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Mahatma Gandhi history in hindi : महात्मा गांधी राष्ट्रपिता कैसे बने

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहां हुआ था? :

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है और माता का नाम पुतलीबाई है और इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी है इनका पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी है।

इनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 को हुई।

Mahatma Gandhi history in hindi : महात्मा गांधी राष्ट्रपिता कैसे बने

महात्मा गांधी का इतिहास : 

इनको राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किया जाता है यह लॉयर, पॉलीटिशियन एक्टिविस्ट राइटर आदि थे गांधी जी ने कभी भी गांधीवाद को महत्व नहीं दिया लेकिन बहुत अधिक लोगों ने गांधीवाद को अनुसरण किया।

हनुमान कबीर के अनुसार गांधीजी दार्शनिक नहीं है बल्कि ये राजनीतिज्ञ हैं।

इनके विचार अहिंसा सर्वोदय सत्याग्रह स्वराज आधुनिक सभ्यता की आलोचना करना स्टेट अधिकार और कर्तव्य साध्य और साधन।

महात्मा गांधी किससे प्रभावित हुए : गांधी जी किस से प्रभावित हुए अपनी माता से वैष्णो धर्म से जैन प्लेटो सुकरात लिओ टॉलस्टॉय।

अहिंसा -यह गांधीवाद के मूल सिद्धांत है ऑब्जेक्टिव ऑफ लाइफ मेरे निरंतर अनुभव ने मुझे विश्वास दिला दिया है कि सत्य से अलग कोई ईश्वर नहीं है।

दुश्मन मेरे जीवन का हिस्सा है मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकता यदि मैं पीड़ित हो रहा हूं तो अपनी गलती के कारण क्योंकि दुश्मन मैंने बनाया है मैं अपने दुश्मन को मित्र तब ही बनाऊंगा जब मेरे अंदर उसके लिए प्रेम की भावना होगी।

सत्याग्रह का सिद्धांत - 

चंपारण(1917) नील की खेती के लिए शोषण किया,  खेड़ा 1918) गुजरात फसलों का बर्बाद होने पर सरकार द्वारा छूट ना मिलने में आंदोलन शुरू किया।

स्वतंत्रता आंदोलन ब्रिटिश वासियों के खिलाफ नहीं था बल्कि यह evil practice के खिलाफ था जैसे ब्रिटिश वासियों द्वारा गरीबों का शोषण करना अत्याचार करता आदि।

सत्याग्रह दुश्मनों के लिए नहीं बल्कि स्वयं में कुछ अच्छाई कुछ बुराई इस बुराई को खत्म करना ही सत्याग्रह है सच्चाई का साथ दो तो आप सत्याग्रह जीत जाओगे।

स्वराज का सिद्धांत क्या है 

1930 में पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई गांधीजी मुंडक उपनिषद से प्रभावित हुए थे क्योंकि मुंडक उपनिषद में बताया गया है कि अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना ही स्वराज है।

गांधी जी द्वारा स्वराज के अलग-अलग लेबल बताए गए हैं इंडिविजुअल स्वराज = स्वयं कंट्रोल होना चाहिए,

सामाजिक स्वराज  -बिना हिंसा के शांति के साथ स्वराज पाना चाहिए,

सांस्कृतिक स्वराज दूसरों के संस्कृति का सम्मान करना चाहिए लेकिन अपने सांस्कृतिक स्वभाव को भी ना भूलना चाहिए,

आर्थिक स्वराज बड़े पैमाने पर उत्पादन ना होकर जनता के उत्पादन पर होना चाहिए,

राजनीति स्वराज स्वराज शक्ति का स्थानांतरण ना होकर जनता को सशक्त बनाना है।

स्वराज का अर्थ केवल राजनीतिक स्तर पर विदेशी शासन से स्वाधीनता प्राप्त करना नहीं है बल्कि इसमें सांस्कृतिक और नैतिक स्वाधीनता का विचार भी निहित है यदि कोई समाज राजनीतिक दृष्टि से तो स्वाधीन हो, 

परंतु सांस्कृतिक दृष्टि से पराधीन हो या उसे अपनी गतिविधियों के निर्देशन के लिए दूसरों का मुंह ताकना पड़े तो वह स्वाधीन होते हुए भी स्वराजविहीन होगा।

सविनय अवज्ञा आंदोलन  : जो कानून नैतिकता के विरुद्ध हो उसका विरोध करने के लिए गांधीजी सविनय अवज्ञा का रास्ता दिखाया इसका मूल अर्थ यह हुआ कि ऐसे कानून का उल्लंघन जो स्वयं अन्याय पूर्ण हो सविनय अवज्ञा का भी सत्ता धारियों का हृदय परिवर्तन करना है उन्हें विवश करना है।

