Translate

अंतरराष्ट्रीय संगठनों का उद्देश्य क्या है? : international organizations in hindi

उद्देश्य


अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कार्य, सदस्यता और सदस्यता मापदंड में अंतर होता है। उनके विभिन्न उद्देश्य और क्षेत्र होते हैं जो आमतौर पर संधि या संविधान में निर्दिष्ट होते हैं।


कुछ इंटर-गवर्नमेंटल संगठन विवादों का समाधान के लिए वाद विवाद के लिए एक तटस्थ मंच की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकसित हुए।


दूसरे ने शांति को सुरक्षित रखने वाला राष्ट्रीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए शादी रुझानों के साथ सामूहिक हितों को पूरा करने के लिए विकसित हुए।

इसके कुछ प्रकार


  • विश्वव्यापी संगठन

  • ऐतिहासिक संगठन

  • आर्थिक संगठन

  • शैक्षिनिक संगठन

  • स्वास्थ्य और जनसंख्या संगठन

  • क्षेत्रीय संगठन

 भागीदारी और संलग्नता


आर्थिक पुरस्कार: उदाहरण के रूप में उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते के मामले में मुक्त व्यापार समझौते में सदस्यता द्वारा पशुओं की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचता है।


राजनीतिक महत्व: छोटा देश के अंदर राष्ट्रीय मंच पर राजनीतिक महत्व कम होने के कारण उन्हें यूरोपीय संघ जैसे IGOs के सदस्यता से महत्वपूर्ण प्रभाव मिलता है।


इससे फ्रांस और जर्मनी जैसे अधिक प्रभावशाली देश को भी लाभ होता है क्योंकि वह छोटा देश के आंतरिक मामलों में अधिक प्रभाव बढ़ाते हैं, और अन्य देशों की उन पर निर्भरता बढ़ाते हैं।


सुरक्षा : एक IGO जैसे NATO मैं सदस्यता सदस्य देशों को सुरक्षा लाभ प्रदान करती है। यहां राजनीतिक अंतर हटाने का एक मंच प्रदान किया जाता है।


लोकतंत्र : सदस्य देशों में लोकतंत्र का अधिकतर स्तर देखा गया है और वे लोकतंत्र अधिक समय तक टिके रहते हैं।

 इतिहास


1814 - 1815 के वियना कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण उदाहरण है जो अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सम्मेलन था। यह फ्रांसिस सम्राट नेपोलियन के पतन के बाद यूरोपीय राजनीतिक व्यवस्था को पुनर संचयित करने के लिए हुआ था। 1648 मे हुए वेस्टफालिया संधि के बाद राज्यों ने अपने संप्रभुता को बनाए रखने की प्राथमिकता बना ली थी।

1865 मे स्थापित International Telecommunication Union (ITU) पहले और सबसे पुराना अंतरराष्ट्रीय संगठन है। 1920 मे स्थापित हुई League Of Nations द्वारा विश्व युद्ध के बाद विश्व शांति की रखरखाव करने का मुख्य कार्य होता था। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई जो विश्व युद्ध के बाद की गई थी।

संयुक्त राष्ट्र संघ(United Nation Organization):- 

यह एक International Organization है, इसे द्वितीय विश्व युद्व(Second World War) के बाद वर्ष 1945 में विश्व में अशांति के माहौल को समाप्त करने एवं विश्व में शांति लाने के लिए इसकी स्थापना की गयी। इसकी भाषाएं है- अरबी, चीनी, अंग्रेजी, फ्रेंच, रूसी और स्पेनिश ये अधिकारिक भाषाएं हैं। 


उददेश्य(What is the Purpose) :- International Security, सामाजिक प्रगति(social progress), आर्थिक विकास, मानवाधिकार, विश्व शांति आदि के लिए काम करना। इसमें वर्तमान में 193 देश है। इसकी संरचना में महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय शामिल हैं। 

