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वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) क्या है, भारत में Marital Rape पर कानून क्या है ?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि 18 साल से ज्यादा आयु की पत्नी के मामले मे पति को वैवाहिक बलात्कार से सुरक्षा प्रदान है।

इससे पहले दिल्ली High Court में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) से संबंधित जनहित याचिका(PIL) दायर की गयी, 

जिसमें वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध की श्रेणी में शामिल करने की मांग की गयी है। भारत में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) अपराध नहीं है। 

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध  घोषित करने को लेकर दिल्ली High Court के 2 जजों की बेंच(Bench) में एक राय नहीं बन पायी। 

जिससे दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले में याचिकाओं पर खंडित फैसला सुनाया(Delivered a Fractured Verdict) 

इस जनहित याचिका(PIL) में बलात्कार(Rape) कानून के तहत पतियों को दी गई छूट को खत्म करने की मांग की गई थी। 

याचिकाकर्ताओं(Petitioners) ने Indian Penal Code(IPC) की धारा 375(Rape) की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह धारा विवाहित(Married) महिलाओं के साथ उनके पति द्वारा यौन उत्पीड़न(Sexual Harassment) के खिलाफ भेदभाव(Discrimination) करती है। 

साथ ही याचिकाकताओं ने पक्ष रखा कि घरेलू हिंसा अधिनियम(Domestic Violence Act)  पति या पत्नी की यौन हिंसा(Sexual Violence) को मान्यता(Recognition) देने के लिये लागू किया गया था एवं इस Act के तहत यदि महिला की गरीमा को कम करने का प्रयास किया जाता है तो यह घरेलू हिंसा में माना जाता है, इसके तहत सजा का प्रावधान है।

भारत में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध मानने के लिये कई महिला संगठन और Feminist Group काफी समय से मांग कर रहे हैं।


Marital Rape: वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) क्या है, भारत में Marital Rape पर कानून क्या है ?


वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) :-  मूलतः भारतीय कानून व्यवस्था में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) शब्द का उल्लेख नहीं है बल्कि इसका संबंध Indirectly IPC की धारा 375 से है।

Indian Penal Code(IPC) की धारा 375 के तहत पत्नी की बिना सहमति के अगर पति जबरन उससे शारीरिक संबंध बनाता है तो इसे बलात्कार(Rape) की श्रेणी के अन्तर्गत नहीं माना जायेगा।

दिल्ली हाई कोर्ट में इसी व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की गयी यानी पत्नी की इच्छा के बिना किये गये यौन संबंधों को बलात्कार की श्रेणी(Category) में शामिल करने की मांग है।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) पर कानून :-  Indian Penal Code(IPC) की धारा 375 में Rape को बताया गया है, IPC की धारा 376 में Rape(अलग-अलग Clause में) जिक्र किया गया है, 

लेकिन Marital Rape का जिक्र किसी भी धारा में नहीं है एवं IPC की धारा 375 के अपवाद 2 के रूप में अगर पत्नी नाबालिग(15 वर्ष से कम उम्र) नहीं है तो पति द्वारा उसके साथ यौन(Sexual) संबंध करता है तो इसे बलात्कार(Rape) की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।

सामिजक संबंध बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता-

  • यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता गरीमा/सम्मान से जुड़ी हो तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता सामाजिक संबंध से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • यदि सामाजिक संबंध समाज की भलाई, सहभागिता, समाज के कल्याण से जुड़े हो तों सामाजिक संबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

भारत में दण्ड(Punishment) की प्रक्रिया के कानून की व्याख्या IPC में की गयी। IPC मैकाले की सिफारिश पर 1860 में बना।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) से संबंधित आंकडें  :- 

  • National Family health Survey(NHFS-5) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 24% महिलाओं को घरेलू हिंसा(Domestic Violence) या यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है।
  • National Family health Survey-NHFS (2019-20) के अनुसार 67% पंजाब के पुरूषों ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन सेक्स करना पति का अधिकार है।
  • कई Expert का मानना है कि वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामले समाज या परिवार के डर से कभी सामने नहीं आ पातें।
  • पत्नियों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले में बिहार(98.1%), जम्मू-कश्मीर(97.9%), आंध्रप्रदेश(96.1 %), उत्तर प्रदेश(95.9%), हिमाचल प्रदेश (80.2 %) के पति सबसे आगे थे।
  • यौन उत्पीड़न की शिकार शादीशुदा महिलाओं से पूछा गया कि पहला अपराधी कौन था तो इनमें से 93 % ने अपने पति का नाम लिया।
  • National Family health Survey-NHFS(2005-06) के अनुसार 93% महिलाओें ने माना था कि उनका वर्तमान या पूर्व पति ने यौन उत्पीड़न किया था।
  • National Family health Survey-NHFS(2015-16) के अनुसार देश में लगभग 99% यौन उत्पीड़न(Sexual Harassment) के मामले दर्ज ही नहीं होते।
  • National Crime Records Bureau(NCRB) के मुताबिक भारत में Rape महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे बड़ा अपराध है। देश में औसतन 88 रेप हर दिन होते हैं इनमें से 94% Rape केस में अपराधी पीड़ित का पीड़ित(Victim) का परिचित(Acquainted) होता है।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) पर कहां-कहां कानून है-

