जिस तरह बढ़ते हुए ग्रीन हाउस गैस, CO2 की अधिकतम जिसकी जिम्मेदारी सभी राष्ट्रों की है और इसको कम करने के लिए सभी के द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं जैसे-
नवीकरणीय ऊर्जा(Renewable Energy(सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, हाइड्रोजन ऊर्जा आदि) के प्रयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें हाइड्रोजन- इसकी केलोरिफिक Value(जैसे 1 ग्राम हाइड्रोजन को जलाने पर Energy सबसे ज्यादा Release होती है।)
यह गैस हल्की होती है।
हाइड्रोजन की उपलब्धता पर्याप्त है इस कारण पूरे विश्व की निगाहें इसके प्रयोग पर टिकी हैं।
यह गैसीय द्रव है जिसमें कोई गंध, रंग और स्वाद नहीं होता है।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति 2022-
फरवरी, 2022
केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय।
प्रमुख बातें- 2030 तक 50 लाख टन हरित(ग्रीन) हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा गया है।
ग्रीन हाइड्रोजन निर्माताओं को किसी भी Power Exchange से अक्षय ऊर्जा खरीदने अथवा स्वयं की इकाई स्थापित करने की स्वतंत्रता होगी।
Green Hydrogen Energy(ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा) :- हाइड्रोजन का उत्पादन विद्युत अपघटन(इलेक्ट्रोलाइजर) की प्रक्रिया से होता है। इस इलेक्ट्रोलाइजर को विद्युत की आवश्यकता पड़ती है और यदि यह विद्युत(Electricity) नवीकरणीय ऊर्जा संयत्रों(Plants)(सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि) से प्राप्त होती है। जिससे CO2 का उत्सर्जन नहीं होता है।
तो ऐसे Source से जो इलेक्ट्रोलाइजर होगा जिससे हाइड्रोजन बनती है उसे ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन निर्माता अपनी अप्रयुक्त(Unused) नवीकरणीय ऊर्जा को 30 दिनों तक डिस्कॉम(Dis com) के पास जमा कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसे वापस कर सकते हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के वे निर्माता जो जून 2025 से पहले परियोजनाओं का परिचालन शरू करेंगे उन्हें 25 वर्षों की अवधि लिये inter-state transmission से छूट मिलेगी।
(जो ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया को बनायेंगे उन्हें 25 सालों तक inter-state transmission शुल्क से छूट मिलेगी।) और निर्यात, शिपिंग के लिये Storage बंदरगाहों के पास कम शुल्क पर बंकर(Bunker) स्थापित करने की अनुमति रहेगी।
भारत का पहला शुद्व ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र(Plant) जारेहाट(असम) में लग चुका है,
ऑयल इंडिया लिमिटेड द्वारा।
इस Plant की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन करने की क्षमता प्रतिदिन 10 किलो है।
ग्रीन हाइड्रोजन के पास ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 15-25 प्रतिशत तक कम करने की क्षमता है।
Conference of the Parties-COP-26 में भारत द्वारा वर्ष 2070 तक शुद्व शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य की घोषणा की गई है एवं वर्ष 2030 तक 45 प्रतिशत कार्बन कम करने का लक्ष्य रखा है।
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