सुरक्षा परिषद(Security Council):- इसकी जिम्मेदारी है International शांति और सुरक्षा बनाना। इसमें 15 सदस्य होते हैं- 10 अस्थाई (जो हर 2 साल के लिए चुने जाते हैं) होते हैं, 5 स्थाई सदस्य(चीन, फ्रांस, रूस, ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका) है भारत भी स्थाई सदस्यता के लिए प्रयास कर रहा है। 5 स्थाई सदस्यों को वीटो पॉवर(veto power) प्राप्त है। 

यूरोपीय संघ(European Union):-  यह यूरोप के 27 देशों का एक राजनैतिक एवं आर्थिक मंच है इसकी प्रचलित मुद्रा यूरो है। यूरोपीय संघ ने कानूनों के माध्यम से आंतरिक एकल बाजार(Internal Single Market) विकसित किया है ये सभी सदस्य देशों पर लागू होता है इसके 21 देश नाटो(NATO) के भी सदस्य है। इसे 2012 में शांति के लिए नोबल पुरस्कार भी मिला है। 

विलय संधि(Merger Treaty)(1965):- ब्रुसेल्स में हुए एक समझौते के अनुसार तीन समुदाय ECSC(European coal and Steel Community), EAEC(European Atomic Energy Community), EEC(European Economic Community) को मिलाकर यूरोपीय समुदाय/ यूरोपीय संघ की स्थापना हुई। 

शेंगेन समझौता(Schengen Agreement - 1985):- शेंगेन समझौता में ज्यादातर सदस्य राज्यों के बीच बिना पासपोर्ट नियंत्रण(Without passport Controls) के सीमाएं खोली गईं। 

अरब लीग(Arab League):  यह North अफ्रीका, पूर्वोत्तर(Northeast) अफ्रीका और साउथ वेस्ट एशिया के अरब राज्यों का क्षेत्रीय संगठन है इसका गठन 1945 को हुआ। Administrative Center/ मुख्यालय- काहिरा में है, इसमें 22 सदस्य है, विधानमण्डल - अरब संसद है। 

उददेश्य(What is the purpose):- सदस्य देशों के मध्य संबंध और अच्छे करना, राजनीतिक समन्वय(Coordination) स्थापित करना, सदस्यों के मध्य या तीसरे पक्ष के मध्य विवादों को सुलझाना। 

हाल ही में फिलिस्तीन और कतर न अरब लीग की नियमित Session की अध्यक्षता करने से मना कर दिया, क्योंकि UAE और इजराइल ने वांशिगटन में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये है जिसका अरब लीग ने स्वागत किया, लेकिन फिलिस्तीन और कतर इस कदम से नराज हैं। 

अफ्रीकी संघ(African Union):यह 55 अफ्रीकी देशों का एक संघ है यह 2002 में स्थापित हुआ इसका सचिवालय अदीस अबाबा(इथोपिया) में है। इसका औपचारिक नाम Organization Of African Union  है। 

उददेश्य(Purpose):

  • अफ्रीकी राज्यों में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देना है, 
  • अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्सहित करना, 
  • अफ्रीकी लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना है। 
  • अफ्रीका से हर तरह के उपनिवेशवाद(colonialism) को खत्म करना
लेकिन क्षेत्रीय राजनीतिक(regional political), आर्थिक व शरणार्थी(Refugees) समस्याओं को सुलझाने में Organisation of African Unity  की कोई प्रभावी भूमिका नहीं रही। 

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन(आसियान):- यह 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह है जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्वि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता(Stability) बनाये रखने के लिए काम करते है। यह एशिया- प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों(Colonial Nations) के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक या सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देता है। इसका मुख्यालय जर्कार्ता(इंडोनेशिया) में है इसकी स्थपना- 1967, भाषा- अंग्रेजी है। इसकी बैठक हर साल होती है। 

What is the purpose of international organizations in Hindi?(अंतरराष्ट्रीय संगठनों का उद्देश्य क्या है?)



