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ऐसे मिलता है लाइसेंस और अधिकार : ड्रोन क्या है, इसके प्रकार, उपयोग, लाभ व चुनौतियां

अक्सर यह न्यूज़ आती कि भारत US से Predator Drones यानी MQ-9 ड्रोन खरीदेगा या नहीं, कभी खबर आती है कि भारत खरीदेगा और कभी खबर आती है कि नहीं खरीदेगा, 

लेकिन finally यह decide हो गया कि भारत US से Predator Drones यानी MQ-9 ड्रोन खरीदेगा| 

भारत में apex body(Defense Acquisition Council-DAC) ने अनुमति दे दी है कि भारत  अमेरिका की Aeronautical कंपनी -General Atomics Aeronautical systems(GA-ASI)  से 3 बिलियन की कीमत पर लगभग 26 drones खरीदेगा | 

इस डील को अब सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की अंतिम मंजूरी नहीं मिली है

ड्रोन क्या है और यह कैसे काम करता है-

 ड्रोन एक मानव रहित हवाई वाहन है जिसमें मोटर व कैमरे के साथ-साथ कुछ अन्य सेंसर्स और जीपीएस होते हैं। ये सेंसर्स और जीपीएस ड्रोन को संतुलन करना, किसी स्थान पर पहूंचने व उड़ाने में मदद करते हैं। 

ड्रोन को औपचारिक तौर पर Unmanned Aerial Vehicles(UAVs)  के नाम से जाना जाता है।

ड्रोन ऐसे हवाई वाहन होते हैं जिन्हें Remote द्वारा Control किया जाता है या सेंसर और जीपीएस की मदद से अपने आप उड़ते है।

ड्रोन में एक ऑनबोर्ड कैमरा भी होता है जो लाइव फिक्चर प्रदान कर सकता है जिससे ड्रोन ऑपरेटर को ड्रोन पर नजर रखने में मदद मिलती है तथा जिससे उसे ड्रोन की पोजीशन व स्थिति का पता लग सकता है।

जिन ड्रोनों में GPS होता है तो यह GPS ड्रोन को निर्देशित जगह पर पहूंचने व उससे लौटने में मदद करता है। इसके अलावा सेंसर व अन्य तकनीक भी होती है जिनसे वह आसपास की वस्तुओं से बच सकता है।

भारत में ड्रोन उड़ाने के नियम क्या है  : Drone Law in India 

हाल ही में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने देश में Drone(ड्रोन) के संचालन के लिये ड्रोन पायलट लाइसेंस की आवश्यकता को समाप्त कर दिया है। 

यानी गैर-व्यावसायिक मकसद के लिये 2 किलोग्राम तक के ड्रोन के संचालन के लिये पायलट प्रमाण पत्र(Pilot Certificate) की जरूरत नहीं होगी।

उद्देश्य- इस आदेश का उद्देश्य है कि Drone(ड्रोन) के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने तथा उदारीकृत(Liberalized) ड्रोन नियमों को बढ़ावा देना। 

ड्रोन(UAV-Unmanned Aerial Vehicle) के संबंध में  नये दिशा-निर्देश-

वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार ने ड्रोन(Unmanned Aerial Vehicle) के संबंध में नये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

DGCA(Directorate General Of Civil Aviation) द्वारा ड्रोन के 5 प्रकार निर्धारित किये गये हैं-

 ड्रोन कितने प्रकार के होते हैं ?:- 

  1. Nano Drone(नैनो ड्रोन) - 250 ग्राम तक या उससे कम।
  2. Micro ड्रोन -  250 ग्राम से अधिक लेकिन 2 किलोग्राम से कम।
  3. Small ड्रोन- 2 किलोग्राम से अधिक लेकिन 25 किलोग्राम से कम।
  4. Medium ड्रोन- 25 किलोग्राम से अधिक लेकिन 150 किलोग्राम से कम।
  5. Large ड्रोन-  250 किलोग्राम से ज्यादा।

New Drone Rules 2023 in hindi : ड्रोन उड़ाने के क्या हैं नियम :  ऐसे मिलता है लाइसेंस और अधिकार 