सर्वोदय का सिद्धांत क्या है : गांधी जी ने John Ruskin की बुक ' Unto this last' से प्रभावित होकर सर्वोदय का सिद्धांत के बारे में बताया।

गांधी जी का समाजवाद के बारे में दृष्टिकोण  : 

शरीर श्रम - श्रम की गरिमा समझना जब सभी श्रम शील होंगे तो सामाजिक विषमता समाप्त हो जाएगी और वर्ग हीन समाज की स्थापना संभव हो सकेगी।

Trusteeship- मालिक द्वारा डोनेट करना गांधीजी पूंजीपतियों के हृदय परिवर्तन की मांग करते हैं ताकि पूंजीपति अपने संपदा को निजी संपत्ति ना समझ कर संपूर्ण समाज की धरोहर समझे।

कुटीर उद्योग गांधी जी ने मशीनीकृत को समर्थन नहीं किया बल्कि कुटीर उद्योगों के विस्तार का समर्थन किया।

गांधीजी गांधीजी द्वारा कहां गया कथन हम आर्थिक रूप से सामान नहीं हो सकते लेकिन गरिमा द्वारा हम समान हो सकते हैं।

गांधीजी का वर्ग संघर्ष का सिद्धांत क्या है 

पूंजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग के बीच संघर्ष होना क्योंकि पूंजीपति द्वारा श्रमिक वर्ग का शोषण करना लेकिन गांधीजी इस सिद्धांत को नहीं मानते थे बल्कि वे आपस में सामंजस्य की बात करते थे।

आधुनिक सभ्यता की आलोचना  :

ब्रिटिश आधुनिक सभ्यता से लेकर आए और हमारे संसाधनों का हनन किया है उपनिवेशवाद की नीति अपनाई है।

गांधीजी की किताब जिसमें आधुनिक सभ्यता की आलोचना की गई है एडवर्ड कारपेंटर से महात्मा गांधी जी से प्रभावित हुए इन्होंने आधुनिक सभ्यता की आलोचना की है उन्होंने कहा है कि आधुनिक सभ्यता एक बीमारी का रूप है गांधी जी ने कहा है कि आधुनिक सभ्यता द्वारा भौतिकवाद उपभोक्तावाद व्यक्तिवाद आदि आया है।

आधुनिक सभ्यता व्यक्ति की गरिमा को नष्ट कर देता है वह मानव मानवता को भूल जाता है जैसे व्यक्ति की तुलना जानवर से आधुनिक सभ्यता का शोषण करना।

गांधीजी के अनुसार सभ्यता उन्होंने कहा कि सभ्यता आपको सिखाता नहीं है कि आपकी जो इच्छाएं हैं वह किस प्रकार पूरी की जाए और सभ्यता सिखाता है कि आदमी को किस तरह से बेहतर होना चाहिए लेकिन आधुनिक सभ्यता सिखाता है कि आपकी इच्छा बढ़ाने के लिए।

राज्य का सिद्धांत गांधीजी लिओ टॉलस्टॉय की किताब द किंगडम ऑफ गॉड इस विदिन यू जिसमें लिखा है मनुष्य अपने आप को कंट्रोल कर सकता है उसे वाह बाहरी एजेंसी की आवश्यकता नहीं है जैसे राज्य गांधीजी के अनुसार राज्य आत्म हीन मशीन है।

साधन और साध्य 

मैकयावेली की गांधीजी ने आलोचना की है क्योंकि मैकियावेली राजनीति और नैतिकता को अलग करते हैं जबकि गांधीजी राजनीतिक और नैतिकता को एक साथ करते हैं।

गांधीजी गोपाल कृष्ण गोखले से प्रभावित हुए क्योंकि इन्होंने राजनीति और नैतिकता को एक साथ की बात कही।

अधिकार और कर्तव्य की संकल्पना यदि हम कर्तव्यों पर फोकस करते हैं तो we will automatically gets reward। गांधी जी द्वारा महिलाएं नैतिक मजबूती को रिप्रेजेंट करती हैं।

गांधीजी का शिक्षा पर विचार 

किताबों की बजाय जीवन से सीखो, प्रैक्टिकली करो।

Education is a life long process.

सत्य के मार्ग पर चलते हुए हम लक्ष्य या फल की चिंता ही छोड़ देनी चाहिए केवल साधन या कर्म पर ही फोकस करना चाहिए।

महात्मा गांधी राज्य पर विचार : 

मनुष्य सामाजिक प्राणी है उनके सामाजिक जीवन को नियमित करने के लिए राज्य का अस्तित्व जरूरी है उत्तम राज्य वह होगा जो कम से कम हिंसा और बल का प्रयोग करेगा और व्यक्तियों की गतिविधियों को स्वैच्छिक प्रयास से नियमित होने देगा।

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