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धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष में अंतर क्या है : धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष क्या है

संविधान में पंथनिरपेक्ष शब्द कब जोड़ा गया :  हमारा जब संविधान बना उस वक्त "Secular" शब्द नहीं था लेकिन 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ा गया। 

सेकुलर का मतलब क्या होता है? : Secular का वास्तव में अर्थ पंथनिरपेक्ष है ना कि धर्मनिरपेक्ष ।

भारत एक Secular Country है जिसका हिंदी में Translation पंथनिरपेक्ष होता है ना कि धर्मनिरपेक्ष। 

निरपेक्ष का मतलब Neutral होना, उस ओर ना जाना, अलग रहना है।


धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष  में अंतर क्या है  : धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष क्या है


धर्म क्या है? : - धर्म का तात्पर्य होता है जिसे हम धारण कर सकते हैं यानी मानव होने के नाते हमें लगे कि यह होना चाहिए।

मनुस्मृति में धर्म के 10 लक्षण बताए गए हैं :

  1. धैर्य, 
  2. क्षमा, 
  3. अपने मन को कंट्रोल, 
  4. चोरी ना करना,
  5. संयम, 
  6. शुद्धता, 
  7. अपनी इंद्रियों पर कंट्रोल, 
  8. सत्य और क्रोध न करना,
  9. बुद्धि, 
  10. विद्या।

धर्म एक प्रकार का मानवीय मूल्य है इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने "हिंदू" शब्द को धर्म ना मानकर एक जीवन शैली माना है।

यह जीवन शैली किसी (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) के लिए भी समान होती है। 

धर्म एक भारतीय शब्द है जबकि विश्व में धर्म के लिए (Religion) शब्द का प्रयोग होता है जो कि Religion और धर्म दोनों अलग-अलग है।

Religion शब्द की उत्पत्ति यूरोप से हुई है Religion "राज्य की उत्पत्ति के देवी सिद्धांत" से संबंधित हैं जिसमें दो बातें शामिल तथा : -

  1. राज्य की उत्पत्ति ईश्वर द्वारा हुई है, 

   2. राजा ईश्वर का प्रतिनिधि है। 

निरपेक्ष का अर्थ होता है- अलग रहना।

जब आधुनिक काल में पश्चिमी देशों में नवीन विचारों का उदय हुआ तो यह अवधारणा सामने आई कि राज्य को Religion(धर्म) से अलग रहना चाहिए एवं लोगों के धार्मिक जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि यहां धर्म का मतलब Religion से है ना कि जिसका जिक्र है मनुस्मृति में किया गया है।

पंथ क्या है: - 10 मानवीय मूल्यों को अपनाते हुए ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग को पंथ कहते हैं यानी जिस रास्ते के द्वारा आप ईश्वर तक पहुंचते हैं, 

जैसे इस्लाम में, ईसाई में, सिख में आदि जबकि हिंदू कई पंथों का समूह है जैसे वैष्णो, शैव आदि।

पंथ में चार बातें अनिवार्य है :

  1. एक प्रवर्तक, 
  2. एक किताब, 
  3. पूजा की एक विशेष पद्धति, 
  4. एक पवित्र स्थान ।


जिसमें यह चार चीजें होती हैं उसे पंथ कहते हैं ।

जैसे - सिख : 

एक प्रवर्तक        -        गुरु नानक देव, 

एक पुस्तक।      -          गुरु ग्रंथ साहिब, 

पूजा की विशेष पद्धति -  अरदास, 

एक पवित्र स्थान    -        श्री हरमंदिर साहिब

जैसे - मुस्लिमों में: 

एक प्रवर्तक।       -          पैगंबर मोहम्मद साहब

एक पुस्तक।       -          कुरान

पूजा की विशेष पद्धति -  नमाज

एक पवित्र स्थान।   -       मक्का मदीना

पंथनिरपेक्ष क्या है ? :- 

  • राज्य का अपना कोई धर्म (Religion- पंथ) नहीं होगा, 
  • राज्य सभी धर्मों(Religions) के प्रति समान भाव रखेगा, 
  • राज्य धार्मिक आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं करेगा, 
  • राज्य लोगों के धार्मिक जीवन में हस्तक्षेप नहीं करेगा,
  • राज्य किसी धर्म विशेष को मानने के लिए लोगों को बाध्य नहीं करेगा।

