OPEC+(ओपेक प्लस) देशों ने कच्चे तेल बढ़ाने की घोषणा की है अक्सर हम सुनते हैं कि ओपेक ने कच्चे तेल की कीमत बढ़ाई या कम की है, कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाया। इसलिये आज हम ओपेक और ओपेक प्लस के बारे में जानेंगे।
ओपेक प्लस latest news :- अफ्रीका के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश अंगोला ओपेक से बाहर होने का निर्णय लिया गया है, जिसका कारण उन्होंने बताया कि हमको लगातार तेल में लाभ की कमी हो रही है, और जितना हम उत्पादन करना चाह रहे हैं, उतना आपके द्वारा दिये गये कोटे के अनुसार सही नहीं है।
जैसा कि आपको मालूम है विश्व में जितना भी कच्चा तेल होता है उस पर सबसे ज्यादा पकड़ ओपेक या ओपेक प्लस संगठन की होती है लगभग 40% से ज्यादा कच्चे तेल को संगठन द्वारा कंट्रोल किया जाता है।
यदि यह संगठन कच्चे तेल की सप्लाई को कम कर देता है तो उसके Price बढ़ जाते हैं हुआ भी ऐसा ही कि ओपेक प्लस में सप्लाई को कम कर दिया जिससे प्राइस बढ़ गए,
इसी को देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि USA एक कानून ला सकता है जिसका नाम NOPEC(No Oil Producing & Exporting Cartels) होगा,
क्योंकि यदि ओपेक प्लस सप्लाई कम कर देता है तो इससे प्राइस बढ़ेंगे जिससे होगा यही कि महंगाई और ज्यादा बढ़ जाएगी और मंदी आने की संभावना रहेगी इसलिए यूएस द्वारा NOPEC लाया जा रहा है।
NOPEC क्या है :- ओपेक प्लस के निर्णय के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा यह बयान आया कि हम कांग्रेस(संसद) के साथ मिलकर Consult करेंगे कि किस तरह ओपेक प्लस देशों का जो कच्चे तेल पर कंट्रोल है उसको कैसे कम किया जा सके|
NOPEC में होगा यह की ओपेक प्लस को जो तेल के मामले में immunity मिली हुई थी यानी उनके खिलाफ कोई case नहीं लड़ सकता था अब इसमें बदलाव किया जाएगा|
इस नियम के द्वारा अब यूएस के जो अटॉर्नी जनरल है वे ओपेक प्लस देशों के खिलाफ केस फाइल कर सकते हैं,
लेकिन यह देखने वाली बात है यह किस तरह से Implement होगा, वैसे NOPEC यह कोई नया नहीं है इसका प्रयोग यूएसए में 15 सालों से देखने को मिल रहा है कि ओपेक प्लस के कंट्रोल को कैसे कम किया जा सके।
ओपेक प्लस द्वारा सप्लाई कम करने से भारत पर क्या असर पड़ेगा :-
- तेल की कीमतों में इजाफा होगा,
- मुद्रास्फीति बढ़ेगी,
- चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा बढ़ेगा,
- डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच G-7 ने ओपेक से की प्रोडक्शन बढ़ाने की अपील | तेल बाजार काबू करने के लिए प्रोडक्शन बढ़ना बहुत जरुरी, क्योंकि प्रोडक्शन बढ़ने से तेल की कीमतें कम होंगी |
ओपेक(OPEC) full form in hindi- Organization Of Petroleum Exporting Countries) - पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन। यह क्रूड ऑयल उत्पादक देशों का एक स्थायी अंतर सरकारी संगठन है, जब इसकी स्थापना हुई उस वक्त कई विकासशील देशों में बड़े स्तर पर उपनिवेशवाद का जन्म हो रहा था, साथ उस समय कई नये स्वतंत्र देशों का भी जन्म हो रहा था व 1970 तक आते आते, ओपेक के सदस्य देश दुनियाभर में आधे से अधिक तेल का उत्पादन कर रहे थे।
