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भारत की नागरिकता कैसे मिलती है व नागरिकता कैसे समाप्त होती है

नागरिकता क्या है- नागरिकता एक विशेष प्रकार का अधिकार है जो देश अपने नागरिकों को देता है, जैसे उन्होंने वोट देने का अधिकार, नौकरी करने का अधिकार, राजनीतिक अधिकार। नागरिकता का सबसे पहले वर्णन अरस्तु द्वारा किया गया है।

एक ऐसा पूर्ण सदस्य(Member) जिसे उस देश के सभी सिविल(Civil) और राजनैतिक अधिकार(Political Right) प्राप्त होते हैं। 

भारत(India) ने एकल नागरिकता(Single Citizenship) को अपनाया है, जिसमें राज्यों को कोई अलग नागरिकता की व्यवस्था नहीं है, संघीय व्यावस्था(Federal System) के बावजूद भी, क्योंकि हम चाहते हैं कि हमारे देश में एकता(Unity), अखण्डता(Integrity), भाईचारा(brotherhood) बना रहे।   

दोहरी नागरिकता कहां है ? :- जबकि अमेरिका और स्विट्जरलैंड जैसे संघीय व्यवस्था वाले देश में दोहरी नागरिकता(Dual Citizenship) का प्रावधान है। अमेरिका का हर व्यक्ति अमेरिका का नागरिक तो है ही साथ ही वह उस राज्य विशेष का भी नागरिक होता है जहां पर वह निवास(Residence) करता है। इस तरह उसे दोहरी नागरिकता प्राप्त है।



भारत की नागरिकता कैसे मिलती है : नागरिकता कैसे समाप्त होती है: citizenship of India in Hindi : नागरिकता के लिए संवैधानिक प्रावधान

नागरिकता का प्रमाण क्या है ? :- 

भारत में नागरिकता का प्रावधान संविधान के भाग-2 में अनुच्छेद(Article) 5 से 11 तक में हैं। 

Article(अनुच्छेद) -5 :- संविधान के प्रारंभ (26 जनवरी, 1950) में कुछ शर्तों(Conditions) के साथ नागरिकता। इनमें से किसी 1 शर्त के साथ नागरिकता प्राप्त हो सकती है। 

  1. वह व्यक्ति जिसका जन्म भारत में हुआ हो। 
  2. किसी का जन्म बाहर हुआ हो और उसके माता-पिता का जन्म भारत में हुआ हो तो उसे नागरिकता मिल जायेगी।
  3. कोई व्यक्ति संविधान लागू(26 जनवरी, 1950 से) के 5 साल पहले से भारत में रह रहा हो तो उसे नागरिकता मिल जायेगी। जैसे- एनी बेसेन्ट। 

Article(अनुच्छेद)-6 :- पाकिस्तान से भारत आये व्यक्ति, वह व्यक्ति जो 19 July, 1948 (Permit नियम लागू होना) से पहले भारत आया हो तो उसको नागरिकता प्राप्त हो सकेगी, लेकिन जो 19 July, 1948 के बाद पाकिस्तान से भारत आता है तो Permit नियम में Registration कराने के 6 माह बाद भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकेगा।  

Article(अनुच्छेद)-7 :- भारत से पाकिस्तान गये व्यक्ति के लिए नागरिकता। वह व्यक्ति जो 1 मार्च 1947 के बाद( 19 July, 1948 से पहले) पाकिस्तान गया हो, लेकिन वह फिर वापस भारत आ जाये तो 6 माह का Registration कर वह भारत का नागरिक बन सकेगा। 

Article(अनुच्छेद)-8:- यदि कोई माता-पिता भारत के नागरिक है और उनका बच्चा भारत के बाहर रह रहा हो तो वह भी भारत की नागरिकता प्राप्त कर सकेगा। 

Article(अनुच्छेद)-9 :- यदि कोई भारतीय नागरिक अपनी इच्छानुसार(at choice) किसी दूसरे देश की नागरिकता(Citizenship) प्राप्त करता है तो उसकी भारतीय नागरिकता समाप्त हो जायेगी। 

Article(अनुच्छेद)-10:- किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता तब तक बरकरार रहेगी जब तक कि उसके द्वारा देशद्रोही(anti-national) या ऐसा कार्य करना जिसको संसद ने मना किया हो। 

Article(अनुच्छेद)-11:- नागरिकता से संबंधित कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है( मंत्रालय-गृह मंत्रालय)

