Translate

बैड बैंक क्या है : बैड बैंक कैसे काम करता है व इसके लाभ, हानि


Bad Bank in hindi : बैड बैंक एक तरह की असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी होती है जिसका काम होता है कि यह बैंकों में फंसे पैसे यानी एनपीए की समस्या का समाधान करें। 

हम आसान भाषा में कह सकते हैं कि यह ऐसी वित्तीय संस्था है जो बैंकों की फंसी सम्पत्ति का समाधान निकाले।

यह एक ऐसा बैंक होता है जो कमर्शियल बैंकों के बैड लोन का सस्ते दामों पर खरीदता है फिर अपने हिसाब से बैड लोन की वसूली करता है। 

क्योंकि जब कोई बैंक किसी को लोन देता है तो यह जरूरी नहीं हो जाता है कि हर कोई लोन को चुका दे, 

जब लोन धीरे धीरे आना बंद हो जाता है तो यह बैड लोन या एनपीए में बदल जाता है। यानी जिस सम्पत्ति से बैंक को कोई कमाई नहीं होती है तो एनपीए कहा जाता है। 

आरबीआई के मुताबिक यदि किसी लोन की किस्त 180 दिनों तक जमा नहीं होती है तो यह लोन एनपीए की श्रेणी में चला जाता है। 

इसलिये कोई भी बैंक इस एनपीए को अपने पास नहीं रखना चाहता है क्योंकि इससे बैंक की बैलेंसशीट खराब होती है। 

अब बैड बैंक की स्थापना की बाद इस एनपीए को बैड बैंक ले लेगा और अपने हिसाब से वसूली करेगा। 

वैसे बैड बैंक लोन देने या लेने का काम नहीं करता है लेकिन यह वाणिज्यिक बैंकों की बैंलेंस शीट सही करने में मदद करता है।

बैड बैंक का इतिहास :-  

भारत में प्रस्तावित बैड बैंक का नाम NARCL(राष्ट्रीय परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी लिमिटेड) है वैसे भारत में बैड बैंक का विचार सबसे पहले 2017 के आर्थिक सर्वे में किया गया था। 

जिसका नाम PARA(पब्लिक सेक्टर असैट Rehabilitation एजेंसी ) रखने का सूझाव दिया था।

बजट 2021-22 में ARC(परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी) और AMC(परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी की संरचना का प्रस्ताव दिया था। 

ARC  बैंकों के एनपीए को खरीदने का काम करेगा जबकि AMC एक प्रबंधन के रूप में काम करेगी।

ARC बैंकों को तुरंत 15 प्रतिशत नकद का भुगतान कर देगी और बाकी 85 प्रतिशत के लिये एआरसी बैंको को सिक्योरिटी रिसीट(SR) जारी करेगी। फिर डूबे  कर्ज की वसूली के हिसाब से भुगतान करेगी।

वैसे बैड बैंक भारत की देन नहीं है बल्कि इसकी शुरूआत अमेरिका में हुई थी। 

क्योंकि 1980 के दशक में अमेरिका के बैंकों की हालात ये थी कि बैंक एनपीए के कारण डूबने की कगार पर थे। ऐसे अमेरिका में बैड बैंक के विचार को लाया गया। 

तथा 1988 में अमेरिका में पहला बैड बैंक बना था। उसके बाद इसको अन्य देशों ने अपनाया।

भारत ने तो इसे अभी अपनाया जबकि अमेरिका सहित अन्य देश इसे पहले से ही अपना रहे हैं।

Bad Bank(बैड बैंक) से सम्बंधित latest news  :- 

जिस तरह NPA बढ़ रहा है उससे निपटने के लिये भारत में NARCL(National Asset Reconstruction Company Ltd) को एक नई बैड बैंक की संरचना के रूप में स्थापना की गई है।

NPA से निपटने के लिये बैड बैंक की स्थापना की बात की जा रही है।

सार्वजनिक क्षेत्र में केनरा बैंक मुख्य प्रायोजक की भूमिका निभायेगा और लगभग 12 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगा। इसके लिये केनरा बैंक ने आरबीआई की मंजूरी मांगी है।