यदि कोई देश तेल का निर्यातक है और इस संगठन के आदर्शों को साझा करता है तो उस देश को ओपेक की सदस्यता आसानी से मिल जाती है, वर्तमान में ओपेक के सदस्य देशों की संख्या 13 है, इसके मुख्य उद्देश्य है- सदस्य देशों की पेट्रोलियम नीतियों का समन्वय और एकीकरण करना, उपभेक्ता देशों को पेट्रोलियम के लिये आर्थिक व नियमित आपूर्ति के लिये तेल बाजारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना आदि।
ओपेक देश हर वर्ष मीटिंग करने के बाद यह तय करते हैं कि कौन देश हर दिन कितने बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करेगा, जिससे इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की आपूर्ति और दाम में संतुलन बना रहे और उत्पादक देशों को घाटा ना हो।
ओपेक की स्थापना कब हुई? - ओपेक की स्थापना 16 सितम्बर, 1960 को इराक की राजधानी बगदाद में हुई थी, लेकिन यह प्रभाव में 1960 में आता है। उस वक्त इसके संस्थापक देश 5(ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, वेनेजुएला) थे।
ओपेक का मुख्यालय कहाँ स्थित है ? - इसका मुख्यालय शुरूआत में जेनेवा(स्विट्जरलैंड) में था, लेकिन 1965 में वियन(आस्ट्रिया) में हो गया जो कि वर्तमान में भी है।
ओपेक में वर्तमान में कितने सदस्य हैं ?:- वर्तमान में ओपेक के 13 सदस्य देश हैं जो निम्न हैं-
- इराक
- ईरान,
- सऊदी अरब,
- कुवैत,
- वेनेजुएला,
- संयुक्त अरब अमीरात,
- नाइजीरिया,
- लीबिया,
- गैबॉन
- भूमध्यवर्ती गिनी,
- कांगो,
- अंगोला,
- एलजीरिया।
गैबॉन ने 1995 में आपेक की सदस्यता से बाहर हो गया था, लेकिन इसने पुनः 2016 में ओपेक की सदस्यता ली। 2019 में कतर इसकी सदस्यता से बाहर हो गया।
इक्वाडोर ने 1992 में इसकी सदस्यता को छोड़ दिया था, लेकिन यह पुनः 2007 में ओपेक में शामिल हो गया तथा 2020 में इक्वाडोर ने ओपेक की सदस्यता छोड़ने का फैसला लिया है।
OPEC(ओपेक) कैसे काम करता है ?:-
तेल का उत्पादन करना तथा मूल्य पर Control करना जैसे देशों के लिये तेल उत्पादन की सीमा तय कर दी जाती है ताकि मूल्य को Control किया जा सके क्योंकि उत्पादन की सीमा निर्धारित नहीं की जायेगी तो इससे कोई देश ज्यादा उत्पादन करेगा तो कोई कम।
ज्यादा उत्पादन करने से तेल की कीमत में कमी आयेगी और जो देश उत्पादन कम करेगा तो वहां तेल की कीमत ज्यादा रहेगी। जिससे दोनों जगह समस्या उत्पन्न हो सकती है
क्योंकि जो देश ज्यादा उत्पादन करते हैं तो वहां पर तेल के भंडार खत्म हो जायेंगे और जो देश उत्पादन कम कर रहे है वहां demand कम रहेगी।
ऐसी ही स्थितियों में संतुलन बनाने के लिये 5 देशों ने मिलकर OPEC(ओपेक) बनाने की घोषणा की तथा कौन-सा देश कितना उत्पादन करेगा व तेल की कीमत क्या होगी यह ओपेक द्वारा तय की जायेगी।
ओपेक द्वारा दुनिया का कितने प्रतिशत तेल निकाला जाता है:-
- OPEC(ओपेक) में World का लगभग 80 प्रतिशत भंडारण है, लेकिन उत्पादन लगभग 44 प्रतिशत है।
- सदस्य देशों के ऊर्जा और हाइड्रो कार्बन मामलों के मंत्री एक साल में 2 बार मिलते हैं- अन्तर्राष्ट्रीय तेल बाजार की स्थिति की समीक्षा करने के लिये और तेल बाजार में सुरक्षा के संबंध में निर्णय लेने के लिये।
- OPEC(ओपेक) के सभी देश हितों के विभिन्न बिन्दुओं पर बातचीत करने के लिये नियमित आधार पर मिलते रहते हैं।
- ओपेक द्वारा सचिवालय को प्रशासनिक और अनुसंधान में सहायता प्रदान की जाती है।
