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सपने क्यों आते है? नींद के चार चरण

Sapne Kyu aate hain - सपनों से सबका एक अनोखा नाता है। सपनों की दुनिया है ही इतनी निराली कि इसमें खो जाने का मन करता है, सपने देखने में मन रमता है, इसमें हर व्यक्ति एक रस का अनुभव करता है , लेकिन जब सपना टूटता है और वह वास्तविक दुनिया से रूबरू होता है, तब उसे लगता है कि उसने क्या – क्या देखा । जो उसने सपनों में देखा, उसका क्या मतलब है, क्योंकि सपने हमसे जुड़े होते हैं और हमें वो कुछ बताने, कुछ संकेत देने व कुछ दिखाने आते हैं । इसलिए सपनों का भी एक विशेष विज्ञान है।


Sapne Kyu aate hain



सपने क्यों आते है ? सपनों का ताना – बाना आता कहाँ से है? इसका हमारी वास्तविक जिंदगी से क्या नाता है ? इस तरह सपनों के बारे में कई तरह के सवाल हमारे मन में उठते हैं । जब से इनसान ने निद्रा लेना शुरू किया है , तब से सपने भी अपने अस्तित्व में आए हैं । ये तब भी एक अबूझ पहेली की तरह हैं , जिनकी तह तक , जिनके सत्य – तक कोई पहुँच नहीं पाया है ; क्योंकि जितने लोग हैं , उतने तरह के लोगों के सपने हैं।

सपने सभी के अलग होते हैं और एक व्यक्ति के सपनों पर दूसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप नहीं हो सकता , लेकिन सपनों में देखे जाने वाले कुछ दृश्य व घटनाएँ ऐसी होती हैं।

जिन्हें बहुत लोग अपने सपनों में देखते हैं, जैसे – अपने संबंधी जनों को देखना , जल – प्रवाह देखना , बाढ़ देखना , पशु – पक्षियों को देखना , शिवलिंग देखना , साँप देखना , चलती हुई ट्रेन या बस के पीछे भागना आदि। इस तरह हमें सपनों में बहुत सारे ऐसे दृश्य दिखते हैं , जो हमारे वास्तविक जीवन से संबंधित होते हैं और कई दृश्य ऐसे भी दिखते हैं , जिनसे हम अपरिचित होते हैं या जिन्हें हमने कभी नहीं देखा होता है ।

Sapne Kyu aate hain – सपने क्यों आते है?

विशेषज्ञों का ऐसा कहना और मानना है कि सपनों में हमें जो भी देखने को मिलता है , उसका इस संसार में कहीं – न – कहीं अस्तित्व होता है , भले ही हमें उसके बारे में पता हो या न हो।

सपनों की दुनिया अनंत है , इसका कोई ओर – छोर नहीं है , जीवन समाप्त होने पर ही सपने समाप्त होते हैं । दिन हो , चाहे रात , यदि व्यक्ति सोता है , तो उसे सपने दिख सकते हैं , लेकिन गहरी नींद में होने पर उसे सपने नहीं दिखते।

मनोविशेषज्ञों के अनुसार सपने क्यों आते है?

मनोविशेषज्ञों के अनुसार – हमारी नींद के चार चरण होते हैं , इनमें सबसे आखिरी चरण रेपिड आई मूवमेंट ( आर . ई . एम . ) है , जिसमें हम सपने देखते हैं । इसलिए जो व्यक्ति सपने देख रहा होता है , उसकी आँखें यदि अधखुली हों तो आसानी से यह देखा जा सकता है कि उसकी आँखों की पुतलियाँ घूम रही हैं , यानी कुछ देख रही हैं।

इस अवस्था में हमारा दिमाग तो सक्रिय होता है , लेकिन अंगों का संचालन सुप्त होता है । यह स्थिति तब तक रहती है , जब तक कि दिमाग के वे हिस्से फिर से सक्रिय न हो जाएँ , जो शरीर की हलचल के लिए जरूरी होते हैं ।

कभी – कभी व्यक्ति के सपने बहुत स्पष्ट होते हैं , तो कभी – कभी सपने धुंधले होते हैं । कभी – कभी देखे जाने । वाले सपने वास्तविक जीवन में घटित भी हो जाते हैं और कभी – कभी ऐसे सपने दिखते हैं , जो वास्तविक जीवन की घटनाओं से विपरीत होते हैं । देखे जाने वाले सपने हर बार न कुछ अलग होते हैं । कुछ सपने लुभावने होते हैं तो कुछ डराते भी हैं ।

