्नातक होनी चाहिए तथा विशेष पोस्ट के लिये विशेष डिग्री होनी चाहिए।
नाबार्ड में नियुक्ति कैसे होती है-
यह परीक्षा 3 चरणों में होती है, पहला चरण क्वालीफाई होता है इसको पास करने के बाद आप चरण 2 में जाते हो और फिर इसको पास करने के बाद साक्षरता जाना होगा व फिर अंतिम चयन होगा।
अंतिम चयन में चरण 2 और साक्षरता के अंक जुड़ते हैं।
चरण 1 में 8 विषय होते है इनमें से 5 विषय क्वालीफाई होते है और 3 विषयों पर मेरिट लिस्ट बनती है। फिर इसके बाद मैन्स में 2 पेपर होते हैं-
पहला - पेपर डिस्क्रिप्टिव अंग्रेजी का होता है और इसमें 3 सवाल आते है 100 नंबर के व 90 मिनट का समय होता है।
दूसरा - पेपर RSI और ARD का होता है इसके 2 भाग होते हैं 50 प्रतिशत भाग ऑब्जेटिव का और 50 प्रतिशत भाग होता है सब्जेटिव का, जो कि 50-50 नंबर के होते हैं। इसमें 90 मिनट का समय मिलता है।
फिर होता है
साक्षरता जो 50 अंक का होता है उसमें कॅट ऑफ मार्क्स लिस्ट निकलती है।
नाबार्ड सेलरी- नाबार्ड की ग्रोस सेलरी 90 हजार से ज्यादा होती है और इन हैंड सेलरी 70 हजार के आसपास मिलती है।
NABARD 2023 TABLE (GRADE A):
Important Table:
NABARD Grade A 2023 Exam Pattern:
इस एग्जाम का परीक्षा पैटर्न नीचे एक टेबल में निम्नलिखित है। किसी भी एग्जाम को देने से पहले उसके एग्जाम पैटर्न जान लेने चाहिए।
Prelims Exam Pattern :
Nabard Grade A Main Exam Pattern:
Interview Process:
जिन अभ्यर्थियों को प्रीलिम्स और मेंस में चयनित किया गया है। सिर्फ वही अभ्यर्थी इस एग्जाम के तीसरे राउंड में बैठ सकते हैं जो की इंटरव्यू राउंड कहलाता है।
Total Marks of Interview : 25 Marks
NABARD Grade A 2023 आवेदन शुल्क :
नीचे टेबल में नाबार्ड ग्रेड ए 2023 के पोस्ट के लिए आवेदन शुल्क निम्नलिखित है।
Application Fees for Rajbhasa/ RDBS/ Legal Service:
नाबार्ड संशोधन अधिनियम, 2017 :-
नाबार्ड में जो केन्द्र सरकार की जो हिस्सेदारी थी उसको बढ़ाया गया। पहले नाबार्ड में पूंजी 5000करोड़ रूपये थी जो इस अधिनियम में बढ़ाकर 30000करोड़ कर दी गयी।
नाबार्ड में आरबीआई और केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी होती है, नाबार्ड में आरबीआई की हिस्सेदारी ज्यादा थी,
लेकिन इस अधिनियम के बाद केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी बढ़ गयी जो कि 51 प्रतिशत हो गयी। जिसका मतलब हुआ कि निर्णय लेने की स्थिति में केन्द्र सरकार हो गयी।
भारत के ग्रोथ में नाबार्ड का क्या योगदान है-
रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड जिसको बनाती सरकार है लेकिन इसका संचालन नाबार्ड करता है, इस फंड का प्रयोग नाबार्ड द्वारा गांवों में विकास के लिये किया जाता है।
इसी की तर्ज पर गांवों के विकास के लिये नाबार्ड द्वारा स्वयं का नाबार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड बनाया गया है जो गांवों में अहम भूमिका निभाता है।
दीर्घकालिक सिंचाई कोष - जिसमें सरकार पैसा देती है लेकिन इसका संचालन नाबार्ड करता है इस फंड का मकसद है कि देश में बहुत सी अपूर्ण, मध्यम एवं बृहत सिंचाई परियोजनाएं शुरू तो कर दी गयी हैं लेकिन वे पूरी नहीं हो पायी हैं।