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ क्या है ? : धर्मनिरपेक्षता का अर्थ राज्य सभी धर्मों से दूरी बना कर रहे जबकि पंथनिरपेक्षता का मतलब है राज्य किसी धर्म विशेष के साथ भेदभाव ना करें। 

भारत में धर्मनिरपेक्षता को सकारात्मक मॉडल के रूप में अपनाया गया है जबकि पश्चिम में नकारात्मक मॉडल के रूप में, 

क्योंकि भारत में धर्मनिरपेक्षता का मतलब है धर्म से पूर्णतः अलग नहीं बल्कि सभी धर्मों को एक सामान देखना है जबकि पाश्चात्य मैं धर्म से पूर्णतः अलग की बात करता है यानी राज्य और चर्च अलग अलग होंगे।

धर्मनिरपक्षता के लिए संविधान में क्या प्रावधान है: 

अनुच्छेद 14, 15 व 16 समानता के अधिकार की बात करता है और इसमें साफ कहा गया है कि "राज्य धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा" ।

अल्पसंख्यकों के लिए अनुच्छेद 25 - 30 में विशेष प्रावधान है व  25 - 28 में "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार" की व्याख्या की गई है जो स्पष्ट करता है कि राज्य की प्रति व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार जीवन जीने की आजादी होगी।

अनुच्छेद  29 - 30 में अल्पसंख्यकों को विशेष सुरक्षा दी गई है।

अनुच्छेद 30 : राज्य अल्पसंख्यकों को अपनी रुचि के शिक्षण संस्थान स्थापित करने व उन्हें चलाने की छूट देता है। 

1978 में हुए 44 वें संविधान संशोधन के बाद अनुच्छेद 30 में यह भी व्यवस्था की गई कि राज्य किसी अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षण संस्थान का अधिग्रहण करता है तो उसे बाजार कीमत पर क्षतिपूर्ति देगा, 

लेकिन यदि राज्य बहुसंख्यक के शिक्षण संस्थान का अधिकरण करता है तो यह शर्त लागू नहीं होती बल्कि राज्य अपने विवेक के अनुसार कीमत देगा।

42 वें संविधान संशोधन 1976 के तहत प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ा गया। 

1994 में एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने "सेकुलरिज्म" को "संविधान के मूल ढांचे" का हिस्सा माना। 

भारत सभी धर्मों से दूरी बनाने के बजाय सभी के प्रति समान व्यवहार रखता है जो कि पंथनिरपेक्षता की ज्यादा नजदीक है।

पंथनिरपेक्षता की राह में चुनौतियां : - 

देश में सांप्रदायिकता के बढ़ते मामले चिंता का विषय है, 

धर्म के नाम पर वोट मांगने की राजनीति, 

विभिन्न धर्मों के मानने वालों के लिए समान नागरिक संहिता का ना होना,

आगे की राह :-  पंथनिरपेक्ष को संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा माना गया है, इसलिए यह सरकार का कर्तव्य होता है कि वह इसका संरक्षण करें। 

सुप्रीम कोर्ट को भी पंथनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए सक्रियता से काम करना चाहिए धर्म, जाति व नस्ल के आधार पर वोट मांगने की राजनीति को रोका जाए। 

राज्य द्वारा अनुच्छेद 44 में उल्लेखित समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोशिश की जानी चाहिए

धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता से संबंधित जानकारी : 

Q. धर्मनिरपेक्षता को भारत के संविधान में कब जोड़ा गया?

A. 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ा गया। Secular का वास्तव में अर्थ पंथनिरपेक्ष है ना कि धर्मनिरपेक्ष ।

Q. प्रस्तावना में कौन से 3 शब्द जोड़े गए ? 

A. 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी, Secular, अखंडता शब्द जोड़े गए। Secular का अर्थ पंथनिरपेक्ष है।

Q. पंथनिरपेक्ष और धर्मनिरपेक्ष in English?

अंग्रेजी में दोनों का मतलब होता है- "Secular" लेकिन इसके अर्थ अलग अलग हैं 

जैसे - पंथनिरपेक्ष का मतलब होता है सरकार धर्म के मामले में तटस्थ रहेगी यानी उसका अपना कोई धार्मिक पंथ नहीं है जबकि धर्मनिरपेक्ष का अर्थ होता है सरकार के लिये सभी धर्म समान है यानी सरकार किसी भी धार्मिक विश्वास में हस्तक्षेप नहीं करेगी।



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