हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की नियुक्ति पर एक बड़ा फैसला सुनाया है जिससे यह माना जा रहा है कि चुनाव आयोग की संरचना में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय- इस मामले की शुरूआत होती है 2015 से जब चुनाव आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
इस याचिका में मुख्य तौर पर यह मांग की गयी थी कि सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिये एक स्वतंत्र तंत्र निर्धारित करें।
फिर 2018 में इसी विषय को लेकर एक नई याचिका दायर की गई इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की जो बेंच थी,
उसने इस मामले को संविधान बेंच को ट्रांसफर कर दिया। क्योंकि इस मामले में संविधान के व्यख्या की जरूरत थी।
हाल ही में इस 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर अपना निर्णय दिया और कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जायेगी और इसमें मुख्य रूप से 3 सदस्य शामिल होंगे-
- प्रधानमंत्री,
- लोकसभा में विपक्ष के नेता(यदि लोक सभा में विपक्षी पार्टी नहीं है तो ऐसी स्थिति में विपक्ष में जो सबसे बड़ी पार्टी है उसके नेता शामिल होंगे),
- मुख्य न्यायाधीश।
- चुनाव आयोग में नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव
- चुनाव आयोग और अधिक स्वतंत्र हो सकेगा।
- केन्द्र सरकार की नियुक्ति की छूट, पक्षपात का आरोप।
चुनाव आयोग(Election Commission) क्या है ? : -
यह एक स्थायी व स्वतंत्र निकाय है जिसकी स्थापना देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के उद्देश्य से की गयी थी तथा संविधान के अनुच्छेद-324 चुनाव आयोग के संबंध में है।
संसद, राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के पदों के लिये निर्वाचन कराने, निर्देश देने व Control करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है।
चुनाव आयोग एक अखिल भारतीय संस्था है यानी यह केन्द्र व राज्य सरकारों दोनों के लिये समान है।
ध्यान रहें - पंचायतों व निगम चुनावों के लिये भारतीय संविधान में राज्य निर्वाचन आयोग की व्यवस्था की गयी हैं|
भारतीय संविधान का अनुच्छेद-324 क्या है- चुनावों के अधीक्षण, निर्देशन और निर्देशन की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को दी गयी है। इसी अनुच्छेद में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग में एक चुनाव आयुक्त होगा और इसके अलावा चुनाव आयोग में राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित अन्य चुनाव आयुक्त भी होंगे।
नियुक्ति के लिये कोई विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गयी है, इसमें प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद सलाह करता है कि किस व्यक्ति की नियुक्ति की जाये। ये सिफारिशें राष्ट्रपति को दी जाती है और राष्ट्रपति इन सिफारिशों को अंतिम मंजूरी देते हैं।
निर्वाचन(Election) आयोग की संरचना-
भारत में चुनाव आयोग सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है :- निर्वाचन आयोग एक बहुसस्यीय संस्था है जो मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों से मिलकर बना होता है तथा मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है,
साथ ही राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सलाह पर प्रादेशिक आयुक्तों(Regional Commissioners) की नियुक्ति कर सकता है, निर्वाचन आयोग की सहायता के लिये।
राष्ट्रपति द्वारा निर्वाचन आयुक्तों व प्रादेशिक आयुक्तों की सेवा शर्तें(Service Conditions) व पदावधि(tenure) निर्धारित(Fix) की जाती है।
चुनाव आयोग में कितने सदस्य होते हैं :- 1950 से लेकर 15 अक्टूबर, 1989 तक निर्वाचन आयोग एक सदस्य था जिसमें केवल मुख्य निर्वाचन अधिकारी होता था,
फिर 1989 में( मत देने की न्यूनतम आयु 21 से 18(61 वां संविधान संशोधन, 1988 के तहत) करने के बाद ) राष्ट्रपति ने आयोग के भार को कम करने के लिये दो निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया,
लेकिन 1990 में फिर से आयोग एक संस्था हो गया एवं एक बार फिर अक्टूबर, 1993 में 2 निर्वाचन आयुक्तों को नियुक्त किया गया जिसके बाद अब तक निर्वाचन आयोग बहुसदस्यीय संस्था के रूप में कार्य कर रहा है जिसमें एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त व 2 अन्य निर्वाचन आयुक्त हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त व अन्य आयुक्तों के पास शक्तियां, वेतन, भत्ते, व दूसरे लाभी एक समान होते हैं(जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान होते हैं।)
भारत में चुनाव आयोग सदस्यों कार्यकाल कितना है :- 6 वर्ष या 65 वर्ष जो पहले हो। वे किसी भी समय त्यागपत्र दे सकते हैं या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी हटाया जा सकता है।
चुनाव आयोग के सदस्यों को कैसे हटाया जाता है?
