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आसियान(ASEAN) क्या है : आसियान के सदस्य देश, इसके उद्देश्य और कार्य व भारत के साथ संबंध

ASEAN full form in hindi - Association of south east asia Nations (दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन ):

आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों से मिलकर बना एक क्षेत्रीय संगठन है। आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 में की गई,

आसियान का मुख्य उद्देश्य: जिसका उद्देश्य है एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच समृद्धि आर्थिक विकास शांति और स्थिरता बनाना व इस का आदर्श 'वाक्य' है वन विजन, वन आईडेंटिटी, वन कम्युनिटी, ।

आसियान कैसे बना :- 1967 में पांच संस्थापक राष्ट्र (इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड) द्वारा आसियान घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर आसियान की स्थापना की गई, 

  • 1990 के दशक में इसके सदस्यों की संख्या दुगनी हो गई, क्योंकि वियतनाम युद्ध के बाद और शीत युद्ध के बाद परिस्थितियां बदली।
  • 1984 में ब्रूनेई, 1995 में वियतनाम, 1997 में लाओस और म्यांमार व 1999 में कंबोडिया आसियान के सदस्य बने। 
  • 1995 में दक्षिण पूर्व एशिया को परमाणु मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए सदस्यों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, 
  • 1997 में आसियान विजन 2020 को अपनाया गया, 
  • 2003 में आसियान समुदाय की स्थापना के लिए "बाली कानकार्ड द्वातीय",
  • 2008 में आसियान चार्टर लागू हुआ और कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता हुआ ।
  • 2015 में आसियान समुदाय की शुरुआत हुई।

आसियान की स्थापना कब हुई :- आसियान की स्थापना 1967 में बैंकोंक घोषणा पत्र के तहत की गई। इसका मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है।

आसियान के संस्थापक देश कौन से हैं: -  आसियान के संस्थापक देश - 

  1. इंडोनेशिया, 
  2. मलेशिया, 
  3. थाईलैंड, 
  4. फिलीपींस, 
  5. सिंगापुर है। 

आसियान + 3 क्या है : आसियान देश और जापान, चीन, दक्षिण कोरिया है ।

आसियान +1 क्या हैआसियान देश और भारत।

EAS(East Asia Summit) क्या है : -  इसका 13वा सम्मेलन नवंबर, 2018 में सिंगापुर में हुआ। 

इसी के तहत भारत में नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण हुआ। EAS (East Asia Summit)  पहली बार 2005 में आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य है : सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देना।

सामान्यता इसमें आसियान देश और ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, रूस, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष इस में भाग लेते हैं।

आसियान(ASEAN)  क्या है : आसियान के सदस्य देश, इसके उद्देश्य और कार्य व भारत के साथ संबंध

लुक ईस्ट पॉलिसी क्या है :-  यह भारतीय विदेश नीति का एक हिस्सा है जिसमें भारत के दक्षिण पूर्व एशिया व पूर्वी एशिया के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने का प्रयास किया जाता है।

भारत ने 1992 में लोक लिस्ट पॉलिसी(Look East Policy) को 2 उद्देश्यों के रूप में प्रस्तावित किया। 

1991 की  वैश्वीकरण संबंधी आंधी ने भारत में नई आर्थिक नीति को लागू किया जिससे भारत बंद से खुली अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो गया| 

इसके कारण नए क्षेत्रों और बाजारों तक अपनी पहुंच स्थापित करने के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से अपने ऐतिहासिक सांस्कृतिक और सभ्यता संबंधों के आधारों पर इस नीति को प्रस्तावित किया।  

उत्तर पूर्व के राज्यों में प्रथकतावाद एक बड़ी समस्या बनती जा रही थी जिसका मूल कारण इन राज्यों का शेष भारत की तुलना में कमजोर आर्थिक विकास देखा जा सकता है 

