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Climate change essay in hindi : जलवायु परिवर्तन के कारण व प्रभाव

जलवायु परिवर्तन हमारे पृथ्वी के लिए सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है आप इस शानदार लेख मे यही जानेंगे की Climate Change क्या है, Climate Change Examples, के और साथ ही साथ जाने Climate Change effect, इसलिए आप इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें. और अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए इस लेख को शेयर भी करें | 

यह Topic मानवता के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि यदि इस तरह जलवायु परिवर्तन होता रहा तो आने वाले समय में यह मानवता के लिये बहुत बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकता है, जिसको हर व्यक्ति को समझना चाहिए और इसको कम करने के लिये प्रयास करना चाहिए।‘ किसी विद्मान ने कहा था, कि "जो पृथ्वी से प्यार नहीं करता, वह अपने जीवन में किसी से प्यार नहीं कर सकता‘‘

क्योंकि आज के दौर में हर देश विकास के पीछे भाग रहा है, और इसी विकास के पीछे आज हम कुछ ऐसा छोड़ रहे हैं, जलवायु परिवर्तन की समस्या, आदि जिनकी हम कभी भरपाई नहीं कर सकते।


जैसे कि आप अक्सर न्यूज मे, टीवी में देखते-सुनते होंगे की वहां पर बाढ़ आ गयी, वहां पर सूखा पड़ा, इस साल बहुत ज्यादा गर्मी रहीं, व इस साल बहुत ज्यादा ठंड रही, इस तरह की घटनाएं कहीं कहीं ना जलवायु परिवर्तन से ही जुड़ी हुई होती हैं,


इसलिये आज हम समझेंगे की जलवायु परिवर्तन क्या है, इसके कारण व प्रभाव क्या है, इस पर निबंध निखेंगे, वैसे यह निबंध के लिये एम महत्वपूर्ण टॉपिक है, क्योंकि इसके आधार पर ओर टॉपिक पर भी निबंध लिख सकते हो-

जलवायु परिवर्तन क्या है-

पृथ्वी पर जो जलवायु के द्वारा जो परिवर्तन होते है, उसे हम जलवायु परिवर्तन कहते हैं, यानी आसान भाषा में हम कह सकते है कि मौसम में परिवर्तन को ही हम जलवायु परिवर्तन कहते है, यह परिर्वतन कुछ मानवजनित हो सकता है तो कुछ प्राकृतिक कारक भी हो सकते हैं, जैसे सौर विकिरण, ज्वालामुखी विस्फोट, पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन आदि।


यहां ध्यान देने वाली बात है कि प्राकृतिक परिवर्तन के कारण मानव को ज्यादा हानि नहीं होती है, लेकिन जब मानवीय गतिविधियों से जो जलवायु परिवर्तन होता है, उससे मानव को ज्यादा हानि होती है, जैसे मानव गतिविधियों के कारण ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ना, जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।


जलवायु परिवर्तन की वजह से भारत को कितना नुकसान होगा-

आरबीआई द्वारा हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गयी है इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन से भारत पर क्या प्रभाव पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में 2000 के बाद से 2021 तक के आंकड़े मौजूद है, इसमें आरबीआई द्वारा बताया गया है कि 2003 के बाद से जलवायु परिवर्तन में बहुत तेजी के साथ वृद्वि देखी गयी है,


और इस रिपोर्ट में वर्षा के बारे में यह भी बताया गया है कि 1960 से 1999 के बीच वर्षा कम हुई है जबकि 2000 से 2020 के बीच वर्षा बहुत ज्यादा हुई है। इसमें बताया गया है कि 1901 के बाद से वर्षा में कमी देखी गयी है और शुष्क काल में भी वृद्वि देखी गयी है।


इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 1975 से सूखे और शीत लहर की तुलना में भारत बाढ़ और तुफान से ज्यादा प्रभावित हुआ है, इसी कारण भारत में हर साल बहुत ज्यादा नुकसान होता है।

जलवायु परिवर्तन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तापमान में वृद्वि, वर्षा व ओलावृष्टि आदि के आधार पर लगाया जा सकता है।


