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Article 19 in Hindi(अनुच्छेद-19-क्या है)

अनुच्छेद(Article) :-19  जब हमारा संविधान बन रहा था उस वक्त इस बात पर बहुत जोर दिया गया कि हमारा देश 200 सालों से ज्यादा विदेशी Control में रहा था जिसमें Fundamental Rights जैसी कोई चीज की Value नहीं थी इसी को ध्यान में रखते हुए काफी बहस हुई कि नागरिकों को कौन-कौन से मौलिक अधिकार दिये जायें। जिसमें अनुच्छेद 19 के संबंध में भी बहस हुई।

अनुच्छेद 19 केवल नागरिकों को राज्य के खिलाफ प्राप्त है । यह नागरिकों को अधिकारों की गारंटी देता है तो साथ ही राज्य को भी युक्तियुक्त प्रतिबंध(Reasonable Restrictions) लगाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को 6 अधिकारों की गारंटी देता है-

  1. वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता(Freedom of speech and expression)      
  2.  शांतिपूर्वक सम्मेलन का अधिकार। 
  3.  सहकारी समितियां(Co-operative Societies) बनाने का अधिकार। 
  4.  भारत के राज्यक्षेत्र(Territory) में संचरण(Transmission) का अधिकार। 
  5. भारत के राज्यक्षेत्र में निवास(Residence) करने का अधिकार। 
  6. कोई भी व्यवसाय करने का अधिकार।

जब संविधान बना उस वक्त इसमें 7 अधिकार थे, लेकिन सम्पत्ति के अधिकार को 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा समाप्त कर दिया गया है।

What is Article 19 in Hindi


इन अधिकारों की रक्षा केवल राज्य के खिलाफ मामले में है ना कि निजी मामलों में। ये केवल नागरिकों को प्राप्त है ना कि विदेशियों को :-

1. वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता :-

यह प्रत्येक नागरिक को बोलने , मोन रहने की, मत देने, पुतला, RTI आदि की आजादी है।
उच्चतम न्यायालय ने वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में निम्नलिखित को शामिल किया गया है-
प्रेस की स्वतंत्रता,

फोन टैपिंग के विरूद्व अधिकार,

अपने या किसी अन्य के विचारों को प्रसारित करने का अधिकार,

व्यावसायिक विज्ञापन की स्वतंत्रता,

प्रसारित करने का अधिकार यानी सरकार को इलैक्ट्रॉनिक मीडिया पर एकाधिकार नहीं है,

सरकारी गतिविधियों की जानकारी का अधिकार,

शांति का अधिकार, 

किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा आयोजित बंद के खिलाफ अधिकार,

किसी अखबार पर पूर्व प्रतिबंध के विरूद्व अधिकार,

प्रदर्शन एवं विरोध का अधिकार, लेकिन हड़ताल का अधिकार नहीं है।

राज्य द्वारा इस स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है। 

आधार- भारत की एकता और संप्रभुता राज्य की सुरक्षा, लोक-हित, न्यायालय की अवमानना, विदेशी राज्यों की साथ मित्रवत संबंध।

2. शांतिपूर्वक सम्मेलन की स्वतंत्रता- 

किसी भी नागरिक को बिना हथियार के शांतिपूर्वक संगठित होने का अधिकार है। इसमें सार्वजनिक बैठकों में भाग लेने एवं प्रदर्शन करने का अधिकार शामिल है।  इस अधिकार में हड़ताल का अधिकार शामिल नहीं है। इस स्वतंत्रता का प्रयोग केवल सार्वजनिक भूमि पर बिना हथियार के किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रहे यह स्वतंत्रता हिंसा, अव्यवस्था, गलत संगठन एवं सार्वजनिक शांति भंग करने के लिये नहीं है।

