SCO में ईरान के शामिल होने से यह और भी ज्यादा चर्चा में बना हुआ है, और SCO के सभी देश ईरान का स्वागत कर रहे हैं। पहले एससीओ में कुल 8 सदस्य हुआ करते थे, अब ईरान के शामिल होने से इसके सदस्यों की संख्या 9 हो गयी।
4 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन की 23वीं बैठक की मेजबानी भारत ने की है।
यह शिखर सम्मेलन वर्चुअल रूप से हुआ था। इस बैठक की थीम है- ‘एक सुरक्षित(SECURE) एससीओ की ओर‘।
सिक्योर शब्द प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन द्वारा दिया गया था।
इस बैठक में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल हुए, चीन की ओर से शी जिनपिंग व रूस की ओर से ब्लादिमीर पुतिन तथा पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ व अन्य देशों के अन्य नेता भी इसमें शामिल हुए।
इसका आयोजन ऐसे समय किया जा रहा है जब रूस-यूक्रेन युद्व हो रहा है, पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद, वैगनर समूह विवाद(यह रूस की प्राइवेट आर्मी है) व भारत-पाक में विवाद की स्थिति बनी हुई है।
इससे पहले मई, 2023 में गोवा में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक होनी है।
हाल ही में SCO के विस्तार पर जिक्र किया जा रहा है क्योंकि ईरान को इसमें शामिल कर लिया है व बेलारूस को इस संगठन में शामिल करने की बात की जा रही हैं,
एससीओ का जिस तरह से कद बढ़ रहा है, जिसे इसे नाटो का प्रतिद्वंद्वी(काउंटर) बताया जा रहा है।
बैठक के प्रमुख बिन्दुओं पर चर्चा हुई-
SCO के नये सदस्य बनने पर ईरान का स्वागत किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि ईरान एससीओ का नया सदस्य बनने जा रहा है।
इस शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर व रूस-यूक्रेन के संघर्ष को लेकर व एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, सम्पर्क और व्यापार बढ़ाने पर चर्चा की गयी।
वैश्विक संकट से मिलकर सामना करने की बात की गयी है व आतंकवाद पर चर्चा की गयी।
भारत के लिये बैठक अहम क्यों है-
यह भारत के लिये मध्य एशिया के साथ अधिक गहराई से जुड़ने का एक मंच है, क्योंकि जब भारत 2017 में शामिल हुआ था उस रूस ने भारत को शामिल करने के लिये अहवान किया था, ताकि एशिया में चीन के प्रभाव को रोका जा सके, लेकिन चीन ने भी पाकिस्तान को एससीओ में शामिल कराकर इसको संतुलित करने की कोशिश की गयी।
भारत ने शिखर सम्मेलन में अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश की, जिसमें सीमा पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया गया,
क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने पर भी जोर दिया।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) क्या है : - यह एक स्थायी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है इस संगठन में जो भी देश है उनसे मिलकर इस संगठन को बनाया गया है।
जिसकी औपचारिक शुरूआत 2001 में हो गयी थी, लेकिन इसकी शुरूआत होने से पहले इसे शंघाई-5 के नाम से जाना जाता था, जिसमें शंघाई-5 का एक आधारित ढांचा मौजूद था।
दरअसल SCO में लिखित शंघाई चीन का शहर है जिसे चीन की वाणिज्यिक राजधानी भी कहा जाता है।
वर्ष 1996 में चीन एवं रूस और तीन मध्य एशियाई देश (कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान) ने मिलकर शंघाई- 5 की स्थापना की।
यह स्थायी अंतर सरकारी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, अंतर सरकारी संगठन का मतलब होता है, कि उन देशों की सरकार ने मिलकर इस संगठन की स्थापना की, यानी देश की सरकारों की इसमें सीधी भागीदारी है। इसकी स्थापना 2001 में की गयी उस वक्त इसमें 6 सदस्य शामिल हैं।
साल 2002 में एक चार्टर पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें यह तय किया गया कि यह एक यूरेशियाई राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका लक्ष्य है इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा व स्थिरता बनाये रखना, साथ ही आतंकवाद से निपटने में भी काम करेगा।
