Translate

Election process in india in hindi : भारत में चुनाव प्रक्रिया

भारत(India) एक लोकतांत्रिक(democracy) देश है, जहां पर लोगों का शासन होता है, सरकार लोगों के द्वारा और लोगों के लिए होती है। भारत के संविधान में संघीय सरकार व्यवस्था(Federal System) को अपनाया गया। संघीय व्यवस्था में शक्तियां केन्द्र सरकार और क्षेत्रीय सरकार(राज्य सरकार) में बंटी होती है।



वैसे संविधान में संघ शब्द का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि इसके स्थान पर संविधान को अनुच्छेद(Article) 1 में भारत को राज्यों के संघ(Union of States) के रूप में परिभाषित(Defined) करता है। 

लेकिन यहां यह समझने वाली बात है कि भारत में संघीय सरकार व्यवस्था(Federal system) अमेरिका की संघीय व्यवस्था से अलग है। भारत में राज्यों को यह अधिकार नहीं कि वे स्वयं को संघ(Union) से अलग कर लें। यहां केन्द्र सरकार ज्यादा शक्तिशाली है जो कि कनाडाई मॉडल पर आधारित है 

जबकि अमेरिका में केन्द्र और राज्यों की समान Power है। इसलिए भारत में संघीय व्यवस्था(Federal system) के साथ एकात्मक व्यवस्था(Unitary system) भी पायी जाती है जैसेः- 

शक्तियों का विभाजन(Division of powers) :- 7 वीं अनुसूची के तहत केन्द्र, राज्य एवं दोनों से संबंधित विषय की सूची बनी हुई है जिसमें शक्तियों का बंटवारा किया गया है। 

स्वतंत्र न्यायपालिका(Independent judiciary):- संविधान की सर्वोच्चता को स्थापित किया गया है एवं केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद होने पर स्वतंत्र न्यायपालिका का गठन किया गया है। 

दो सदनों की व्यवस्था(Arrangement of two houses)::- संविधान ने संसद में दो सदनों की व्यवस्था की है- राज्यसभा(उच्च सदन) और लोकसभा(निम्न सदन)। राज्यसभा भारत के राज्यों का Representatives  करती है जबकि लोकसभा भारत  के लोगों का।

Election process in india in hindi भारत में चुनाव प्रक्रिया




भारत में एकात्मक व्यवस्था की विशेषताएं(Features of unitary system in India):- 

केन्द्र का मजबूत होना(Strengthening of the Centre) :- शक्तियों का विभाजन केन्द्र की तरफ झुका हुआ है जो संघीय दृष्टिकोण(Federal approach) के खिलाफ है। केन्द्र सूची में राज्यों से ज्यादा विषय होना। 

एक संविधान(Single Constitution):- संघीय व्यवस्था में राज्यों को अपना संविधान बनाने का अधिकार होता है जबकि भारत(India) में ऐसा नहीं है। 

राज्यों की शक्ति ना होना(Lack of power of the States) :- राज्यों को क्षेत्रीय एकता का अधिकार नहीं है संसद एक तरफा कार्यवाही करके राज्यों के क्षेत्र, सीमाओं या राज्यों के नामों में बदलाव कर सकती है। 

एकल नागरिकता(Single Constitution):- भारत में केवल एक नागरिकता है वो है भारतीय नागरिकता एवं राज्यों के पास अपनी नागरिकता का अधिकार नहीं है। 

आपातकालीन उपबंध(Emergency provision) :- आपातकाल के दौरान सारी शक्तियां केन्द्र के पास आ जाती है राज्य केन्द्र के Control में आ जाता है। 

एक निर्वाचन मशीनरी(Single election Machinery):-- भारत(India) का चुनाव आयोग केन्द्र के चुनावों(Elections) के साथ-साथ राज्यों के विधानमण्डलों(States Legislatures) के चुनाव(Election) भी कराता है। ठसलिए भारत के संविधान में अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि की संघीय व्यवस्थ से अलग संघीय व्यवस्थ है।

निर्वाचन व्यवस्था(Election system/process) :- भारत के संविधान के भाग-15 में Article  324 से 329 तक निर्वाचन से Related Provisions किय गये है- Article 324 एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की व्यवस्था करता है  जो संसद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्य विधायिका के निर्वाचन कराता है। वर्तमान में निर्वाचन आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त तथा दो निर्वाचन आयुक्त हैं।

संसद और राज्य विधायिका के चुनाव के लिए हर निर्वाचन क्षेत्र में केवल एक मतदाता सूची का Provision किया गया है। संविधान ने मतदान में सभी नागरिक की समानता को स्वीकार किया है, 

