हर बच्चा खास(Special) होता है, हर बच्चे में कोई-न-कोई खास Quality होती है और कुछ ना कुछ कमजोरी भी।
इसलिए हमें उनकी खास Quality को समझना है और पहचानना है और उनकी कमजोरी(weakness) के लिए उनका समर्थन करना है।
देखना है बच्चे में किस चीज में रूचि है किस चीज को करने में खुशी है और यदि हम बच्चे को उसकी Grade के आधार पर, उसके Number के आधार पर नापते(measure) है तो सही नहीं होगा,
क्योंकि शिक्षा का मतलब केवल Certificate देना नहीं है बल्कि एक बच्चे को Human being बनाना है।
कामयाब होने के लिए किसी Certificate की जरूरत नहीं पड़ती। आप किसी भी कामयाब इंसान का Example ले सकते है किसी Cricketer से लेकर A.P.J. Abdul Kalam जैसे महान आदमी तक जितने भी आदमी सफल है उनमें किसी के भी Certificate की Value नहीं होती है।
बच्चों की परवरिश के Tips:-
बच्चों के काम की तारीफ करें(Praise children's work):- जब बच्चा छोटा होता है तो वह जो काम करता है उसको Appreciation मिलता है, लेकिन बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो हम उसके अच्छे काम के लिए Appreciate नहीं करते हैं,
जिससे बच्चे में चिड़चिड़ापन(irritability), गुस्सा, अकेलापन(Loneliness) जैसी समस्याएं पनपने लगती है,
यहां ध्यान देने वाली बात है कि Appreciation बच्चे का नहीं बल्कि उसके द्वारा किया गया काम का करना है जिससे बच्चे में खुद की अहमियत(importance) महसूस होती है और वह किसी भी काम को Interest व Focus के साथ करने लगता है। यदि हम उनके Efforts को Appreciate करते हैं तो उसका रवैया हमारे प्रति सकारात्मक होगा।
किसी से तुलना ना करें(Do not compare with anyone):- हमें तुलना नहीं करनी चाहिए, क्योंकि हर बच्चे में अलग quality होती है हमें तुलना करने के बजाये बच्चे की Unique quality को समझना चाहिए ताकि आप और आपके बच्चों का नजरिया सकारात्मक रहें जिससे उसके व्यावहार में सकारात्मक रूप मिलेगा।
बच्चे की Behavior को समझें- (जिद्दी बच्चों के लिए उपाय? ): किसी Incident-(से)-Emotions-(से)- Belief-(से)-Behavior बनता है। हमे समझना पड़ेगा कि बच्चे का Behavior क्या है? जैसे बच्चा मोबाइल ज्यादा देखता है तो इसका मतलब है बच्चे के Behavior में कमी है ना कि बच्चे में।
इसलिए हमें बच्चे के Behavior के पीछे के कारण को समझना पड़ेगा और हमें बच्चे के Emotions के साथ Connect होकर उसके Belief को Change करने की कोशिश करना चाहिए।
बिना Emotions के Connect होकर Belief को समझे बिना हम उसके Behavior में Permanent Solution नहीं निकाल सकतें।
बच्चों को Failure पर ना डांटे- यदि आप बच्चों को डांटते हो तो इसका असर उसकी उसकी आने वाली Life पर पड़ता है, क्योंकि अभी वे आपसे कमजोर है, तो आपको लगता है कि वे कुछ नहीं कहते, लेकिन इस डांट का असर उसकी सोच पर पड़ता है।
आप अपने Satisfaction/Frustration के लिए बच्चों को ना डांटे, बल्कि समझने की जरूरत होती है के बच्चा जिस Field में Fail हुआ है वह उसकी रूचि/quality का ना हो, हो सकता है उसकी रूचि/quality दूसरे field में हो। जिसमें वह अच्छा Performance कर सकता है।
बच्चों पर दबाव ना बनायें(Don't put pressure on kids):- यदि हम बच्चों पर pressure के साथ कोई काम कराते हैं या कुछ कहते है तो बच्चे इसका विरोध(Oppose) करते हैं
इसलिए हमें बच्चों की समझ व फैसलें का एहसास कराकर समझाना चाहिए ताकि बच्चे को लगे कि मैं इस काम की समझ नहीं रखता और वह आपके Reaction का विरोध नहीं करेगा।