यदि कानूनी प्रक्रिया को रोकना, कुछ लोगों की सम्पत्ति को बलपूर्वक कब्जा करना, किस आपराधिक कार्य की चर्चा,  किसी व्यक्ति पर गैर-कानूनी काम के लिए दबाव, सरकार या उसके कर्मचारियों को उनकी विधायी शक्तियों के प्रयोग हेतु धमकाना जैसे कामों के लिए IPC की धारा 141 के तहत 5 या उससे अधिक लोगों का संगठन गैर-कानूनी हो सकता है।
 
प्रतिबंध- भारत की एकता अखण्डता और लोक व्यवस्था।

3. संगठन यासहकारी समितियां बनाने का अधिकार-

प्रत्येक नागरिक को संगठन या सहकारी समितियों को बनाने का अधिकार है जैसे राजीनतिक दल बनाना, कम्पनी, क्लब, संगठन, व्यापार संगठन आदि बनाना। यह संघ बनाने का अधिकार तो देता ही है साथ ही उन्हें संचालित करने का अधिकार भी देता है।

 प्रतिबंध- भारत की एकता एवं सम्प्रभुता, लोक व्यवस्था एवं नैतिकता

सहकारी समिति शब्द 97 वें संविधान संशोधन, 2011 में जोड़ा गया है।

4. भारत के राज्य क्षेत्र में संचरण करने का अधिकार-

यह प्रत्येक नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में घूमने का अधिकार देता है यह स्वतंत्रतापूर्वक एक राज्य से दूसरे राज्य में या एक ही राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमने का अधिकार देता है। इससे पता लगता है कि भारत नागरिकों के लिए है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सोच को बढ़ावा देना है।

उच्चतम न्यायालय ने इसमें व्यवस्था दी है कि वेश्या के कहीं भी घूमने के अधिकार को सार्वजनिक नैतिकता एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के आधार पर प्रतिबंधित किया जा सकता है। बम्बई उच्च न्यायालय ने एड्स पीड़ित व्यक्ति के घूमने पर प्रतिबंध को सही बताया।

प्रतिबंध- आम लोगों का हित, किसी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में बाहर के लोगों के आने को रोका जा सकता है, उनकी विशेष संस्कृति, भाषा, रिवाज और जनजातिय प्रावधानों के संरक्षण के लिए।

5. निवास का अधिकार- 

प्रत्येक नागरिक को देश के किसी भी हिस्से में निवास करने का अधिकार है। इस अधिकार के 2 भाग हैं- 
1. देश के किसी भी हिस्से में रहने का अधिकार- इसका मतलब है कि कहीं भी अस्थाई रूप से रहना।
2. देश के किसी भी हिस्से में व्यवस्थित होने का अधिकार- इसका मतलब है कि वहां घर बनाना या स्थायी रूप से बसना।

इस अधिकार का मतलब है कि देश के अन्दर रूकावटों को समाप्त करना ताकि राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया जाये।

प्रतिबंध- आम लोगों का हित, किसी भी अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में बाहर के लोगों के आने को रोका जा सकता है, उनकी विशेष संस्कृति, भाषा, रिवाज और जनजातिय प्रावधानों के संरक्षण के लिए।

6. कोई भी व्यवसाय करने का अधिकार- 

सभी नागरिकों को किसी भी व्यवसाय को करने, पेशे को अपनाने एवं व्यापार शुरू करने का अधिकार देता है। इस अधिकार का दायरा बहुत बड़ा है क्योंकि यह जीवन निर्वहन(Living Life) एवं आय से संबंधित है।

प्रतिबंध- तकनीकी योग्यता के आधार पर (जैसे अपना जीवन यापन करने के लिए हर व्यक्ति डॉक्टर नहीं बन सकता है)

राज्य ऐसे अनैतिक कार्यों जैसे महिलाओं या बच्चों का दुरूपयोग या खतरनाक जैसे हानिकारक दवाइयां या विस्फोटक आदि व्यवसायों को प्रतिबंध लगा सकता है।


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