Drone rules in india (भारत में Drone(ड्रोन) के लिये नियम) :- 

Nano(नैनो) और Micro ड्रोन के लिये लाइसेंस की जरूरत नहीं होनी होती है। नैनो ड्रोन के अलावा अन्य सभी ड्रोन के विमानन नियामक(Aviation Regulator) से विशिष्ट पहचान संख्या(Unique identification Number) प्राप्त करना आवश्यक है।

सभी Drone(ड्रोन) के लिये जरूरी उपकरण जैसे- GPS, ID Plate आदि अनिवार्य है।

Drone(ड्रोन) के लिये यह आवश्यक है कि उसका प्रयोग केवल दिन के समय ही किया जाये, लेकिन रात के समय होने वाले सामाजिक समारोहों जैसे विवाह समारोह आदि में फोटोग्राफी के लिये ड्रोन के प्रयोग की अनुमति है, किन्तु प्रयोग करने से पूर्व पुलिस और प्रशासन को सूचना देना अनिवार्य है।  

भारत में ड्रोन लाइसेंस कैसे प्राप्त करें:- जब आप आम ड्रोन खरीदते हो तो उसे भारत सरकार द्वारा बनाए गए Digital sky Platform पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है, जब आप इस पर रजिस्ट्रेशन करते हैं तो आपको एक Unique identification Number मिलता है।

Digital Sky Platform क्या है :- यह भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक user-friendly online  Single-window system है   ड्रोन से संबंधित सारे कागजात इसी प्लेटफार्म पर मिल जाते हैं | इस पर Account बनाकर Login करने के बाद जो भी आपको फॉर्म चाहिए वह यहां भर सकते हैं।

Drone Pilot कैसे बने : -

  • सबसे पहले तो आप की उम्र 18 साल से लेकर 65 वर्ष तक होनी चाहिए,
  • आपने कम से कम दसवां पास किया हो,
Drone pilot बनने के लिए आपको सबसे पहले एक ऐसे ट्रेनिंग सेंटर में Training लेनी होगी जिसे डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन(DGCA) के द्वारा ऑथराइज किया गया होगा   .

यानी कि अगर आप अपनी ट्रेनिंग किसी ऐसे Training सेंटर से करते हैं जिसे DGCA ऑथराइज करता है उसके बाद टेस्ट होता है उसे Clear करने के बाद आप Apply कर सकते हैं,

इसके बाद आपको Digital Sky Platform पर जाकर Form D-4 भरना होता है और जो Fee है उसे  Pay करके आपको लाइसेंस मिल जाता है और आप एक ड्रोन पायलट बन सकते हैं।

             ड्रोन कितनी ऊंचाई तक उड़ सकता है?

No Fly Zones-

Red(रेड) जोन- उड़ान की अनुमति नहीं। यदि आप अपने क्षेत्र या कहीं का भी Red जोन या Yellow जोन देखने चाहते हैं 

तो इसके लिए आपको digital sky platform के home page पर ही Interactive Airspace Maps का ऑप्शन मिल जाएगा उस पर क्लिक करके देख सकते हैं। 

Red जोन में ड्रोन उड़ाना allow नहीं है यदि आप उड़ाना चाहते हैं तो इसके लिए Centre government से permission लेनी पड़ती है।

Yellow(येलो) जोन- नियंत्रित हवाई क्षेत्र, उड़ान से पहले अनुमति लेना आवश्यक है।

Green जोन- Uncontrolled हवाई क्षेत्र-Automated अनुमति।  

आप 400 फीट तक ही ड्रोन उड़ा सकते हैं इससे ऊपर जाने पर yellow Zone शुरू हो जाता है लेकिन mark Area( एयरपोर्ट से 8 से 12 किलोमीटर की दूरी) में 200 फीट तक ही ड्रोन उड़ा सकते हैं 

उसके बाद yellow zone शुरू हो जाता है यदि आप yellow जोन में ड्रोन उड़ाना चाहते हैं तो आपको Concerned traffic Control Authority से अनुमति लेनी होती है।

No Drone Zone(नो ड्रोन जोन) क्या है - कुछ विशेष जगहों पर ड्रोन संचालन की अनुमति नहीं है।

No Drone Zone जैसे- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू और हैदराबाद के उच्च हवाई अडडों की परिधि(Circumference) से 5 किलोमीटर तक का क्षेत्र एवं देश के अन्य हवाई अडडों के लिये 3 किलोमीटर तक का क्षेत्र।

अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं के 25 किलोमीटर के भीतर का क्षेत्र गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित रणनीतिक स्थानों(Notified Strategic Places) से 2 किलोमीटर के भीतर।

राज्य की राजधानियों में सचिवालय परिसर के 3 किलोमीटर का दायरा। 

क्या भारत में ड्रोन उड़ाना कानूनी है:- जी हां भारत में Ministry of Civil Aviation(MoCA) और DGCA के दिशा- निर्देशों के अनुसार ड्रोन उड़ाया जा सकता है। 

खासकर हमें The Drone Rule, 2021 को follow करना होता है।

ड्रोन के उपयोग :-

ड्रोन आधुनिक दुनिया में एक ऐसा पैमाना है जिसे किसी भी व्यक्ति द्वारा अपने दैनिक कार्यों में आसानी से उपयोग किया जा सकता है। इन दिनों इनकी लोकप्रियता बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है।

ड्रोन का उपयोग उद्योग में तो काफी समय से किया जा रहा है, लेकिन अब इसका प्रयोग अन्य क्षेत्रों में भी तेजी के साथ होने लगा है, जैसे- 

  • सैन्य, 
  • वाणिज्यिक, 
  • व्यक्तिगत व भविष्य की तकनीकों पर, 
  • साथ ही फिल्म और पत्रकारिता के लिये Aerial फोटोग्राफी, 
  • शिपिंग और डिलीवरी ।
  • आपदा प्रबंधन के लिये सूचना इकट्ठा करना या आवश्यक चीजों की आपूर्ति करना ।
  • खोज व बचाव कार्यों में लगे थर्मल सेंसर ड्रोन का उपयोग,
  • खतरनाक, नाजूक इलाकों में भौगोलिक मानचित्रण करना।
  • भवनों की सुरक्षा के लिये देख रेख करना।
  • फसलों की निगरानी करने में।
  • मानवरहित कार्गों परिवहन के लिये।

  • कानून प्रवर्तन एवं सीमा कंट्रोल निगरानी करना आदि क्षेत्रों में भी इसका उपयोग काफी हो रहा है। 

कृषि क्षेत्र - कृषि क्षेत्र में ड्रोन की मदद से पोषक तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है एवं किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान के लिये सर्वेक्षण भी किया जा सकता है।

रक्षा क्षेत्र - ड्रोन  सिस्टम को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ।

दूरदराज के क्षेत्रों में संचार के लिये स्थापित किया जा सकता है युद्व के समय।

दवाइयां या हल्की चीजों को पहूंचाने में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

निगरानी क्षेत्र - जैसे भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी SVAMITVA योजना से जिससे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में मानचित्रण किये गये, लगभग 5 लाख गांवों के निवासियों को उनके सम्पत्ति कार्ड प्राप्त करने में मदद की।

ड्रोन का उपयोग चोरी की राकथाम, निर्माण योजना और प्रबंधन, वन और वन्यजीवों की देखरेख, प्रदूषण मूल्यांकन तथा सबूत एकत्र करने के लिये किया जा सकता है।

ड्रोन आग की घटना और आपातकालीन सेवाओं के लिये भी महत्वपूर्ण है, जहां पर मानव का हस्तक्षेप और स्वास्थ्य सेवाएं सुरक्षित नहीं हैं।

खासकर आपदा की स्थिति में वहां पर निगरानी रखने के लिये व आपदा प्रबंधन के लिये ड्रोन का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है।

कई पश्चिमी देशों में तो होम डिलवरी के लिये ड्रोन का उपयोग किया जाने लगा है तथा यह प्रयोग काफी सफल माना जा रहा है, जिससे परिवहन में भी कमी देखने को मिल रही है।

ड्रोन कैसे काम करता है ? :- 

ड्रोन को रिमोट या स्मार्टफोन से उड़ाया व कंट्रोल किया जा सकता है और इससे ऐसे क्षेत्रों तक पहूंचा जा सकता है जहां पर व्यक्ति का पहूंचना मुश्किल हो जाता है।

ड्रोन को दूर से  संचालित(यानी मानव द्वारा Control) किया जा सकता है। जिसका मतलब है कि यह अपनी Speed को count करने के लिये सेंसर and LIDAR डिटेक्टरों के  system पर निर्भर है।

