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कुटनीति क्या है : डिप्लोमेसी के प्रकार : अर्थ : परिभाषा : कार्य : उद्देश्य : विशेषताएं

चीन के इतिहास मे एक सुन जू नाम का सैन्य रणनीतिकार था, जिसका मानना है कि यदि कोई 100 लड़ाई लड़ लेता है तो वह पूर्ण कोशलता नहीं है, बिना लड़े ही किसी को अपने वश में कर लेना ही पूर्ण कोशलता है, आज दुनिया का हर देश इसी सिद्वांत को पूरा करता नजर आ रहा है, क्योंकि आज जिस तरह से दुनिया में माहौल बना हुआ है, वह इसी ओर ईशारा कर रहे हैं।

इसमें चीन का नाम सबसे उपर आता है, क्योंकि चीन जिस तरह से हिन्द महासगार में अपनी पकड़ बना रहा है, वह इसी ओर संकेत करता है, जिससे विश्व के कई देश व भारत भी इससे बहुत ज्यादा चिंतित है, जिससे भारत इससे निपटने के लिये कई तरह से डिप्लोमेसी का सहारा ले रहा है, 

क्योंकि भारत भी हिन्द महासागर में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है, क्योंकि भारत इसको लेकर अपनी विदेशी यात्रा के दौरान इसका जिक्र करता रहता है।

डिप्लोमेसी का मतलब क्या होता है :- Diplomacy को हिंदी में राजनय या कूटनीति कहते हैं | 

डिप्लोमेसी इन हिंदी :- 

आज हम कूटनीति पर बात करने जा रहे हैं, दरअसल जब "डिप्लोमेसी" शब्द का प्रयोग किया जाता है तो यह ग्रीक शब्द ‘Diploun‘ से लिया गया है जिसका मतलब होता है किसी विदेशी देश से किसी तरह का व्यहवार किया जाये तो उसके संबंध में कुछ व्यवस्थाएं होती हैं उसको डिप्लोमेसी कहा जाता है। 

भारत में हम इसके लिये कुटनीति का प्रयोग करते हैं। अक्सर हम यह सुनते रहते हैं कि वह व्यक्ति डिप्लोमेटिक है, उसका उत्तर बहुत डिप्लोमेटिक था जो कि इसका अर्थ यह लगाया जाता है कि उसने जो उत्तर दिया भी और नहीं भी दिया। 

भारत के संदर्भ में जब हम कहते हैं कि वह बहुत डिप्लोमेटिक चाल चल रहा है तो इसमें एक प्रकार से कुटिलता का भाव रहता है यानी हम उसके उत्तर पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।

जबकि भारतीय कुटनीति का तकनीकी मतलब होता है कि राज्यों के बीच कैसा व्यवहार होना चाहिए, क्या नियम होना चाहिए।

विदेशी मामलों में डिप्लोमेसी का अर्थ होता है राष्ट्रों या समूहों के प्रतिनिधियों द्वारा किसी मुददे पर चर्चा एवं वार्ता करने की कला व अभ्यास डिप्लोमेसी कहलाती है।

यानी आसान भाषा में अपने राज्य के हित को पूरा करना व इस हित को दूसरे देशों की मदद से अपने देश के हितों को पूरा कराने की कला ही डिप्लोमेसी कहलाता है, यानी हम इसमें बातचीत, समझौतों के द्वारा दूसरे देशों से अपने हित को, सुरक्षा को, लक्ष्य को पूरा करने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय संबंध बनाना।

Diplomacy(कुटनीति) क्या है - कुटनीति किसी राष्ट्र की विदेश नीति को व्यावहारिक(Practical) बनाने वाली नीति है यानी कुटनीति वह राजनीतिक प्रक्रिया है जिसमें संवादों के माध्यम से दो राष्ट्रों के मध्य पारस्परिक संबंधों की स्थापना एवं उन्हें मुधर बनाने का प्रयास किया जाता है। 

स्पष्ट है कि किसी राष्ट्र द्वारा संधियों, समझौतों या गठजोड़ों को सफल बनाने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में किये गये प्रयत्न भी कुटनीति के अन्तर्गत आते हैं।

आसान भाषा में एक देश के द्वारा दूसरे देश या संगठन के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने के लिये जो नीति अपनाई जाती है उसे कूटनीति कहते है।

