रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भारत का सुरक्षा परिषद मे स्थाई सदस्यता का समर्थन किया, वैसे भी रूस ने शुरूआत से ही भारत का समर्थन किया है व सितंबर 2022 में रूस सुरक्षा परिषद में भारत और ब्राजील के लिये अपना समर्थन किया था।
भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UNSC) का स्थायी सदस्य बनने के लिये काफी लम्बे समय के से जोर दे रहा है, और इसको लेकर कहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कई बार मांग उठाई जा चुकी है, इसी बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष द्वारा भारत को UNSC का स्थायी सदस्य बनने के लिये बात कहीं,
उन्होंने कहा है कि भारत जैसे देश को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को ऐसे देशों की बहुत ज्यादा जरूरत है, जो शांति और लोगों की भलाई के लिये बड़ी जिम्मेदारी उठा रहे है, तो ऐसे में भारत का नाम सबसे उपर आता है।
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है, और यह भी कहा कि भारत भविष्य महाशक्ति हो सकता है।
UNSC in Hindi : -
भारत सहित आयरलैंड, कीनिया, मैक्सिको, व नार्वे की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को समाप्त हो गई|
जापान, ईक्वाडोर, माल्टा, मोजाम्बिक और स्विटज़रलैंड को 1 January, 2023 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थाई सदस्यता मिली है |
सुरक्षा परिषद का मुख्य कार्य क्या है? : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद - संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंगों में से एक हैं,
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन किया गया और इस को अधिकृत किया गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी स्थिति की जांच करें व शांतिपूर्ण समाधान की प्रक्रियाओं की सिफारिश करें,
सुरक्षा परिषद में कुल कितने स्थाई सदस्य है :- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, चीन है इनके पास वीटो पावर होती है और किसी भी मुद्दे पर इन पांचों देशों की सहमति बहुत जरूरी है किसी एक के भी विरोध करने पर किसी मुद्दे पर फैसला नहीं हो सकता है।
UNSC के अस्थाई सदस्य कैसे चुने जाते हैं :-
- 5 सदस्य अफ्रीका और एशिया से होते हैं,
- 1 सदस्य पूर्वी यूरोप से,
- 2 सदस्य लेटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों से,
- 2 सदस्य पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों से।
10 अस्थाई सदस्यों का चुनाव कैसे होता है :- सुरक्षा परिषद में हर साल 5 सदस्यों का चुनाव होता है जो कि 2 साल के लिए होता है संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो-तिहाई बहुमत से चुनाव होता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन कब हुआ? :- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन 1945 में हुआ इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क(अमेरिका) में है| गठन के समय इसमें 11 सदस्य(5 स्थाई और 6 अस्थाई) थे वर्तमान में 15 सदस्य (5 स्थाई और 10 अस्थाई ) है।
सुरक्षा परिषद के 10 अस्थाई सदस्य 2022 :-
- जापान,
- ईक्वाडोर,
- माल्टा,
- मोजाम्बिक
- स्विटज़रलैंड
- ब्राजील,
- अल्बानिया,
- घाना,
- गैबन,
- संयुक्त अरब अमीरात
वीटो पावर का मतलब क्या होता है? :- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थाई सदस्यों को वीटो पावर प्राप्त है यानी इसका मतलब हुआ कि इन 5 देशों की रजामंदी के बिना कोई प्रस्ताव पास नहीं हो सकता
जैसे यदि कोई देश पांच स्थाई सदस्य देशों में से किसी प्रस्ताव पर सहमत नहीं है तो वह देश वीटो पावर का प्रयोग कर सकता है जिससे यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाएगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष कैसे बनते हैं? :- इसके 15 सदस्यों में से alphabets के हिसाब से अध्यक्ष बनते जाते हैं जिनका कार्यकाल 1 माह का होता है यानी एक माह के लिए अध्यक्ष बनते जाते हैं|
प्रत्येक सदस्य को एक मत देने का अधिकार होता है किसी भी अंतिम निर्णय के लिए सभी पांच स्थाई सदस्यों को की सहमति जरूरी होती है।
सुरक्षा परिषद की शक्तियां क्या है ? :-
यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे ज्यादा शक्तिशाली निकाय है, शांति अभियान तथा सैनिक कार्यवाही इसके लिए निर्णय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ही लेता है लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि सुरक्षा परिषद की अपनी कोई सेना नहीं है बल्कि सदस्य देशों की सेना होती है(अस्थाई सेना)
यह सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी करने का अधिकार रखता है यानी यह एकमात्र निकाय है जो सदस्य देशों पर बाध्यकारी प्रस्ताव जारी कर सकता है।
सुरक्षा परिषद(UNSC) के कार्य एवं शक्तियां :-
- सुरक्षा परिषद राष्ट्र से बातचीत के द्वारा हल निकालता है,
- मध्यस्था न्यायाधिकरण और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा हल निकालने के लिए राष्ट्र को सिफारिश करता है| |
- किसी राष्ट्र द्वारा हमला किया जाता है तो उसके खिलाफ आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगा सकता है,