इस पृथकतावाद  को समाप्त करने के लिए इन राज्यों ने तेजी के साथ आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए "लुक ईस्ट पॉलिसी" की नीति एक तर्कपूर्ण व्यवहारिक विकास था लुक ईस्ट पॉलिसी केंद्रित प्रक्रिया थी जिसका संचालन विदेश मंत्रालय से होता था।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी क्या है: - इसकी शुरुआत नवंबर 2014 मैं पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से हुई।

उद्देश्य क्या हैं :- देखने में निहित ठहराव से आगे बढ़ना और इस क्षेत्र में पहले से अधिक सक्रिय भूमिका का निर्वहन करना| 

इसका संकेंद्रण दक्षिण पूर्व एशिया के साथ-साथ पूर्वी एशिया(जापान, कोरिया आदि) में भी बढ़ाया गया है।

नीति के 3C (CCC) से का क्या मतलब है:-

  • कॉमर्स(Commerce)
  • कल्चर (Culture)
  • कनेक्टिविटी(Connectivity)

लुक ईस्ट पॉलिसी केवल आर्थिक एकीकरण और दक्षिण-पूर्व एशिया तक सीमित है जबकि एक्ट ईस्ट पॉलिसी में आर्थिक के साथ-साथ सुरक्षा एकीकरण भी शामिल है तथा इसमें दक्षिण पूर्व एशिया के अलावा पूर्वी एशिया जिसे जापान आदि भी शामिल है।

RECP(Regional comprehensive economic partnership) क्या है:  यह आसियान के 10 देश व एशिया प्रशांत के 6 देश (भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व चीन) के बीच एक व्यापक स्वतंत्र व्यापार समझौता है। इस पर नवंबर, 2020 को हस्ताक्षर हुए।

आसियान के 33 वें शिखर सम्मेलन(सिंगापुर में हुआ) में लगभग इस पर आम सहमति बनी है यह लागू होने पर दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक समूह होगा।

आसियान के 10 देश कौन कौन से हैं - 

    1. इंडोनेशिया, 
    2. मलेशिया, 
    3. थाईलैंड, 
    4. फिलीपींस, 
    5. सिंगापुर
    6.  ब्रुनेई
    7. लाओस
    8. कंबोडिया
    9. वियतनाम
    10. म्यांमार  

आसियान का उद्देश्य क्या है :- 

  • क्षेत्रीय स्तर पर आर्थिक- सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास एवं क्षेत्रीय शांति तथा स्थिरता को बढ़ावा देना। 
  • सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान, संप्रभुता, समानता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए आपसी सम्मान को बढ़ावा देना।
  • दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन और शांतिपूर्ण समुदाय के लिए आर्थिक विकास, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना ।
  • संयुक्त राष्ट्र चार्टर सिद्धांतों के पालन के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ाना। 
  • सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, तकनीकी, वैज्ञानिक, प्रशासनिक जैसे मामलों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना। 
  • कृषि और उद्योगों के अधिक उपयोग, व्यापार, विस्तार, परिवहन और संचार सुविधाओं में सुधार करना व लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना। 
  • दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन को बढ़ावा देना। 
  • वर्तमान दौर के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और लाभप्रद सहयोग बनाए रखना।

आसियान के मूलभूत सिद्धांत :  सभी देशों की स्वतंत्रता, समानता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सभी देशों की राष्ट्रीय पहचान के लिए आपसी सम्मान करना ।

आसियान का आदर्श वाक्य(Motto) "एक दृष्टि, एक पहचान, एक समुदाय" है।

एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना ।

शांतिपूर्ण तरीके से मतभेद या विवादों को निपटान करना। 

प्रभावी आपसी सहयोग करना व धमकी या बल का प्रयोग ना करना।

क्षेत्रीय स्थिरता की सुरक्षा करना ।

9 वें आसियान शिखर सम्मेलन, 2003 आसियान समुदाय की स्थापना का निर्णय लिया गया, सेबू घोषणा (Cebu Declaration) के अनुसार आसियान समुदाय की स्थापना 2015 तक की जानी थी।