किस प्रकार के ड्रोन को खरीदना चाहिए ? :-  यदि आप किसी हॉबी के लिये, आप एक You tuber हो, आपको घूमने का शौक है, आपको फोटो लेना पसंद है आदि Category के लिये ड्रोन लेना चाहते हो तो आप माइक्रो ड्रोन ना लेकर, नैनो ड्रोन लेना चाहिए, क्योंकि माइक्रा ड्रोन में Restrictions को मानना पड़ता है।

नैनो ड्रोन का लेटेस्ट वर्जन में काफी सुविधाएं है और इसमें कोई ज्यादा Restrictions भी नहीं होते है। ये ड्रोन Toy की तरह होते है जो फोटो भी क्वालिटी वाली खींचते हैं। माइक्रो ड्रोन में आपको तब जाना है जब आप Highly Professional Level  पर जाते हो।

भारत में ड्रोन की स्थिति- जिस तरह से भारत का पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव बना हुआ है तो भारत घरेलू इनोवेशन और विदेशी खरीद के द्वारा एडवांस ड्रोन तकनीक के जरिये अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

ड्रोन स्वार्म क्या है - इसी बीच डीआरडीओ ने ‘ड्रोन स्वार्म‘ का प्रदर्शन किया था इसमें एक साथ 25 ड्रोन उड़ाये गये थे। वैसे भारतीय सेना ड्रोन का इस्तेमाल काफी समय से कर रही है, लेकिन भारतीय सेना में ज्यादातर ड्रोन इजराइल से लिये गये हैं।

भारत के लिये एडवांस तकनीक के ड्रोन को रखना जरूरी भी हो गया है क्योंकि जिस तरह से अजरबैजान और आर्मेनिया के बीच युद्व में ड्रोन का इस्तेमाल हुआ, 

उससे भारत ओर ज्यादा Highlighted हुआ है और इसके अलावा भी विश्व में ड्रोन का इस्तेमाल को देखते हुए भारत भी Highlighted है।

ड्रोन के क्या फायदे हैं:- 

इसका सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे ना केवल लागत में कमी आती है बल्कि इससे समय की भी बचत काफी होती है और इसके प्रयोग से कम्पनी की श्रम लागत भी काफी कम हो जाती है।

ड्रोन का इस्तेमाल कृषि संबंधी कार्यों में किया जा सकता है जैसे- कीटनाशक का छिड़काव और फसल की देखभाल आदि।

  • ड्रोन पायलट को रोजगार, 
  • नया बिजनेस आइडिया, 
  • सरकार को Revenue, 
  • किसानों को राहत, 
  • दवाओं जैसी अन्य चीजों की डिलीवरी आदि

ड्रोन वर्तमान और भविष्य का खतरा :-

वर्तमान समय में जिस तरह से इसका प्रयोग बढ़ रहा है उसे देखते हुए इसकी महत्ता को नहीं नकारा जा सकता है, लेकिन इसके इस्तेमाल के लिये कई चुनौतियां भी है जिसको समझना हमारे लिये काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, जो कि निम्न हैं-

ड्रोन एक मशीन है और अन्य मशीनों की तरह इसके कई फायदे भी है तो इसके कई सारे नुकसान भी हैं जैसे अक्सर यह देखा जाता है कि भारत और उसके दुश्मन देशों ने एक दूसरे के खिलाफ ड्रोन का इस्तेमाल किया है, क्योंकि कई बार बॉर्डर वाले इलाके में ड्रोन से हथियार, गोला-बारूद व ड्रग्स गिराने की घटना देखी गयी है।

कई सर्विलांस संदिग्ध ड्रोन अक्सर भारत के पश्चिमी सीमा के पास हर साल  देखे जाते है।

कई देश सैन्य प्रयोग के लिये ड्रोन का इस्तेमाल करते हैं, भविष्य में यह भी संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में होने वाले युद्व ड्रोन स्वार्म सिस्टम से हो सकते हैं।

Drone Swarm - यह ऐसे ड्रोंस का झुण्ड होता है जिसका इस्तेमाल एक साथ किसी देश या जगह को तबाह करने के लिये किया जा सकता है।

