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भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है

(President Election 2022) राष्ट्रपति चुनाव 2022

NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति का चुनाव जीत लिया है, 

इस चुनाव में कुल वोट 4,754 वोट डले, जिसमें 4,701 वोट वैध थे तथा 53 वोट अमान्य करार दिए गए। 

देश के 15वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जूलाई को समाप्त हो गया है। 

लेकिन इसमें राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य वोट नहीं डाल सकते एवं साथ ही राज्यों के विधान परिषद के सदस्य भी वोट नहीं डाल सकते क्योंकि इनका चुनाव जनता द्वारा नहीं होता है।

भारतीय संविधान का भाग -5 जिसमें संघ के बारे में वर्णन किया गया है (Article(अनुच्छेद) 52 से 151 तक) इसी में भारत के राष्ट्रपति के Election(चुनाव) के Process को बताया गया है:-
 
Article(अनुच्छेद) 54 - राष्ट्रपति का चुनाव 
Article  55   -      राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका 
Article  56 -        राष्ट्रपति का कार्यकाल 
Article  57 -        पुनर्चुनाव(Re-election) के लिए योग्यता 
Article  58 -        राष्ट्रपति(President) चुने जाने के लिए योग्यता 
Article  60 -        राष्ट्रपति द्वारा शपथ ग्रहण 
Article  62 -        राष्ट्रपति का चुनाव कराने का समय(term)
Article  71 -        राष्ट्रपति के चुनाव में विवाद से संबंधित मामले का समाधान 

Election of president of India in Hindi

संसद द्वारा Presidential and Vice-presidential election Act, 1952 पारित किया गया जिसमें 1974 में संशोधन किया गया 
1977 में संशोधन किया गया 
1997 में संशोधन किया गया 

Presidential and Vice-presidential election Act, 1952:-निर्वाचन आयोग(Election Commission) हर एक निर्वाचन(Election) के प्रयोजन(Purpose) के लिए केन्द्रीय सरकार के परामर्श से, एक रिटर्निंग अधिकारी(Returning Officer) नियुक्त(Appointed) करेगा जिसका कार्यालय नई दिल्ली में होगा और एक या अधिक सहायक(assistant) रिटर्निंग अधिकारी भी नियुक्त कर सकता है। 

इसमें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 2 अनुमोदक(Seconder) और 2 प्रस्तावक(Proponent) के समर्थन व उनके हस्ताक्षर(Signature) से (जो राष्ट्रपति के चुनाव में वोट दे रहे हो) कोई भी चुनाव लड़ सकेगा। 

फिर 1974 में संशोधन(Amendment) कर अनुमोदकों और प्रस्तावकों की संख्या 10-10 कर दी यानी कोई भी 10 अनुमोदक और 10 प्रस्तावक के समर्थन व हस्ताक्षर से चुनाव लड़ सकेगा। 
एवं 1997 में संशोधन किया गया और तय किया गया कि राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 50 अनुमोदक(Seconder) और 50 प्रस्तावक(Proponent) के समर्थन व उनके हस्ताक्षर से (जो राष्ट्रपति के चुनाव में वोट दे रहे हो) कोई भी चुनाव लड़ सकता है। 

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष(Indirect) होता है, जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व(proportional representation) में Singla Transferable Vote System and secret ballot द्वारा कराया जाता है। जिसमें संघात्मक सिद्वांत(Federal Principle) को अपनाया गया है 

अप्रत्यक्ष चुनाव(Indirect Election):- राष्ट्रपति(President) का चुनाव एक निर्वाचक मंडल(electoral College) द्वारा किया जाता है यानी जनता इसमें सीधे वोट नहीं करती है बल्कि जनता द्वारा चुने गये लोग(Representatives) इसमें वोट डालते है। निर्वाचित मंडल(electoral Collegeके द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व(proportional representation) में Singla Transferable Vote System and secret ballot द्वारा चुनाव किया जाता है। इसमें First past the post लागू नही होता है।

भारत में राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष चुनाव क्यों- जहां- जहां Balance बनाने का चुनाव हो जैसे राज्यसभा जो संसद में लोकसभा के सामने सभी राज्यों के भागीदारी के साथ Balance बनाती है, राज्यपरिषद(State Council), उपराष्ट्रपति आदि में वहां अप्रत्यक्ष चुनाव की पद्वति(Principle) को अपनाया गया है। 