Definition of Diplomacy according to Oxford dictionaryManagement of international relations by negotiations - बातचीत समझौतो के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय संबंध बनाना।

कुटनीति(Diplomacy) के उद्देश्य :- 

राजनीति का सबसे महत्वपूर्ण काम होता है अपने राष्ट्रीय हितों को पूरा करना साथ ही आर्थिक एवं सामरिक हितो को अपनाना।

विश्व व्यापी समस्याओं के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण रखना।

विभिन्न राष्ट्रों/राज्यों की विदेश नीति में उल्लेखित लक्ष्यों की प्राप्ति का प्रयत्न इस रूप में करना कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में शक्ति संतुलन की स्थापना की जा सकती है।

अन्तर्राष्ट्रीय शांति सुरक्षा तथा स्थायित्व सुनिश्चित करने का प्रयत्न।

विभिन्न राष्ट्र/राज्यों के पारस्परिक हितों की रक्षा तथा उनमें सहयोग व समन्वय के आयामों में अभिवृद्वि करना।

कुटनीति के अन्तर्गत अन्य सैन्य संदर्भ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अतः इसका एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्रीय और वैश्विक संतुलन की स्थापना भी माना जाता है।

कूटनीति उद्देश्यों को 2 प्रकार में बांटा जा सकता है-

1. राजनीतिक उद्देश्य- 

  • इसमें राष्ट्रीय हितों व राष्ट्रीय शक्ति को बढ़ावा देना,
  • राजनीतिक एकता को बनाये रखना,
  • दूसरे राज्यों पर अपने प्रभाव को बढ़ावा देना,
  • उक्त के लिये अनुनय, पुरस्कार, दण्ड, वायदों आदि का सहारा लिया जा सकता है।

2. गैर राजनीतिक उद्देश्य-

  • पारस्परिक अन्तनिर्भरता में सहयोग करना,
  • आर्थिक, औद्योगिक व व्यापारिक हितो में बढ़ोत्तरी करना।
  • इसमें सामाजिक, आर्थिक, विज्ञान, तकनीक, खेल, सांस्कृतिक संबंध आदि बढ़ाये जाते हैं।

कूटनीति के कार्य :- 

अपने उददेश्यों की पूर्ति के लिये कूटनीति को कई प्रकार के कार्य करने पड़ते है-

विदेशों में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना व अपने देश के मान-सम्मान तथा प्रतिष्ठा में वृद्वि करना।

दूसरे देशों के साथ संधि या समझौता वार्ताएं करना, कूटनीतिज्ञों का मूल कार्य होता है।

राजनायिक अपने तथा संबंधित देश के विदेश मंत्रालयों के मध्य बातचीत का माध्यम होते हैं।

कूटनीति का एक ओर कार्य है कि दूसरे राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों का निरीक्षण करते रहना तथा उसकी पूरी कार्यवाही/रिपोर्ट अपने सरकार को भेजना।

विदेशों में स्थित अपने देश के नागरिकों के जीवन, सम्पत्ति तथा हितों का संरक्षण करना।

कुटनीति(Diplomacy) बनाम राजनीति में अंतर - राजनीति सत्ता प्राप्ति का उपकरण है जबकि कुटनीति राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक साधन है। 

राजनीति राष्ट्र की सम्प्रभुत्व के संरक्षण को सुनिश्चित करती है जबकि कुटनीति के अन्तर्गत राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय हितों के बीच सामंज्स्य स्थापित करने पर बल दिया जाता है| 

भारत की कूटनीति क्या है :-

कुटनीति के अभिकर्ता(Agent)- सोवियत संघ का विघटन ने विश्व को दो ध्रुवीय व्यवस्था से एक ध्रुवीय व्यवस्था में बदल दिया इसका प्रत्यक्ष प्रभाव कुटनीति की प्रकृति और स्वरूप पर पड़ा।वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय बन्द अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार के लिये खोल दिया।

अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में Diplomacy(कुटनीति) क्यों महत्वपूर्ण है?