Negative बातें ना करें- यदि बच्चे को Negative विचार मिलते है तो इसका असर उसके मिजाज(Mood) पर पड़ता है जिससे उसकी सोच भी वैसे ही विकसित होगी।
इसलिए बच्चा आपसे कुछ Demand या पूछता है तो उसका response देते वक्त हमारे दिमाग में ये होना चाहिए कि बच्चा जो कह रहा है उसको पूरा करने का हमारा फर्ज है,
जिससे आप बच्चे को प्यार के साथ response करेंगे और इससे बच्चे में Confidence भी बढ़ेगा और उसके जो doubts है वे भी Clear हो जायेंगे।
बच्चों के फैसलो को अहमियत दें(Give importance to children's decisions):- यदि हम बच्चों के फैसलों की अहमियत(importance) देते है तो बच्चों को जिम्मेदारी का एहसास होता है और उन्हें अहमियत महसूस होती है- जब बच्चा बाजार जाता है और कोई सामान खरीदता है जैसे कपड़े तो उसको जो Colour पसंद है उसको अहमियत दें, क्योंकि इन छोटी-छोटी चीजों का बच्चे की परवरिश पर सकारात्मक असर पड़ता है।
खुद को बेहतर बनायें(Make yourself better):- जब आप बच्चों को guide करते हैं या बच्चे को कुछ करने के लिए कहते है तो सबसे पहले आपको ही उस चीज पर अमल करना पड़ेगा
जैसे- यदि आप बच्चे को समझाते हो कि Exam में Number लाकर आप जिन्दगी में कामयाब हो जाओ ये जरूरी नहीं है, कामयाबी के लिए Certificate की Value नहीं है। इस बात को समझाने से पहले खुद को यह बात समझायें।
उनके कार्य में साथ देना(Support their work):- अक्सर देखा जाता है जब बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है यानी Teenager में होता है तो उनमें Excitement बहुत ज्यादा होता है और Adventure(साहसिक) के लिए तैयार रहते है जब भी Adventure वाले कार्य करते है तो हमें उनका साथ देना चाहिए।
यदि हम साथ नहीं देते हैं तो वह बच्चा दूसरों से साथ लेगा, इसलिए वह गलत रास्ते पर ना जाये आपको उनका साथ देना चाहिए।
बच्चे की Insult ना करें- क्योंकि बच्चों को Insult का React करना नहीं आता है इसलिए वह इस insult को अपने दिमाग में रख लेता है जिसका असर उसकी जिन्दगी पर दिखाई देता है- हो सकता है वह इस insult की वजह से अपने दिमाग में डर बिठा ले, जिसके बाद उसके performance में वह डर दिखाई देता है
जैसे कोई बच्चा अच्छे Number लाकर जब किसी entrance में Appear होता है तो डरता रहता है कि कहीं मैं Fail ना हो जाउं, मैं कैसे pass करूंगा आदि
घर में कानून बनायें(make laws at home):- (इस कानून में Punishment का Provision नहीं होना चाहिए बल्कि कानून बनाने का मकसद होना चाहिए कि बच्चा अनुशासन(Discipline) में रहे,
क्योंकि इसका असर उसके जीवन पर पड़ेगा एवं बच्चा जिम्मेदारी व अनुशासन सीख जाता है। ये बातें सुनने में तो छोटी-छोटी लगती है लेकिन होती बहुत महत्वपूर्ण हैं।
बच्चों के लिए समय निकालें(Make time for kids):-इससे बच्चे का पता रहेगा कि बच्चा किस दिशा में जा रहा है और आप उस दिशा को सही रास्ते की तरफ मोड़ सकते हों एवं इससे बच्चों के साथ आपकी नजदीकीया बढ़ती है जिससे बच्चे को साथ मिल जायेगा। इसलिए वह किसी काम के समर्थन के लिए दूसरी जगह नहीं जायेगा
यहां गौर करने वाली बात है कि बच्चों के साथ रहते वक्त उन पर दबाव नहीं बनाना, जोर-जबरदस्ती नहीं करनी, थप्पड़ बगैरा का प्रयोग नहीं करना है, वरना आपका बच्चा समर्थन के लिए दूसरी ओर जाने लगेगा।
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