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बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण : बच्चों में डिप्रेशन कैसे दूर करें

अक्सर हम देखते हैं कुछ बच्चे जिद्दी होते हैं, कुछ बच्चे चिड़चिड़ें होते हैं, कुछ बच्चे बहुत Active, शरारती होते हैं, तो इनका ज्यादा संबंध बच्चों की Psychology(मनोविज्ञान) से भी होता है।

Psychology का संबंध उनके ख्यालात से, सोचने से, Memory से, Imagination से होता है, बच्चों के पास ज्यादा Memory नहीं होती है ना ही ज्यादा Imagination करने की क्षमता, जितनी की बड़ों में होती है, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि बच्चों में Imagination, Memory नहीं होती है, बल्कि होती है जो कि Present Perspective में होती है। जैसे- मेरी Job लगेगी या नहीं। 

Depression जैसी बीमारियां कुछ बच्चों(बहुत ज्यादा नहीं) में Genetic भी होती हैं। जिस तरह बड़ों में Psychiatric(मानसिक रोगों का) बीमारियां(depression) होती हैं उसी तरह बच्चों में भी Psychiatric बीमारियां होती हैं जो कि शुरूआत में पता नहीं चलती, बल्कि 7-11 साल के बच्चों में दिखाई देने लगती हैं।


Depression in children in Hindi

अक्सर यह होता है कि जिस परिवार में Open discussion होता है, पढ़ा-लिखा माहौल है, Friendly व्यवहार होता है तो वहां पर बच्चा depression जैसी बीमारियां के बारे में खुलकर बता देता है। जैसे मैं हर वक्त उदास महसूस करता हूं, मेरे दिमाग में नकारात्मक विचार आ रहे हैं, मैं इस दुनिया में क्यों हूं, मेरा जीने को मन नहीं चाहता आदि, लेकिन सामान्यतः बच्चों में depression जैसी बीमारी छूपे हुए अंदाज में होती है।

बच्चों में depression के लक्षण :- 

  • बच्चा परिवार में अलग यानी एकांत में रहने लगता है।
  • स्कूल में भी दोस्तों से कतराता है।
  • चिड़चिड़ा हो जाना बिना किसी वजह के चिड़चिड़ा होना। 
  • बच्चे को जो चीजें पसंद थी उनका ख्याल रखना छोड़ दिया है जैसे उसे खिलौनों में रूचि थी, घूमने में रूचि थी वह रूचि खत्म होने लगती है।
  • उसका स्कूल में Performance भी सही नहीं हो रहा होता है।
  • बच्चे को Normal से बहुत अधिक नींद या Normal से बहुत कम नींद आना।
  • जरूरत से ज्यादा खाना खाये यानी हर वक्त खाना खाना या खाना छोड़ देना।
  • किसी भी Normal बात का भी Negative React करने लगे।
  • आत्मविश्वास में कमी होती है।

लेकिन कुछ Parents इस लक्षणों पर force के साथ React करने लगते हैं, जैसे उस बच्चे के साथ जोर जबरदस्ती करना, उसे डांटना, force के साथ खाना खिलाना, आदि जिससे उन्हें लगता है कि बच्चे की परवरिश अच्छी होगी, लेकिन उसे Psychiatric समस्या होने के कारण ये समस्या और बढ़ने लगती है।

जिसका नतीजा यह होता है कि ये बच्चे बुरी संगत में जाने लगते हैं और सिगरेट पीना आदि बुरी आदतें इनके ऊपर हाबी हो सकती हैं और जिस उम्र में उनके हार्मोन Change हो रहे होते हैं, उनके जिस्म में नई तब्दीलियां आ रही होती हैं, तो ये बच्चे गलत तरीको में भी शामिल हो सकते हैं।

इसलिये हमें बच्चों पर नजर रखने की आवश्यकता है कि यदि बच्चों में इस तरह का pattern develop हो रहा है तो उसे इस field  के Expert की आवश्यकता है यानी उसे professional  Psychiatrist  या Clinical psychologist  को दिखाना चाहिए।

क्योंकि parents इस समस्या से निपटने के लिये trend नहीं होते हैं इसलिये उन्हें परामर्श की जरूरत होती है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि यदि बच्चे में इस तरह की समस्या reaction के कारण आ रही हैं तो parents को बच्चों से ज्यादा खुद को सुधारने की जरूरत होती है, क्योंकि parents का रवैया सुधारना होता है जैसे उनकी बहुत ज्यादा सख्ती, बहुत ज्यादा प्यार, बिना जरूरी डांटना आदि।