जलवायु परिवर्तन का आर्थिक प्रभाव -

RBI की रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे हमें ना केवल आपूर्ति पक्ष पर प्रभाव पड़ेगा बल्कि इससे मांग पक्ष पर भी प्रभाव पड़ेगा। इस रिपोर्ट में आरबीआई ने नीति आयोग की 2019 में पेश की गयी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि 600 मिलीयन जनसंख्या गंभीर जल संकट का सामना कर रही है जिसमें शहरी क्षेत्रों के लगभग 8 मिलीयन बच्चे खराब जल आपूर्ति के कारण जोखिम में हैं। यदि इतनी बड़ी आबादी उत्पादन नहीं करेगी तो इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


आरबीआई ने 2020 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में बताया गया था कि गर्मी की वजह से उत्पादकता में कमी देखी जायेगी, और जिसके चलते लगभग 80 मिलियन रोजगार में कमी देखी जायेगी।

इसमें से भारत में लगभग 34 मिलियन रोजगार का नुकसान होने की संभावना है।


IPCC की वर्किंग ग्रुप की रिपोर्ट 2022 में कहा गया था कि भारत के आसपास जो समुद्र का स्तर है जिसके कारण समुद्र में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इसमें बताया गया कि इस सदी के मध्य तक लगभग 35 मिलियन लोग तटीय बाढ़ से प्रभावित होंगे।

Slogan on climate change in hindi:

  • No Environment, no life(पर्यावरण नहीं तो जीवन नहीं )
  • our Planet, our future( हमारी पृथ्वी हमारा जीवन)
  • save Trees, save nature(पेड़ो की सुरक्षा प्रकृति की सुरक्षा)
  • pollution is not solution(प्रदूषण समाधान नहीं है )
  • Clean today, better tomorrow( आज साफ तो कल साफ )
  • our environment is our life (हमारा पर्यावरण हमारा जीवन है )
  • save environment, save life( सुरक्षित पर्यावरण सुरक्षित लाइफ )
  • Go green, breathe clean
  • plant trees, save environment,
  • clean earth, happy earth (साफ पृथ्वी खुशी पृथ्वी )
  • One planet, one chance
  • Global warming, global warning
  • save water, save environment( सुरक्षित पानी सुरक्षित पर्यावरण )


Climate change in hindi : Climate change essay in hindi : जलवायु परिवर्तन के कारण व प्रभाव

Climate change in hindi :


क्लाइमेट चेंज या जलवायु परिवर्तन का तात्पर्य मौसम और तापमान मैं लंबे समय में होने वाले बदलाव क्लाइमेट चेंज एक प्राकृतिक बदलाव है सन् 1800 के बाद से इंसान ने ही  क्लाइमेट चेंज का मुख्य कारण रहा है.


 अगर हम लोग अच्छे से समझने का प्रयास करें. तो जो धरती से जीवाश्म ईंधन ( Fossil Fuel ) गैस तेल कोयला के जलने के कारण heat tripping वाली गैस निकली है. वही बड़े पैमाने पर क्लाइमेट चेंज के लिए जिम्मेदार है | 


जलवायु परिवर्तन का इतिहास-

वैसे तो जलवायु परिवर्तन की समस्या काफी पुरानी है, लेकिन 18वीं सदी से यानी ओद्योगिक क्रांति के बाद से जलवायु परिवर्तन की समस्या बहुत तेजी के साथ बढ़ी है, इसमें विकसित देशों द्वारा उत्पादन इतनी तेजी के साथ उत्पन्न हुआ उसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी होने लगा।


इसी कारण बहुत बड़ी मात्रा में कार्बानडाइ आक्साइड भी बड़ी मात्रा में उत्पन्न होने लगी। जब ओद्योगिक क्रांति आने से हमें लगा कि विकास तेजी के साथ हुआ, लेकिन विकास तो हुआ, लेकिन ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी उत्पन्न होने लगी, जिसमें 0.85 डिग्री सेल्सियस तक पृथ्वी का तापमान बढ़ा और अनुमान लगाया जा रहा है कि 2050 तक यह 0.5 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