सार्वजनिक क्षेत्र के विभिन्न बैंकों ने अपने NPA  का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसफर करने की घोषणा की है। प्रस्तावित बैड बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सा सार्वजनिक बैंकों का होगा और बाकी हिस्सा निजी क्षेत्र का होगा।

Indian Banks Association(IBA) ने एनपीए से निपटने के लिये एक बैड बैंक की स्थापना का प्रस्ताव दिया था और सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया व 

इसके निये राष्ट्रीय असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी(NARCL) की घोषणा की। राष्ट्रीय असेट री-कंस्ट्रक्शन कंपनी(NARCL) के गठन के लिये IBA को एक नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था।  

हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने NPA(Non-Performing Asset) की पुनर्प्राप्ति(Recovery) के लिये NARCL(National Asset Reconstruction Company Ltd) द्वारा जारी "सुरक्षा रशीद"(Security Receipt) को वापस करने के लिये 30,600 करोड़ रूपये की गारंटी को मंजूरी दी है।

NARCL यह एक नई (Bad Bank)बैड बैंक संरचना का हिस्सा है जिसकी घोषणा बजट 2021 में की गई थी।

भारत सरकार ने अत्यधिक NPA(Non-Performing Asset) के समाधान के लिये दो नई संस्थाओं की स्थापना की है।

1. NARCL           2. IDRCL

NARCL(National Asset Reconstruction Company Ltd)  क्या है : - इसकी स्थापना कम्पनी Act के द्वारा की गयी और यह ARC(परिसम्पत्ति पुनर्निर्माण कम्पनी) के रूप में काम करेगी यानी जो पैसा डूब चुका है 

उसको दूसरे रूप में बदलकर हासिल करना जैसे- यदि कोई आदमी कम्पनी चला रहा है उसने बैंक से लोन लिया और वह भाग गया तो इस स्थिति में NARCL उसकी कम्पनी या उसकी सम्पत्ति को बेचकर पैसा वसूल कर सकती है।

 NARCL विभिन्न चरणों में वाणिज्यिक बैंकों से लगभग 2 लाख करोड़ के NPA  लेगी।

सार्वजनिक क्षेत्र के जो बैंक हैं वे NARCL में 51 प्रतिशत स्वामित्व(Ownership) बनाये रखेंगे।

IDRCL(India Debt Resolution Company Ltd - भारतीय ऋण समाधान कम्पनी) :-  जो बाजार में तनावग्रस्त सम्पतियों को बेचने की कोशिश करेगी यानी जो ऋण है उसे किसी भी तरह वसूल करना जैसे -कोई आदमी कम्पनी चला रहा है, 

उसने किसी बैंक से लोन लियो हो और वह भाग जाये तो इस Condition में Bank इस लोन को NARCLको देगा और NARCL ये लोन IDRCL को देगा फिर IDRCL इस लोन की वसूली करेगा।

इसमें सार्वजनिक बैंकों(Public Banks) की हिस्सेदारी 49 प्रतिशत होती है और 51  प्रतिशत हिस्सेदारी निजी बैंक के ऋणदाताओं के पास होती है

NARCL-IDRCL यह एक नई बैड-बैंक की संरचना है।


बैड बैंक क्या है : बैड बैंक कैसे काम करता है व इसके लाभ,  हानि : What is Bad Bank in hindi

हमें NARCL-IDRCL की जरूरत क्यों पड़ी-

  • मौजूदा जो ARC है वह दबावग्रस्त सम्पत्तियों को पूर्णतः Cover नहीं कर पा रही थी।
  • दिवाला और दिवालियापन संहिता(IBC) के समाधान तंत्र के रूप में उपयोगी साबित होगी।
  • जिस तरह से NPA(Non-Performing Asset) बढ़ रहा था उसको रोकने के लिये अलग संरचना(Structure) की जरूरत थी जो कि NARCL-IDRCL काम करेगी