OPEC(ओपेक) का सचिवालय :- यह ओपेक का कार्यकारी अंग(Executive Body) है जो कि ओपेक द्वारा बनाये गये कानूनों के Provisions के अनुसार कार्य करता है यानी किसी सम्मेलन में जो प्रस्ताव पास होता है एवं गवर्नर बोर्ड द्वारा लिये गये निर्णयों को कार्यान्वयन(Implementation) सचिवालय करता हैं
Board of Governor :- जो ओपेक के सभी देशों द्वारा नामित(Nominated) गवर्नर से बना होता है तथा Board Of Governor की बैठक में ओपेक के सभी सदस्य देश भाग लेते हैं, लेकिन बैठक के लिये दो-तिहाई सदस्यों का होना जरूरी होता है।
OPEC Plus(ओपेक प्लस) क्या है : - यह ओपेक के सदस्यों और विश्व के 10 प्रमुख गैर-ओपेक तेल निर्यात करने वाले देशों का एक गठबंधन है। ओपेक के अलावा 10 गैर-ओपेक निर्यातक देश जो इसके सदस्य हैं वे निम्न हैं-
- अजरबैजान,
- ब्रुनेई,
- बहरीन,
- मलेशिया,
- कजाकिस्तान,
- मैक्सिको,
- ओमान,
- रूस,
- दक्षिण सूडान,
- सूडान।
OPEC Plus(ओपेक प्लस) 23 देशों का संगठन है।
यह तेल उत्पादन करने के लिये अन्य देशों की क्षमता के लिये बना क्योंकि ओपेक प्लस में अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल Supply और उसकी कीमत को Control करने के लिये ओपेक की जो क्षमता है उसको सीमित करने की क्षमता थी।
यह तब अस्तित्व(Existence) में आया जब रूस द्वारा 2016 में वियन समझौते को खत्म किया, क्योंकि रूसी नेतृत्व का मानना था कि यह 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में मदद करेगा एवं रूस का मानना था कि इस समूह की औपचारिकता(Formality) का मतलब मध्य पूर्व में रूस के प्रभाव को बढ़ाना था।
ऊर्जा क्षेत्र(Energy Sector) में कच्चे तेल के ज्यादा विकल्प ना होने से ओपेक प्लस(OPEC Plus) की भूमिका बढ़ी।
ओपेक के उद्देश्य :-
जो इसके सदस्य देश हैं उनकी पेट्रोलियम नीतियों में तालमेल बिठाना और एकीकरण करना।
पेट्रोलियम के खरीदकर्ताओं के लिये पेट्रोलियम की कुशल, आर्थिक एवं नियमित आपूर्ति, उत्पादकों को स्थिर आय व पेट्रोलियम उद्योग में निवेश करने वालों के लिये पूंजी पर उचित रिटर्न सुनिश्चित करने हेतु तेल बाजारों का स्थिरीकरण सुनिश्चित करना।
भारत के लिये ओपेक(OPEC) की भूमिका क्या है- OPEC Plus(ओपेक प्लस) देश लगभग 90 प्रतिशत तेल का भंडारण(Storage) करते हैं जिसका प्रभाव अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों पर होता है तथा इस संगठन से सभी सदस्य एक मत के साथ सहमत है कि कितने तेल का उत्पादन करना, तेल की कीमत क्या होगी।
इसलिये सभी देशों द्वारा Supply में कटौती करने पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें तुरंत बढ़ जाती हैं और Supply बढ़ाने पर अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में कमी आती है।
भारत के लिये ओपेक प्लस बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत कच्चे तेल का आयात बहुत ज्यादा करता है।
भारत एक कच्चे तेल का बड़ा आयतक होने के कारण इसका असर भारतीय विदेशी भंडार पर पड़ता है और जिससे विकास की गतिविधियां प्रभावित होती हैं।
ओपेक और भारत :
- भारत कच्चे तेल का आयात बहुत बड़ी मात्रा में करता है इसलिये भारत ओपेक की कार्यवाहियों से चिंतित रहता है, क्योंकि इससे भारत में विकास गतिविधियों को कमजोर करने तथा उपभोक्ताओं को चोट पहूंच सकती है।
- भारत अपनी मांग का 80 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है जो कि ज्यादातर पश्चिमी एशियाई देशों से आता है इससे पता लगता है कि भारत कच्चे तेल के मामले में पश्चिम एशियाई देशों पर निर्भर है।