प्रत्यक्ष चुनाव(Direct Election) में खर्चा ज्यादा होना 

जटिल प्रक्रिया(Complex process) होना जो कि आम जनता को समझने में दिक्कत का आना। 

जब संविधान बना उस वक्त Technology की कमी थी, जिससे संवाद(Conversation) की  कमी था 

यदि भारत का राष्ट्रपति direct रूप से चुना जाता और भारत का प्रधानमंत्री Indirect रूप से चुना जाता तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति बाध्यकारी भूमिका(binding role) में ना होता। जिससे दोनों में(कार्यपालिका(Executive) और राष्ट्रपति के बीच Balance नहीं बन पाता और कार्यवाही में देरी होती इसलिए राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से कराया जाता है। 


Election of president of India in Hindi

संघात्मक सिद्वांत(Federal Principle) :- जहां पर राज्यों की शाक्ति केन्द्र से कम ना हो जिसमें कार्य की एक ही सूची होती है जिसमें तय होता है कि केन्द्र इस सूची में से यह काम करेगा और बाकी राज्य करेगा। 

जबकि भारत के संदर्भ में Federal Principle अलग तरह से है यहां पर केन्द्र की शक्तियां ज्यादा हैं इसलिए इसे अर्द्वसंघात्मक(semi-federal)कहा जा सकता है। राष्ट्रपति के चुनाव में Federal Principle काम करता है क्योंकि राष्ट्रपति को चुनने के लिए जितनी भूमिका केन्द्र की है इतनी भूमिका राज्यों की भी है।

राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेता है?- राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा Direct नहीं होता है बल्कि एक निर्वाचन मंडल( Electoral College)  के सदस्यों द्वारा निर्वाचन किया जाता है इसमें निम्न लोग शामिल होते हैं-

संसद(Parliament) के दोनों सदनों(Houses) के निर्वाचित सदस्य(Elected Member) 

राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य 

केन्द्रशासित प्रदेश दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य(70वां संविधान संशोधन 1992 के द्वारा)

निम्न लोग भाग नहीं लेतें(The following people do not participate):- 

  • दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य(Nominated member) 
  • राज्य विधानसभाओं(State legislatures) के मनोनीत सदस्य 
  • राज्य विधान परिषद(State legislative council)(जहां द्विसदनीय व्यवस्था है) 
  • दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं। 

आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation):- इसमें वोट डालने वाले सांसदों(MP) और विधायकों(MLA) के वोट की Value अलग-अलग होती है। हर राज्य के विधायकों की Vote की Value उस राज्य की जनसंख्या के अनुपात में होती है। जिसको तय करने का Formula निम्न है:-                                                                                             

1 एक विधायक के    राज्य की कुल जनसंख्या.               1
वोट का मूल्य-   ------------------------------------------ *       -----                                                                                      
          राज्य विधानसभा के निर्वाचित कुल सदस्य   1000          


हर विधानसभा के निर्वाचित सदस्य(Elected Member) के वोटों की सख्या उस राज्य की जनसंख्या को, उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों एवं 1000 के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने पर प्राप्त होती है। 


                                                       
एक सांसद सदस्य   सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य

के वोट का मूल्य-   --------------------------------------------------
                        संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल सदस्य संख्या 

संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों(Vote) की संख्या, सभी राज्यों के विधायकों के मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है।

Singla Transferable Vote System and secret ballot:- इसमें निर्वाचक मंडल के हर सदस्य को एक मतपत्र(ballot paper) दिया जाता है जिसमें मतदाता(Voter) को मतदान(Vote) करते वक्त उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता(Preference) जैसे - 1, 2, 3, 4----आदि बताना होता है यानी जितने भी उम्मीदवार है मतदाता उनको वरीयता के अनुसार वोट डालता है 

जैसे- 3 उम्मीदवार है X, Y, Z यदि कोई मतदाता वोट डालता है और उसे Y को Vote देना है तो वह Y को पहली वरीयता(Preference) पर और X, Z को अपने अनुसार दूसरी, तीसरी वरीयता पर रखकर वोट देता है-   Y, X, Z 

