जैसा कि हमें मालूम है कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिये खर्च करने के लिये पैसे की जरूरत होती है, इस उददेश्य को पूरा करने के लिये।
सरकार सरकारी प्रतिभूतियां जारी करती है। सरकारी प्रतिभूति एक तरह का बॉन्ड होता है जिसे सरकार जारी करती है और Promised करती है कि जब इसकी Maturity पूरी होगी हो सरकार इनको वापस पैसा दे देगी।
सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने-बेचने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की होती है।
जब सरकार RBI से पैसा उधार लेती है और इसके बदले सरकार RBI को शपथपत्र देती है यानी सरकार गारंटी देती है जिसे सरकारी प्रतिभूति(Government Security) कहते हैं एवं अन्य बैंक RBI को पैसे देकर RBI से Government Security अपने पास रखते हैं। इसे G-sec भी कहते हैं|
सरकारी प्रतिभूति(Government Security) एक कागज होता है जिसमें सरकार(केन्द्र/राज्य) द्वारा आश्वासन किया जाता है यह एक Tradeable instrument होता है यानी इसको खरीद-फरोख्त में प्रयोग किया जाता है।
ये प्रतिभूतियां केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों जारी कर सकती है। इसे Gild edged Securities कहा जाता है।
Gild edged Securities क्या है :- सरकार एक सम्प्रभु राज्य है यानी सरकार जितना पैसा चाहे आरबीआई के द्वारा छाप सकती है तो इसका मतलब हुआ कि सरकार जो बॉन्ड जारी करती है और इस बॉन्ड को जो खरीदता है,
उसकी maturity के बाद सरकार उसे वापिस करती है, यानी ये बॉन्ड lapse नहीं हो सकता है। इसे ही Gild edged Securities कहा जाता है |
सरकार पैसा उधार क्यों लेती है :- सरकार को कोई चीज खरीदनी है, सेलरी देनी है, सरकार को कल्याणकारी प्रोग्राम चलाना है, स्कीम चलानी है, कहीं निवेश करना हो आदि तो पैसों की जरूरत पड़ती है। वैसे सरकार के पास पैसे आने के सोर्स भी होते हैं जैसे- करों के द्वारा आदि।
लेकिन जब सरकार का खर्चा, राजस्व प्राप्ति से ज्यादा हो जाता है तो इस स्थिति में सरकार के पास दो विकल्प हो जाते है-
1. सरकार या तो आरबीआई के द्वारा करेंसी प्रिंट करेगा।
2. सरकार आरबीआई के द्वारा सरकारी प्रतिभूतियां जारी करती है।
तो सरकार सरकारी प्रतिभूतियां जारी करना ज्यादा पसंद करती है, क्योंकि यदि सरकार करेंसी प्रिंट करे तो इससे महंगाई ज्यादा हो जाती है।
सरकारी प्रतिभूतियां कितने प्रकार की होती हैं :-
- Treasury Bills(T-bills)
- Cash Management Bills(CMBs),
- Dated G-Secs
- State Development Loans(SDLs)
Treasury Bills and Cash Management Bills ये Short Term के लिए यानी 1 साल से कम अवधि के लिए|
Dated G-Secs एंड State Development Loans ये Long Term के लिए यानी 1 साल से ज्यादा अवधि के लिए|
3. Dated G-Secs :-
ये लांग टर्म केपिटल के लिये होती हैं यानी सरकार सरकारी प्रतिभूतियों को 5 साल से 40 साल तक के लिये जारी कर सकती है।
इसे कुपन रेट कहा जाता है, मतलब इसमें सरकार द्वारा ब्याज मिलता है। इसे केवल केन्द्र सरकार ही जारी कर सकती है, राज्य सरकार नहीं।
सरकार इसका प्रयोग अपनी उधारी चुकाने में करती है जब सरकार इन Security को कम अवधि के लिये देती है तो इसे ट्रेजरी बिल(Treasury bills) कहते हैं जो कि एक साल से कम अवधि के लिये देती है जबकि डेट Security या सरकारी बांड एक साल से अधिक अवधि के लिये देती है।