इसका गठन नाटो के प्रतिकार के रूप में किया गया और इस संगठन में दो भाषाएं तय हुई एक रूसी और चीनी। इसका सचिवालय बिजिंग में है। और इसकी अध्यक्षता हर साल रोटेशन के हिसाब से की जाती है।
एससीओ सदस्य देशों की जनसंख्या कुल विश्व की जनसंख्या का लगभग 50 प्रतिशत है व कुल विश्व के भाग का एससीओ लगभग 22 प्रतिशत है तथा एससीओ की अर्थव्यवस्था का आकार वैश्विक अर्थव्यवस्था का लगभग 20 प्रतिशत है।
मंगोलिया को 2004 से अफगानिस्तान को 2012 से तथा बेलारूस को 2015 से इसके पर्यवेक्षक के रूप में दर्जा प्राप्त है व टर्की, अर्मेनिया, अजरबेजान, कम्बोडिया, नेपाल, श्रीलंका आदि को वार्ता भागीदार(डायलोग पार्टनर) का दर्जा प्राप्त है।
मध्य एशियाई देश कौन से हैं :- वे पांच देश जो सोवियत संघ से अलग हुए और एशिया के मध्य में है:
कजाकिस्तान,
किर्गिस्तान,
तजाकिस्तान,
उज़्बेकिस्तान,
तुर्कमेनिस्तान इन देशों में प्राकृतिक गैस और यूरेनियम के भंडार हैं।
शंघाई-5 का उद्देश्य क्या है :- सीमावर्ती विवादों का समाधान करना व सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य बलों की संख्या को कम करना।
शंघाई-5 से वर्ष 2001 में शंघाई सहयोग संगठन(SCO) बन गया और इसमें उज्बेकिस्तान भी शामिल हो गया अब इसकी संख्या 6 हो गई थी।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) के उद्देश्य :
सीमावर्ती विवादों का समाधान करना व सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य बलों की संख्या को कम करना।
यानी अपने सदस्य देशों के बीच आपसी संबंधों को मजबूज करना, साथ ही यह राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, प्रौधोगिकी और संस्कृति को भी बढ़ावा देना।
शिक्षा, उर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना।
आर्थिक एवं राजनीतिक सहयोग करना
आतंकवाद को रोकना।
एससीओ द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाये रखने के लिये संयुक्त प्रयास किये जाते हैं।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) में कितने देश हैं :- SCO में कुल 9 सदस्य देश हैं, जो निम्न हैं-
- रूस,
- चीन,
- भारत,
- पाकिस्तान
- कज़ाख़िस्तान ,
- किर्ग़िज़स्तान,
- ताजाखिस्तान,
- उज़्बेकिस्तान
9. ईरान
साथ ही इसके 4 पर्यवेक्षक देश भी हैं -
- अफगानिस्तान,
- बेलारूस,
- मंगोलिया।
इन्हीं में से बेलारूस को एससीओ का सदस्य बनाये जाने की बात की जा रही है।
इसके साथ ही इस संगठन के डायलॉग पार्टनर्स (जैसे - नेपाल, अर्मेनिया, अजरबेजान, कम्बोडिया, तुर्की, श्रीलंका) और गेस्ट attendances (जैसे- आसियान, संयुक्त राष्ट्र, CIS) भी शामिल हैं।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) का इतिहास :-
जब 1991 में सोवियत संघ का विघटन हुआ था तो उस समय 15 नये देश अस्तित्व में आये और जब देश अस्तित्व में आये तो इन देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर संघर्ष भी उत्पन्न हुए।
इसी को ध्यान में रखते हुए सन 1996 में शंघाई-5 की अनौपचारिक तंत्र की स्थापना की गयी। इसका प्राथमिक कार्य था- सीमा सीमांकन और विसैन्यीकरण वार्ता आयोजित करना यानी इन देशों के बीच जो सीमा विवाद था उसे लेकर वार्ता आयोजित करना।
और इसमें 5 देश शामिल थे - चीन एवं रूस, तीन मध्य एशियाई देश (कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान)
और सन 2001 में इस संगठन में एक और नया देश उज्बेकिस्तान को शामिल किया गया।
जिससे इस संगठन में कुल देशों की संख्या 6 हो गयी और इसका नाम भी बदल कर शंघाई सहयोग संगठन(एससीओ) कर दिया गया।
फिर जून, 2001 में इस संगठन का पहला शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।
जून, 2002 में इस संगठन का दूसरा शिखर सम्मेलन रूस के शहर सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ और इसी सम्मेलन में एससीओ चार्टर पर भी हस्ताक्षर किये गये।