आतंकवाद- आतंकवाद का अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के केन्द्र में आना।

गैर-राज्य कारक- ऐसे कारक जो किसी देश की सीमाओं से बंधे न होकर किसी देश की कुटनीति को प्रभावित करते हैं जैसे- आम नागरिक, गैर-सरकारी संगठन(NGO), अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, सिविल सोसाइटी, मानवाधिकार संगठन, पर्यावरीणीय संगठन, बहुराष्ट्रीय कम्पनियां, मीडिया, खेल आदि।

जैसे जैसे भारत को विकास की गति मिल रही है, वैसे वैसे भारत इसका विस्तार कर रहा है, भारत के सामने जिस तरह से सामरिक चुनौतियां है, उससे निपटने के लिये भारत द्विपक्षीय समझौते के साथ बहुतपक्षीय समझौते भी कर रहा है, जैसे भारत और फ्रांस ने इंडो-पसिफिक रोडमैप जारी किया है, ऐसे ही भारत और अमेरिका के बीच हुए रणनीतिक साझेदारी भी हिन्द प्रशांत क्षेत्र पर ज्यादा फोकस कर रही है। 

कुटनीति क्या है :  डिप्लोमेसी के प्रकार : अर्थ : परिभाषा : कार्य : उद्देश्य : विशेषताएं :  What is Diplomacy in Hindi

भारत की विदेश नीति का उद्देश्य व कार्य :- 

  • अन्तर्राष्ट्रीय शांति सुरक्षा तथा स्थायित्व सुनिश्चित करने का प्रयत्न व अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा, मध्यस्थता एवं बातचीत से किया जायेगा।
  • भारत साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद और नस्लवाद का विरोध करता है।
  • भारत विश्व के सभी देशों में लोकतंत्र की स्थापना का समर्थन करता है।
  • वैश्विक संकट का हल बातचीत के माध्यम से निकालना।
  • विश्व व्यापी समस्याओं के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण रखना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय शांति सुरक्षा तथा स्थायित्व सुनिश्चित करने का प्रयत्न।
  • विभिन्न राष्ट्र/राज्यों के पारस्परिक हितों की रक्षा तथा उनमें सहयोग व समन्वय के आयामों में अभिवृद्वि करना।
  • कुटनीति के अन्तर्गत अन्य सैन्य संदर्भ भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अतः इसका एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्रीय और वैश्विक संतुलन की स्थापना भी माना जाता है।

 कुटनीति (Diplomacy) के प्रकार-

  • Track 1 diplomacy क्या है :- इसमें बेहतर संबंध बनाने के लिए दो देशों के मध्य यानी दोनों सरकारों के मध्य जो बातचीत(negotiations) की जाती है जैसे राष्ट्रपति-राष्ट्रपति के मध्य बातचीत( श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बातचीत)

  • Track 2 diplomacy क्या है :- इसमें बेहतर संबंध बनाने के लिए दो देशों के मध्य जनता को जनता से जोड़ना जैसे- Sports diplomacy, Transportance diplomacy etc

  • Track 1.5 diplomacy क्या है :- इसमें दो देशों के मध्य बेहतर संबंध बनाने के लिए सरकार को सरकार एवं जनता को जनता के साथ जोड़ना या अन्तरक्रिया(interaction) के लिये प्रयास किये जाते है।

  • Hard Power diplomacy क्या है :- जब कोई देश अपने राष्ट्रहित(National interest) को प्राप्त करने लिए युद्व का सहारा लेता है तो Hard power country कहा जाता है।

  • Soft Power diplomacy क्या है :- जो देश कूटनीति के द्वारा अपना प्रभाव जमाना व अपने राष्ट्रहित(National interest) के मकसद को प्राप्त करता है उसे Soft Power Country कहा जाता है।

Para diplomacy क्या है : - para diplomacy Track-1 diplomacy का ही एक संवृद्वित रूप है।

अवपीड़क कुटनीति(Coercive diplomacy) क्या है - जब सामान्य कुटनीतिक प्रयत्नों के अन्तर्गत जटिल मुददे पर गतिरोध बरकरार रहता है और तनाव चरम बिन्दु पर होता है 

तब अवपीड़क कुटनीति के अन्तर्गत दण्ड या भय के आधार पर सैन्य ताकत का प्रयोग करने की चैतावनी देना, सेनाओं को सीमा पर भेजना, सैन्य अभ्यासों में बढ़ोत्तरी, राजनयिक(diplomat) प्रणालियों को स्थापित करना, अवपीड़क कुटनीति कहलाता है।

