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OIC क्या है, इसके उददेश्य, कार्य : ओआईसी में कितने देश हैं

यह संगठन दुनिया में मुस्लिमों की सामूहिकता(Collectivity) को बताता है जो एक अन्तर सरकारी संगठन(Inter-government Organization) है( यानी इसमें देश और Organizations शामिल हैं)

OIC-(Organization Of Islamic Cooperation) की स्थापना कब हुई थी ?- सितम्बर, 1969 में इसका गठन मोरक्को के रबात में आयोजित शिखर सम्मेलन में 24 देशों ने भाग लिया और इसमें एक Resolution निकाला गया, 

जिसमें कहा गया कि मुस्लिम देश अपना सामान्य हित को प्रमोट करेंगे। इसी सम्मेलन के दौरान OIC के गठन की बात की गयी।

जिसका मकसद था 1969 में एक 28 साल के ऑस्ट्रेलियाई द्वारा येरूशलम की अल-अक्सा मस्जिद में आग की घटना के बाद इस्लामिक मूल्यों को सुरक्षा प्रदान करना, 

क्योंकि अल-अक्सा मस्जिद मुस्लिमों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है यदि इस पर अटैच होने से मुस्लिम लोग इसको बहुत ज्यादा सीरियस ले लेते हैं।

OIC की परमानेंट जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र संघ और यूरोपीय संघ लेते हैं    

इसकी तीन ऑफिशियली भाषाएं हैं- अरबी, अंग्रेजी, फ्रेंच।

OIC में कितने देश हैं ?- इसमें सदस्या देश 57 हैं।

इस्लामिक सहयोग संगठन


OIC का उददेश्य क्या है :- 

  • OIC के सदस्य राज्यों के मध्य एकजुटता बनाये रखना व इस्लामिक मूल्यों की सुरक्षा करना, संरक्षण प्रदान करना एवं इसकी निन्दा का विरोध करना।
  • मुस्लिमों में बढ़ते असंतोष को रोकना एवं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करना कि इसके सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र महासभा, मानवाधिकार परिषद व अन्य मंचों पर एकजुट रहें।
  • लेकिन यहां ध्यान रहे कि इसमें केवल मुस्लिम देश ही शामिल नहीं है  बल्कि क्रिश्चियन बहुल व अन्य देश भी शामिल हैं। तथा सीरिया जो कि मुस्लिम देश है लेकिन उसको OIC से बाहर कर दिया गया है।
  • यह युद्व और अन्तर्राष्ट्रीय कानून को तोड़ने के लिये इजरायल को जिम्मेदार ठहराता है।
  • OIC की Collective आबादी लगभग एक-चौथाई है। यह संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दुनिया का सबसे बड़ा संगठन है।

इस्लामिक सहयोग संगठन का मुख्यालय कहाँ है?- जेद्दाह(सउदी अरब) में है।

भारत का OIC के साथ संबंध- 

भारत में मुस्लिम आबादी एशिया में इंडोनेशिया, पाकिस्तान के बाद सबसे ज्यादा होने के बावजूद भारत OIC का सदस्य नहीं है या आब्जर्वर भी नहीं है जबकि रूस जैसे देश जहां भारत से मुस्लिम आबादी कम है वह इसका आब्जर्वर देश बना हुआ है।

1969 में जब OIC बन रहा था उस वक्त भारत को इसके पड़ोसी देशों ने इसको सदस्य नहीं बनने दिया तथा वर्ष 2006 में जब सउदी अरब ने भारत को OIC का सदस्य बनने का न्यौता दिया, 

तो इस बार भारत ने यह कहते हुए मना कर दिया कि भारत एक सेक्युलर देश है जो कोई भी धर्म के आधार पर बना संगठन को ज्वाइन नहीं करेगा।

उसके बाद 2018 में बंग्लादेश ने भारत को आब्जर्वर देश बनाने का फैसला किया, लेकिन पाकिस्तान ने इसका विरोध किया।

साल 2019 में OIC मीटिंग में तात्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ‘Guest of honor‘ के रूप में सम्मानित किया जिसके कारण पाकिस्तान इस मीटिंग में ही शामिल नहीं हुआ।

भारत के OIC के सभी सदस्य देशों के साथ संबंध अच्छे हैं केवल पाकिस्तान को छोड़कर।

OIC भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद को खत्म करने की कोशिश करता है, लेकिन कामयाब नहीं हो पाता है।

OIC चार्टर क्या है - इसे 1972 को अपनाया गया, लेकिन इसमें बदलती परिस्थितियों के अनुसार कई बार इसमें संशोधन किया गया है।

वर्तमान में जो चार्टर है उसे मार्च 2008 में सेनेगल के डकार में अपनाया गया था।

OIC के कार्य:- 

संयुक्त राष्ट्र के मुस्लिम बहुल देश इस संगठन में शामिल हो सकते हैं इसके लिये OIC की विदेश मंत्रियों की परिषद में पूर्ण सहमति के साथ सदस्यता की पुष्टि की जाती है 

इसी तरह कोई पर्यवेक्षक(Observer) देश बनना चाहता है तो उसके लिये भी OIC की विदेश मंत्रियों की परिषद में पूर्ण सहमति के साथ् सदस्यता की पुष्टि की जाती है।

इसमें निर्णय लेने के लिये दो-तिहाई सदस्य देशों की उपस्थिति व पूर्ण सहमति की जरूरत होती है, यदि आम सहमति नहीं बनती है तो निर्णय के लिये उपस्थिति और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है।

विदेश मंत्रियों की परिषद निर्णय लेने वाली मुख्य संस्था है एवं OIC की सामान्य नीतियों पर निर्णय व इनको कैसे लागू करें इसके लिये वार्षिक बैठक होती है।