इसी तरह दूसरे मतदाता ने - Z, X, Y वरीयता दी 

इसी तरह तीसरे ने  - X, Z, Y वरीयता दी और 

इसी क्रम में ओर मतदाताओं ने अपने अनुसार वरीयता दी। 

For  Example 

                           A(Voter)     B       C          D           E

X(Condidate)   2       1     1     2      3

Y          1      3     2       1    2

Z          3     2     3        3    1


यहां Z की पहली वरीयता सबसे कम है तो यह उम्मीदवार बाहर हो जायेगा और इसको पहली वरीयता देने वाले मतदाताओं की अगली वरीयता X, Y में Count होगी और यह Process इसी तरह चलता है जब तक राष्ट्रपति आधे से अधिक वोटों की Value प्राप्त ना कर ले। 

जब मतों(vote) की गणना होती है जिसमें स्थानांतरण(Transfer) के Process को अपनाया जाता है जैसे-पहली वरीयता के वोटों की गणना में सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार के वोट रदद् कर दिये जाते हैं एवं इस उम्मीदवार के द्वितीय वरीयता(Second Preference) के वोट बाकी उम्मीदवारों की पहली वरीयता के वोटों में स्थानांतरित(transferred) कर दिये जाते हैं। 

यह Process तब तक चलता है जब तक कि कोई उम्मीदवार निर्धारित वोट(Fixed Vote) प्राप्त कर ले एवं इसमें राष्ट्रपति वह ही बनता है जो सांसदों व राज्य विधानसभाओं के वोटों का कुल Value का आधे से ज्यादा हिस्सा प्राप्त कर ले। 

राष्ट्रपति के लिए योग्यताएं(Qualifications for President):-

  • वह भारत का नागरिक हो 
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो 
  • लोकसभा के सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो 
  • किसी भी लाभ के पद पर ना हो 

राष्ट्रपति से संबंधित सभी विवादों(Disputes) की जांच व फैसले उच्चतम न्यायालय(Supreme Court) में होते हैं एवं उच्चतम न्यायालय का फैसला अंतिम होता है। यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति के रूप में अवैध(illigal) घोषित किया जाता है तो उच्चतम न्यायालय की घोषणा(जब उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति की नियुक्ति को अवैध बताया हो) से पहले राष्ट्रपति द्वारा किये गये कार्य अवैध नहीं माने जायेंगे और लागू रहेंगे। 

Election of president of India in Hindi

राष्ट्रपति के पद रिक्त होने के कारण(Because of the vacancy of the President):- 

  • 5 साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 
  • राष्ट्रपति के त्याग पत्र देने पर 
  • महाभियोग(Impeachment) के Process द्वारा राष्ट्रपति को पद से हटाने पर 
  • राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाने पर 
  • वह पद प्राप्त करने के लिए योग्य ना हो या निर्वाचन अवैघ घोषित हो। 

कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व चुनाव कराना चाहिए यदि चुनाव में देरी होती है पांच साल पूरा होने पर भी तो राष्ट्रपति तब तक पद पर बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी(Successor) कार्यभार ग्रहण(taking over) ना कर ले। 

यदि राष्ट्रपति की मृत्यु होने पर नये राष्ट्रपति का चुनाव पद रिक्त(post vacant) होने की तिथि(Date) से 6 माह के भीतर कराना चाहिए। नया राष्ट्रपति अपने पद पर 5 सालों तक बना रहेगा।

राष्ट्रपति का पद किन्हीं कारणों से रिक्त हो तो उपराष्ट्रपति कार्यवाहक(caretaker) राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। यदि उपराष्ट्रपति भी पद खाली करते हैं तो भारत का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा। 

राष्ट्रपति पर महाभियोग(Impeachment of the president):-इसका जिक्रArticle 61 में दिया गया है। राष्ट्रपति संविधान का उल्लंघन(Violation) करने पर उस पर महाभियोग लगाकर पद से हटाया जा सकता है। महाभियोग के आरोप का Proposal संसद के किसी भी सदन में शुरू किया जा सकता है। जिस सदन में यह Proposal शुरू हुआ उस सदन के एक-चोथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए। 

महाभियोग का प्रस्ताव(Proposal) दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद दूसरे सदन में भेजा जाता है। यदि दूसरा सदन भी इन आरोपों को सही बताता है एवं महाभियोग के प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित करता है तो राष्ट्रपति को उस तारीख से(जिस तारीख से प्रस्ताव पारित हुआ है) पद से हटना पड़ेगा

president of India list(भारत के राष्ट्रपति की लिस्ट )

