प्रैगमैटिक(Pragmatic) विदेशनीति- इस नीति में राष्ट्रहितों को प्राथमिकता देने के लिये आदर्शवाद व यथार्थवाद का प्रयोग किया जाता है यानी राष्ट्रहित में किसी देश को आवश्यकता के अनुसार आदर्शवाद(Idealism) व यथार्थवाद(Realism) की नीति को अपनाया जाता है। इसके मूल में राष्ट्रहित होना चाहिए।
इसको अपनाने वाला देश अपनी सम्प्रभु(Sovereign) विदेशनीति से अन्य देशों से संबंध बनाता है ना कि किसी बाह्य शाक्ति, दबाव राजनीति से।
भारत इसी नीति को अपनाता हुआ प्रतीत होता है।
राष्ट्रहित(National Interest) - कोई भी राष्ट्र अपनी सुरक्षा एवं कुशलता के लिये महत्वपूर्ण मानता है यह किसी भी राष्ट्र की विदेश नीति का आधार है तथा यह राष्ट्रहित के उद्देश्य की प्राप्ति के लिये हमेशा तैयार रहता है।
कुटनीति(Diplomacy)- किसी राष्ट्र की विदेश नीति का व्यावहारिक रूप में प्रयोग की जाने वाली नीति। किसी देश से संबंध बनाने के लिये प्रयोग की जाने वाली नीति।
सामान्यतः कुटनीति में दो या दो से अधिक देशों के संबंध में आयोजित वार्ता को आधार माना जाता है। हालांकि वर्तमान भूमंडलीकरण के दौर में राष्ट्र/राज्य के अलावा Non-State Actor(गैर-राज्यकर्ताओं) की भूमिका बढ़ती जा रही है।
गैर-राज्य कर्ता(Non-State Actor)-
- बहुराष्ट्रीय कम्पनियां
- सामाजिक कार्यकर्ता
- मानवाधिकारों की देख रेख करने वाले (Human Right Activist)
- आम आदमी
- NGO/सिविल सोसाइटी
हार्ड पावर (Hard Power)- जब कोई देश अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों को अपने अनुसार बनाने के लिये सैन्य शक्ति व हथियारों के दबाव का प्रयोग करता है। इस प्रयोग को ही हार्ड पावर कहते हैं।
सॉफ्ट पावर(Soft Power)- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति व सहिष्णुता(Tolerance) और आपसी संबंधों में मजबूती लाने के मकसद से की जाने वाली मदद ही सॉफ्ट पावर है जैसे-
- प्रशिक्षण देना
- तकनीक देना(शांति बनाने के लिये)
- आर्थिक मदद
- वैज्ञानिक मदद।
जीरो सम गेम (Zero Sum Game) - अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति स्तर पर प्रतिस्पर्धा की स्थिति में एक राष्ट्र को लाभ या विजय तथा दूसरे राष्ट्र को हानि या पराजय होती है। जैसे- 1971 के युद्व में भारत(विजय), पाकिस्तान(हार)
1962 का युद्व चीन(विजय) भारत की हार।
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