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Parenting Tips in Hindi : बच्चों की परवरिश कैसे करे

बच्चे के साथ वैसा ही रवैया(Same Attitude) अपनाना चाहिए जैसा आप उसको तैयार/बनाना चाहते हों। For Example यदि आप बच्चे को Doctor बनाना चाहते हैं तो उसकी शुरूआती परवरिश(upbringing) से ही उसी नजरिये से पेश आना चाहिए। 

जैसे आप बच्चे से कुछ काम कराते हैं या कुछ कहते हैं तो आपका नजरिया(attitude) यह होना चाहिए कि आप एक doctor से काम करा रहे हैं या कुछ कह रहे हैं।

Parenting Tips in Hindi(माता-पिता को अपने बच्चे की परवरिश कैसे करनी चाहिए?: बच्चों की परवरिश कैसे करे


बिगड़े हुए बच्चे को कैसे सुधारा जाए :- यदि आप बच्चे से गलत रवैया अपनाते हैं जैसे- बच्चे को डांटना, पीटना, थप्पड़ मारना, उसको Demotivated वाली बाते कहना आदि तो इसका असर उस बच्चे की Life पर पड़ेगा, क्योंकि अभी वह आपसे कमजोर है, 

इसलिए कुछ कहेगा तो नहीं लेकिन आपका गलत रवैया(Wrong attitude) उसकी Life में वैसा ही करने को मजबूर करेगा और बच्चा बड़ा होकर भी वैसे ही रवैये को अपनायेगा। 

दि आपने उसे पीटा तो वह इस पीटने को अपने दिमाग(mind) में बिठा लेगा, जिसका असर उसकी पूरी जिन्दगी पर दिखेगा। 

यदि आप उसको थप्पड़ या पीटते हो तो इसका Reaction उस बच्चे पर पड़ सकता है और आगे चलकर इसका असर भी दिखाई देता है जैसे वह गलत संगत(Company) में चला जाना, गलत काम को अंजाम देना, बदतमीज(Insolent) होना आदि कामों में उस थप्पड़ या पीटने का असर दिखाई दे सकता है, 

यदि हम बच्चे को थप्पड़ या पीटते है तो इसका असर उस बच्चे के दिमाग में इस तरह से Fit/बैठ जाता है जैसे हम FD या बैंक में पैसे जमा करते है और वह बढ़ता जाता है। 

बच्चों का respect करें:- यदि आपका बच्चा Fail हो जाता है तो उसे इस बात को लेकर Insult/डांटना(Scold)/पीटना नहीं चाहिए, 

क्योंकि यदि वह आगे चलकर आपके इस डांट या पीटने से अच्छे Number के साथ पास भी हो जाता है तो हो सकता है कि उस डांट या पीटने से उसके अन्दर डर बैठ गया हो तो यदि वह कहीं Performance करता भी है तो उसका डर दिखाई देता है। 

जोकि आपने अपने Satisfaction/Frustration के लिए बच्चों को डांटा या पीटा, जिससे आपने उसकी जिन्दगी को बहुत बड़ा नुकसान पहूंचा दिया इसलिए बच्चे की respect करना चाहिए।


Parenting Tips in Hindi(माता-पिता को अपने बच्चे की परवरिश कैसे करनी चाहिए?: बच्चों की परवरिश कैसे करे

बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे दे ?: बच्चों की परवरिश में घर का माहौल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है कि आपके बच्चे की परवरिश कैसी हो रही है? माहौल में देखा जाता है कि हमारे घर में अच्छाई, ईमानदारी, बुराई(evil), बदतमीजी(insolence), Morality आदि को देखा जाता है कि उनकी Value क्या है? 

