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WTO क्या है, इसकी स्थापना, भूमिका, उद्देश्य

WTO Full form - World Trade Organization(विश्व व्यापार संगठन) 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि- 

द्वितीय विश्व युद्व से पहले कुछ ऐसे देश थे जो वैश्विक नेतृत्व रखने की क्षमता रखते थे जैसे अमेरिका, जर्मनी, रूस, जापान, युनाइटेड किंगडम आदि लेकिन द्वितीय विश्व युद्व के बाद इतिहास बदल गया और वैश्विक नेतृत्व रखने वाले देश जैसे युनाइटेड किंगडम द्वारा बनाये गये गुलाम देश आजाद हो रहे थे जिससे उसकी शक्ति कम होती गयी।

जर्मनी का युद्व के बाद Surrender करना, जापान का Surrender करना। इसलिये अमेरिका और रूस ही वैश्विक नेतृत्व की दावेदारी की क्षमता रखते थे।

अमेरिका में जुलाई 1944 में ब्रेटनबुड सम्मेलन हुआ। 44 देशों के 170 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिसका मकसद था आने वाला विश्व कैसा होगा, विश्व युद्व से हुई तबाही का पुननिर्माण कैसे करना है?

इस सम्मेलन में 3 संस्थाओं पर चर्चा हुई।

WTO क्या है? :

  1. IBRD(विश्व बैंक) International Bank of Reconstruction and Development का गठन हुआ जिसका कार्य है यह अपने सदस्य देशों के विकास और पुननिर्माण के लिये आर्थिक सहायता प्रदान करना। इसके निर्माण में किसी भी देश का विरोध नहीं था।
  2. IMF(International Monetary Fund का गठन जिसका उद्देश्य है balance of payment यानी कोई देश दूसरे देश के साथ व्यापार करेगा तो ऐसी स्थिति में किसी देश को आर्थिक सहायता की जरूरत पड़ी तो यह उपलब्ध करायेगा।
  3. ITO(International Trade Organization)- विश्व दो विचारधारों में बंट गया था 1 पूंजीवादी(अमेरिका, यूरोपीयन देश) 2 समाजवादी(सोवियत संघ) जिसके कारण ITO का गठन नहीं हो पाया।

World Trade Organisation in Hindi


अक्टूबर, 1947 में कई देशों ने विशेषकर यूरोपियन देशों ने मिलकर GATT(The General Agreement on Tariffs and Trade) पर हस्ताक्षर किये। इसमें भारत भी शामिल था।

GATT का मुख्य उद्देश्य था Tariff(सीमा शुल्क) की दर लागू करना।

सीमा शुल्क(Custom duties)- किसी देश की सीमा को पार कर व्यापार किया जाता है तो उस व्यापार पर सीमा शुल्क लगाया जाता है।

GATT(The General Agreement on Tariffs and Trade) का कार्य 1948 से प्रारंभ हो गया जिसका शुरूआती उद्देश्य सीमा शुल्क में कटौती को सीमित करना था 

GATT के 6 एवं 7 वे राउंड में एन्टिडम्पिंग ड्यूटी एवं गैर सीमा शुल्क(Non Tariff Barriers)) पर रहा।

डम्पिंग(Dumping)- कोई देश निर्यात को बढ़ाने के लिये जानबूझकर अपने निर्यात वस्तुओं की कीमत कम करके बेचे, जिसके कारण दूसरा देश इन वस्तुओं पर एन्टिडम्पिंग ड्यूटी लगा देते है।

GATT के 8 वें राउंड(अंतिम राउंड) जिसे उरूग्वे राउंड भी कहते हैं इसमें GATT की कमियां सामने आने लगी जो निम्न थी-

1970-80 के दशक में विकसित देशों की आर्थिक मंदी के कारण इन देशों ने आर्थिक संरक्षणवाद का सहारा लिया जैसे कृषि उत्पाद पर भारी सब्सिडी, द्विपक्षीय समझौता, NTB(गैर सीमा शुल्क) लागू करना।

MFA(Multi Fibre Arrangement) लागू करना इसमें विकसित देशों द्वारा कोटा लागू करना यानी केवल निश्चित मात्रा में उत्पाद आना।

सेवा क्षेत्र में तेजी से वृद्वि जो GATT के दायरे से बाहर था।

उरूग्वे राउंड के परिणामस्वरूप मारेकश समझौता हुआ जिसमें WTO(World Trade Organization) का निर्माण हुआ। 1 जनवरी, 1995 को WTO की स्थापना हुई जिसने GATT का स्थान लिया।