चार्टर इस संगठन के सिद्वांतों, उददेश्यों और संरचना का उल्लेख करता है तथा चार्टर इस संगठन के अस्तित्व के लिये बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
सन 2005 में एससीओ का 5वां शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ और इसी सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान व ईरान को पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया।
एससीओ का 5वां शिखर सम्मेलन कजाकिस्तान की राजधानी ‘अस्ताना‘ में आयोजित किया गया था, लेकिन 2019 में अस्ताना का नाम बदलकर "नूरसुल्तान" कर दिया गया।
जून 2017 में एससीओ को शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ जो बहुत ऐतिहासिक था, क्योंकि इसी सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को SCO का पूर्ण सदस्य का दर्जा मिला।
सन 2018 में एससीओ को 18वां शिखर सम्मेलनआयोजित हुआ इसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए।
लेकिन चीन ने शर्त रखी कि भारत को पहले सीमावर्ती समाधान हल करना पड़ेगा लेकिन उसके जवाब में भारत 2017 में SCO का सदस्य बना लेकिन चीन की चाल ने पाकिस्तान को भी सदस्यता दिला दी।
2018 में (किगडाओ) चीन में जो सम्मेलन हुआ भारत ने उसमें एक सदस्य के रूप में भाग लिया।
SCO का काम क्या है ? :-
- सदस्य देशों के साथ आपस में रिश्ते को मजबूत करना,
- आपस में भरोसे और विश्वास को बढ़ावा देना, राजनैतिक, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, अनुसंधान व प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना।
- क्षेत्रीय स्तर पर शांति कायम करना,
- आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना,
- शिक्षा, परिवहन, पर्यावरण आदि के संरक्षण के क्षेत्र में संबंधों को बढ़ावा देना।
- सदस्य व संबंधित देशों के साथ सुरक्षा और स्थिरता बनाये रखना।
- तर्कसंगत, निष्पक्ष, नव अंतर्राष्ट्रीय राजनीति व आर्थिक व्यवस्था की स्थापना करना।
भारत के लिए एससीओ का महत्व :-
यूरेशिया के नेतृत्व का दावा- रूस का क्षेत्रफल काफी बड़ा है इसका कुछ क्षेत्र यूरोप में तो कुछ क्षेत्र एशिया में पड़ता है इसलिये इस क्षेत्र को यूरेशिया कहा जाता है।
इसके 8 सदस्य यूरेशिया के क्षेत्र का 80प्रतिशत कवर करते हैं।
इस संगठन की जनसंख्या विश्व की लगभग 43 प्रतिशत है।
यह विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में एक-तिहाई की हिस्सेदारी रखते है।
भौगोलिक क्षेत्र और जनसंख्या के मामले में यह सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है।
इस संगठन में 4 परमाणु शक्तियां भी शामिल है।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) क्यों महत्वपूर्ण है :-
- यह 8 देशों (रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान व चार मध्य एशियाई देश) का संगठन है।
- यह दुनिया की लगभग आधी आबादी नेतृत्व करने वाला संगठन है।
- विश्व जीडीपी में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
- रूस व मध्य एशियाई देश प्राकृतिक संसाधनों से बहुत संपन्न देश हैं।
- विश्व का एकध्रुवीय देश ना बने उसे संतुलित करने की दृष्टि से यह संगठन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है ।
- भारत-चीन संबंध, भारत-पाक संबंध बेहतर होने की संभावना रहेगी जिससे सीमा पार आतंकवाद को रोका जा सकता है।
- यह संगठन सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अहम भूमिका रखेगा।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) शिखर सम्मलेन 2022 :-
SCO का जून, 2019 बिश्केक (किर्गिस्तान की राजधानी) में सम्मेलन हुआ इस संगठन में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने HEALTH (health, economy, alternative energy, literature and cultural, terrorism free society, humanity) का नारा दिया।
SCO को नवंबर 2020 में कोरोनावायरस के कारण वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इसका सम्मेलन हुआ जिसकी अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की।