 

नगरिकता के लाभ(Benefits of Citizenship):- भारतीय संविधान के अनुच्छेद(Article) 15, 16, 19, 29 और 30 के अन्तर्गत प्राप्त मौलिक अधिकार एवं ये अनुच्छेद केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं- 

  • Article(अनुच्छेद)-15 :-  धर्म, मूलवंश(race), जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव(discrimination) को रोकना। 

  • Article(अनुच्छेद)-16 :- लोक नियोजन(Public planning) के विषय में अवसर की समता(Equality of opportunity)। 

  • Article(अनुच्छेद)-19:- 

    1.  वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता(Freedom of speech and expression)            
    2.  शांतिपूर्वक सम्मेलन का अधिकार। 
    3.  सहकारी समितियां(Co-operative Societies) बनाने का अधिकार। 
    4.  भारत के राज्यक्षेत्र(Territory) में संचरण(Transmission) का अधिकार। 
    5. भारत के राज्यक्षेत्र में निवास(Residence) करने का अधिकार। 
    6. कोई भी व्यवसाय करने का अधिकार। 

  • Article(अनुच्छेद) - 29 :- अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण(Protection of interests of minorities)। 

  • Article(अनुच्छेद)-30 :- शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार। 

मतदान देने का अधिकार :- किसी लोकतांत्रिक देश में मतदान देने का अधिकार बहुत बहत्वपूर्ण होता है। यह नागरिकों के लिए सरकार चुनने के लिए शक्ति है। 

चुनाव लड़ने का अधिकार :- भारत का कोई भी नागरिक किसी भी प्रमुख पद पर यदि वह उस योग्यता को Fulfil करता हो तो चुनाव लड़ सकता है। 

साथ ही नागरिकों को अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी पालन करना होता है। 

भारत में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक जन्म से या प्राकृतिक रूप से भी हो तो राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन अमेरिका में केवल जन्म से नागरिक ही राष्ट्रपति बन सकता है। 

भारत की नागरिकता कैसे मिलती है : नागरिकता कैसे समाप्त होती है: citizenship of India in Hindi : नागरिकता के लिए संवैधानिक प्रावधान


भारतीय  नागरिकता कितने तरीकों से प्राप्त की जा सकती है? -

 26 जनवरी, 1950 को जब संविधान लागू हुआ तो संविधान निर्माताओं ने तय किया कि कौन व्यक्ति भारत का नागरिक होगा, उसके बाद भारत की नागरिकता तय करने के लिए संसद को Power दी गयी है। इसी तरह भारतीय संसद ने भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया।

नागरिकता अधिनियम , 1955 के प्रमुख प्रावधानों की विवेचना कीजिए ?:- 

इसमें बताया गया है कि कोई व्यक्ति भारत की नागरिकता कैसे प्राप्त कर सकता है, इसके लिए 5 प्रावधान किये गये हैं (नागरिकता अधिनियम, 1955 को कितनी बार संशोधित किया गया है ?- इसमें 1986, 1992, 2003, 2005, व 2015 में संशोधन किये जा चुके हैं)- 

  1. जन्म से(By birth) 
  2. वंश के द्वारा(By descent)
  3. पंजीकरण द्वारा(by Registration)
  4. देशीयकरण/ प्राकृतिकरण द्वारा(By naturaliasation)
  5. राज्य क्षेत्र के समावेश द्वारा(By incorporation of territory)

जन्म से(By birth) :- कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत में हुआ हो उसको भारत का नागरिक माना जायेगा यदि उसके माता-पिता या इन दोनों में से कोई भारत का नागरिक है तो, इन दोनों में से कोई अवैध प्रवासी(Illegal migrants) नहीं होना चाहिए। 

वंश के द्वारा नागरिकता (By descent) :- यदि कोई भारत के बाहर जन्म लेता है तो जन्म के समय उसके माता-पिता भारतीय नागरिक है तो उसे नागरिक माना जायेगा उसके लिए 1 वर्ष के अन्तर्गत उसका Registration होना चाहिए।(भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत वंश के आधार पर नागरिकता का आधार पिता को माना गया था, लेकिन 1992 में संशोधन कर माता और पिता दोनों को माना जाने लगा। 