  1. डॉ राजेंद्र प्रसाद 
  2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन 
  3. डॉ जाकिर हुसैन
  4.  वराहगिरी वेंकेट गिरी 
  5. डॉ फखरुद्दीन अली अहमद 
  6. नीलम संजीव रेड्डी 
  7. ज्ञानी जैल सिंह 
  8. R. वेंकटरमन 
  9. डॉ शंकर दयाल शर्मा 
  10. K.R. नारायनन 
  11. डॉ APJ अब्दुल कलाम 
  12. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 
  13. प्रणब मुखर्जी 
  14. रामनाथ कोविंद  

राष्ट्रपति के कार्य व शक्तियां :-

राष्ट्रपति के प्रयोग द्वारा की जाने वाली शक्तियां और कार्य निम्न हैं-

कार्यकारी शक्तियां :-

  • भारत सरकार के सभी शासन संबंधी कार्य उसके नाम पर किये जाते हैं। राष्ट्रपति नियम बना सकता है एवं उसके नाम पर दिये जाने वाले आदेश वेध हों।
  • वह प्रधानमंत्री एवं अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है, तथा वे उसकी प्रसादपर्यंत कार्य भी करता है। वह महान्यायवादी की नियुक्ति करता है, महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर कार्य करता है।
  • वह भारत के महानियंत्रक व महालेख परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों, राज्य के राज्यपालों, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति करता है।
  • वह अनुसिचत जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिये एक आयोग की नियुक्ति कर सकता है।
  • वह केन्द्र-राज्य तथा विभिन्न राज्यों के बीच सहयोग के लिये एक अन्तर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति कर सकता है।
  • वह किसी भी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है।
विधायी शक्तियां- 
राष्ट्रपति संसद का एक भिन्न अंग जिससे उसे निम्न विधायी शक्तियां भी प्राप्त हैं-
  • वह संसद की बैठक बुला सकता है या थोड़े समय के लिये स्थगित कर सकता है और लोकसभा को विघटित कर सकता है साथ ही वह संसद की संयुक्त अधिविशन का आह्वान कर सकता है।
  • नये चुनाव के बाद संसद के प्रत्येक वर्ष प्रथम अधिवेशन को संबोंधित करता है।
  • यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दोनों के पद खाली हो तो वह लोकसभा के किसी भी सदस्य को लोकसभा का अध्यक्ष बना सकता है।
  • वह राज्यसभा के लिये 12 सदस्यों को मनोनीत करता है(वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा के जानकार व्यक्ति)
  • जब एक विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास आता है तो राष्ट्रपति उस विधेयक को-
  • अपनी स्वीकृति देता है या अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है या उस विधेयक को (यदि वह विधेयक धन विधेयक नहीं है तो) संसद के पुनर्विचार के लिये लौटा देता है।
  • राष्ट्रपति संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी कर सकता है लेकिन यह अध्यादेश संसद की पुनः बैठक के 6 हफ्ते के अन्दर संसद द्वारा अनुमोदित करना आवश्यक है तथा वह किसी भी अध्यादेश को किसी भी समय वापस ले सकता है।
  • वह महानियंत्रक व  लेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के सामने रखता है।
  • राष्ट्रपति अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप में शांति, विकास और सुशासन के लिये नियम बना सकता है एवं पुडुचेरी में भी नियम बना सकता है, जब वहां विधानसभा निलंबित या विघटित हो।

वित्तीय शक्तियां-

  • राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही धन विधेयक संसद में प्रस्तुत हो सकता है।
  • वह केन्द्रीय बजट को संसद के सामने रखता है।
  • अनुदान की मांग उसकी सिफारिश पर की जा सकती है।
  • वह आकास्मिक निधि से अग्रिम भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।
  • वह राज्य व केन्द्र के बीच राजस्व को बांटने के लिये एक वित्त आयोग का गठन करता है।

न्यायिक शक्तियां-

  • वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश/न्यायाधीश एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की भी नियुक्ति करता है।
  • राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से किसी कानून की सलाह ले सकता है लेकिन यह सलाह राष्ट्रपति के लिये बाध्यकारी नहीं है। वह किसी अपराधी को माफी प्रदान कर सकता हैं
कूटनीतिक शक्तियां-