SCO का 2021 में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया।
SCO का 2022 का सम्मेलन समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में हुआ।
SCO(Shanghai Co-operation Organization) के 22वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO Summit में हिस्सा लेने समरकंद (उज़्बेकिस्तान) गए।
SCO से भारत को क्या लाभ है :- इस संगठन से भारत-चीन संबंध अच्छे होंगे, जिससे आर्थिक संबंध और बेहतर होंगे।
सीमावर्ती विवादों का समाधान आसान होगा यदि भारत चीन के बेहतर संबंध होंगे तो भारत-पाक के बीच संबंध बेहतर होने की संभावना है।
इससे भारत को ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित होगी क्योंकि मध्य एशियाई देशों के पास ऊर्जा भंडार है।
भारत इस संगठन के माध्यम से मध्य एशियाई देशों तक मजबूत पहुंच सुनिश्चित करेगा।
उत्तर दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन कोरिडोर और मजबूत होगा।
भारत रूस के बेहतर संबंध होने की संभावना है।
इससे BRICS और IBSA भी मजबूत होगा।
एकध्रुवीय विश्व को प्रति संतुलित करना।
आने वाले समय में ब्रिक्स, SCO, ISBA की मीटिंग एक साथ होने की संभावना है, जिससे एक नया आयाम मिलेगा|
SCO बनाम नाटो : -
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में, मुख्यता एशिया की राजनीतिक में SCO की भूमिका बढ़ रही है इसलिए SCO को नाटो के प्रतिनिधि के रूप में पेश किया जा रहा है।
लेकिन नाटो सैन्य गठबंधन है जबकि SCO कोई सैन्य गठबंधन नहीं है तथा एससीओ कभी-कभी संयुक्त युद्धाभ्यास का आयोजन करता है|
भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के पास परमाणु क्षमता मौजूद है जो कि नाटो के खिलाफ ब्लॉक को मजबूती प्रदान करता है।
SCO मैं सैन्य संघर्ष में शामिल होने की कोई प्रतिबद्धता नहीं है जबकि नाटो सदस्य इसके लिए प्रतिबद्ध है|
भारत के सामने चुनौतियां-
अफगानिस्तान में चीन का निवेश,
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती दोस्ती,
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव साथ ही भारत और चीन के बीच भी तनाव भी दिखता ही रहता है।
जिस तरह से ईरान इसका सदस्य बना है, इससे भारत के साथ संबंध ओर भी अच्छे होंगे, लेकिन 2019 में लगे अमेरिका के द्वारा प्रतिबंधों के कारण भारत ने ईरान से कच्चा तेल लेना बंद कर दिया, जिसके बाद भारत और ईरान के बीच संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
हाल ही चीन और ईरान के बीच कई सारे संबंध देखे गये है, जो कि भारत के दृष्टिकोण से सही नहीं है, क्योंकि इससे ईरान का झुकाव चीन की तरफ बढ़ता रहेगा।
भारत इसमें ऐसी स्थिति पर है जहां उसको बैलेंस बनाना है, भूराजनीतिक स्थिति ही कुछ ऐसी है जैसे अमेरिका इस संगठन का हिस्सा नहीं है, लेकिन अमेरिका के साथ भारत के संबंध अच्छे नहीं है, और अमेरिका के चीन के साथ संबंध सही नहीं है।
एससीओ में हुए गतिशीलता के बदलाव के कारण भारत को एक नाजुक संतुलन बनाये रखने की चुनौती है, जिससे भारत को बड़ी समझदारी से गुजरना पड़ेगा। संगठनों के सदस्य देशों का आपसी तालमेल होना चाहिए।
भारत और शंघाई सहयोग संगठन : (india vs sco) :-
क्षेत्रीय सुरक्षा : पिछले कुछ समय से SCO सुरक्षा संगठन के रूप में उभरा है और ऐसे में भारत SCO को क्षेत्रीय सुरक्षा फ्रेमवर्क प्रदान करता है। जैसे RATS अलगाववाद और आतंकवाद से निपटने में बहुत सहायक है।
अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी से क्षेत्र की सुरक्षा पर एक नया खतरा उत्पन्न हो गया है ऐसे में एससीओ भारत की इस खतरे से निपटने में मदद कर सकता है।
मध्य एशिया से संबंध : मध्य एशिया नीति को आगे बढ़ाने के लिये एससीओ एक मंच के रूप में काम करता है क्योंकि मध्य एशिया के कई देश एससीओ के सदस्य हैं।