Dollar Diplomacy - अमेरिका तथा अन्य पश्चिम राष्ट्रों द्वारा अपनी आर्थिक शक्ति का लाभ उठाते हुए अन्तर्राष्ट्रीय मुददों पर विकासशील देशों का समर्थन प्राप्त करना और उन पर इसके लिये दबाव बनाना डॉलर कुटनीति के अन्तर्गत आता है।

Gunboat Diplomacy - यह अवपीड़क की  अगली अवस्था है जिसमें सैन्य बल का प्रयोग करके अपने कुटनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता है जैसे - भारत चाहे तो पाकिस्तान पर सैन्य हमला कर जम्मू कश्मीर को अपने अधिकार में ले सकता है।

खेल/स्पोर्ट्स कुटनीति क्या है - द्विपक्षीय संबंधों में गतिरोध को तोड़ने के लिये खेल कुटनीति का सहारा लिया जाता है जिसके अन्तर्गत एक-दूसरे के राष्ट्राध्यक्षों का निमंत्रक और इसी संबंध में द्विप़क्षीय वार्ताओं की पहल को खेल कुटनीति का नाम दिया जाता हैं

बहुआयामी कुटनीति क्या है - आधुनिक विश्व की जटिल समस्याओं के आलोक में विभिन्न राष्ट्र/राज्यों द्वारा एक साथ कई स्तरों पर कुटनीतिक प्रक्रिया का संचालन बहुआयामी कुटनीति कहलाता है।

इसके अन्तर्गत अधिकारिक और गैर अधिकारिक स्तरों पर संघर्ष के कारणों को समाप्त करने के प्रयत्न नागरिकों और वैज्ञानिक स्तरों पर आदान-प्रदान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों का आदान-प्रदान जैसे विकल्प अपनाये जाते हैं 

ये प्रयत्न सरकारों, राजनैतिक संगठनों, व्यापारिक समुदायों, धार्मिक संगठनों, मीडिया आम नागरिक द्वारा संचालित किये जा सकते है।

कूटनीति की परिभाषा क्या है :-

पैडल फोर्ड और लिंकन के अनुसार :- कूटनीति प्रतिनिधित्व करने तथा वार्ता की ऐसी प्रक्रिया है, जिससे राष्ट्र शांति के समय एक दूसरे के साथ परंपरागत रूप से व्यवहार करते हैं।

आर्गेन्स्की के अनुसार :- कूटनीति दो या दो से अधिक राष्ट्रों के सरकारी प्रतिनिधियों के बीच होने वाली संधि वार्ता की प्रक्रिया हैं

के.एम.पणिक्कर के अनुसार :- अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रयुक्त कूटनीति अपने हितों को दूसरे देशों से आगे रखने की कला है।

मार्गेन्थउ के अनुसार :- कूटनीति का अर्थ शांतिपूर्ण साधनों द्वारा राष्ट्रीय हितों को बढ़ाना है।

कूटनीति का महत्व और विशेषताएं :-  

  • कूटनीति अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों की एक व्यवस्था है।
  • शांति हेतु समझौते और वार्ता की कला है।
  • कूटनीति युद्व व शांति दोनों दशाओं में कार्य करती है।
  • कूटनीति हमेशा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिये कार्य करती है।
  • कूटनीति की असफलता सदैव संकट पैदा करती हैं।
  • यह ऐसे वातावरण में कार्य करती है जहां विरोध और सहयोग दोनों होते हैं।
  • कूटनीति की सफलता राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति के आधार पर देखी जाती है।
  • राजनय मूल रूप से द्विपक्षीय है यह राष्ट्रो के बीच संबंधों का नियमन करता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में कूटनीति या राजनय का केन्द्रीय महत्व है, क्योंकि दो राष्ट्रों के मध्य संबंधों की शुरूआत प्रभावशाली कूटनीतिक संबंधों से ही होती है व कूटनीति को राष्ट्र के राष्ट्रीय हितों में प्रगति तथा अभिवृद्वि का साधन माना जाता है।
  • कूटनीति के माध्यम से ही कोई देश अपने उददेश्यों को प्राप्त करने की कोशिश करता है, किसी भी देश की विदेश नीति कुटनीति द्वारा ही तैयार की जाती है और दूसरे राष्ट्रों में लागू होती है। यानी किसी देश की विदेश नीति में कूटनीति बहुत महत्वपूर्ण होती है।
  • कूटनीति शांतिपूर्ण साधनों द्वारा ही विदेश नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने वाला महत्वपूर्ण साधन हैं।