ड्रोन के प्रयोग का सबसे बड़ा खतरा इसकी हैंकिंग का है क्योंकि हैंकर्स द्वारा इसे आसानी से हैक किया जा सकता है। 

ड्रोन अपराधिक व्यक्तियों के हाथ लग जाने से इसका दुरूपयोग हो सकता है, क्योंकि ये अपराधिक जरूरत पड़ने पर जासूसी व हमला भी कर सकते है।

इसके साथ ही इसके इस्तेमाल को लेकर पर्यावरणीय खतरा भी है।

ड्रोन को उड़ाते समय इससे पक्षियों के टकराने का खतरा भी रहता है।

ड्रोन को लेकर अक्सर गोपनीयता का खतरा बना रहता है।

भारत के पास एंटी-ड्रोन को रोकने के लिये कौन सी तकनीक है-

DRDO ने ड्रोन का पता लगाने और उसे नष्ट करने की 2019 बनाई है 

भारत के पास एंटी-ड्रोन को रोकने के लिये कौन सी तकनीक है-

डीआरडीओ के इस सिस्टम को 2020 गणतंत्र परेड में वीआईपी सुरक्षा के लिये व 2021 में मोटरा स्टेडियम में डोनाल्ड ट्रम्प के आने पर उनकी सुरक्ष के 

लिये तैनात किया गया था।

इस सिस्टम में हार्डकिल(लेजर से ड्रोन को नष्ट करने की क्षमता) व सॉफ्टकिल(ड्रोन ने सिग्नल को जाम करने की क्षमता) होती है। 

भारतीय सेना आक्रामक क्षमताओं के लिये छोटे ड्रोन का प्रयोग करने की दिशा में काम कर रही है।

निष्कर्ष-

ड्रोन के अधिक हमलों के कारण ड्रोन के लिये जो नियम हैं उनको और कठोर बनाने की जरूरत है।

ड्रोन को बेचने और खरीदने वाले व जो इसका उपयोग कर रहा है उसका सारी डिटेल्स जुटाने पर जोर देना होगा ताकि ड्रोन को लेकर किसी तरह की लापरवाही को लेकर उचित कार्यवाही की जा सके और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये कठोर नियम कानून बनाये जायें।

ड्रोन के बारे में जानकारी(FAQs) :-

Q. ड्रोन कितनी ऊंचाई तक उड़ सकता है ?

A. आप 400 फीट तक ही ड्रोन उड़ा सकते हैं इससे ऊपर जाने पर yellow Zone शुरू हो जाता है लेकिन mark Area( एयरपोर्ट से 8 से 12 किलोमीटर की दूरी) में 200 फीट तक ही ड्रोन उड़ा सकते हैं,

उसके बाद yellow zone शुरू हो जाता है यदि आप yellow जोन में ड्रोन उड़ाना चाहते हैं तो आपको Concerned traffic Control Authority से अनुमति लेनी होती है।

 Q. ड्रोन की खोज किसने की ?

A.  अब्राहम करीम फिक्स्ड और  रोटरी विंग मानव रहित विमान का एक डिजाइनर है| 

Q. ड्रोन उड़ाने के लिए क्या करना पड़ता है ?

A. जी हां भारत में Ministry of Civil Aviation(MoCA) और DGCA के दिशा- निर्देशों के अनुसार ड्रोन उड़ाया जा सकता है। 

खासकर हमें The Drone Rule, 2021 को follow करना होता है।

Q. सबसे महंगा ड्रोन कौन सा है ?: - 

A. सबसे महंगा ड्रोन Augmented Aerigon Drone है।

Q. कृषि ड्रोन क्या है ?: - 

A. कृषि क्षेत्र में ड्रोन की मदद से पोषक तत्वों का छिड़काव किया जा सकता है एवं किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान के लिये सर्वेक्षण भी किया जा सकता है।

Q. ड्रोन को हिन्दी में क्या कहते है

ड्रोन को हिन्दी में चालकरहित विमान कहते है।

Q. एक ड्रोन कितना वजन उठा सकता है

वजन उठाना उसकी क्षमता, उसके प्रकार, प्रोपेलर व उसकी मोटर पर निर्भर करता है, कोई 0.5 किग्रा वजन उठा सकता है तो कोई 200 किग्रा भी वजन उठा सकता है।

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