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MLA(विधायक) और MP(सांसद) में क्या अंतर है : MLA और MP की शक्तियां व योग्यताएं

भारत में संघीय  व्यवस्था को Follow किया जाता है, जिसमें दो तरह की सरकार होती है- 

  1. केंद्र सरकार  
  2. राज्य सरकार 

केंद्र में एक हाउस होता है जिसे संसद कहते हैं, इसी तरह राज्य में एक हाउस होता है जिसे विधानसभा कहते हैं, 

जो व्यक्ति संसद में चुनकर जाता है उसे MP(Member of Parliament) या सांसद कहते हैं जो अपने क्षेत्र से संबंधित मुद्दे संसद में उठाता है तथा जो व्यक्ति विधानसभा मैं चुनकर जाता है, उसे MLA(Member of Legislative Assembly) या विधायक कहते हैं।

MP या सांसद क्या होता है :-  यह भारत की संसद का सदस्य होता है जिसे जनता द्वारा लोकसभा के चुनाव या विधायकों द्वारा राज्यसभा चुनाव के माध्यम से चुना जाता है।राज्यसभा के चुनाव कैसे होता है इसके लिए यहां क्लिक(Click) करें  | इसका पूरा नाम Member of Parliament है।

यह जिस क्षेत्र का सांसद होता है उसकी सभी समस्याएं संसद में उठाना इसका मुख्य कार्य होता है| वह देश से जुड़ा कोई मुद्दा हो उस पर अपना विचार रख सकता है और उसका विरोध भी कर सकता है।

MLA या विधायक क्या होता है:- यह राज्य की विधानसभा का सदस्य होता है जिसे जनता द्वारा विधानसभा चुनाव के माध्यम से चुना जाता है, जिसे हम विधायक कहते हैं, 

इसका अंग्रेजी में नाम Member of Legislative Assemble है MLA अपने क्षेत्र की सभी समस्याओं को विधानसभा मैं उठाता है और अपने क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करता है।

MLA(विधायक) और MP(सांसद) में क्या अंतर है :  MLA और MP की शक्तियां व योग्यताएं


MLA(विधायक) और MP(सांसद) के लिए योग्यताएं :-

MLA के लिए योग्यताएं:- 

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए, 
  • उसकी उम्र कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए, 
  • वह उस राज्य की Constituency का रजिस्टर वाटर होना चाहिए, 
  • वह दिमाग से स्वस्थ हो।


MP के लिए 
योग्यताएं :- 

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए, 
  • उसकी उम्र राज्यसभा के लिए कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए और लोकसभा के लिए कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए।

MLA की शक्तियां :- 

विधायी शक्ति :- इसमें MLA का प्रमुख कार्य होता है -कानून बनाना, संविधान के अनुसार राज्य विधानसभा केवल राज्य सूची व समवर्ती सूची में ही कानून बना सकती है, 

राज्य सूची के विषय में राज्य से संबंधित विषय होते हैं जैसे - कृषि, व्यापार, वाणिज्य, विकास, सिंचाई आदि।

वही समवर्ती सूची के विषय में केंद्र और राज्य दोनों के लिए महत्वपूर्ण विषय होते हैं जैसे - शिक्षा, जंगल, विवाह, Adoption आदि| 

सामान्यता राज्य से संबंधित कानून राज्य में ही बनते हैं, लेकिन आपातकाल की स्थिति में राज्य से संबंधित विषय पर केंद्र में कानून बनाए जाते हैं।

वित्तीय शक्ति:- राज्य के वित्त से संबंधित शक्ति राज्य के पास होती है जैसे - धन विधेयक, यह केवल राज्य विधानसभा में ही पेश किया जाता है।

कार्यकारी शक्ति :- प्रत्येक राज्य में MLA के पास कार्यकारी शक्ति होती है यह मुख्यमंत्री और राज्य के मंत्री परिषद को कंट्रोल करते हैं जैसे - किसी राज्य में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है जिससे अविश्वास प्रस्ताव पास होने पर सत्ता गिर जाती है।

Electoral Powers :- MLA मिलकर राष्ट्रपति चुनने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, MLA राज्यसभा के सदस्यों को चुनते हैं राज्य के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को MLA द्वारा चुना जाता है।