क्योंकि कोई भी व्याक्ति धर्म, नस्ल, जाति, लिंग के अधार पर मतदाता सूची में नामित होने के लिए दावा नहीं कर सकता। जो व्यक्ति भारत का नागरिक है और 18 साल की उम्र पूरी कर लेता है तो वह निर्वाचन(Elections) में मत देने का अधिकार प्राप्त कर लेता है।

संविधान के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों के बंटवारे के लिए परिसीमन आयोग(Delimitation Commission) का गठन किया गया है। परिसीमन आयोग द्वारा दिया गया आदेश अंतिम है उसके खिलाफ किसी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। 

चुनाव तंत्र(Election Process )  

भारत का निर्वाचन आयोग(Election Commission of India) :- भारत के संविधान के article 324 में संसद, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्य विधायिका का चुनाव कराने का अधिकार प्राप्त है। इसमें तीन सदस्य है- एक मुख्य चुनाव आयुक्त(Chief Election Commissioner) तथा दो चुनाव आयुक्त। 

मुख्य निर्वाचन अधिकारी(Chief Electoral Officer):- यह किसी राज्य या संघीय क्षेत्र का मुख्य चुनाव अधिकारी होता है जो इन क्षेत्रों में चुनाव कार्यां का पर्यवेक्षण(Supervise) करता है। जो निर्वाचन आयोग निर्देशन(directing), नियंत्रण(Control) का अनुपालन(Compliance) करता है। 

जिला निर्वाचन अधिकारी(District Election Officer):- यह जिले में चुनाव कार्य का पर्यवेक्षण(Supervise) करता है जो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के अधीक्षण(Superintendence), निर्देशन तथा नियंत्रण में रहता है। 

चुनाव अधिकारी(रिटर्निंग ऑफिसर)(RO):- किसी संसदीय या विधान सभा क्षेत्र के चुनाव कार्य को करने के लिए चुनाव अधिकारी जिम्मेदार होता है। निर्वाचन आयोग राज्य सरकार अथवा स्थनीय प्राधिकार(Local authority) के किसी पदाधिकारी(Officer) को राज्य सरकार या संघीय क्षेत्र प्रशासन के परामर्श से चुनाव अधिकारी को नियुक्त करता है साथ ही एक या एक से ज्यादा सहायक चुनाव अधिकारी की भी नियुक्ति करता है। 

चुनाव पंजीकरण अधिकारी(Electoral Registration Officer):- चुनाव क्षेत्र में मतदाता सूची आदि को तैयार करने के लिए चुनाव पंजीकरण अधिकारी उत्तदायी होता है। भारत का निर्वाचन आयोग राज्य सरकार या संघीय शासन के परामर्श से स्थानीय प्राधिकारण(Local authority) में किसी अधिकारी को चुनाव पंजीकरण अधिकारी नियुक्त करता है साथ ही एक या एक से ज्यादा सहायक चुनाव पंजीकरण अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है। 

पीठासीन अधिकारी(प्रेजाइडिंग ऑफिसर):- पीठासीन अधिकारी मतदान अधिकारियों के सहयोग से मतदान केन्द्र पर मतदान कार्य सम्पन्न कराता है एवं मतदान अधिकारियों और पीठासीन आधिकारियों की नियुक्ति जिला निर्वाचन अधिकारी करता है तथा संघीय क्षेत्रों में चुनाव अधिकारी नियुक्ति करता है।

पर्यवेक्षकः- चुनाव आयोग लोकसभा तथा राज्य विधानसभा के चुनाव के लिए सरकारी अधिकारियों को मनोनयन(Nominate)करता है ये कई प्रकार के हो सकते हैंः- 

सामान्य पर्यवेक्षक (General supervisor)

पुलिस पर्यवेक्षक(Police Supervisor)

जागरूकता पर्यवेक्षक(Awareness Supervisor) 

व्यय पर्यवेक्षक (Expenditure Supervisor)


Election process in india in hindi भारत में चुनाव प्रक्रिया

चुनाव के प्रकार(Election Types):-

लोकसभा चुनाव:- इसके चुनाव हर 5 साल में होते हैं इसमें लोग Direct वोट करके निर्वाचित करते है फिर वे निर्वाचित लोग संसद जाते हैं वहां वे लोकसभा के कामों में भागीदारी करते है। इसमें अधिकतम संख्या 550 है एवं वर्तमान में 545 है तथा 2 एंग्लों इंडियन के लिए सीटों का आवंटन था लेकिन अब यह Provision समाप्त हो गया। 