अक्सर देखा गया है कि parents द्वारा वह बच्चा जहां-जहां ज्यादा time spent करता है जैसे स्कूल, घर, friend Circle आदि में सुधार कर उस बच्चे में Positive change आने लगते हैं।

बच्चों को depression से बचाव-

बच्चों की जरूरत को समझें- माता-पिता या जो उसके connect में रहता है उन्हें बच्चें की जरूरत को समझना चाहिए और बच्चों को स्वतंत्रता दी जानी चाहिए ताकि वह जिम्मेदारी को समझे एवं उसे सही और गलत के अन्तर को समझने में आसानी हो।

बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार रखें- जब हम बच्चे के साथ कठोर व्यवहार रखते है तो बच्चा अपने मन की बात को नहीं बता पाता जिससे वह अन्दर ही अन्दर घूटता जाता है और वह depression जैसी समस्याओं का शिकार होने लगता है 

इसलिये घर में अच्छा माहौल रखें, बच्चे के साथ दोस्ताना व्यवहार करे, और उससे हर विषय पर बात करने की कोशिश करें ताकि बच्चा बिना किसी संकोच(hesitate) के आपको सारी परेशानी बता सके।

बच्चों की Respect करें- बच्चे की किसी बात को लेकर यदि हम डांटते या उसकी insult करते हैं तो इसका असर उसके mind पर पड़ता है इसलिये बच्चे को respect दें ताकि उसे एहसास हो कि उसके अलावा भी कोई है जो उसको support कर रहा है।

बच्चों की तारीफ करें- जब बच्चा छोटा होता है तो इसे Appreciation मिलता है, लेकिन जैसे बड़ा होता जाता है तो हम उसके अच्छे काम का भी Appreciate नहीं करते जिससे बच्चे में गुस्सा, अकेला रहना, चिड़चिड़ापन, उदास आदि समस्याएं पनपने लगती हैं।

यहां ध्यान रहे कि बच्चे के काम का Appreciation करना है ना कि बच्चे का।

यदि हम बच्चे के काम की तारीफ करते हैं तो उससे बच्चे को अपनी importance का एहसास होता है जिसके कारण उसका रवैया बदलता है, सोच में सकारात्मकता आती है और वह बच्चा (Psychiatric)साइकेट्रिक जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम होने लगता है।

बच्चे की शुरूआती जिन्दगी में ज्यादा बदलाव से बचें- जब बच्चा छोटा होता है तो घर और उसका स्कूल ज्यादा ना बदलें क्योंकि जब घर और उसका स्कूल ज्यादा बदला जाता है तो वह ज्यादा दोस्त नहीं बना पाता है और वह अकेलेपन का शिकार होने लगता है और तनाव जैसी समस्याओं में घिरने लगता है।

Negative बातों से बचें- Negative बातों का असर उसके मिजाज(Mood) पर पड़ता है। यदि बच्चा किसी चीज की demand करता है तो उसे प्यार के साथ response करना चाहिए ताकि बच्चे में confidence आये और हो सकता है कि बच्चा जिस depression जैसी बीमारी का शिकार है उसके बारे में अपनी बात रख सके।

घर में Positive माहौल बनायें- बच्चे के मिजाज पर घर का असर बहुत ज्यादा पड़ता है इसलिये हमें घर के माहौल पर ध्यान देना है, क्योंकि घर के माहौल से बच्चे में Positive change लाया जा सकता है।

बच्चे के लिये समय निकालें- बच्चे को सिर्फ मंहगे खिलौने, आपके पैसे आदि की जरूरत ही नहीं, बल्कि आपका प्यार, Support की भी जरूरत होती है और इससे आपको पता भी चल जायेगा कि बच्चा किस दिशा में जा रहा है और आपके साथ बच्चे की नजदीकीयां भी बढ़ेगी।

लेकिन यहां ध्यान रहे कि बच्चों के साथ रहते वक्त उन पर दबाव नहीं बनाना है, जोर-जबरदस्ती नहीं करनी, थप्पड़ बगैरा नहीं मारना है वरना इसका असर बच्चों पर नकारात्मक पड़ सकता है।

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