यदि जिस राज्य में विधान परिषद होती है उसके एक - तिहाई सदस्यों को उस राज्य के MLA के द्वारा चुने जाते हैं।

संवैधानिक शक्ति :- संविधान में जो भाग संघीय व्यवस्था से संबंधित है उसमें एमएलए की मदद से संशोधन किया जा सकता है,  MLA द्वारा पब्लिक सर्विस कमीशन और AG की रिपोर्ट का रिव्यू किया जाता है, MLA संविधान विधानसभा में अलग-अलग समितियों को भी चुनते हैं।

MP की शक्तियां व कार्य :-  

एमपी का मुख्य काम होता है देश के लिए जो कानून बन रहे हैं उनमें योगदान देना |

विधायी शक्ति :- एमपी केंद्रीय सूची और समवर्ती सूची के विषय में कानून बनाने के लिए अपनी शक्ति का यूज करता है, केंद्रीय सूची में राष्ट्रीय सुरक्षा, बैंकिंग, संचार, विदेशी मामले आते हैं जबकि समवर्ती सूची में शिक्षा, जंगल आदि विषय शामिल होते हैं।

सुपरवाइजरी रोल :- कार्यपालिका के ऊपर कंट्रोल की Power भी होती है जैसे - question hour, zero hour, calling attention motion, Mo confidence motion, Censure motion आदि | 

Electoral Role :- एमपी का राष्ट्रपति -उपराष्ट्रपति के चुनाव में योगदान होता है, लोकसभा के MP लोकसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को चुनते हैं, 

राज्यसभा के MP राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन को चुनते हैं। 

Purse की शक्ति :- सरकार कोई भी टैक्स लगाने या व्यय करने से पहले संसद में MP का Approval लेना पड़ता है| 

MP की प्रतिनिधित्व जिम्मेदारी :- हर MP अपनी Constituency यानी अपने निर्वाचन क्षेत्र की आवाज होता है और हर MP की जिम्मेदारी होती है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के मुद्दे को संसद में रखे और उस पर चर्चा करें | 

एक MP अपने क्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्ट को केंद्र और राज्य के मंत्रियों के साथ Follow करता है और इस प्रोजेक्ट को DM को सिफारिश करता है, 

हर MP को Parliament Local Development Scheme के तहत हर साल 5 करोड रुपए दिए जाते हैं, लेकिन यह पैसा डायरेक्ट MP को नहीं दिया जाता है, 

बल्कि जिला प्राधिकरण को दिया जाता है और फिर उस फंड को विकास के लिए खर्च करना होता है।

MP और MLA के बीच अंतर :- 

  • MP संसद के सदस्य होते हैं व MLA राज्य विधानसभा के सदस्य होते हैं, 
  • MLA राज्य सूची व समवर्ती सूची से संबंधित विषयों को विधानसभा में रखते हैं जबकि एमपी केंद्र सूची  समवर्ती सूची से संबंधित विषय को संसद में रखते हैं|  
  • सामान्यता MLA राज्यों के मुद्दे पर अपनी बात रखते हैं जबकि एमपी केंद्र के मुद्दे पर मुद्दों पर अपनी बात रखते हैं, 
  • राज्य के मुद्दे उस राज्य पर लागू होते हैं जबकि केंद्र के मुद्दे पूरे देश पर लागू होते हैं, 
  • 1 जिले में कई MLA हो सकते हैं जबकि सामान्यता एक जिले में एक MP ही होता है।
  • जिस पार्टी के MLA ज्यादा होते हैं वे मुख्यमंत्री चुनते हैं, एक मंत्री परिषद का गठन होता है तथा सत्तारूढ़ पार्टी के लिए MLA को मुख्यमंत्री की मदद से मंत्री बनाए जाते हैं, 
  • जबकि जिस पार्टी के MP ज्यादा होते हैं वे प्रधानमंत्री चुनते हैं, एक मंत्री परिषद का गठन होता है तथा सत्तारूढ़ पार्टी के MP को प्रधानमंत्री की मदद से मंत्री बनाए जाते हैं।

MLA and MP के बारे में जानकारी(FAQS ) :
Q. MP MLA का फुल फॉर्म क्या होता है?
A.  MLA- Member of Legislative Assemble  and MP- Member of Parliament

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