जब वह चलती है तो रास्ता भी रोशन हो जाता है वह शक्ति है एक नारी
‘‘नाज़िम मलिक‘‘
प्राचीन काल में महिलाओ की स्थिति क्या थी ?:-शुरूआत में distribution of labor नहीं था, लेकिन जैसे ही मानव का जीवन स्थिर(stable) यानी agriculture का दौर आने लगा वैसे ही distribution of labour होने लगा क्योंकि जब ऐसा माना जाता था,
वैसे अभी भी काफी हद तक माना जाता है कि Men, Women से physically strong थोड़ा ज्यादा होता है(वैसे Individually एक Women, Men से ज्यादा physically strong हो सकती है) वस इसी कारण से उस वक्त Dominant वाले काम मर्द ने शरू कर दिये एवं कम Efforts वाले काम औरतों ने शरू कर दिये।
औरतों के बारे में धारणा(Perceptions about women):- जिस तरह पिछले दौर में मेहनत व जददोजहद वाला काम मर्द करते थे जिसको Superior समझा जाता था, जिसका असर Global Society में आज भी देखने को मिलता है,
लेकिन ऐसा नहीं है यदि मर्द physically strong वाला काम करता है तो उसे Superior माना जाये क्योंकि दोनों की Responsibility अलग-अलग हो सकती है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि मर्द Superior है।
अक्सर हम इस आधार पर महिलाओं को Empowerment मान लेते है कि उस देश की महिला प्रधानमंत्री है, उस देश की महिला राष्ट्रपति है, वहां महिला अध्यक्ष है, वहां CEO है आदि लेकिन हम यह भूल जाते है जो सर्वश्रेष्ठ पदों पर बैठी या किसी क्षेत्र में सफल है वे मात्र 1 या 2 प्रतिशत ही है।
हम कभी उन 98 प्रतिशत महिलाअें की बात नहीं करते जो ‘आंखों में पानी लिये‘ अपने अस्तित्व की खोज में है, दर-बदर भटक रही हैं।
जिस तरह समय बदल रहा है, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य बदल रहे है, Globalization के दृष्टिकोण ने पूरी दुनिया को बदल दिया, 1975 से 1985 के दशक को अन्तर्राष्टीय महिला दशक declare किया गया, महिलाओं के Rights को Global महत्व दिया गया,
1979 में UN की महासभा में कानून बनाया गया, लेकिन अभी भी महिलाओं की स्थिति उतनी तेजी के साथ नहीं बदल रही है।
महिला को आज भी मात्र एक वस्तु के रूप में प्रयोग किया जाता है, उसे एक सामान्य नागरिक भी नहीं माना जाता है।
पुरूष जो Past, Present की सत्ता के केन्द्र(core) में रहा हो और Future में भी कब्जा करने के घमंड में हो भला कोई कमजोर महिला इस सत्ता को छिनने की हिम्मत रख सकती है, कैसे संभव हो सकता है?
भारत के संदर्भ में महिला की धारणा(perception of women in the context of india): - नागरिक अधिकार में महिला को सरपंच, प्रधान बना तो दिया जाता है, लेकिन निर्णय पुरूष द्वारा ही दिये जाते है यही हाल लगभग विधायक और सांसद के संबंध में भी है।
हम अक्सर NEWS में पढ़ते है महिलाओं के मानवाधिकार, समता, सम्मान का अधिकार, घरेलू हिंसा आदि की घटनांए जिन पर चर्चा होनी बहुत जरूरी है ताकि इस मानसिकता को रोका जाये।
राजनीति में पुरूषों का दबदबा, आपको मालूम होगा कि कितने प्रतिशत महिला MLA, MP है, आर्थिक क्षेत्रों में पुरूषों का दबदबा, SPORTS में यानी ज्यादातर क्षेत्रों में पुरूष ही हाबी हैं जबकि महिला आधी दुनिया है।
औरतों के बारे में सही धारणा(Right Perception about women):- जितनी रोकथाम Women के लिए है उससे कहीं ज्यादा रोकथाम Men के लिए होनी चाहिए हमें शरूआत से ऐसी धारणा बनानी होगा जिससे Women खुद कमजोर महसूस ना करें।
Unique Thoughts :-(आप सहमत हो भी सकते हो नहीं भी) महिला को महिला मानना, पूरूष को पुरूष मानना, क्योंकि महिला में जो विशेषताएं है जैसे ममता, प्यार, सब्र, आदि ये पुरूष में इतनी नहीं है इसलिए Attraction के लिए बहुत जरूरी है।‘‘ इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी Power अलग-अलग करना या Inequality करना बल्किAttraction बना रहे।
विश्व में महिलाओ की क्या भूमिका है :- महिला Empowerment के लिए जितनी चुनौतियां है संभावना भी उतनी ज्यादा है यदि कुछ दशकों की तुलना करें तो महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है पुरूष समाज की दीवारें सी हिल गयी हैं।
ज्यादातर क्षेत्रों में Women की भागीदारी बढ़ रहीं है चाहे खेल जगत हो, राजनीति हो, मीडिया हो, फिल्मी दुनिया हो क्योंकि समाज के बदलाव में काफी समय लगता है।
Women को संवैधानिक Support भी काफी मिल रहा है जिससे महिलाओं के विकास की संभावना बढ़ रहीं है जैसे उनके हितों की रक्षा के लिए अनेकों प्रावधान किया जाना
स्त्री-अधिकार का संबंध सीधा जुड़ा हुआ है ‘जीने के अधिकार से इसलिए खेत-जमीन आदि के क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं का योगदान बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है जिससे उनके Standard को Support मिलता है और उनका झुकाव शिक्षा की तरफ बढ़ रहा है,जि
ससे उनकी Growth तेजी के साथ हो रही है क्योंकि Education की बजह से Agriculture में Productivity हुई है, Population growth rates कम हुआ, जीने का Standardबढ़ा है।