भारत आसियान देशों से सहयोग करने और Connectivity बनाये रखने के लिए इच्छुक है। आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 

आसियान प्लस तीन(Asian Plus 3):-. यह मंच है जो आसियान के सदस्य देशों तथा 3 पूर्वी एशियाई(east Asian) देशों जापान, चीन, दक्षिण कोरिया के मध्य सामंजस्य(Adjustment) का काम करता है। 

1976 में दक्षिण पूर्व एशिया एमिटी और सहयोग संधि(TAC) में Asian के मूलभूत सिद्वांत शामिल किये गयेः- 

  • एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना।
  • स्वतंत्रता, संप्रभुता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता और सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान के लिए पारस्परिक सम्मान।
  • बहरी हस्तक्षेप या जबरदस्ती से मुक्त अपने राष्ट्र अस्तित्व का नेतृत्व का प्रत्येक राष्ट्र का अधिकार। 
  • शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद या विवादों का निपटारा, शक्ति का उपयोग करने की चेतावनी को समाप्त करना। 

आसियान- दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार, विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था। मुक्त व्यापार समझौते(FTA)  यह चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ समझौता। भारत और आसियान देशों के Private Sector के प्रमुख उद्यमियों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2003 में Asian India-business Council(AIBC) की स्थापना की गई थी। 

राष्ट्र संघ(League of nations):- यह UNO के पूर्ववर्ती( Previous) के रूप में गठित एक अन्तरशासकीय(intergovernmental) संगठन है इसके प्राथमिक लक्ष्यों में सामूहिक सूरक्षा(collective security) द्वारा युद्व को रोकना, निशस्त्रीकरण(disarmament) तथा अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का बातचीत एवं मध्यस्थता(Mediation) द्वारा समाधान निकालना। 

यह 1930 के दशक में संघ धूरी राष्ट्रों के आक्रमण को रोकने में अक्षम(disabled) सिद्व हुआ। पेरिस शांति सम्मेलन 1919 इसमें राष्ट्र संघ की स्थापना की नींव रखी गयी, अमेरिकी राष्ट्रपति विल्सन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1920 में राष्ट्र संघ को वैधानिकता(legality) मिली। शुरूआत में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने वाले 32 देशों थे बाद में इनकी संख्या 55 हो गयी।

इसकी असफलता के कारण- 

  • इसके सदस्य राष्ट्रों द्वारा इस पर विश्वास नहीं किया जाना था। League of Nations की नींव अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रखी गयी, मगर अमेरिका जैसे प्रभावशाली देश इसके सदस्य नहीं थें। 
  •  शुरूआत में जर्मनी को इसका सदस्य बनाया गया था, लेकिन वर्साय की संधि के चलते जर्मनी ने कभी भी राष्ट्र संघ का साथ नहीं दिया, तानाशाही शासक हिटलर अपने इस अपमान का बदला लेना चाहता था।
  • इटली के शासक मुसोलिनी विश्व शांति के सिद्वांत में यकीन नहीं रखता था। 

राष्ट्रमण्डल या राष्ट्रकुल(Commonwealth Countries):- यह एक पद है जिसका मतलब है राजनैतिक समुदाय। स्थापना - 1931। 

राष्ट्रमण्डल उन देशों का समुह है जो किसी ना किसी रूप में कभी ब्रिटेन से जुड़े रहे है इस देशों पर औपनिवेशिक काल(colonial period) के दौरान ब्रिटेन का शासन था और बाद में ये आजाद हो गये। भारत भी इसका सदस्य है। 54 स्वतंत्र राज्यों का एक संघ है जिसमें सभी राज्य ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा थे। (मोजाम्बिक और UK  छोड़कर) इसका मुख्यालय लंदन में है।

इन देशों का कोई संविधान या चार्टर नहीं है इसकी बैठक हर दो साल में होती है।

उददेश्य(What is the purpose) :- लोकतंत्र, साक्षरता, मानवाधिकार, बेहतर प्रशासन, मुक्त व्यापार, विश्व शांति को बढ़ावा देना। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हर 4 साल में होने वाले राष्ट्रमण्डल खेलों और बैठकों में भाग लेती है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