बच्चों को तमीज कैसे सिखाएं :- यदि हमारे घर में भौतिकता(जैसे पैसा, दौलत---) की नजदीकीया(closeness) है तो बच्चा पैसे के लिहाज से तो कामयाब हो सकता है, लेकिन वह इंसानियत(humanity) के मामले में कामयाब होने के लिहाज से पीछे रह सकता है। 

यदि घर में लड़ाई को माहौल रहता है, घर में आपस में नफरत भरी रहती है तो इसका असर उस बच्चे के मिजाज(Mood) पर पड़ता है और समाज में भी उसका मिजाज भी ऐसा ही रहता है। 

यदि घर में माहौल इल्म, Art का है, Skill की बात हो रही है, तहजीब, Literature की बात हो रही है तो इन Activities का असर उस बच्चे के मिजाज पर पड़ता है जो कि बच्चे के विकास के लिए बहुत जरूरी है। 

क्योंकि किसी को हम केवल पैसों के आधार पर बड़ा आदमी नहीं कह सकते हैं, क्योंकि बड़ा आदमी बनने के लिए इंसानियत बहुत जरूरी है वैसे इसका जिक्र हम कई Articles में कर चुके हैं। 

इसलिए Parents को बच्चों की परवरिश में खुद पर भी अमल करें यदि एक कोने में TV है तो दूसरे कोने में किताबें होनी चाहिए। 

बच्चे को Compare करने से रोकनाः- हम अक्सर बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करते है Number को लेकर जबकि उसके जीवन की सफलता में Number की कोई Value नहीं होती है 

इसलिए हमें बच्चों की Unique Quality(अलग खासियत) समझना चाहिए एवं अपने Satisfaction या अपनी Frustration निकालने के लिए उस बच्चे पर Number की तुलना करके उसकी जिन्दगी खराब ना करें   

क्योंकि कोई भी बच्चा Number के आधार पर कामयाब नहीं बनता। इसलिए सबसे पहले हमें यह समझना पड़ेगा कि हम Unique है तो हम बच्चों को भी Unique बना सकते हैं। 

बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए?(how to take care of children):- 10-12 साल तक के बच्चों को आप खुब डांटते-पीटते(scolding) हैं, क्योंकि और कोई आपकी डांट नहीं सुनेगा और बच्चें आपसे कमजोर होते है, इसलिए आप इन बच्चों को डांटते-पिटते है, लेकिन इसका असर बच्चे पर आगे जाकर पड़ता है।

माता पिता के संस्कार: (बच्चों को कैसे समझे) :- इसलिए हमें समझना पड़ेगा कि बच्चें इस दुनिया में आयें और आप उन बच्चों से पहले इस दुनिया में आये हैं तो आपका फर्ज(duty) बनता है कि आप बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से बचा सकते है, 

इसके लिए आपको उनको डांटना या पीटना नहीं है बल्कि आपको उनकी समझ व फैसलों के साथ अहसास कराकर समझाने की कोशिश करते हैं तो वह बच्चें आसानी से समझ जायेंगे कि वे(बच्चें) इस समझ में Mature नहीं हैं 

यदि आप उसको दबाव(Pressure) के साथ समझायेंगे कि तुझे ये करना ही पड़ेगा तो वह बच्चा उसका उलट करेगा। अक्सर देखा गया है कि बच्चे के सामने समस्या आती है तो वह माता-पिता के बजाये दोस्तों के पास जाना पसंद करता है, 

क्योंकि माता-पिता बच्चे की परवरिश में यदि उनसे कोई चीज नहीं आती है तो वे स्वीकार करने के बजाये जोर-जबरदस्ती करने लगते है, 

जबकि माता-पिता को कोई चीज नहीं आती है तो उनको स्वीकार करना चाहिए। इसलिए माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को अच्छा बनाने के लिए पहले खुद अच्छा बनें। 

परवरिश के समय घर में कानून/उसूल(principles)  बनाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे इसमें Violation होने पर Punishment नहीं होना चाहिए, 

बल्कि इसका मकसद यह होना चाहिए कि बच्चा इस कानून में रहते हुए वह जिम्मेदारी और अनुशासन(responsibility and discipline) सीख सके जैसे कुछ काम करते वक्त मोबाइल नहीं चलाना है या दिन में कुछ समय ही चलाना है। 

कोशिश करें कि ये बच्चा कानून को Follow  करें ताकि वह जिन्दगी में जिम्मेदारी और अनुशासन का प्रयोग कर सके। बच्चों को Independence बनाया जाये ताकि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ सके।

माता-पिता को बच्चे की परवरिश कैसे करनी चाहिए इसके जानने के लिए तरीके(Tips) इस दिये Link पर  Click  करें -                               


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