WTO स्वायत्त, स्वतंत्र और वैधानिक अधिकार प्राप्त संस्था है, यह UNO का भाग नहीं है।

यह वस्तु और सेवा व्यापार के संदर्भ में बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म का काम करता है।

वर्तमान में इसके 164 सदस्य है 2016 में अफगानिस्तान को 164 वें सदस्य के रूप में शामिल किया गया।

GATT अनौपचारिक संगठन था वहीं WTO औपचारिक संगठन है।

WTO की कानूनी हैसियत है एवं अपना व्यापक प्रशासनिक तंत्र है। इसका मुख्यालय जेनेवा में है।

GATT समझौता संशोधित रूप में WTO के साथ संबंध के लिये दो नये समझौते जोड़े गये-           1. GATS  2. TRIPS

WTO के फैसले सदस्य देशों के लिये बाध्यकारी होते हैं जबकि GATT के गैर-बाध्यकारी थे।

GATT विकसित देशों का प्रतिनिधित्व करता था वहीं WTO विकसित, विकासशील तथा अल्पविकसित सभी देशों का प्रतिनिधित्व करता है। WTO में एक देश एक मत का प्रावधान है।

WTO के सदस्य देशों के बीच किसी प्रकार के विवाद को निपटाने के लिये Dispute Settlement Body का प्रावधान है।

आसान भाषा में - विश्व व्यापार संगठन (WTO) को कई तरीकों से देखा जा सकता है। यह एक व्यापार खोलने के लिए संगठन है, यह सरकारों के बीच व्यापार समझौते के लिए एक मंच है, यह उन्हें व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए एक स्थान है और व्यापार नियमों का प्रणाली चलता है।


अंततः WTO ऐसा संस्थान है जहां सदस्य सरकारे एक दूसरे के साथ उन्हें सामरिक समस्याओं को हल करने की कोशिश करती है।

WTO क्या करता है?

WTO सदस्य सरकार द्वारा संचालित होता है। सभी मुख्य निर्णय सदस्यता के संगठन के द्वारा पूरी तरह से लिए जाते हैं। या तो मंत्रियों द्वारा जो आमतौर पर हर 2 साल में कम से कम एक बार मिलते हैं या उनके दो तो या प्रतिनिधियों द्वारा जो नियमित रूप से जेनेवा में मिलते हैं।


Trade Negotiation: WTO में अलग-अलग देशों के द्वारा आमदनी शुल्क और अन्य व्यापार बढ़ाओ को कम करने और सेवा बाजारों को खोलने और खुले रखने के लिए किए गए प्रतिबद्धताओं को शामिल किया गया है।


इसमें विवादों को सुलझाने के लिए प्रक्रियाएं स्थापित की गई है। यह समझौते अपरिवर्तनशील नहीं है, यह समय-समय पर पुनर्निर्माण किए जाते हैं और पैकेज में नए समझौता को जोड़ा जा सकता है।


Implementation & Monitoring : विश्व व्यापार संगठन समझौता के अनुसार सरकारों को अपनी व्यापार नीतियों का पारदर्शी बनाने की आवश्यकता होती है।


जिसके लिए वे WTO को सूचित करते हैं। सभी WTO सदस्यों को नियमित अंतराल पर अपने व्यापार नीतियों को और अभ्यासन की जांच करनी पड़ा करनी पड़ती है। प्रत्येक समीक्षा में संबंधित देश और वोट सचिवालय द्वारा रिपोर्ट शामिल होती हैं।


Dispute Settlements : विश्व व्यापार संगठन के तहत व्यापार विवादों को हल करने के के लिए डिस्प्यूट सेटेलमेंट अभिप्राय महत्वपूर्ण है। यह नियमों के परिवर्तन और व्यापार की सुगमता की सुनिश्चितता के लिए आवश्यक है।


अगर किसी देश को लगता है कि समझौता के तहत उनका अधिकार उल्लंगीत किया जा रहा है तो यह विवाद पर विश्व व्यापार संगठन मे लाते है।

WTO के समझौते लंबे और जटिल होते हैं क्योंकि यह कई गतिविधियों को कवर करने वाले कानूनी पाठ होते हैं लेकिन कई सरल मौलिक सिद्धांत इन दस्तावेजों के सभी अंशु में चलते हैं यह सिद्धांत मल्टीलेटरल व्यापार प्रणाली के आधार हैं।

WTO में कृषि समझौता क्या है?