अन्तर्राष्ट्रीय समझौते या संधियां राष्ट्रपति के नाम से किये जाते हैं लेकिन इसमें संसद की अनुमति अनिवार्य होती है।

सैन्य शक्तियां- 

राष्ट्रपति  भारत के सैन्य बलों का सेनापति होता है एवं वह तीनों(थल सेना, जल सेना, वायु सेना) सेनाओं के प्रमुखों की नियुक्ति करता है।

आपातकालीन शक्तियां-उक्त शक्तियों के अलावा राष्ट्रपति के पास निम्न तीन परिस्थितियों में आपातकालीन शक्तियां प्राप्त हैं-

  • राष्ट्रपति आपातकाल(अनुच्छेद-352)
  • राष्ट्रपति शासन( अनुच्छेद 356)
  • वित्तीय आपातकाल(अनुच्छेद 360)
राष्ट्रपति के पास वीटो शक्ति- 

जब संसद द्वारा कोई विधेयक पारित तभी अधिनियम बन सकता है जब राष्ट्रपति उसे अपनी सहमति दे देता है एवं जब ऐसा विधेयक राष्ट्रपति की सहमति के लिये प्रस्तुत होता है तो उसके पास 3 विकल्प होते हैं(संविधान के अनुच्छेद 111 के अन्तर्गत) :-
  1. वह विधेयक पर अपनी स्वीकृति दे सकता है 
  2. विधेयक पर अपनी स्वीकृति को सुरक्षित रख सकता है
  3. वह विधेयक(यदि धन विधेयक धन विधेयक नहीं है) को संसद के पुनर्विचार हेतु लौटा सकता है। हालांकि यदि संसद इस विधेयक को पुनः बिना किसी संशोधन के या संशोधन करके, राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करे तो राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही होगी
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय:-
  • द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था.
  • वो संथाल आदिवासी समुदाय से हैं और उनके पिता बिरंची नारायण टुडू अपनी पंचायत के मुखिया रहे हैं.
  • द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल थीं और अब देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाली हैं.
  • वो झारखंड में सबसे लंबे वक़्त (छह साल से कुछ अधिक वक़्त) तक राज्यपाल रहीं.
  • यहां से सेवानिवृति के बाद वो अपने गृह राज्य ओड़िशा के मयूरभंज जिले के रायरंगपुर में रहती हैं. यह उनके पैतृक गांव बैदापोसी का प्रखंड मुख्यालय है.
  • साल 1979 में भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से बीए पास करने वाली द्रौपदी मुर्मू ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत ओडिशा सरकार के लिए क्लर्क की नौकरी से की.
  • उस दौर में मुर्मू सिंचाई और ऊर्जा विभाग में जूनियर सहायक थीं. बाद के सालों में वह शिक्षक भी रहीं.
  • मुर्मू ने रायरंगपुर के श्री अरविंदो इंटिग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर में मानद शिक्षक के तौर पर पढ़ाया.
  • द्रौपदी मुर्मू ने अपने सियासी करियर की शुरुआत वार्ड काउंसलर के तौर पर साल 1997 में की थी.
  • रायरंगपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर दो बार (साल 2000 और 2009) विधायक भी बनीं.
  • पहली दफ़ा विधायक बनने के बाद वे साल 2000 से 2004 तक नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल में स्वतंत्र प्रभार की राज्यमंत्री रहीं.
  • साल 2015 में जब उन्हें पहली बार राज्यपाल बनाया गया, उससे ठीक पहले तक वे मयूरभंज जिले की बीजेपी अध्यक्ष थीं.
  • साल 2002 से 2009 और साल 2013 से अप्रैल 2015 तक इस मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रहीं.
  • इसके बाद वह झारखंड की राज्यपाल मनोनीत कर दी गईं और बीजेपी की सक्रिय राजनीति से अलग हो गईं.
  • द्रौपदी मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी लेकिन कम उम्र में ही उनका निधन हो गया. उनकी तीन संतानें थीं लेकिन इनमें से दोनों बेटों की मौत भी असमय हो गई.
  • मुर्मू की बेटी इतिश्री मुर्मू हैं, जो रांची में रहती हैं. उनकी शादी गणेश चंद्र हेम्बरम से हुई है.

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