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को उसी तरह हटाया जा सकता है जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को हटाया जाता है अन्यथा नहीं।
दुर्व्यवहार या असक्षमता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से संकल्प पास होने पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
अन्य निर्वाचन आयुक्त व प्रादेशिक आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सिफारिश पर ही हटाया जा सकता है अन्यथा नहीं।
भारत के वर्तमान मुख्य निर्वाचन आयुक्त कौन है :- राजीव कुमार
संविधान में चुनाव आयोग को व्यापक जिम्मेदारी दी गयी है, लेकिन इसके बावजूद इसमें बहुत ज्यादा विस्तार नहीं किया गया।
15 जून, 1949 को बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा चुनाव आयोग से संबंधित जो प्रावधान पेश किये रहे थे उन्होंने इस विषय को लेकर कहा था कि -
"समग्र चुनाव मशीनरी चुनाव आयोग के हाथ में होगी, यानी चुनाव आयोग से जुड़े जो पहलू हैं उनका निर्धारण चुनाव आयोग द्वारा किया जायेगा और चुनाव आयोग के पास यह शक्ति प्राप्त होगी कि वह रिटर्निंग अधिकारियों, मतदान अधिकारियों और अन्य जो चुनाव आयोग के कार्य में लगे हुए है उनको निर्देश जारी कर सकता है।"
फिर जब भारतीय संविधान लागू हो गया तो इससे जुड़े पहलूओं को हल करने के लिये सरकार द्वारा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 लागू किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय है मोहिंदर सिंह बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त, 1977 इसमें भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की शक्तियों को लेकर बहुत सारी व्याख्या की थी-
जैसे- ऐसे क्षेत्र जहां संसद ने चुनाव को लेकर कानून नहीं बनाया है ऐसे क्षेत्रों में चुनाव आयोग को शक्तियां प्राप्त है।
इस निर्णय द्वारा चुनाव आयोग की शक्तियों को व्यापक कर दिया गया है।
भारत सरकार द्वारा चुनाव आयोग अधिनियम, 1991 लागू किया गया- इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों का निर्धारण किया गया था, इसी अधिनियम द्वारा यह भी तय किया गया कि मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्तों का कार्यकाल 6 साल निर्धारित किया गया।
संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की अर्हता निर्धारित नहीं की गयी है ना ही संविधान में निर्वाचन आयोग के सदस्यों की पदावधि बतायी गयी है।
संविधान में Retirement के बाद निर्वाचन आयुक्तों को सरकार द्वारा अन्य दूसरी नियुक्तियों पर रोक नहीं लगाई गई है।
- चुनाव आयोग संसद के परिसीमन आयोग अधिनियम के आधार पर पूरे भारत के निर्वाचन क्षेत्रों के भू-भाग का निर्धारण करता है।
- Updating के आधार पर निर्वाचक-नामावली तैयार करना जो योग्य मतदाता हैं उनको पंजीकृत करना।
- निर्चाचन की तारीख तय करना और समय-सारणी बनाना एवं नामांकन पत्रों जी जांच करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना एवं उन्हें निर्वाचन चिन्ह देना और यदि इन मामलों में विवाद हो तो उसके समाधान के लिये न्यायालय की तरह काम करना।
- निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद होने पर उसकी जांच के लिये अधिकारी की नियुक्ति करना।
- चुनाव के समय दलों व उम्मीदवारों के लिये आचार संहिता लागू करना।
