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Muslim Law in Hindi(मुस्लिम विधि)

Muslim Law 2 प्रकार के होते हैं-

1. Divine Law(देवीय कानून)
2. Man Made Law इसमें संसद, विधानमण्डल द्वारा बनाया जाता है।

जहां पर कानून Silent होता है वहां Divine Law को लागू किया जाता है जैसे- सबरीमाला के judgement में लागू किया गया इसके अलावा और भी निर्णय।

इसी तरह मुस्लिम लॉ में divine law का रूप होता है इसी तरह हिन्दु law भी divine law का रूप है, लेकिन ऐसा नहीं है कि मुस्लिम law और हिन्दु law का कोई  Codification रूप नहीं है, बल्कि Codification किया गया है।

मुस्लिम धर्म में शिया और सुन्नी में अंतर है कि शिया descendants को lead करने के लिये कहते थे जबकि सुन्नी qualified Islamic Ruler को  lead करने के लिये कहते थे।

The primary source of Muslim law in hindi 


मुस्लिम Law के Primary Source 4 हैं-
  1. Quaran 
  2. tradition
  3. Ijma(Opinion)
  4. Qiyas(Reasoning)

Muslim Law in Hindi

मुस्लिम Law में कुछ Codified हैं तो कुछ uncodified हैं।

Codified Law
  1. Kazi Act,1880 इसमें काजी की नियुक्ति, कार्य आदि के बारे में बताया गया है, राज्य सरकार द्वारा।
  2. मुस्लिम पर्सनल लॉ(शरीयत एक्ट), 1937 यह नैतिकता पर आधारित है, शरीयत के सिद्वांत के अनुसार कानून बनाना। जैसे तलाक, शादी आदि से संबंधित।
  3. Muslim Dissolution of Marriage Act, 1939 इस कानून से पहले महिलाओं को तलाक के लिये केवल 3 Grounds थे- 1. Impotency 2. Lian (Adultary का झूठा चार्ज) 3. Puberty इस Act के बाद मुस्लिम महिलाओं के पास हतवनदके बढ़ गये।
  4. Muslim Woman(Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 शाहबानों केस में शाहबानों ने Crpc की धारा 125 के तहत case कराया था, लेकिन Primary Court ने इसे रद्द कर दिया था, लेकिन Supreme Court ने  Crpc की धारा 125 को secular बताया था कि मुस्लिम महिला maintenance प्राप्त कर सकती है इसमें maintenance 90 दिन या इद्दत के समय तक मिलना एवं सुप्रीम कोर्ट के judgement 2001 में महिला के अधिकारों को balance में रखा गया।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 141- उच्चतम न्यायालय का फैसला सभी न्यायालयों पर लागू होना यह मुस्लिम लॉ पर भी लागू होता है।

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