GATT के 8 वें राउंड(अंतिम राउंड) जिसे उरूग्वे राउंड भी कहते हैं इसी राउंड में GATT की कमियां सामने आने लगी  जैसे विकसित देशों द्वारा आर्थिक सरंक्षण प्राप्त करना, गैर सीमा शुल्क लगाना, MFA(Multi Fibre Arrangement) लागू करना इस समझौते में विकसित देशों द्वारा कोटा System लागू किया गया।

जिसके परिणामस्वरूप 1 जनवरी, 1995 में WTO की स्थापना की गयी, जो स्वायत्त, स्वतंत्र और वैधानिक अधिकार रखता है, वस्तु और सेवा व्यापार के संदर्भ में बहुपक्षीय प्लेटफॉर्म का काम करता है।

द्वितीय विश्व युद्व के दौर में कुछ देशों के पास व्यापार में एकाधिकार था जैसे भारत पर इंग्लैंड का शासन। इसी एकाधिकार को समाप्त करने के लिये GATT का निर्माण हुआ, 

लेकिन उस वक्त विकसित देशों के पास व्यापार के संसाधन थे, जबकि अल्पविकसित और विकासशील देशों के पास संसाधन नहीं थे तो व्यापार में समरूपता कैसे आयेगी?

इसी को देखते हुए GATT ने कुछ नियम बनाये कि कुछ ऐसी चीज अल्पविकसित और विकासशील देशों के द्वारा पैदा की जाती है तो उन्हीं को बेचने का अधिकार दिया जायेगा और विकसित देश इन देशों पर कोई शुल्क नहीं लगायेगा।

World Trade Organisation in Hindi


लेकिन विकसित देशों को भारत, बंग्लादेश..........आदि से दिक्कत होने लगी। विकसित देशों द्वारा कहा जाता है कि ये देश कृषि को बढ़ाने के लिये Unethical प्रयास करते हैं। ये देश गरीब नहीं है बल्कि ये कृषि के प्रयोग से हमारे यहां के व्यापार को प्रभावित करते हैं।

कानकुन समझौते के तहत जिस देश द्वारा कृषि के क्षेत्र में सब्सिडी दी जाती है उन सब्सिडी को 3 Category में बांटा गया है- 1. Green box 2. Amber box 3. Blue box इन्हीं के हिसाब से वर्ताब किया जायेगा।

Green box- कोई देश अपने किसानों को मदद करते हैं तो कर सकते है लेकिन शर्तों के अनुरूप- पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय विकास कार्यक्रमों, अनुसंधानों, आपदा राहत आदि को शामिल करना।

Amber box- इसमें Blue box एवं Green box के अलावा सभी सब्सिडियां आती हैं जो कृषि उत्पाद एवं व्यापार से संबंधित है।

इस सब्सिडी में सरकार द्वारा MSP(Minimum Support Price) देना व कृषि उत्पादों की मात्रा के आधार पर direct आर्थिक सहायता देना आदि को शामिल किया जाता है।

Blue box- ऐसा कार्य जो किसी भी काम को बढ़ाने में काम आता है जैसे किसान को कोई कृषि का उपकरण उपलब्ध कराना, उसको बीच पर सब्सिडी देना। वर्तमान में blue box सब्सिडी पर खर्च करने की कोई सीमा नहीं है।

विकसित देशों को सबसे ज्यादा दिक्कत Amber box सब्सिडी से है  क्योंकि भारत जैसे देश अपने यहां MSP देते हैं, जिससे किसानों को उत्पाद बढ़ाने में और भी मदद मिलती है और इससे दूसरे देशों के उत्पाद प्रभावित होते हैं, क्योंकि उत्पादन ज्यादा होने पर कीमत कम हो जाती है जिससे व्यापार में एकाधिकार बढ़ता है।

MSP(न्यूनतम समर्थन मूल्य)- किसानों को आश्वासन दिया जाता है कि उनका उत्पाद एक न्युनतम मूल्य से कम नहीं बिकेगा। 

भारत पर Amber box सब्सिडी को लेकर जो WTO का दबाव बन रहा है इसी दबाव से बचने के लिय G-33(कुल देश 47 हैं) संगठन बना। ये देश कृषि के दम पर WTO में अपनी पहचान बनाते हैं।

इसी संगठन के माध्यम से भारत द्वारा बात रखी गयी है कि हम पर MSP का प्रतिरोध नहीं किया जाये, भारत में खाद्य संग्रहण के दबाव को रोका जाये। 

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