- संसद के सदस्यों की निरर्हरता(disqualification) से संबंधित मामलों में राष्ट्रपति को सलाह देना तथा विधानमंडल के संबंध में राज्यपाल को।
- मतदान केन्द्र लूट, हिंसा व अन्य कारणों से निर्वाचन रद्द करना।
- पूरे भारत में स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये चुनाव तंत्र का पर्यवेक्षण(Observe) करना।
- राष्ट्रपति को सलाह देना कि जिस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है वहां एक वर्ष पूरा होने के बाद निर्वाचन करायें जायें या नहीं।
- राजनीतिक दलों को निर्वाचन के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय(State) दल का दर्जा देना।
भारत में चुनाव कैसे करवाया जाता है :- निर्वाचन आयोग को सहायता उप-निर्वाचन आयुक्त करते हैं जो कि सिविल सेवा से आते हैं। आयोग द्वारा उन्हें कार्यकाल व्यवस्था के आधार पर लिया जाता है जिनकी सहायता के लिये आयोग के सचिवालय में कार्यरत सचिवों, संयुक्त सचिवों, उप-सचिवों व अवर सचिवों होते हैं।
राज्य स्तर पर, राज्य निर्वाचन आयोग की सहायता मुख्य निर्वाचन अधिकारी करते हैं जिनकी नियुक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त राज्य सरकारों की सलाह पर करते हैं।
उसके बाद जिला स्तर पर जिला अधिकारी(कलेक्टर), जिला निर्वाचन अधिकारी होता है उसके द्वारा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिये निर्वाचन अधिकारी व प्रत्येक मतदान केन्द्र के लिये पीठासीन अधिकारी नियुक्त किये जाते हैं।
चुनाव आयोग के बारे में जानकारी(FAQs) :-
Q. भारत के प्रथम चुनाव आयोग कौन थे ?
A. भारत के प्रथम चुनाव आयोग सुकुमार सेन थे |
Q. भारत के चुनाव आयोग का कार्यकाल कितना होता है?
A. इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य चुनाव आयुक्तों की सेवा शर्तों का निर्धारण किया गया था, इसी अधिनियम द्वारा यह भी तय किया गया कि मुख्य चुनाव आयुक्त व अन्य आयुक्तों का कार्यकाल 6 साल निर्धारित किया गया।
Q. भारत के निर्वाचन आयोग का मुख्यालय कहाँ है?
A. भारत के निर्वाचन आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है |
Q. भारत में चुनाव कौन करवाता है?
A. भारतीय संविधान के अनुसार भारत में चुनाव का आयोजन भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है |
Q. चुनाव से सम्बंधित मामले |
A. 2015 से जब चुनाव आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
2018 में इसी विषय को लेकर एक नई याचिका दायर की गई इसमें सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट की 2 जजों की जो बेंच थी
हाल ही में इस 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर अपना निर्णय दिया और कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जायेगी और इसमें मुख्य रूप से 3 सदस्य शामिल होंगे- PM, विपक्ष के नेता, CJI |
सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय है मोहिंदर सिंह बनाम मुख्य चुनाव आयुक्त, 1977 इसमें भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग की शक्तियों को लेकर बहुत सारी व्याख्या की थी-
जैसे- ऐसे क्षेत्र जहां संसद ने चुनाव को लेकर कानून नहीं बनाया है ऐसे क्षेत्रों में चुनाव आयोग को शक्तियां प्राप्त है।
इस निर्णय द्वारा चुनाव आयोग की शक्तियों को व्यापक कर दिया गया है।
Q. निर्वाचन आयोग किस भाग में है?
A. निर्वाचन आयोग का जिक्र भारतीय संविधान के भाग 15 में है |
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