आसियान समुदाय के तीन प्रमुख भाग -

  • आसियान आर्थिक समुदाय, 
  • आसियान राजनीतिक सुरक्षा समुदाय, 
  • आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय।

संस्था तंत्र :- आसियान देशों के सदस्य देशों के अंग्रेजी नामों के वरनानुक्रम के आधार पर आसियान की अध्यक्षता हर साल बदलती रहती है ।

आसियान शिखर सम्मेलन:-  यह आसियान की सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था है, 

शिखर सम्मेलन आसियान की नीतियों और उद्देश्यों के लिए दिशा निर्धारित करती है। चार्टर के तहत शिखर सम्मेलन 1 साल में दो बार होता है। 

आसियान मंत्रालयिक परिषद :- शिखर सम्मेलन की सहायता के लिए 4 नए मंत्रालयिक निकाय स्थापित किए गए हैं: 

  1. आसियान समन्वय परिषद(ACC), 
  2. आसियान राजनीतिक सुरक्षा समुदाय परिषद,
  3. आसियान आर्थिक समुदाय परिषद, 
  4. आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय परिषद।

आसियान में निर्णय लेने का प्राथमिक तरीका सहमति और सलाह है ।
चार्टर-X का मतलब है कि यदि सभी सदस्य राष्ट्र सहमति में है तो भागीदारी के लिए एक सूत्र का उपयोग किया जा सकता है।

आसियान क्षेत्रीय मंच(ARF) :-  इसे 1993 में शुरू किया गया 27 सदस्य बहुपक्षीय समूह द्वारा राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग हेतु विकसित किया गया था।

आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक(ADMM)+ :-  आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस में आसियान और 8 संवाद भागीदारों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, ROC, रूसी संघ, न्यूजीलैंड और अमेरिका) के लिए एक मंच है, 

जिसका मकसद है शांति स्थिरता और विकास के लिए सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करना।

आसियान की शक्तियां :- आसियान के पास 1 जुलाई 2019 तक जनखंख्या लगभग 655 मिलियन थी, जो विश्व की जनसंख्या का 8.5% है।

आसियान एशिया प्रशांत व्यापार, राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को अधिक प्रभावित करता है ।

यह विनिर्माण और व्यापार के क्षेत्र में विश्व का सबसे तेजी से बढ़ते उपभोक्ता बाजारों में एक है। 

ऐसा अनुमान है कि यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 2050 तक बन सकता बन सकता है जो अब 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।


आसियान(ASEAN)  क्या है : आसियान के सदस्य देश, इसके उद्देश्य और कार्य व भारत के साथ संबंध


किस देश के साथ आसियान का मुक्त व्यापार समझौता(FTA) है:  आसियान का मुक्त व्यापार समझौता:

  • ऑस्ट्रेलिया, 
  • न्यूजीलैंड, 
  • चीन, 
  • भारत, 
  • जापान, 
  • कोरिया गणराज्य, 
  • हांगकांग  के साथ है।

आसियान में भारत की क्या भूमिका है :- आसियान -भारत शिखर सम्मेलन का आयोजन हर साल किया जाता है, 

जो आसियान और भारत को आपसी संबंधों को मजबूत करने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है ।

वर्ष 2022 में आसियान भारत के संबंधों के 30 साल पूरे हो गए हैं। 

आसियान संगठन हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी और indo-pacific कि हमारी व्यापक अवधारणा के फोकस में है ।

आसियान भारत के बीच की रणनीतिक साझेदारी, साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक, आर्थिक, सामाजिक विकास के संबंधों की मजबूत नींव पर टिकी है।

18वा आसियान शिखर सम्मेलन 2021 की अध्यक्षता ब्रनेई दारुस्सलाम के सुल्तान हाजी हसनल बोल बोल्किया द्वारा की गई।
 इसकी थीम थीWe Care, we prepare, we prosper.
 