- रूस के राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित नई कर व्यवस्था ज्यादा कच्चा तेल उत्पादन करने के लिये इसे मंहगा बना देगा।
- ओपेक प्लस के सदस्य देशों के बीच 2020 में हुए आउटपुट पैक्ट में कच्चे तेल के दामों में गिरावट से निपटने के लिये कच्चे तेल के उत्पादन में तेज कमी लाने से भारत पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
- कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद सऊदी अरब ने कच्चे तेल के उत्पादन में कमी की घोषणा की है जिससे कीमतों और मंहगी होंगी। जिसका सीधा असर भारत में भी देखने को मिल रहा है।
- कच्चे तेल के मंहगे होने से भारत जैसे विकासशील अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रभावित हुई है एवं जिससे भारत का चालू खाते के घाटे में वृद्वि देखी जा सकती है। जिससे देश में मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ सकता है।
कच्चे तेल की कीमतें कैसे बढ़ी-
जब लॉकडाउन लगा तो खरीददारी की कमी के चलते दाम बहुत गिर गये थे। एनर्जी इंस्टीट्यूट की केट दूरियान कहती हैं कि उस वक्त उत्पादक देश पैसे देकर तेल बेच रहे थे क्योंकि उनके पास इसे रखने के ज्यादा स्टोर नहीं थे।
इसके बाद तेल के दाम संतुलित करने के लिये ओपेक प्लस सदस्यों के बीच तेल का उत्पादन घटाने पर सहमति बनी तथा जैसे ही दोबारा कच्चे तेल की मांग बढ़ने लगी तो ओपेक प्लस ने धीरे-धीरे Supply बढ़ानी शुरू कर दी, लेकिन रूस और यूक्रेन में युद्व शुरू हुआ तो कच्चे दामों में बहुत तेजी के साथ उछाल हुआ।
अमेरिका और ब्रिटेन सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से उत्पादन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं क्योंकि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के पास अतिरिक्त क्षमता है, लेकिन ये उत्पादन बढ़ाने से मना कर रहे हैं वो नहीं चाहते कि पश्चिमी देश उन पर आदेश थोपें।
ओपेक से सम्बंधित जानकारी(FAQs) :
Q. ओपेक के वर्तमान अध्यक्ष कौन है ?
A. ओपेक द्वारा हैथम अल घेस को नया महासचिव नियुक्त किया गया है|
Q. ओपेक में कितने सदस्य हैं ?
A.वर्तमान में ओपेक के 13 सदस्य देश हैं जो निम्न हैं- इराक, ईरान, सऊदीअरब, कुवैत, वेनेजुएला, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया, लीबिया, गैबॉन, भूमध्यवर्ती गिनी, कांगो, अंगोला, एलजीरिया।
Q. क्या भारत ओपेक का सदस्य है?
A. भारत ओपेक का सदस्य नहीं है |
Q. ओपेक के संस्थापक सदस्य कौन कौन थे?
A. ओपेक के संस्थापक देश 5(ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, वेनेजुएला) थे।
Q. ओपेक का पूरा नाम क्या है ?
A. ओपेक का पूरा नाम Organization Of Petroleum Exporting Countries पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन।
Q. ओपेक का मुख्यालय कहाँ है?
A. ओपेक का मुख्यालय शुरूआत में जेनेवा(स्विट्जरलैंड) में था, लेकिन 1965 में वियन(आस्ट्रिया) में हो गया जो कि वर्तमान में भी है।
Q. ओपेक संगठन क्या है ?
A. ओपेक की स्थापना 16 सितम्बर, 1960 को इराक की राजधानी बगदाद में हुई थी, लेकिन यह प्रभाव में 1960 में आता है। उस वक्त इसके संस्थापक देश 5(ईरान, इराक, सऊदी अरब, कुवैत, वेनेजुएला) थे।
0 टिप्पणियाँ