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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है व इसके कार्य, शक्तियां और संरचना : National Human Rights Commission(NHRC) in hindi

अक्सर हम न्यूज़, T.V. पर सुनते-पढ़ते रहते है कि इस घटना में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम जाँच के लिए पहुंची आदि तो आज हम इसके बारे में जानेंगे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य और शक्तियां क्या हैं ?

Table Short information: 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)


यह एक वैधानिक संस्था है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना कब हुई?

 

इसकी स्थापना 12 अक्टूबर, 1993 को हुई।

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या काम करता है?

 

यह मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिये और उनकी रक्षा करने के लिये काम करती है साथ ही मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना, अनुसंधान का काम करना न्यायालय में लंबित मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना आदि।

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय कहां है?

इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते है?

 

इसमें कुल 6 सदस्य होते हैं, जिनमें एक अध्यक्ष्य और 5 सदस्य होते हैं।

 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं?

 

इसके वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरूण कुमार मिश्रा है, इसकी यह विशेषता होती है कि इसका अध्यक्ष भारत का कोई सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होता है।


NHRC की नियुक्ति कौन करता है?

NHRC की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 6 सदस्यों की सिफारिश पर करता है।


NHRC का कार्यकाल कितना होता है?

NHRC का कार्यकाल 30 साल या 70 वर्ष दोनों में से जो पहले है।

 


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है - यह एक सांविधिक(संवैधानिक नहीं) आयोग है जिसे संसद द्वारा अधिनियम पारित कर बनाया गया है जिसका पहले नाम था 'मानव संरक्षण अधिनियम, 1993'। इसमें 2006 तथा 2019 में संशोधित किया गया।

मानवाधिकार की परिभाषा : - संविधान द्वारा दिये गये अधिकार, अन्तर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा तय किये गये मानव अधिकार तथा न्यायालय द्वारा माने गये मानवाधिकार यानी ऐसे अधिकार जो हमें मानव होने के नाते प्राप्त हैं।

इसलिये मानव अधिकारों का संरक्षण व अधिकारों के अतिक्रमण को रोकने के लिये राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया।

NHRC के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन समिति : - यह एक बहु-सदस्यीय आयोग है पहले इसमें 1 अध्यक्ष तथा 4 पूर्णकालिक सदस्य तथा 4 पदेन सदस्य होते थे, लेकिन 2019 में संशोधन कर अब 1 अध्यक्ष तथा 5 पूर्णकालिक सदस्य तथा 7 पदेन सदस्य होते हैं।

आयोग का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होना चाहिए। पहले अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश होता था।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में कितने सदस्य होते है :- 

पूर्णकालिक सदस्य- ऐसे सदस्य जो अपना कार्यकाल पूरा करते हैं इसमें- 

  • एक सदस्य सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश।
  • एक सदस्य उच्च न्यायालय का कार्यरत या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश होना चाहिए।
  • तीन सदस्य वे होने चाहिए जिन्हें मानव अधिकारों से संबंधित जानकारी अथवा अनुभव हों। इनमें से कम-से-कम एक महिला होनी चाहिए।

पदेन सदस्य(अल्पकालिक सदस्य)- इसमें 7 सदस्य हैं इनका कार्यकाल से संबंध नहीं है।

  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष
  • राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग के मुख्य आयुक्त
  • विकलांग व्यक्तियों के लिये मुख्य आयुक्त


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क्या है व इसके कार्य, शक्तियां और संरचना : What is National Human Rights Commission(NHRC) in hindi

NHRC के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है ?:-

सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा 6 सदस्य समिति की सिफारिश पर की जाती है- 

  • प्रधानमंत्री
  • केन्द्रीय गृहमंत्री
  • लोकसभा अध्यक्ष
  • राज्यसभा के उप-सभापति
  • संसद के दोनों सदनों के मुख्य विपक्षी दल के नेता

NHRC के सदस्यों का कार्यकाल- 

30 वर्ष या 70 वर्ष

पुनः नियुक्ति के लिये पात्र

कार्यकाल पूरा होने के बाद केन्द्र या राज्य के किसी पद के लिये योग्य नहीं होते हैं।

इन्हें सुप्रीम कोर्ट के प्रतिवेदन पर दुराचरण या अक्षमता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्य- 

  • मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करना, लोक सेवक मानवाधिकार उल्लंघन की प्रार्थना को नजर अंदाज करता हो तो उसकी जांच करना।
  • न्यायालय में लम्बित किसी मानव अधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना यानी कोई मामला कोर्ट में चल रहा हो जो मानवाधिकार से संबंधित हो तो उसमें हस्तक्षेप करना।
  • जेल में बन्द कैदियों के लिये वहां जाकर स्थिति का अध्ययन करना एवं इसके बारे में सिफारिश करना।
  • मानव अधिकारों की रक्षा हेतु संबंधित तथा विधिक उपबंधों की समीक्षा करना तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु सिफारिश करना।
  • मानव अधिकारों के क्षेत्र में शोध करना और इसे प्रोत्साहित करना।
  • आतंकवाद सहित उन सभी कारणों की समीक्षा करना, जिनसे मानव अधिकारों का उल्लंघन होता है तथा इनसे बचाव के उपायों की सिफारिशें करना लोगों के बीच मानवाधिकार की जानकारी फैलाना।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  मानवाधिकार हनन के मामलों की स्वयं पीड़ित पक्ष या तीसरे पक्ष की शिकायत पर जांच करना।
  • मानवाधिकार से संबंधित जो संवैधानिक प्रावधान, प्रचलित कानूनों व अन्तर्राष्ट्रीय संधियां, समझौते से संबंधित प्रावधानों का अध्ययन करता है और सुधार के सुझाव देता है।
  • राज्य सरकार की पूर्व अनुमति लेकर किसी कारावास का भ्रमण कर सकता है।
  • यह मानवाधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन को प्रोत्साहित करना।
  • प्रकाशनों, मीडिया व अन्य उपलब्ध साधनों के माध्यम से समाज के विभिन्न वर्गां में मानव अधिकारों से संबंधी शिक्षा का प्रचार करना।
  • ऐसे जरूरी कार्यां को करना जो मानवाधिकारों के प्रचार के लिये आवश्यक हो। 