  • 1932 में पोलैंड पहला देश बना जिसने वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध घोषित किया।
  • अमेरिका में 1970 से 1993 के मध्य अमेरिका के सभी राज्यों में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध घाषित किया गया।
  • यूरोपियन की संसद ने 1986 में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध की श्रेणी में रखा।
  • नेपाल ने भी 2002 में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपवाद की श्रेणी में हटाकर अपराध की श्रेणी में डाला।
  • 77 देशों में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध मानने को लकर स्पष्ट कानून है जबकि 34 देशों(इसमें भारत भी शामिल है) में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) अपराध नहीं है।

Marital Rape: वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) क्या है, भारत में Marital Rape पर कानून क्या है ?

2013 में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) पर Justice वर्मा समिति की सरकार को सलाह-

  1. Rape के कानून में वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपवाद से हटाकर गैर कानूनी किया जाये।
  2. Rape के आरोपी की सजा पति होने की बजह से कम नहीं होनी चाहिए।
  3. Rape केस में आरोपी और पीड़ित के बीच संबंधों को बचाव का आधार नहीं माना जा सकता है।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) पर सरकार और कोर्ट:- 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व Chief Justice Of India(CJI) दीपक मिश्रा ने 2019 में कहा कि वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है।

जुलाई, 2021 में केरल हाई कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध मानने से इंकार किया, लेकिन इसे तलाक का वैध आधार माना।

केन्द्र सरकार ने 2017 में कहा कि वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) का अपराधीकरण भारतीय समाज में विवाह की व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है यानी यदि वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध घोषित किया जाता है तो ये विवाह को कमजोर कर सकता है।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) के अपराध घोषित के पक्ष में तर्क :-

  • वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को भारतीय कानून व्यवस्था में अपवाद मानना संविधान के अनुच्छेद-14(विधि के समक्ष समता) तथा अनुच्छेद-15(लैंगिक समता) की अवधारणा के विरूद्व है।
  • वैवाहिक बलात्कार को अपराध ना मानना महिलाअें की गरीमा एवं स्वतंत्रता के भी प्रतिकूल(Adverse) है जो कि महिला को समाज में एक वस्तु के रूप में संकीर्ण धारणा(Narrow Perception) को बताता है।
  • 21वी सदी में इस तरह के  प्रावधान को नहीं स्वीकारा जा सकता है।
  • इस प्रकार के कानून वैज्ञानिक समाज की धारणा के खिलाफ है जो कि पितृसत्तात्मक मानसिकता को दर्शाता है।
  • इसके अलावा IPC की धारा 375 मूलतः ब्रिटिशकालीन मानसिकता से प्रेरित है जोकि अब अतार्किक है।
  • जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिश।

वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) के अपराध घोषित के विपक्ष में तर्क :-

  • उक्त तर्कों के बावजूद भी वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है Infact इस संबंध में सरकारों का नजरिया है कि वैवाहिक बलात्कार के अपराध घोषित होने से भारतीय समाज में विवाह टूटने का संकट उत्पन्न होगा।
  • वैवाहिक बलात्कार(Marital Rape) को अपराध घोषित करने से महिलाएं इसका दुरूपयोग कर सकती हैं।
  • NCRB की वर्ष 2018 में एक रिपोर्ट के अनुसार घरेलू यौन हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज अपराधों में लगभग आधे से अधिक मामले झूठे पाये गये। 
  • अतः सरकार का मानना है कि वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने से झूठे मामलें तेजी से बढ़ सकते हैं साथ ही सरकार का यह भी तर्क है कि यह शादीशुदा जोड़े का निजी मामला है जिससे इसमें सबूत एवं ग्वाहों की उपलब्धता नगण्य रहेगी।

हमें समाज में जागरूकता फैलानी होगी कि विवाह का मतलब यह नहीं कि कोई एक dominant हो जाये, दबाकर रखे, शोषण किया जाये या गुलाम हो बल्कि विवाह का मतलब होता है दोनों का एक साथ जीवन जीना। 

Questions and Answers:

Q. विवाह से संबंधित अपराध के लिए क्या प्रावधान है?

A. IPC की धारा 493 से 498 विवाह से संबंधित अपराध के संबंध में है।

Q. केस कितने प्रकार के होते है?

A. केस 2 प्रकार के होते है  -एक क्रिमिनल एक सिविल

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