योग्यता(Eligibility):- 

उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए 
उसने 25 वर्ष की उम्र पूरी कर ली हो 
उसे मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए 
वह दिवालिया ना हो 
उसके खिलाफ अपराधिक मामला ना हो व Profit के पद पर ना हो 

एक साल में लोकसभा के तीन सत्र आयोजित होते हैं 

बजट सत्र- फरवरी से मार्च 
मानसून सत्र-जुलाई से सितम्बर 
शीत कालीन सत्र- नवम्बर से दिसम्बर तक
 

लोक सभा में चुने हुए सदस्य सरकार बनाते है जिस पार्टी को 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें वह पार्टी सरकार बनाती है। 

राज्यसभा चुनावः- 

संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गयी है जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित(Nominate ) किये जाते हैं। यह एक Permanent सदन है जो भंग नहीं होता है। 

राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य 6 साल की अवधि के लिये चुने जाते हैं। प्रत्येक 2 वर्ष बाद राज्यसभा के एक-तिहाई(1/3) सदस्य सेवानिवृत्त(Retired) हो जाते है। 

राज्यसभा के उम्मीदवारों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष(Indirect) रूप से किया जाता है।। राज्यों एव 2 संघ राज्य क्षेत्रों के राज्यसभा उम्मीदवारों का चुनाव राज्य/2संघ राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा एकल संक्रमण मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली(Proportional representation system) के अनुसार किया जाता है। 

योग्यता(Eligibility)- 

उसे भारत का नागरिक होना चाहिए 
कम -से-कम 30 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो। 
वह दिवालिया ना हो 
उसके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज ना हो। 

राज्य विधान सभा चुनाव(State Legislative Assembly):-- राज्य विधान सभा का चुनाव direct रूप से लोगों के द्वारा होता है। इसमें चुने गये प्रतिनिधि को विधायक(MLA)-Member of legislative assembly कहते है। भारत के संविधान के अनुसार हर राज्य में एक विधानमण्डल(Legislature) बनाया गया है। 

हालांकि कुछ राज्यों में एक सदन तो कुछ राज्यों में 2 सदन हैं- जहां पर 2 सदन है वहां पर विधानमण्डल में उच्च सदन विधान परिषद(Legislative Assembly) और निम्न सदन को विधान सभा(State Legislative assembly) कहते हैं और जहां पर एक सदन है वहां केवल विधान सभा का प्रावधान है।

विधान सभा(State Legislative assembly):-लोकसभा की तरह राज्य के क्षेत्र को विधान सभा क्षेत्र में बांटा गया है हर राज्य विधान सभा क्षेत्र का बंटवारा जनसंख्या के आधार पर किया गया है। इसके चुनाव हर पांच साल में होते हैं। विधान सभा में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत ना हो तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है और 6 माह के अन्दर पुनः चुनाव कराये जाते हैं। 

इसमें चुनाव लड़ने के लिए किसी भी उम्मीदवार को किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होना जरूरी नहीं है वह निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकता है। 

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 33(7)के अनुसार एक व्यक्ति दो से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों से विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकता।

योग्यता- 

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए 
  • उसका नाम किसी भी निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए 
  • उसने कम-से-कम 25 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो
  • उसके के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज ना हो। 
  • वह लाभ के पद पर ना हो। 

विधान परिषद(Legislative Assembly):- जिस राज्य में दो सदन है वहां पर विधान परिषद राज्यसभा की तरह उच्च सदन होती है जिसका चुनाव अप्रत्यक्ष(indirect) रूप से होता है। वर्तमान में 6 राज्यों में विधान परिषद है। 

निर्वाचन- 

एक तिहाई (1/3) विधान परिषद के सदस्या राज्यों के विधायकों द्वारा चुने जाते हैं। 

एक-तिहाई (1/3) निर्वाचिका द्वारा जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बार्डां या अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं।

 एक बटा बाहर (1/12) जो तीन सालों तक राज्य के अन्तर्गत शैक्षिक संस्थाओं में teacher रहे हों। 
1/12 पंजीकृत स्नातकों द्वारा जिन्हें 3 वर्ष से अधिक हो गये है स्नातक किये हुए।

बचे हुए सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आंदोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को चुना जाता है। 


योग्यता- 

वह भारत का नागरिक हो 30 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो 

दिवालिया ना हो 

मतदाता सूची में नाम हो

हमें वोट ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो उस क्षेत्र के विकास की सोच रखता हो ताकि अच्छे लोग संसद या विधानमण्डल में पहूंचे जिनसे सरकार भी अच्छी बनेगी इसलिए 

हम सबको वोट देना चाहिए क्योंकि यह हमारा हक है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