इस सम्मेलन में म्यांमार को शामिल नहीं किया गया क्योंकि म्यांमार में तख्तापलट किया गया था, जिससे लोकतंत्र का दमन हुआ।

इस सम्मेलन में स्वास्थ्य, वाणिज्यिक, शिक्षा, संस्कृति सहित कई क्षेत्रों में हुई प्रगति का आकलन किया गया ।
सम्मेलन में महामारी के बाद आर्थिक सुधार सहित कई अहम क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय विकास के मुद्दों पर चर्चा की गई।

सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान संस्कृतिक धरोहर सूची तैयार करने के लिए भारत की ओर से जरूरी मदद की पेशकश की।

भारत आसियान के संबंध:-  

भारत आसियान संबंधों की शुरुआत 1990 के दशक में लुक ईस्ट पॉलिसी से हुई और 

 भारत 1993 में आसियान का सेक्टोरल वार्ता साझेदार व 1996 में पूर्ण वार्ता साझेदार और 2002 में 1 शिखर स्तरीय भागीदार बना।

वर्ष 2012 में नई दिल्ली में भारत आसियान संबंधों की बीसवीं सालगिरह के दौरान दोनों पक्षों के बीच सामरिक रिश्तो की बात हुई तथा 2014 में 12वीं शिखर सम्मेलन के दौरान "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" की घोषणा की गई। 

भारत आसियान  दोनों ने संस्कृति, एकीकृत, वाणिज्यिक पर अधिक फोकस किया है ।

आसियान भारत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के समान हितों को साझा करते हैं एवं दोनों हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है ।

आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है एवं आसियान के साथ भारत का अनुमानित व्यापार लगभग 10.6 प्रतिशत है ।

भारत के कुल निर्यात का आसियान से निर्यात लगभग 11.28% है ।

आसियान देशों तथा भारत के निजी प्रमुख उद्यमियों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2003 में Asean India-business Council (AIBC) की स्थापना की गई।

सामाजिक, सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना जैसे भारत में आसियान छात्रों को आमंत्रित करना, आसियान राजनयिक के लिए विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, सांसदों का आदान-प्रदान आदि।

भारत और आसियान में संगठनों और थिंक टैंको के साथ नीति रिसर्च, रक्षा तथा नेटवर्किंग गतिविधियों को शुरू करना।

भारत के लिये आसियान का महत्व-

भारत के लिये आर्थिक व सुरक्षा कारणों से आसियान देशों के साथ घनिष्ठ राजनयिक संबंध बनाना बहुत जरूरी हो जाता है।

आसियान देशों के साथ पूर्वोत्तर के राज्यों की आर्थिक वृद्वि सुनिश्चित की जा सकती है।

पूर्वोत्तर राज्यों में जिस तरह से उग्रवाद और आतंकवाद तेजी के साथ फैल रहा है इसको रोकने के लिये आसियान का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

भारत का इन देशों के साथ अच्छा संबंध होने से, चीन की साम्राज्यवाद नीति को रोकने में मदद मिलेगी।

भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिये इन देशों की भूमिका अहम हो जाती है।

दक्षिण चीन सागर में जिस तरह से चीन हस्तक्षेप कर रहा है उसको रोकने के लिये भी आसियान महत्वपूर्ण है।

आसियान के सामने चुनौतियां क्या है:  

चीन का विस्तारवादी रवैया, आर्थिक और सैन्य हठधर्मिता से भारत और आसियान दोनों परेशान है, 

जिससे चीन और अमेरिका के बीच रस्साकशी का माहौल बना रहता है, इन दोनों का रस्साकशी माहोल कहीं भारत और आसियान के लिए चिंता का सबब ना बन जाए, 

यह स्थिति हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक अस्थिरता पैदा कर सकती है।