NHRC कैसे काम करता है- आयोग के पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच करने के लिये खुद का जांच दल है। 

इसके अलावा आयोग केन्द्र या राज्य सरकार के किसी अधिकारी या जांच एजेंसी की सेवाएं ले सकता है तथा आयोग केन्द्र अथवा राज्य सरकार से किसी भी जानकारी अथवा रिपोर्ट की मांग कर सकता है।

आयोग के पास सिविल न्यायालय के सभी अधिकार व शक्तियां हैं उसका चरित्र भी न्यायिक है।

आयोग 1 साल से अधिक पुराने मामलों की जांच नहीं कर सकता।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की शक्तियां-

  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लोक प्रक्रिया संहिता, 1908 के अन्तर्गत सिविल न्यायालय की समस्त शक्तियां प्राप्त करता है।
  • वह पुलिस से समस्त कार्यवाहियों के रिकॉर्ड को भी मांग सकता है और किसी भी व्यक्ति को सम्मन जारी कर सकता है।
  • आयोग स्वयं एक सिविल न्यायालय की भूमिका में काम करता है जिसके द्वारा वह मानवाधिकारों की रक्षा करता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा कारागर निरीक्षण, बालश्रम उन्मूलन हेतु कारखानों का निरीक्षण करता है जिनमें मानवाधिकारों के हनन की हनन की संभावना होती है, उसका कार्य भी  किया जाता है।
  • आयोग सुप्रीम कोर्ट में मानवाधिकारों से संबंधित विचाराधीन मामलों में सहायता प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रधान कार्यालय दिल्ली में स्थित है तथा वह भारत में अन्य स्थानों पर भी अपना कार्यालय खोल सकता है।
  • इसके पास मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित शिकायतों की जांच करने के लिये एक स्वयं का जांच दल भी होता है, 
  • इसके अलावा यह केन्द्र व राज्य सरकारों के किसी अधिकारी या जांच एजेंसी की भी सेवाएं ले सकता है।
  • आयोग को गैर-सरकारी संगठनों के साथ अच्छा तालमेल हे।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सीमाएं(Limitations)-

आयोग द्वारा जो सिफारिशें दी जाती हैं वह सलाहकारी प्रकृति की होती है, 

जिससे आयोग को न तो किसी व्यक्ति को दण्डित करने  के अधिकार है और न ही किसी व्यक्ति को आर्थिक सहायता देने के अधिकार है। 

यानी इसकी सिफारिशें मानना या ना मानना सरकार के हाथ में है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सलाह मानने लिये सरकार बाध्य नहीं है फिर भी यह प्रावधान है कि सरकार 1 महिने की अवधि में आयोग को यह बतायेगी कि किस मुददे पर किस प्रकार की कार्यवाही की गई है।  

आयोग सैन्य बलों के द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन की जांच नहीं कर सकता है, 

जैसे- जम्मू-कश्मीर, पूर्वी राज्यों में तथा नक्सलियों के विरूद्व की गई कार्यवाही में मानवाधिकारों के हनन के आरोप लगाये जाते हैं, लेकिन आयोग इन मामलों की जांच के लिये सरकार को निर्देश देता है।

आयोग ऐसे किसी मामले की जांच नहीं कर सकता, जिसे घटे हुए 1 साल से ज्यादा हो गये हों।

आयोग के पास खुद के पर्याप्त अधिकारी भी नहीं है इसलिये आयोग को सरकार के उन्हीं विभागों पर जांच के लिये निर्भर रहना होता है जिनके खिलाफ मानवाधिकार के हनन का आरोप है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की भूमिका- 

आयोग की भूमिका सलाहकारी है।

दण्ड देने का अधिकार नहीं है।

आर्थिक सहायता नहीं दे सकता।

न्यायलय में मानवाधिकार संबंधित कार्यवाही में भाग लेना।

जेल और बंदीगृहों में मानवाधिकारों की समीक्षा करना।

आतंकवादी घटनाओं सहित उन घटनाओं की जांच करना, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है।

सशस्त्र बलों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन किये जाने के मामलों में केवल केन्द्र सरकार से रिपोर्ट प्राप्त कर अपनी सलाह दे सकता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के बारे में जानकारी(FAQs ) :-

Q. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कब हुआ ?

A. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, जिसकी स्थापना 1993 में की गयी | 

Q. NHRC के सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया ?

A.  NHRC के सदस्यों सुप्रीम कोर्ट के प्रतिवेदन पर दुराचरण या अक्षमता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

Q. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन कौन करता है ?

A. यह एक सांविधिक(संवैधानिक नहीं) आयोग है जिसे संसद द्वारा अधिनियम पारित कर बनाया गया है जिसका पहले नाम था 'मानव संरक्षण अधिनियम, 1993'। इसमें 2006 तथा 2019 में संशोधित किया गया।

Q. मानवाधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?

A. मानवाधिकार दिवस 10 दिसम्बर को मनाया जाता है | 

Q. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष कौन है?

A. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा हैं | 

Q. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का कार्यालय कहाँ है ?

A. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रधान कार्यालय दिल्ली में स्थित है तथा वह भारत में अन्य स्थानों पर भी अपना कार्यालय खोल सकता है।

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