भारत को ब्लू अर्थव्यवस्था पर क्यों ध्यान देना चाहिए : - 

भारत के कुल व्यापार का लगभग 90 प्रतिशत समुद्री मार्गां पर निर्भर है।

भारत के पास लगभग 6100 किमी. लम्बी तटीय सीमा है व भारत 1300 से ज्यादा द्वीप और लगभग 20 लाख वर्ग किमी. का अनन्य आर्थिक क्षेत्र है।

भारत हिन्द महासागर में महत्वपूर्ण स्थिति रखता हैं।

ब्लू अर्थव्यवस्था पर्यावरण के अनुकूल है।

इसके द्वारा चीन को प्रतिसंतुलित किया जा सकता है।

2 + 2 डॉयलाग क्या है : -

जब दो देशों के बीच बेहतर सामरिक एवं रणनीतिक संबंध स्थापित करने के लिये देशों के दो-दो मंत्रिस्तरीय वार्ताए आयोजित की जाती है, 

जैसे - अमेरिका और भारत के मध्य 2018 में 2+2 डॉयलाग शुरू हुआ है, इसमें भारत के रक्षा मंत्रालय, अमेरिका के रक्षा मंत्रालय के साथ बातचीत करता है और भारत का विदेश मंत्रालय, अमेरिका के विदेश मंत्रालय के साथ बातचीत करता है।

कूटनीति के साधन :--

कूटनीति में मुख्यतः तीन प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाता है-

    1. अनुनय
    2. समझौता
    3. शक्ति और धमकी

कूटनीति का प्रमुख तरीका होता है अनुनय लेकिन यदि इससे काम न हो तो समझौता या सहमति का सहारा लिया जाता है और यदि समझौता होना असंभव हो तो शक्ति का प्रयोग या धमकी का सहारा लिया जाता है।

पुरानी और नई कूटनीति क्या है :-

राज्यों के मध्य राजनायिक संबंध बहुत प्राचीन काल से चले आ रहे है, हमारे यहां कूटनीति का जिक्र कौटिल्य के अर्थशास्त्र, शुक्राचार्य के जो ग्रंथ है आदि में कूटनीति की चर्चा की गयी है।

कूटनीति उतनी ही पुरानी मानी जाती है जितना कि राज्य। यानी राज्यों के उत्पत्ति के साथ ही कूटनीति की शुरूआत मानी जाती हैं। 

यहां पुरानी कुटनीति का मतलब है यूरोप में प्रचलित 16वी, 17वीं कूटनीति से है। मतलब 18वीं शताब्दी से प्रथम युद्व की समाप्ति तक यह पूरे यूरोप में पुरानी कूटनीति रही।

1919 से कूटनीति में कई बदलाव आये जिसे नई कूटनीति कहा जाती है। पुरानी कूटनीति यूरोप तक सीमित थी जो कि एक गोपनीय आधार पर थी, 

लेकिन नई कूटनीति व्यापक और विस्तृत है और यह गुप्त नहीं है तथा इसमें राजनीति के अलावा सामाजिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, शैक्षणिक व विशेषकर  आर्थिक क्षेत्र में फैली हुई है।

कुटनीति के बारे में जानकारी(FAQs)  -

Q. कुटनीति के मुख्य उपकरण क्या हैं :

A. कूटनीति में मुख्यतः तीन प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है| 

Q. कुटनीति शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कब हुआ था ?

A. आज हम कूटनीति पर बात करने जा रहे हैं, दरअसल जब "डिप्लोमेसी" शब्द का प्रयोग किया जाता है तो यह ग्रीक शब्द ‘Diploun‘ से लिया गया है जिसका मतलब होता है किसी विदेशी देश से किसी तरह का व्यहवार किया जाये तो उसके संबंध में कुछ व्यवस्थाएं होती हैं उसको डिप्लोमेसी कहा जाता है| 

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