विशेषज्ञों के अनुसार – हर रात अरबों सपने इस पृथ्वी पर अनुभव किए जाते हैं और औसतन एक व्यक्ति को हर | रात तीन से पाँच सपने देखने का अनुभव होता है । इस तरह हम अपनी जिंदगी के छह साल सपने देखने में बिता देते हैं ।

आश्चर्य की बात यह है कि उन सपनों में से महज पाँच ई प्रतिशत सपने ही हमें याद रहते हैं और बाद में वे भी हमारी स्मृति से धूमिल हो जाते हैं । सपनों के बारे में जानने की उत्सुकता लोगों में सदा से रही है ।

मिस्र में मिली सपनो पर लिखी किताब

एक रिपोर्ट के अनुसार – सपनों पर सबसे पहली किताब मिस्र में लिखी गई , जो हजारों वर्ष पुरानी है । मेसोपोटामिया में लगभग 5000 ईसा पूर्व मौजूद सभ्यता ने स्वप्नचिह्नों और उनके अर्थों को मिट्टी की गोलियों पर उकेरा था , जो इस बात का प्रमाण है कि सपने वास्तव में ।

प्राचीन सभ्यताओं के लिए भी रुचि का विषय रहे हैं । ज्योतिष में तो सपनों का एक पूरा शास्त्र ही है । सपनों पर मनोविज्ञान विषय में भी 17 वीं शताब्दी से काम हो रहा है , अरस्तू से लेकर सिग्मंड फ्रायड तक , सबने सपनों को वास्तविक जीवन का संकेत माना है । आयुर्वेद भी सपनों की वास्तविकता को स्वीकारता है ।

सपने हमारे मस्तिष्क की कोई दबी इच्छा हो सकते हैं या फिर हमारे मस्तिष्क पर किसी घटना विशेष का प्रभाव हो सकते हैं अथवा हमारे भविष्य की कोई सूचना भी हो सकते हैं ।

तंत्रिका विज्ञान की कुछ शोधों ने अभी हाल ही में यह जानने की कोशिश की थी कि हम सपने क्यों देखते हैं और सपनों में दिखने वाला घटनाक्रम कहाँ से उपजता है ? इसमें यह पाया गया कि ज्यादातर सपने हमारी भावनाओं से जुड़े होते हैं ।

मनोविज्ञान और ज्योतिष दोनों ही इस बात पर एकमत हैं कि सपने हमारे बारे में बहुत कुछ बताते हैं । अंतर सिर्फ इतना है कि मनोविज्ञान सपनों का आकलन मानसिक व शारीरिक सेहत की दृष्टि से करता है और ज्योतिष अपने संकेतों के आधार पर सपनों का अर्थ समझाता है ।

आयुर्वेद के अनुसार सपने क्यों आते है


आयुर्वेद की चरक संहिता में सपनों के सात प्रकार बताए गए हैं – दृष्ट , श्रुत , अनुभूत , प्रार्थित , कल्पित , भाविक और दोषज । इनमें से भाविक सपना भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटना की ओर संकेत करता है । सपनों के बारे में दिलचस्प बात यह है कि जिसका आईक्यू जितना ज्यादा है , उसे उतने ही ज्यादा सपने आते हैं ।

कुछ अध्ययनों से यह पता चला है कि जानवर भी सोते समय मनुष्यों की तरह ही सपने देखते हैं । जन्म से दृष्टिहीन लोगों को भी सपने आते हैं , लेकिन उन्हें कोई तस्वीर नहीं दिखती है , बल्कि उनके सपनों में आवाज , गंध , स्पर्श और भावनाएँ ही आती हैं ।

एक मनुष्य रात में औसतन चार सपने देखता है और एक साल में लगभग 1,460 सपने देखता है कुछ सपने ऐसे होते हैं , जो लगभग हर किसी को आते हैं , जैसे – ऊँचाई से गिरना , किसी चीज के पीछे भागना , हवा में उड़ना आदि । हमारे कुछ सपने ऐसे होते हैं , जिनमें हम अपनी उन इच्छाओं को भी पूरा होते हुए देखते हैं , जो वास्तविक जीवन में पूरी नहीं हो पाई हों ।

परीक्षा छूट जाना , ट्रेन छूट जाना , ऑफिस के लिए लेट होना , ऊपर से गिरना , उड़ने की असफल कोशिश आदि इस तरह के सपने भी लोगों को आते हैं । देर होने से संबंधित सपनों से यह पता चलता है कि व्यक्ति कुछ पूरा करने का अवसर खो चुका है ।

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