चीन और पाकिस्तान के साथ वार्ता करने के लिये भी यह संगठन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जैसे - साल 2015 में एससीओ की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी।
साल 2020 में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से वार्ता की और 5 सूत्री समझौते पर भी हस्ताक्षर किये।
भारत सामरिक स्वायत्तता की नीति की पुष्टि करता है यानी भारत SCO में भी शामिल है और भारत क्वाड में भी शामिल है।
जो कि इसका एक अनौपचारिक उददेश्य है चीन का मुकाबला करना।
भारत का दोनों समूह में शामिल होना ‘सामरिक स्वायत्ता‘ की नीति की पुष्टि करता है।
शंघाई सहयोग संगठन(SCO) से सम्बंधित जानकारी:-
Q. SCO में कौन सा मध्य एशियाई देश शामिल नहीं है:-
A. तुर्कमेनिस्तान।
Q. ब्रिक्स और SCO की मीटिंग एक साथ कब हुई:-
A. वर्ष 2015 में UFA ( रूस ) सम्मेलन में ब्रिक्स और SCO की मीटिंग एक साथ हुई।
Q. एससीओ में कितने देश हैं -
A. इसमें 8 देश (रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान) शामिल हैं ।
Q. SCO के वार्ताकार साझीदार देश कौन से हैं:-
A. श्रीलंका, बेलारूस, तुर्की ।
Q. SCO के पर्यवेक्षक देश कौन से हैं:-
A. अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान, मंगोलिया ।
Q. शंघाई सहयोग संगठन(SCO) का मुख्यालय कहाँ है ?:-
A. शंघाई सहयोग संगठन(SCO) मुख्यालय बीजिंग (चीन) में है
Q. SCO full form in hindi ?:-
A. शंघाई सहयोग संगठन है
Q. SCO full form ?:-
A. Shanghai Co-operation Organization है
Q. शंघाई सहयोग संगठन के अध्यक्ष कौन हैं ?:-
A. शंघाई सहयोग संगठन(SCO) के वर्तमान अध्यक्ष EU में चीन के निवर्तमान राजदूत झांग मिंग हैं |
Q. शंघाई सहयोग संगठन की संरचना :-
A. वर्ष 1996 में चीन एवं रूस और तीन मध्य एशियाई देश (कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान) ने मिलकर शंघाई- 5 की स्थापना की।
Q. शंघाई सहयोग संगठन की उत्पत्ति :-
A. वर्ष 1996 में चीन एवं रूस और तीन मध्य एशियाई देश (कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान) ने मिलकर शंघाई- 5 की स्थापना की फिर 2001 में यह शंघाई सहयोग संगठन(SCO) बन गया|
Q. शंघाई सहयोग संगठन के संवाद भागीदार :-
A. शंघाई सहयोग संगठन के 6 संवाद भागीदार (जैसे - नेपाल, अर्मेनिया, अजरबेजान, कम्बोडिया, तुर्की, श्रीलंका) भी हैं |
Q. एससीओ के बारे में नवीनतम अपडेट :-
A. वर्ष 2023 में होने वाली SCO शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है।
SCO शिखर सम्मेलन का आयोजन जुलाई, 2023 में नई दिल्ली में होने जा रहा है, जिसमें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित SCO के सदस्य देशों के बड़े नेताओं के शामिल होने की संभावना है।इससे पहले मई, 2023 में गोवा में एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक होनी है।
Q. एससीओ 2023 की मेजबानी कौन करेगा ?
A. वर्ष 2023 में होने वाली SCO शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत कर रहा है।
Q. एससीओ 2022 की अध्यक्षता किसने की ?
A. वर्ष 2022 में होने वाली SCO शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता उज़्बेकिस्तान ने की ।
Q. एससीओ 2024 की अध्यक्षता कौन करेगा?
A. वर्ष 2024 में होने वाली SCO शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कजाखिस्तान करेगा ।
Q. भारत एससीओ में कब शामिल हुआ ?
A. भारत एससीओ में 2017 में शामिल हुआ, क्योकि रूस का मध्य एशिया में दबदबा है, और चीन की विस्तारवादी नीति के चलते चीन भी हर क्षेत्र में दबदबा बनाने की कोशिश में रहता है, ऐसे में चीन द्वारा पाकिस्तान को एससीओ में शामिल करने की बात कहीं तो, रूस द्वारा भारत को एससीओ में शामिल करने की बात कहीं गयी,
क्योंकि रूस यदि मध्य एशिया में चीन को रोकना चाहता है, उसको भारत का साथ पाना बहुत जरूरी हो जाता है, इसलिये रूस द्वारा भारत को इसमें शामिल करने पर जोर दिया गया, इसी लेकर जून, 2017 में भारत और पाकिस्तान को एससीओ की सदस्यता मिली।
0 टिप्पणियाँ