इसी ओद्योगिक क्रांति का असर ही है कि शहरीकरण व ओद्योगिकरण बहुत तेजी के साथ बढ़ा है, जिसके कारण प्राकृतिक संसाधनों का कटाव यानी जंगलों का कटाव बहुत तेजी के कारण हुआ, व ओद्योगिकरण के कारण वाहनों की संख्या, मशीनों की संख्या, मोटर वगैरा की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई,


जिसका असर यह हुआ कि कार्बनडाइ ऑक्साइड की मात्रा बढ़ी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगी, जिसका असर आज हमें प्राकृतिक घटनाओं के रूप में देखने को मिल रही है।


जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र समझौता(UNFCC), 1992-

यह जलवायु परिवर्तन पर पहला बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसे 1994 से प्रभावी किया गया है, इसके सदस्य देशों ने वादा किया कि अब हम हर साल जलवायु परिवर्तन पर एक साथ मिलेंग और इससे निपटने के उपाये खोजेंगे।

यह कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है। इसका मुख्य कार्य है जलवायु परिवर्तन पर हर साल सम्मलेन का आयोजित करना और 1955 में इसका पहला सम्मेलन आयोजित हुआ जिसे कॉप-1 कहते हैं।


क्लाइमेट चेंज के प्रभाव ? ( How Climate Change is Affecting Live ? ) 


क्लाइमेट चेंज के प्रभाव को समझना हर इंसान के लिए बेहद महत्वपूर्ण जानकारियों में से एक है. यह एक देश और राष्ट्र की बात नहीं हैं. यह संपूर्ण पृथ्वी के बचाव के लिए जरूरी है. और हमारी इंसानियत सभ्यता के लिए भी.  


जलवायु परिवर्तन हमारे भोजन उगाने की क्षमता, हमारे स्वास्थ, आवास, हाउसिंग, और सुरक्षा कार्य को पूरी तरह से प्रभावित करता है. और कुछ राष्ट्र तो जलवायु परिवर्तन के सबसे करीब आकर खड़े हैं. उनमें से विकासशील देश सबसे अग्रणी हैं. 

 


समुद्र के जलस्तर मैं वृद्धि और पीने के लिए खारे पानी का उपलब्ध होना. अब उस सेंटर तक पहुंच गई है जहां से उन जैसे देश के लोगों को दूसरी जगह जा कर रहना होगा. और साथ ही साथ लंबे समय तक सूखा के वजह से भयंकर अकाल की भी संभावनाएं हैं.


 क्लाइमेट वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी लोगों का भविष्य को लेकर या मानना है. कि क्लाइमेट रिफ्यूजी ( Climate Refugees ) की संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. जो कि यह सत्य है अगर इसे रोका नहीं गया | 


क्लाइमेट चेंज के बचाव 


जीवाश्म ईंधन को बदलकर सौर और पवन एनर्जी मे बदलने से क्लाइमेट चेंज करने वाले मुख्य कारणों के उत्सर्जन में कमी आएगी लेकिन इसकी शुरुआत हमें अभी से ही करनी शुरू कर देना चाहिए. इसके लिए 


साल 2020 और 2030 के दशक में जीवाश्म ईंधन उत्पादन मे 6% की गिरावट आनी जरूरी है जलवायु परिणामों के अनुकूल होने से बुनियादी ढांचे और नेचुरल इकोसिस्टम की प्रणालियों की रक्षा होती है. 


वर्तमान के प्रभाव और भविष्य के अति संभावित प्रभाव को शामिल किया गया हैं. क्लाइमेट चेंज के खतरों से बचने के लिए सबसे कम संसाधनों और सबसे कमजोर लोगों को प्राथमिकता के साथ ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए कार्य किया जाए. अर्ली वार्निंग सिस्टम को अपनाकर जीवन और संपत्ति दोनों को बचाया जा सकता है। 


क्लाइमेट चेंज के Examples : 


हम आपको जलवायु परिवर्तन के कुछ एग्जांपल और वास्तविक परिवर्तन के कुछ मुख्य कारण जो कि हमने आपको सात चरण में बताने की कोशिश की हैं.