बैड बैंक की भारत में जरूरत क्यों हैं ? :-  

भारत में बैड बैंक की स्थापना के लिये कई कारण बताये जा रहे हैं जो निम्न हैं-

कोरोना महामारी के कारण बैंकों में बैड लोन की काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2020 के मुकाबले  2021 में बैड लोन में बढ़ोत्तरी हुई है। 

के.वी. कामथ कमेटी के रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 महामारी के बाद भारत में कॉरपोरेट क्षेत्र में कर्ज के कारण तनाव की स्थिति  देखी जा रही हैं।

तथा कई देशों ने बैड लोन को रोकने के लिये बैड बैंक जैसी संस्था की स्थापना की गयी है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली बैड बैंक की सफलता से भी भारत को प्रेरणा मिली है।

 ऐसा माना जा रहा है कि एनपीए, डुबे कर्ज से निपटने के लिये बैड बैंक प्रभावित तंत्र हो सकता है। 

बैड-बैंक कैसे काम करता है :-

सबसे पहले NARCL बैड लोन बैंकों से खरीदेगा जिस मूल्य पर सहमति बनेगी फिर उस मूल्य का 15 प्रतिशत नकद में NARCL बैंकों को भुगतान करेगा और 85 प्रतिशत ‘सुरक्षा रसीद‘ (Security Receipt) के रूप में होगा। 

फिर यह लोन NARCL, IDRCL को देगा। यदि बैड बैंक लोन को बेचने में असमर्थ होता है या घाटे में बेचता है तो इस स्थिति में सरकारी गारंटी लागू होगी यानी सरकार ने 30,600 करोड़ रूपये की गारंटी को मंजूरी दी है, उससे काम किया जायेगा।

यह एक वित्तीय इकाई(Financial Unit) है जिसको बैंकों से NPA या बैड लोन खरीदने के लिये बनाया गया है जिसका उद्देश्य है बैंकों को उनकी बैलेंसशीट से बैड लोन को समाप्त कर उनसे बोझ को कम करना है।

Bad Bank(बैड बैंक) के लाभ-

  • बैड बैंक का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इससे बैंकों की बैलेंसशीट में सुधार आयेगा और बैंकों को नये लोन देने में आसानी होगी।
  • जिससे बैंक एनपीए से मुक्त हो जायेगें साथ इससे  सरकार को भी फायदा होगा। 
  • इससे एनपीए को गुड असेट  बनाने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था को भी ग्रोथ मिलेगी।
  • यह बैंकों के सभी Bad Loan(बैड लोन) को समेकित(Consolidate) करने में help कर सकता है। बैड-बैंक के Concept को अमेरिका, जापान, जर्मनी और अन्य देशों में आजमाया जा चुका है।

  • इससे बैंकों को अपने Customers को ज्यादा ऋण(Debt) देने के लिये मुक्त पूंजी(Free Capital) का उपयोग करने की स्वतंत्रता मिलेगी।
  • इसके द्वारा जो बैंक संकटग्रस्त(Endangered) है उनके बही-खाते(Ledger Accounts) से डूबे ऋणों को समाप्त कर बैड-बैंक 5 लाख रूपये से अधिक की मुक्त पूंजी की मदद की जा सकती है।
  • यह सरकार द्वारा बनाया गया नया बैड-बैंक पूंजी को मुक्त करके बैंकों के पूंजी बफर(Capital Buffer) में सुधार कर सकता है।

Bad Bank(बैड-बैंक) से हानि-

  • सरकार द्वारा बनाये गये बैड-बैंक केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों(जिस पर सरकार का स्वामित्व हो) के हाथों से बैड Assets को एक बैड बैंक में transfer कर देगा जिस पर फिर से सरकार का स्वामित्व(Ownership) होगा।
  • सार्वजनकि बैंकों(Public Banks) को प्रबंधन नौकरशाहों द्वारा किया जाता है जो देखा गया है कि NPA सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से बढ़ा है जो कि बैंकिंग प्रणाली(Banking System) की संरचनात्मक समस्या(Structure Problem) को दर्शाता(Indicating) है।
  • बैड-बैंक के माध्यम से बैंकों को बाहर निकालने से वास्तव में बैड लोन संकट की मूल समस्या का समाधान नहीं होता है।