पंजीकरण द्वारा नागरिकता (by Registration) :- केन्द्र सरकार किसी भी व्यक्ति(अवैध प्रवासी ना हो) के आवेदन प्राप्त होने पर भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है, जो निम्न श्रृणियों में से किसी से संबंधित हो- 

  1. भारतीय मूल का व्यक्ति (या भारतीय नागरिक से विवाह किया हो), जो नागरिकता प्राप्ति का आवेदन देने से ठीक पूर्व 7 वर्ष भारत में रह चुका हो। यानी वह आवेदन भरने से पहले वह भारत में 7 साल से रह रहा हो। 
  2. भारतीय नागरिक के नाबालिग बच्चें। 
  3. कोई व्यक्ति, जो पूरी आयु तथा क्षमता का हो उसके माता-पिता भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हों। 

देशीकरण/प्राकृतिक रूप से नागरिकता क्या है (By naturaliasation) :- केन्द्र सरकार किसी भी व्यक्ति(अवैध प्रवासी ना हो) प्राकृतिक रूप से आवेदन प्राप्त होने पर भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है, लेकिन वह व्यक्ति निम्न योग्यताएं रखता हो- 

  1.  वह संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लेखित(mention) भाषाओं का अच्छा जानकार हो। 
  2.  वह ऐसे देश से संबंधित ना हो, जहां भारतीय नागरिक प्राकृतिक रूप से नागरिक नहीं बन सकते। 
  3.  वह किसी अन्य देश का नागरिक हो और उसको भारतीय नागरिकता प्राप्त होने पर, उसे उस देश की नागरिकता त्यागनी पड़ेगी। 
  4. वह नागरिकता संबंधित आवेदन देने से पूर्व 12 माह से लगातार भारत में रह रहा हो। 
  5. वह पिछले 14 वर्षों में से कम से कम 11 वर्ष भारत में रहा हो। 
  6. उसका चरित्र अच्छा होना चाहिए। 

उपर्युक्त योग्यताओं की अंतिम शक्ति भारत सरकार के पास होती है। 

राज्य क्षेत्र के समावेशन द्वारा(By incorporation of territory) :- जब कोई विदेशी क्षेत्र भारत का हिस्सा बनता है तो भारत सरकार उस क्षेत्र से संबंधित विशेष व्यक्तियों को भारत का नागरिक घोषित करती है। जैसे- सिक्किम, पांडिचेरी।

नागरिकता कैसे समाप्त होती है ?:-

नागरिकता कितने प्रकार से समाप्त हो सकती है ?(Termination of citizenship):- भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में नागरिकता समाप्त होने के तीन कारण बताये गये हैं- 

  1. स्वेच्छा से त्यागना(to give up voluntarily)
  2. बर्खास्तगी के द्वारा (By dismissal)
  3. वंचित करने के द्वारा(by depriving)

स्वैच्छिक रूप से त्याग करना:- अपनी स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता छोड़ा जा सकता है, घोषणा(Declaration) करके, लेकिन भारत सरकार युद्व के समय उसके पंजीकृत को एक तरफ रख सकती है। जब कोई व्यक्ति नागरिकता छोड़ता है तो उसके नाबालिग बच्चे भी नागरिक नहीं रहते है हां यदि इन बच्चों की उम्र 18 या 18 से ज्यादा हो जाये तो ये नागरिक बन सकते हैं।

बर्खास्तगी के द्वारा :- कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वयं ही बर्खास्त हो जायेगी, क्योंकि भारतीय नागरिकता में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है। भारत का युद्व में व्यस्त होने पर यह प्रावधान लागू नहीं होता है। 

वंचित करने के द्वारा :- भारत सरकार भारतीय नागरिकता को बर्खास्त कर सकती है यदि- 

  1. उसके द्वारा फर्जी तरीके से नागरिकता ली गयी हो, संविधान के प्रति अनादर जताया हो। 
  2. यदि वह युद्व के दौरान शत्रु के साथ संबंध बना रहा हो, राष्ट्र विरोधी सूचना दे रहा हो 
  3. पंजीकरण या प्राकृतिक रूप से प्राप्त नागरिकता में 5 साल के दौरान उसे किसी देश में 2 वर्ष की सजा दी गयी हो। यानी जिन्होंने अभी नागरिकता पाई हो और उसके 5 साल के भीतर 2 वर्ष की सजा हो जाए।
  4. नागरिक सामान्य रूप से भारत के बाहर 7 वर्षों से रह रहा हो।
भारतीय लोग अपनी नागरिकता क्यों छोड़ रहे हैं:-