- सुरक्षा परिषद हमलावर राष्ट्र के खिलाफ सैन्य कार्यवाही भी कर सकता है।
सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता क्यों (Reform of UNSC) :-
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जो विजेता राष्ट्र थे उन्होंने खुद को महत्व दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
सुरक्षा परिषद में सबसे ज्यादा सदस्य यूरोप से है जबकि यूरोप की आबादी लगभग 5% ही है,
अफ्रीका का कोई भी देश सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य नहीं है जबकि अफ्रीका एक बड़ी आबादी का प्रतिनिधि करता है |
p5 देशों को वीटो पावर का विशेषाधिकार प्राप्त है |
सुरक्षा परिषद का विस्तार जो हुआ वह 1963 में अस्थाई सदस्यों के लिए हुआ तथा स्थाई सदस्यों के लिए अभी तक कोई विस्तार नहीं हुआ।
सदस्य राष्ट्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन स्थाई व अस्थाई सदस्यों में विस्तार नहीं हो रहा।
वैश्विक राजनीति में भी विस्तार देखा गया है, जबकि इसमें व्यवस्था का स्वरूप 1945 वाला है, इसमें अभी तक कोई सही तरह से बदलाव नहीं हुआ है, तथा इसमें सुधार को लेकर लगातार मांग उठ रही है, वर्तमान में शक्ति संतुलन के लिये इसमें सुधार करना बहुत जरूरी है।
सुरक्षा परिषद में प्रस्तावित सुधार के मॉडल :
सुरक्षा परिषद के विस्तार में सर्वप्रथम राजाली कमेटी ने 24 सदस्य सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव दिया,
जिसमें 10 स्थाई तथा 14 अस्थाई सदस्य शामिल थे स्थाई सदस्यों में पांच स्थाई सदस्यों के अलावा 5 नए देशों में जापान और जर्मनी के साथ एशिया, अफ्रीका, लेटिन अमेरिका से एक-एक देश का चयन होना था।
सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी :
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए भारत के दावे :- सुरक्षा परिषद स्थाई सदस्यों के मामले में आज भी उन्हीं 5 दशों का प्रतिनिधित्व करता है जो इसके गठन के समय विश्व की सबसे 5 सबसे बड़ी शक्तियां विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थान रखती है।
- भारतीय सदस्यता का दावा निम्नलिखित आधारों पर तार्किक माना जा सकता है
- आर्थिक सहभागिता और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बढ़ता भारतीय प्रभाव,
- सामरिक दृष्टि से दुनिया की सर्वप्रमुख शक्तियों में भारत का होना और परमाणु संपन्न देश होना,
- दुनिया का सबसे बड़ा और स्थिर लोकतंत्र पंथनिरपेक्ष, पंचशील, गुटनिरपेक्ष पर आधारित विदेश नीति जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर में उल्लेखित सिद्धांतों से पूर्णतः संगत है,
- संयुक्त राष्ट्र के प्रयत्नों और कार्यक्रमों में इसके गठन से अब तकसक्रीय रहे देशों में शांतिरक्षण अभियानों में सबसे अधिक सहभागिता रखने वाला देश है,
- विकासशील देशों के नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरना,
- जनसंख्या की दृष्टि से सुरक्षा परिषद में भारतीय सदस्यता को सुनिश्चित करने में सहायक है।
- आतंकवाद पारिस्थितिकी समस्याएं, निशस्त्रीकरण, धार्मिक कट्टरता आदि सभी प्रमुख संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों और नीतियों में भारत का सहयोग और समर्थन महत्वपूर्ण है।
सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिलने से भारत को क्या लाभ है :-
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता मिलने से भारत को वैश्विक राजनीति के स्तर पर अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस के समकक्ष ला खड़ा खड़ा कर देगा।
- सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनते ही भारत पड़ोसी देशों श्रीलंका(गृहयुद्ध) म्यांमार(रोहिंग्या मुसलमान) अफगानिस्तान(लिंग असमानता) के मानवाधिकारों से संबंधित मामलों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ध्यान में ला सकता है।
- हिंद महासागर को शांति का क्षेत्र घोषित किया जा सकता है और चीन की विस्तारवादी नीतियों को रोका जा सकता है।
- वीटो पावर प्राप्त होना ।
- जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में औपचारिक समर्थन मिलना
- स्थाई सदस्यता से द्विपक्षीय वार्ता में एक नया अवसर मिलेगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार में चुनौतियां :-
सुरक्षा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के जो स्थाई सदस्य हैं वे किसी भी बड़े बदलाव के विरोध में हैं,
क्योंकि स्थाई सदस्यों को वीटो पावर छोड़ना पड़ सकता है जो कि वह छोड़ना नहीं चाहते ना ही स्थाई सदस्य इस अधिकार को किसी अन्य देश को देना चाहते हैं।
आगे की राह :- संयुक्त राष्ट्र के नियमों में यह कहा गया है कि पांच स्थाई सदस्यों की स्थाई सदस्यता परिषद की संरचना को बदलने के लिए पहले संयुक्त राष्ट्र का चार्टर बदलना होगा ।
UNSC से संबंधित जानकारी:
- आम सभा,
- सुरक्षा परिषद,
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद,
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय,
- सचिवालय,
- न्यास परिषद।
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