NPA-Non-Performing Asset(गैर-निष्पादित परिसम्पत्ति):- NPA उन ऋणों को कहते हैं जो डिफॉल्ट हो जाते हैं या जिनका मूलधन(Principal Amount) या ब्याज का भुगतान बाकी रहता है।

सातान्यतः ऋण को NPA तब माना जाता है जब ऋण का भुगतान 90 दिनों तक ना किया गया हो।

आगे की राह- 

जब तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक राजनेताओं और नौकरशाहों के पक्ष में समर्पित(Dedicated) होंगे यानी कोई भाई भतीजावाद(Nepotism) आदि नहीं होना चाहिए, 

नहीं तो इससे व्यावसायिकता(Professionalism) में कमी बनी रहेगी और उधार देने में विवेकपूर्ण मानदण्डों(Prudential norms) का उल्लंघन होता रहेगा।

बैड-बैंक एक अच्छा विचार है, लेकिन मुख्य चुनौती बैंकिंग प्रणाली की संरचनात्मक समस्याओं(Structure Problem) से निपटने की है।

बैड बैंक के बारे में जानकारी(FAQs ):

Q. बैड बैंक का क्या काम है?

A. यह एक वित्तीय इकाई(Financial Unit) है जिसको बैंकों से NPA या बैड लोन खरीदने के लिये बनाया गया है जिसका उद्देश्य है बैंकों को उनकी बैलेंसशीट से बैड लोन को समाप्त कर उनसे बोझ को कम करना है।

Q. बैंक बैड लोन कैसे वसूल करते हैं?

A. बैड बैंक लोन को बेचने में असमर्थ होता है या घाटे में बेचता है तो इस स्थिति में सरकारी गारंटी लागू होगी यानी सरकार ने 30,600 करोड़ रूपये की गारंटी को मंजूरी दी है, उससे काम किया जायेगा।

Q. NARCL का फुल फॉर्म क्या है ?

A. NARCL का फुल फॉर्म National Asset Reconstruction Company Ltd है | 

Q. IDRCL का फुल फॉर्म क्या है ?

A. IDRCL का फुल फॉर्म India Debt Resolution Company Ltd

 है | 

Q. भारत का बैड बैंक कौन सा है  ?

A. भारत में प्रस्तावित बैड बैंक NARCL( National Asset Reconstruction Company Ltd) है

Q. भारत में बैड बैंक की स्थापना कौन कर सकता है ?

A. NARCL जो कि एक bad bank है, इसकी स्थापना कम्पनी Act के द्वारा की गयी और यह ARC(परिसम्पत्ति पुनर्निर्माण कम्पनी) के रूप में काम करेगी यानी जो पैसा डूब चुका है|  

उसको दूसरे रूप में बदलकर हासिल करना जैसे- यदि कोई आदमी कम्पनी चला रहा है उसने बैंक से लोन लिया और वह भाग गया तो इस स्थिति में NARCL उसकी कम्पनी या उसकी सम्पत्ति को बेचकर पैसा वसूल कर सकती है।
वैसे इसकी घोषणा बजट 2021 में की गई थी। यानी इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा की जाती है | 

Q.  बैड बैंक की शुरुआत सबसे पहले कब और कहाँ हुई थी | 

A. 1980 के दशक में अमेरिका के बैंकों की हालात ये थी कि बैंक एनपीए के कारण डूबने की कगार पर थे। ऐसे अमेरिका में बैड बैंक के विचार को लाया गया। तथा 1988 में अमेरिका में पहला बैड बैंक बना था। उसके बाद इसको अन्य देशों ने अपनाया। 

Q. भारत में बैड बैंक की स्थापना कब हुई ?

A. भारत में बैड बैंक का विचार सबसे पहले 2017 के आर्थिक सर्वे में आया फिर NARCL जो कि एक bad bank है इसकी घोषणा बजट 2021 में की गई| 


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