1. समुंद्र का बढ़ता जलस्तर 


2. दुनिया भर में जंगल की आग की घटनाओं में अधिक वृद्धि होना 


3. समुंद्र अमलीकरण के परिणाम के वजह से समुंद्री पौधों और जानवरों की मृत्यु होना. 


4. वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि. 


5. समुद्र के जल का अधिक गर्म होना 


6. ग्लेशियरों पर बर्फ की मात्रा में कमी 


7. अंटार्कटिक समुंद्र के बर्फ क्षेत्र की कमी 


जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारण   


हो रहे जलवायु परिवर्तन में इंसानों के साथ साथ प्राकृत का भी हस्तक्षेप है हम आपको प्राकृतिक कारणों से भी हो रहे जलवायु परिवर्तन के बारे में अवगत कराएंगें 


पृथ्वी के कक्षा की भिन्नता मे परिवर्तन * यह एक प्रकार का मिलनकोविच चक्र उत्पन्न करता है जिसका जलवायु पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसका असर ग्लेशियल और इंटरग्लेशियल पर सबसे अधिक होता है.


महाद्वीप बहाव  जल निकायों और भूभाग की भौतिक विशेषताओं को बहुत बदल देता है. जो भविष्य में समुद्र की धाराओं और हवाओं के प्रभाव को बदल देगा |


ज्वालामुखी गतिविधियों के कारण और प्रदूषण* जब ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तब गैस व धूल कि कल का प्रकोप सूर्य से आने वाली पृथ्वी की तरफ के किरणों को अवरोधित करता है.


 और ज्वालामुखी से उत्पन्न होने वाले सल्फर डाई ऑक्साइड, पानी के साथ मिलकर सल्फ्यूरिक अम्ल, की छोटी बूंदों का निर्माण होता है. जो कई वर्षों तक पर्यावरण में निहित होता हैं. यह भी एक मुख्य कारणों में से एक हैं |


महासागर के धाराओं मे परिवर्तन  क्षैतिज हवाओं के परिणाम स्वरूप समुद्री सतह के विरुद्ध जल का विस्थापन होना जब यह बदलता है तो जलवायु की स्थिति को भी बदल  सकता हैं. 


प्लेट टैकटोनिक्स की वजह से  महाद्वीप का स्थानांतरण भी महासागरीय धाराओं के प्रारूप को भी बहुत प्रभावित करता है क्योंकि यह भी महासागरों की ज्यामि को बदलता है। 


भारत का जलवायु परिवर्तन का सामना करने हेतु प्रयास। 


सरकार ने निम्नलिखित कार्यक्रम N.A.P.C.C के अंतर्गत संबोधित करते हुए अनेक कार्यक्रमों की शुरुआत की है जो कुछ इस प्रकार से है. 


1. बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग में बढ़ावा देना और देश में राष्ट्रीय सौर मिशन का शुरुआत करना जो भारत देश के लिए जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अग्रसर हैं. 


2. भारत सरकार ने शहरी नियोजन के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सतत आवास मिशन की पुरजोर शुरुआत की है 


3. भारत सरकार ने देश भर में राष्ट्रीय जल मिशन की भी शुरुआत की है जो ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में अग्रसर है और इसकी शुरुआत भी देशभर में बहुत तेजी से हो रही हैं. 


4. भारत सरकार ने ग्रीन इंडिया मिशन के अंतर्गत 6 मिलीयन हेक्टेयर से अधिक वंचित वन भूमि की वनीकरण और वन क्षेत्र को 23 परसेंट से बढ़ाकर 33 परसेंट करने का फैसला किया है. 


5. राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन योजना के अंतर्गत जलवायु लचीली कृषि करने का समर्थन करती हैं. 


6. UNCCD संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के माध्यम से भारत में मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु राष्ट्रीय कार्य योजना की कार्य पृष्ठ तैयार की है. 


7. उद्योग से पर्यावरण पर प्रभाव को मापने के लिए भारत सरकार ने पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन कार्यक्रम शुरू किया है. 


8. वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान ओके संरक्षण के लिए paristhitik और संवेदनशील क्षेत्रों को अधिसूचित किया गया हैं. 