ये Securities सरकार द्वारा जारी की जाती है इसलिये इसमें जोखिम बहुत कम होता है।
सरकारी प्रतिभूति(Government Security) में उतार-चढ़ाव से Secondary Market(किसी को बांड बेचना आदि) में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
Bond क्या होता है- जब हम बॉन्ड को खरीदते हैं तो उसके पीछे कोई ना कोई फिजिकल सम्पत्ति होती है जैसे - हम जब किसी से कोई पैसा उधार लेते हैं तो उसके बदले में हम अपनी सम्पत्ति गिरवी रखना।
डिवेंचर क्या होता है- इसके पीछे कोई फिजिकल सम्पत्ति नहीं होती है जैसे सरकार ने सरकारी प्रतिभूतियां देकर आपसे पैसे लिये लेकिन इसके बदले में सरकार ने आपको कोई फिजिकल सम्पत्ति नहीं दी, केवल वादा किया है।
सरकारी प्रतिभूति पर प्रभाव कैसे पड़ता है :-
International Bond Market(खासकर US ट्रेजरी) में यदि किसी तरह का उतार चढाव आता है तो इसका असर हमारी Government Security पर पड़ता है।
RBI द्वारा जो Policy बनायी जाती है जैसे Repo Rate, CRR आदि Change करना या Open Market Operation में बदलाव कर दिये जाते हैं।
Securities की Demand & Supply का असर कि लोग Government Security को खरीदना चाह रहे है या नहीं।
मंहगाई- यदि महंगाई होती है तो इसका असर Government Securities पर पड़ता है।
Foreign Market, Credit and Capital Markets इनमें किसी तरह का Development होता है तो इसका असर Government Security पर पड़ता है।
Government Securities में निवेश कैसे करें :- NSE(National Stock Exchange) ने goBID एप जारी किया जिसके माध्यम से Government Securities में निवेश करना आसान हो गया। अब आप NSE(National Stock Exchange) के goBID के एप् पर Government Securities के लिये निवेश कर सकते हैं।
Government Securities के बारे में जानकारी(FAQs) :
Q. सरकारी प्रतिभूतियां कितने प्रकार की होती है ?
A. सरकारी प्रतिभूतियां 4 प्रकार( 1. Treasury Bills(T-bills), 2. Cash Management Bills(CMBs), 3. Dated G-Secs, 4. State Development Loans(SDLs) ) की होती हैं |
Q. प्रतिभूतियों का मतलब क्या होता है ?
A. सरकार सरकारी प्रतिभूतियां जारी करती है। सरकारी प्रतिभूति एक तरह का बॉन्ड होता है जिसे सरकार जारी करती है और Promised करती है कि जब इसकी Maturity पूरी होगी हो सरकार इनको वापस पैसा दे देगी।
Q. प्रतिभूतियां कौन जारी करता है ?
A. सरकारी प्रतिभूतियां सरकारी प्रतिभूतियां 4 प्रकार( 1. Treasury Bills(T-bills), 2. Cash Management Bills(CMBs), 3. Dated G-Secs, 4. State Development Loans(SDLs) ) की होती हैं |
जिसमें Dated G-Secs और Treasury Bills(T-bills) केंद्र सरकार द्वारा जारी किया जाता है और State Development Loans राज्य सरकार द्वारा जारी की जाती है|
Q. भारत में सरकारी प्रतिभूतियां कौन बेचता है ?
A. भारत में सरकारी प्रतिभूतियां सरकार आरबीआई द्वारा जारी करती है |
Q. सरकारी प्रतिभूतियों का दूसरा नाम क्या है ?
A. सरकारी प्रतिभूतियों को G-Secs के नाम से भी जाना जाता है |
Q. सरकारी प्रतिभूतियां in English ?
A. सरकारी प्रतिभूतियों को English में Government Securities कहा जाता है |
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