दक्षिण चीन सागर, उत्तर कोरिया परमाणु विवाद, हिंद महासागर में जहाजों की सुरक्षा आदि चिंता का सबब है। 

आसियान देशों के अलग-अलग हित और अपनी प्राथमिकताएं हैं।

 आसियान के सामने आंतरिक और बाहरी चुनौतियां भी हैं, 

सीमा विवाद और संघर्ष, अवैध प्रवास, नीरजातीय संकट और मकांग नदी पर बनने वाले बांध की वजह से आसपास के लोगों के जीवन को खतरा आदि की गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं।

Asean Summit 2023 - 

हाल ही में भारत और आसियान के डिजिटल मंत्रियों की बैठक का आयोजन वर्चुअल रूप से किया गया। यह इनकी तीसरी बैठक थी।

इस बैठक का उद्देश्य- इसका उद्देश्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत और आसियान संबंधों को मजबूत करना है।

विषय- ‘सिनर्जी टुवर्ड्स ए सस्टेनेबल डिजिटल फयूचर‘

अध्यक्षता- इस बैठक की अध्यक्षता भारत के संचार राज्य मंत्री व फिलीपींस के संचार विभाग के सचिव इवान जॉन ई.यूवाई ने सह-अध्यक्षता की।

प्रमुख बिन्दु-

इसमें डिजिटल समावेशन व एकीकरण में डिजिटल सहयोग को मजबूत करने की बात की गयी।

इसमें भारत आसियान डिजिटल कार्य योजना 2023 को मंजूरी दी गयी, इस कार्य योजना में संचार के उभरते हुए क्षेत्रों में क्षमता निर्माण व ज्ञान को शेयर करने की बात की गयी।

यह बैठक 10 आसियान देशों के संचार मंत्रियों की एक वार्षिक बैठक है जिसमें डायलोग पार्टनर देशों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाता है।

इसकी पहली बैठक 21-22 जनवरी, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेस के द्वारा हुई थी।

आगे की राह : चीन की आक्रामक/विस्तारवादी नीति को संतुलित करने के लिए भारत और आसियान दोनों का सहयोग बहुत जरूरी है  ।

दक्षिण चीन सागर में तेल के भंडार व प्राकृतिक केस हैं तो ऐसे में भारत, आसियान देशों के साथ बेहतर संबंध कर अपनी उर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है ।

भारत को आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते को अच्छी तरह से प्रयोग करना होगा। 

त्रिस्तरीय भारत - म्यांमार - थाईलैंड राजमार्ग के काम को गति देनी होगी ।

डिजिटल कनेक्टिविटी से दोनों पक्षों के संपर्कों को नया आकार मिलेगा।

 मेकांग नदी से जुड़े मुद्दों और दक्षिणी चीन सागर में विवादों से निपटने के लिए एकजुट होकर काम करने की जरूरत है।

आसियान के बारे में जानकारी(FAQs) :

Q . आसियान दिवस कब मनाया जाता है ?
A.  आसियान दिवस 8 अगस्त को मनाया जाता है।

Q . आसियान का मुख्यालय कहां स्थित है ?
A.  आसियान का मुख्यालय जकार्ता (इंडोनेशिया) में है।

Q . आसियान के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं ?
A.  आसियान के वर्तमान अध्यक्ष ब्रुनई के महामहिम सुल्तान हाजी हसन अल बोल्किया हैं ।

Q . आसियान के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैं ?
A.  आसियान के वर्तमान अध्यक्ष ब्रुनई के महामहिम सुल्तान हाजी हसन अल बोल्किया हैं ।

Q . 2022 में आसियान का अध्यक्ष कौन सा देश होगा?
A.  2022 में आसियान का अध्यक्ष कंबोडिया होगा।

Q . 2023 में आसियान का अध्यक्ष कौन सा देश होगा?
A.  2023 में आसियान का अध्यक्ष इंडोनेशिया होगा।

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