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Stock Market and Share Market difference in hindi : शेयर और स्टॉक में अन्तर

हम अक्सर लोगों को सुनते हुए देखते है कि शेयर मार्केट और स्टॉक मार्केट शब्द को एक जैसा यूज करते हुए, हां वैसे ये दोनों शब्द एक-दूसरे से जुड़े हुए, एक-दूसरे के स्थान पर यूज किये जाते हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर भी है तो आज हम जानने की कोशिश करते है इन दोनों में अन्तर-

सबसे पहले हम जानने की कोशिश करते हैं कि शेयर क्या होता है- आपने जरूर की कंपनी या संस्था का नाम तो सुना होगा और जब ये कंपनी अस्तित्व में आती है तो इसको चलाने के लिये पैसे की आवश्यकता होती है, जिसे हम Capital कहते हैं। जब हमें पैसों की जरूरत होती है तो इस कैपिटल के छोटे-छोटे हिस्सों में बांट देते हैं।

जब कैपिटल के छोटे-छोटे हिस्से होते है, उनमें जो हिस्से होते है, हर एक हिस्से को हम शेयर कहते हैं यानी जब हम कैपिटल को छोटे-छोटे हिस्सों में डिवाइड करते हैं तो इन हिस्सों का नाम रखते हैं हम शेयर।

जैसे मान लेते है कि A और B ने पैसे इकट्ठे करके एक कंपनी शुरू की, जिसका मतलब हुआ कि अभी कंपनी में केवल A और B ही पार्टनर हुए, और हो सकता है कि आने वाले समय में इन दोनों को ओर पार्टनरों की या निवेशकों की जरूरत पड़े, तो ऐसे में कंपनी में ऐसा सिस्टम होना चाहिए कि दूसरे पार्टनरों या निवेशकों को आसानी से जगह मिल जाये।

शेयर का सिस्टम भी कुछ इस तरह काम करता है। कंपनी का मालिक कौन है, कंपनी की वैल्यु क्या, और दूसरे लोग कंपनी में आसानी से निवेश कर पाये, इसलिये किसी कंपनी को बनाते समय, उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाता है और इन्हें ही हम शेयर कहते हैं।


किसी कंपनी में कितने शेयर होंगे यह इस बात पर निर्भर करता है कि कंपनी को बनाने वाले ने कंपनी में कितने पैसे लगाये हैं।



Stock Market and Share Market difference in hindi : शेयर और स्टॉक में अन्तर

स्टॉक क्या है?

स्टॉक मार्केट एक ऐसा बाजार है जहां कंपनियां और निवेशक एक-दूसरे को शेयर खरीदने और बेचने के लिए मिलते हैं. शेयर एक कंपनी का हिस्सा होता है, और जब आप एक कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के मालिक बन जाते हैं


आसान भाषा में स्टॉक का मतलब होता है कि जब इन कैपिटल का आधा हिस्सा या बहुत सारे खरीदता है तो इसे स्टॉक कहा जाता है जो इसे खरीदता है उसे स्टॉक होल्डर बोला जायेगा यानी जब शेयर एक साथ खरीदे जाते हैं तो इसे स्टॉक नाम दे दिया जाता है। 


शेयर मार्केट और स्टॉक मार्केट में अन्तर : -


जब कोई एक शेयर खरीदता है तो उसे शेयर होल्डर कहते है और जब कोई ज्यादा शेयर खरीदता है तो उसे स्टॉक होल्डर कहते हैं।


कोई व्यक्ति शेयर खरीदकर उस कंपनी का मालिक बनता है जबकि स्टॉक खरीदकर वह उस कंपनी की कुछ प्रतिशत का मालिकाना हक अपने नाम कर लेता है।


उदाहरण के तौर पर समझते है जैसे मान लेते है ए व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर होल्ड करता है, दूसरा व्यक्ति उससे यही पूछेगा कि आप किस कंपनी के शेयर होल्ड कर रहे हो, क्योंकि शेयर किसी पर्टिकूलर कंपनी के बारे में बात करते हैं।