जिसको इस फंड के द्वारा पूरा करने का काम किया जायेगा, जिसकी जिम्मेदारी नाबार्ड को दी गयी है। बेयरहाउस इंफ्रा फंड- इसके तहत गांवों में गोदाम बनाने वालों को लोन दिया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना- यह 1998 में शुरू हुई जिसमे आरबीआई व भारत सरकार की सहायता रहती है, लेकिन इसका क्रियान्वयन नाबार्ड करता है।
SHG बैंक लिंकेज प्रोग्राम :- इसे 1992 में शुरू किया गया है और इसमें लगभग 23 लाख से ज्यादा एसएचजी है और जिनका संचालन नाबार्ड ही करता है। इसको लेकर नाबार्ड ई-शक्ति पहल शुरू की है जिसमें एसएचजी को डिजटलीकरण कर दिया जायेगा।
बाजार पहल - नाबार्ड द्वारा बाजार पहल शुरू की गयी है इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शिल्पकारों के लिये बेहतर बाजार की तलाश में देश भर में विभिन्न आयोजन/प्रदर्शनी आदि नाबार्ड करवाता है।
ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि -1995 - यह केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया एक फंड है
जिसका रखरखाव नाबार्ड करता है जिसमें ग्रामीण पेयजल, मृदा संरक्षण, ग्रामीण बाजार, ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्कूल, आंगनवाड़ का निर्माण आदि कार्य किये जाते हैं।
नाबार्ड स्कीम 2022 -
जिसे डेयरी फार्मिंग योजना भी कहा जाता है इसके तहत भारत सरकार ने नाबार्ड को 30000 करोड़ रूपये नाबार्ड को दिये और नाबार्ड ने ये पैसा वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, कॉआपरेटिव बैंकों को दिये इनसे कहा ये किसानों को लोन दे ताकि डेयरी की स्थापना की जा सके। इस डेयरी में देशी नस्ल के दुधारू पशुओं को रखना है।
नाबार्ड की स्थापना कब हुई: शिवरामन सिंह समिति के सूझाव-
इस समिति ने कहा कि आरबीआई के पास काम का बोझ बहुत ज्यादा है और कृषि के वित्त के लिये एक अलग से बैंक बना दिया जाये जिसका नाम इसने नाबार्ड दिया। इन्हीं की सिफारिश पर नाबार्ड अधिनियम भारतीय संसद में पारित हुआ और 1982 में नाबार्ड की स्थापना की गयी।
नाबार्ड के बारे में जानकारी(FAQs)(People also ask ):
Q. NABARD ka Full Form.
A. Nabard full form - National Bank for Agriculture and Rural Development
Q. नाबार्ड का मुख्यालय कहाँ है ?
A. नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है |
Q. नाबार्ड के वर्तमान अध्यक्ष 2023 ?
A. नाबार्ड के अध्यक्ष के रूप में श्री शाजी केवी को दिसंबर, 2022 में नियुक्त किया गया है |
Q. नाबार्ड की स्थापना कब हुई ?
A. शिवरामन सिंह समिति की सिफारिश पर नाबार्ड अधिनियम भारतीय संसद में पारित हुआ और 1982 में नाबार्ड की स्थापना की गयी।|
Q. नाबार्ड की स्थापना किस समिति की सिफारिश पर की गयी ?
A. शिवरामन सिंह समिति की सिफारिश पर नाबार्ड अधिनियम भारतीय संसद में पारित हुआ और 1982 में नाबार्ड की स्थापना की गयी।|
Q. नाबार्ड का पूरा नाम ?
A. नाबार्ड का पूरा नाम है - National Bank for Agriculture and Rural Development (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक)
Q. नाबार्ड हेल्पलाइन नंबर
A. नाबार्ड हेल्पलाइन नंबर है - सामान्य शिकायतों का निपटान प्रधान कार्यालय, मुंबई (टेलीफोन 022-26530106 ) द्वारा किया जाता है व अधिक जानकारी के लिए नाबार्ड की वेबसाइट www.nabard.org जा सकते हैं।
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