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2021 में 1.6 लाख से ज्यादा भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी,

2020 में 85,256 लोगों ने नागरिकता छोड़ी, 

2019 में 1.4 लाख से ज्यादा लोगों ने नागरिकता छोड़ी।

भारतीय नागरिकता छोड़ भारतीय लोग सबसे ज्यादा USA(78,284), ऑस्ट्रेलिया(23,533) कनाडा (21,597) और UK(14,637) आदि में जा रहे हैं।

कारण:- 

सामाजिक आर्थिक स्थिति के आधार पर बदलाव,

स्वतंत्रता से पहले :- भारतीय लोग जबरन मजदूरी, गिरमिटिया मजदूरी, अनुबंधित मजदूरी आदि कारणों से भारत छोड़ते थे।

स्वतंत्रता के बाद:- भारतीय लोग बेहतर नौकरी की तलाश, बेहतर काम की तलाश आदि कारणों से वे विकसित देशों में जा रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन जलवायु संबंधित आपदाओं के बढ़ने से लोग बेहतर स्थान की तलाश में है।


वैश्विक धन प्रवासन समीक्षा 2020 :-
   के अनुसार अमीर लोग : अवसरों की कमी, देश में बढ़ती अपराधिक डर के कारण नागरिकता छोड़ रहे हैं।

"गोल्डन वीजा" कार्यक्रम :-  

  • निवेश के आधार पर नागरिकता का प्रावधान,
  • इसका मकसद धनी विदेशी नागरिकों को आकर्षित करना है,
  • नागरिकता छोड़ने के संबंध में कानूनी प्रावधान | 

भारतीय संविधान में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था नहीं है यानी विदेशी नागरिकता व भारतीय नागरिकता एक साथ नहीं ले सकते।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद -9 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है तो उसकी भारतीय  नागरिकता स्वयं ही समाप्त हो जाएगी।

OCI क्या है इन हिंदी :- 2000 में एल. एम.  संघवी  की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया जिसका काम था :- भारतीय प्रवासी प्रवासियों का अध्ययन करना | 

इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारत सरकार ने "ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया" (OCI) की व्यवस्था शुरू की।

OCI  के अनुसार जो व्यक्ति 15 अगस्त, 1947 को भारत के नागरिक थे या नागरिक बनने के योग्य थे लेकिन बाद में उन्होंने नागरिकता छोड़ दी तो वह OCI  के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

अपवाद:-  पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों को OCI  कार्ड जारी नहीं किया जा सकता।

आम भाषा में OCI की व्यवस्था दोहरी नागरिकता की है, लेकिन कानूनी तौर पर भारत में दोहरी नागरिकता की कोई व्यवस्था नहीं है |  

OCI कार्ड धारकों को नागरिकों के सभी अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं जैसे :- वोट देने का अधिकार प्राप्त ना होना।

अनुच्छेद-11 के तहत भारतीय संसद नागरिकता संबंधी प्रावधान बना सकती है (नागरिकता  अधिनियम 1955)।

आगे की राह :-  लाखों लोग नागरिकता छोड़ते हैं तो हजारों लोग नागरिकता प्राप्त भी कर लेते हैं (2017 से 2022 के बीच 5220 विदेशियों को भारतीय नागरिकता मिली)

इसलिए यह इतना चिंता का विषय नहीं है लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की समस्या के कारण कोई भी देश ना छोड़े,

देश में जो talent  है वह केवल सुविधा के अभाव में बाहर ना जाए क्योंकि यह Talent (टैलेंट) अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए सरकार को "सुविधा के विकास" पर जोर देना चाहिए।

नागरिकता प्राप्त करने के बारे में जानकारी(FAQs): 

Q. नागरिकता कहां से लिया गया है ?   
A. नागरिकता का concept इंग्लैण्ड से लिया गया है 

Q. क्या भारतीयों को दोहरी नागरिकता मिलती है?
A. भारत में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं है, बल्कि एकल नागरिकता का प्रावधान है|

Q. कितने देश में दोहरी नागरिकता है?  
A. दोहरी नागरिकता अमेरिका and स्विट्ज़रलैंड में है | 

Q. नागरिकता का प्रावधान कहाँ से लिया गया है? 
A. नागरिकता का प्रावधान इंग्लॅण्ड से लिया गया है| 

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