जबकि बी व्यक्ति किसी एक कंपनी में शेयर होल्ड ना करके अलग-अलग कंपनी में कई शेयर होल्ड किये हो तो इन्हें हम स्टॉक कहते है, क्योंकि स्टॉक में किसी पर्टिकूलर कंपनी के शेयर नहीं खरीदे जाते बल्कि इसमें कई कंपनियों के शेयर खरीदे जाते हैं।


शेयर को हम कह सकते है कि यह स्टॉक की एक सिंगल यूनिट है, जबकि स्टॉक में कंपनी के एक पार्ट का मालिकाना हक होता है, क्योंकि स्टॉक में परसेंटेस के हिसाब से शेयर खरीदे जाते हैं।


शेयर की वैल्यु एक सामान होती है जैसे किसी ने किसी कंपनी के 10 शेयर खरीदे तो 10 शेयर की वैल्यु एक समान हो सकती है, जबकि स्टॉक की वैल्यु अलग-अलग हो सकती है जैसे किसी कंपनी में 10 प्रतिशत ओनरशिप है तो किसी में 30 प्रतिशत।


शेयर फुली पेड अप नहीं होते है जैसे किसी कंपनी के एक शेयर की वैल्यु 100 रूपये है, लेकिन कंपनी शुरू में एक की वैल्यु 40 रूपये लिये, इसलिये इसे हम फुली पेड अप नहीं कहलाया जायेगा, क्योंकि आपको जो बचे हुए 60 रूपये हैं उनको बाद में देने है, 


लेकिन ऐसा भी नहीं है कि शेयर Fully paid up नहीं होते है, जबकि शेयर फुली पेड अप भी हो सकते हैं जबकि जो स्टॉक होते हैं वे फुंली पेड अप होते हैं यानी जिन शेयरों को आपने पूरे पैसे देकर खरीदे हैं, उन्हीं को स्टॉक कहा जा सकता है, और जो फुली पेड अप नहीं हैं उनको स्टॉक नहीं कहा जा सकता है।


जब कंपनी बनती है तो उस वक्त शेयर जारी किये जा सकते है, जबकि कंपनी के बनने के समय स्टॉक जारी नहीं किये जा सकते हैं।


शेयर की नोमिनल वैल्यु होती है, जबकि स्टॉक की नोमिनल वैल्यु नहीं होती है। 


शेयर के निश्चित नंबर होते है जैसे उसने किसी कंपनी के 5 शेयर खरीदे, जबकि स्टॉक के कोई निश्चित नंबर नहीं होते हैं।


यदि किसी व्यक्ति को शेयर ट्रांसफर करना है तो पूरा का पूरा शेयर ट्रांसफर करना पड़ता है, जबकि स्टॉक में प्रतिशत के हिसाब से कंपनी की हिस्सेदारी ट्रांसफर की जा सकती है। जैसे किसी के पास किसी कंपनी के 50 प्रतिशत शेयर है तो वह उनमें से 10 प्रतिशत शेयर बेच सकता है। 


Classification based on Ownership:


Ownership के आधार पर Stocks 3 केटेगरी में बांटा गया है | 


Preferred Stocks : ये स्टॉक्स investors को एक fixed amount में Dividends देते हैं |

 

Common Stocks : ये स्टॉक्स investors को एक fixed amount में Dividends नहीं देते हैं | but कंपनी का पहला हिस्सा common Stocks को जाता है | और इनको वोटिंग राइट भी मिलते हैं जो कि preferred stocks को नहीं मिलते हैं | 


Hybrid Stocks : इसमें वे कंपनी आती हैं जिनको preferred Stocks को common Stocks में converted करने का option आता है | 


dividend payment के आधार पर Classification :


Grwoth Stocks : इसमें हाई dividend नहीं मिलता है क्योकि इसमें कंपनी grow करने के लिए reinvest कर देती है | ये stocks उनके लिए अच्छा होता है जो लम्बे समय के लिए growth चाहते हैं  तथा इसमें रिस्क भी हाई होता है | 

 

Income Stocks : इसमें high dividend मिलता है, इसमें ज्यादा इनकम होती है इसलिए इनको income stocks कहा जाता है | इसमें ऐसी कंपनी आती हैं जो ज्यादा dividend प्रोवाइड कराती हैं, लेकिन इनकी ग्रोथ ज्यादा नहीं होती है | 

साथ ही इसमें टैक्स भी नहीं लगता है | 


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