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संघ लोक सेवा आयोग : UPSC in hindi

भारतीय संविधान के भाग-14 व अनुच्छेद 315 से 323 तक संघ लोक सेवा आयोग की व्यवस्था की गयी है, यह एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था(यानी यह संस्था ना ही विधायिका में, ना ही कार्यपालिका में, ना ही न्यायपालिका के अन्तर्गत आती है) है, 

जो एक लोकतंत्र के आधार को मजबूत करता है इसके द्वारा कोई भी अमीर-गरीब अपनी योग्यता के दम पर किसी भी पद पर जा सकता है, क्योंकि पहले राजतंत्र में पदों पर भर्ती वंशानुगत हुआ करती थी जिससे आम जनता की पहूंच वहां नहीं हो पाती थी।

यह केन्द्र सरकार के शीर्ष पदों पर भर्ती करता है। यह मेरिट पद्वति का प्रहरी है यानी जो सबसे ज्यादा योग्यता रखता हो वो उसी पद पर जाये, जो जितनी योग्यता रखता हो वह उसी पद  पर जाये।

इस संस्था की आवश्यकता क्यों- ये संस्था प्रशासन को निष्पक्ष संस्था प्रदान कर राजनीतिक संस्थाओं के दबाव से बचाती है। यह योग्यता के आधार पर भर्ती करता है जिस व्यक्ति में योग्यता है उसका चयन करना। चाहे वह किसी नेता के परिवार से संबंधित हो या किसी गरीब परिवार से संबंधित हो।

लोक सेवा को राजनीति से अलग रखना तथा भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद से दूर रखना। लोक सेवा के मामले में सरकार को तकनीकी सलाह प्रदान करना।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि- 

भारत शासन अधिनियम, 1919 के अधीन 1926 में लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।

1935 के अधिनियम के अधीन फेडरल लोक सेवा आयोग की स्थापना की गयी बाद में संविधान लागू होने के बाद यही लोक सेवा आयोग कहलाने लगा।

अनुच्छेद-315 में संघ के लिये एक संघ लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिये राज्य लोक सेवा आयोग के स्थापना का प्रावधान है।

संरचना- यह अध्यक्ष और कुछ अन्य सदस्य, संविधान में सदस्यों की संख्या का उल्लेख नहीं है ना ही योग्यता का। सामान्यतः अध्यक्ष सहित 9-11 सदस्य होते है इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक है।

निष्कासन- 

  • कदाचार के कारण।
  • सुप्रीम कोर्ट पहले जांच करेगा फिर उस पर प्रतिवेदन देगा कि यह आरोप सही है, कदाचार का दोषी है जिसके बाद राष्ट्रपति द्वारा उसे हटा दिया जाता है। राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानने के लिये बाध्य है।

What is UPSC in hindi

ये संस्था कैसे स्वतंत्र है-

  •  इसमें अध्यक्ष व सदस्यों को हटाने की प्रक्रिया यानी सुप्रीम कोर्ट के प्रतिवेदन द्वारा ही हटाया जाना।
  • सेवा शर्तें।
  • भारत की संचित निधि पर भारित वेतन-भत्ते(इसमें लोकसभा में मतदान नहीं होता है)।
  • सेवा निवृत्त के बाद नियोजन का पात्र नहीं होना(कोई सदस्य एक बार सेवा निवृत्त होने के बाद किसी केन्द्र या राज्य सरकार के नियोजन का पात्र नहीं होगा)।

कार्य- डॉ मुतालिब ने आयोग के कामों को तीन श्रेणियों में बांटा है-

  1. कार्यकारी कर्तव्य- परीक्षाओं के माध्यम से लोक महत्व के पदों पर प्रत्याशियों का चयन होना।
  2. नियामक प्रकृति- भर्ती तथा नियुक्ति Promotion एवं विभिन्न सेवाओं में Transfer आदि कार्य करना।
  3.  न्यायिक कार्य- लोक सेवाओं से संबंधित अनुशासन के मामलों पर सलाह देना।

  • अनुच्छेद-320 के अनुसार संघ सेवाओं में नियुक्तियों के लिये परीक्षा का आयोजन करना।

  • दो या अधिक राज्य आयोग को संयुक्त नियोजन या भर्ती के लिये आग्रह करें तो राज्यों को सहायता प्रदान करना।
  • संघ सरकार को कुछ मामलों पर परामर्श देना।
  • संघ लोक सेवा आयोग प्रतिवर्ष अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को सोंपता है।
  • केन्द्र सरकार संघ लोक सेवा आयोग की सलाह तकनीकी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन यदि केन्द्र सरकार सलाह नहीं मानती है तो उसे कारण बताना होता है।

कमियां- 

  • सदस्यों की योग्यता का स्तर क्योंकि संविधान में योग्यता का उल्लेख नहीं है, योग्यता का जिक्र Clear नहीं है।
  • आयोग प्रतिवर्ष अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को देता है जोकि एक सलाहकारी प्रकृति का होता है यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह माने या ना माने।
  • इसकी सिफारिशें बाध्यकारी ना होने के कारण बहुत सी सिफारिशों पर सरकार ध्यान नहीं देती है।
  • अधिकार क्षेत्र में कमी, बहुत से ऐसे पद है जिन पर यह नियुक्ति नहीं करता है।
  • इसके प्रतिवेदन पर संसद में पर्याप्त वाद-विवाद ना होना।
  • आयोग में पदों की रिक्ति।

  • कई बार Perception के आधार पर यह आरोप लगाया जाता है कि Interview जैसी परीक्षाओं में शहरी छात्रों को ग्रामीण छात्रों से अधिक फायदा मिलता है।

सुझाव- 

  • संघ लोक सेवा आयोग का दर्जा बढ़ाया जाये ताकि इसकी सलाह को ज्यादा माना जाये।
  • इसमें ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करना जिनका रिकार्ड साफ हो।
  • आयोग द्वारा भर्ती, Interview, कार्य के मूल्यांकन आदि के लिये आधुनिक तरीकों का प्रयोग किया जाये यानी बेहतर करने के लिये नये-नये तरीकों का प्रयोग किया जाये ताकि प्रशासन में ज्यादा योग्य व्यक्ति आयें, क्योंकि प्रशासन का भार इन पर ज्यादा निर्भर करता है, देश का विकास तेज गति से हो सके। 

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