1874 Marriage Woman Property Rights Act(स्त्रीधन) इसमें महिला के माता-पिता के द्वारा महिला को शादी के समय जो धन मिलता है यानी दहेज देना।
1928 में Hindu inheritance(Removal of Disability) Act इसके तहत हिन्दुओं में जो उत्तराधिकार में जो अयोग्यता के आधार को हटाने का Provision किया गया है यानी महिलाओं को भी सम्पत्ति में अधिकार मिलना चाहिए।
1937 में Deshmukh act के तहत स्त्रीधन पर स्त्रियों को absolute rights है यह इस धन को महिला द्वारा बेचा भी जा सकता है और सम्पत्ति में महिला का Limited estates का दर्जा प्राप्त है यानी इसके तहत महिला अपनी इच्छा से इस सम्पत्ति को बेच नहीं सकती है हां यदि सम्पत्ति बिकती है तो उसको हिस्सा मिल जायेगा।
1941 में बी.एन.राव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी जिसका नाम था Hindu Law Committee क्योंकि उस वक्त इस विषय पर बहुत चर्चा चल रही थी कि विधवा और बेटी के अधिकार को लेकर एवं हिन्दु पति दूसरी महिला से शादी कर ले तो दूसरी पत्नी को गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए या नहीं।
इस कमेटी ने 1944 में अपनी रिपोर्ट दी, फिर इसी से संबंधित 1944 में दूसरी कमेटी बनाई गयी जिसके अध्यक्ष थे बी. एन. राव ही थे। इस कमेटी द्वारा Hindu Code bill पर फरवरी, 1947 में रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी।
जैसे ही यह रिपोर्ट असेम्बली में पहूंची तो इसके लिये एक Select कमेटी बनाई गई जिसके अध्यक्ष थे बी.आर.अम्बेडकर थे इस Hindu Code bill में तलाक, एक ही विवाह, संयुक्त family में सम्पत्ति आदि का प्रावधान किया गया।
जब Hindu Code bill पास नहीं हुआ क्योंकि आपस में मतभेद चल रहे थे एवं बी.आर.अम्बेडकर इसको पास कराने के पक्ष में थे आपस में मतभेद के चलते उन्होंने कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू Hindu Code bill के वादे के साथ चुनाव लड़े और वे चूनाव जीत गये।
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