9. भारत, ने अक्षय ऊर्जा के स्रोतों के उपयोग को तेजी से बढ़ावा दे रहा है 


10. भारत, पर्यावरण के संरक्षण के लिए बहुत सी नई नीतियां बना रहा है जैसे 1986 वन संरक्षण अधिनियम, 1980 वन संरक्षण अधिनियम, और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम,


उपरोक्त बताए गए सभी कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा है ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए आइए हम सब संकल्प करें कि सरकार के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए हम सब प्रयास करें. 


कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव 


1. कृषि को जलवायु परिवर्तन में बहुत ज्यादा व्यापक रूप से प्रभावित किया है और इसका नकारात्मक रूप हर साल धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है |


2. पूर्वोत्तर भारत में बढ़ रहे बाढ़ पूर्वी तट क्षेत्रों में चक्रवात उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में सूखा मधवा उत्तरी क्षेत्रों में गर्म लहरों की तीव्रता में वृद्धि साल दर साल बढ़ती ही जा रही है जो कृषि पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रही है और आम जनमानस के जीवन को बहुत प्रभावित कर रही है |


3. मिट्टी की नमी में कमी और कीट एवं रोगों के संक्रमण की तीव्रता में वृद्धि आसानी से देखी जा सकती हैं |


4. CO2 कि साद्रता वायुमंडल में बढ़ने से गेहूं चावल सोयाबीन जैसी अधिकांश खाद्यान्न वाली फसलें मैं प्रोटीन एवं आवश्यक तत्वों की कमी आ रही है |


5. जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म लहरों की अधिक तीव्रता से पशुओं की रोगों मे अधिकता आई है और साथ ही साथ प्रजनन क्षमता व दुग्ध उत्पादन में भी कमी देखने को मिल रही है |


6. भारत खाद्य एवं कृषि संगठन भारत को वर्ष 2015 तक लगभग 125 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का नुकसान झेलना पड़ा है |


7. भारत कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार 1 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर गेहूं के उत्पादन में 4 से 5 मिलियन टन की कमी देखी जा सकती है इससे देश के किसानों पर बहुत बड़ा असर पड़ रहा है |


8. जलवायु परिवर्तन की वजह से परागणकारी  कीटो एवं मधुमक्खियों और तितलियों की संख्या में कमी देखी जा रही है कृषि उत्पादन में इसका नकारात्मकता व्यापक रूप से देखा जा सकता है |  


भारत की अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव 


जलवायु परिवर्तन का प्रभाव धरती पर समस्त क्षेत्रों पर देखा जा सकता है स्वास्थ्य से लेकर कृषि पशु पक्षियों जंगल हो व्यवसाय और अर्थव्यवस्था पर भी आसानी से देखा जा सकता हैं जो कुछ इस प्रकार से है |


1. तापमान में 1 डिग्री की अगर वृद्धि होती है तो मध्यम आय वाले भारतीय बाजारों की आर्थिक विकास को 0.9% तक घटा सकता है |


2.जलवायु परिवर्तन का सर्वाधिक प्रभाव निम्न आय करने वाली वाली अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता हैं |


3. वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण वार्षिक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5 से 20 परसेंट तक इसके परमाणु को कम करने में व्यस्त हो सकता है जो कि यह बहुत बुरा है |


4. विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन से 15 वर्षों में 45 मिलीयन भारतीयों को अत्यधिक निर्धन बना सकता है जिससे आर्थिक प्रगति बाधा हो सकती है जो एक बहुत संवेदनशील वाक्य है | 


Conclusion 


आप इस पोस्ट में Climate change effect in Hindi और इसके Examples तथा Effect  के बारे में आप लोगों ने बहुत ही अच्छे से जाना है. हमें उम्मीद है कि यह जानकारी भरी लेख आपको बहुत ही अच्छा लगा होगा. इस लेख को आप  www.geomorallife.com पर पढ़ रहे हैं. अगर आपके मन में इस से रिलेटेड कोई सवाल है तो आप कमेंट में हमसे पूछ सकते हैं पोस्ट पूरा पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद |


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