OIC के लिये सभी सदस्य देशों द्वारा उनकी राष्ट्रीय आय के अनुपात से धन का योगदान दिया जाता है।

यदि किसी सदस्य का बकाया पिछले दो वर्षों के लिये उनके द्वारा दिया गया योगदान के बराबर या उससे ज्यादा हो तो उसके मतदान के अधिकार को निलंबित किया जाता है तथा सदस्य देशों को वोट देने का अधिकार तभी दिया जाता है जब विदेश मंत्रियों की परिषद संतुष्ट हो।

OIC का इतिहास :-  

अगस्त 1969 को यरुशलम में स्थित "अल-अक्सा" मस्जिद पर हमला हुआ था और उसी वक्त और अरब विदेश मंत्रियों ने तुरंत बैठक बुलाई।

संयुक्त अरब गणराज्य का मानना था कि इस बैठक में केवल अरब देशों को बुलाना चाहिए था, लेकिन सऊदी अरब और मोरक्को का मानना था कि इस बैठक में सभी इस्लामिक देशों को बुलाना चाहिए, जिसे लेकर दोनों देश काफी उत्साहित थे|  

इस पर विचार करने के बाद एक "तैयारी समिति" को बनाया गया जिसमें निम्न शामिल थे :-  

  • सऊदी अरब, 

  • मोरक्को, 
  • बाइघर, 
  • सोमालिया, 
  • इरान, 
  • मलेशिया।

"तैयारी समिति" ने सितंबर, 1969 को रबात में मुलाकात की, जिसमें पाकिस्तान सबसे बड़े इस्लामिक देश होने के कारण इस मुलाकात में शामिल हुआ|  

फिर "तैयारी समिति" में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने की सिफारिश की, 

जिसके परिणामस्वरूप 22-24 सितंबर, 1969 को सम्मेलन रबात में हुआ तथा इस समिति द्वारा सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों के लिए दो मानदंड तय किए गए:-

1. वह देश मुस्लिम बहुल आबादी वाला देश होना चाहिए, 

2. जिन देशों का मुखिया मुस्लिम हो | 

इन दो  आधारों पर कोई भी देश इस सम्मेलन में भाग ले सकता है, फिर उक्त प्रक्रिया के बाद OIC  के गठन का रास्ता खुला और इस तरह सितंबर, 1969 को OIC का गठन हुआ।

OIC  के शासकीय निकाय :-

  • इस्लामिक सम्मेलन, 
  • विदेश मंत्रियों की परिषद, 
  • जनरल सेक्रेटेरिएट।

OIC ने कश्मीर मुद्दे पर क्या कहा :- OIC के सेक्रेटरी हिसेन ब्राहिम ताहा POK  के दौरे पर आए हुए हैं, 

उन्होंने कहा कि कश्मीर क्षेत्रीय विवाद नहीं है बल्कि यह राष्ट्र के भविष्य का मुद्दा है | 

और भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत का रास्ता ढूंढा जाए और इसको सुलझाने के लिए हम एक योजना भी तैयार कर रहे हैं | 

भारत OIC का सदस्य क्यों नहीं बन सका :- 

रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार 2060 तक भारत में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी होगी, 

OIC एक इस्लामिक देशों का संगठन है, इसमें सऊदी अरब देशों का दबदबा है, जबकि सऊदी अरब मुस्लिम आबादी के मामले में टॉप - 5 में भी नहीं आता|  

भारत मुस्लिम आबादी के मामले में तीसरे नंबर पर आता है लेकिन भारत फिर भी OIC का सदस्य नहीं है क्यों?

जब 2006 में सऊदी के किंग भारत आए थे, इस दौरे में उन्होंने कहा था कि भारत को OIC का पर्यवेक्षक का दर्जा मिलना चाहिए और यह प्रस्ताव पाकिस्तान द्वारा पेश किया जाना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई थी|  

मोरक्को की राजधानी रबात में 1969 में इस्लामिक सम्मलेन के आयोजन के बाद से ही भारत और OIC के रिश्तों में उलझन रही है|  

सऊदी के King फैसल ने इस सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया था, उन्होंने कहा था कि यह मुस्लिम देशों का मामला नहीं है बल्कि यह सभी मुसलमानों का मामला है, 

लेकिन यह पाकिस्तान को ठीक नहीं लगा था, उसने भारत को हटवाने में कोई कोशिश नहीं छोड़ी | 

कश्मीर मुद्दे पर OIC पाकिस्तान के करीब बयान देता है जो भारत के लिए स्वीकार्य नहीं है।

OIC के चार्टर के अनुसार मुस्लिम देश ही इसकी सदस्यता के योग्य है|  

कुछ जानकारों के अनुसार OIC सदस्यता, पर्यवेक्षक के संवैधानिकता को बढ़ावा नहीं देता, जैसे- तुर्की एक सर्कुलर देश है फिर भी वह OIC का सदस्य है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर OIC का क्या महत्व है :-  

OIC के सभी 57 सदस्य देश मुस्लिम है, जिसका एक "कश्मीर कंटेवर ग्रुप" भी है जिस पर पाकिस्तान का कंट्रोल माना जाता है 

और पाकिस्तान इसका इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे पर करता है इसलिए OIC  के बयान पाकिस्तान की तरफ झुके होते हैं।

यह वैश्विक राजनीति पर अपना प्रभाव रखता है और इसके सभी सदस्य देश मिलकर फैसला लेते हैं और पूरा संगठन उस फैसले पर एकमत रहता है|  

संयुक्त राष्ट्र में भी यह संगठन एक मत रहता है और एक साथ वोट देते हैं जिसका असर वैश्विक स्तर पर पड़ता है। 


इस्लामिक सहयोग संगठन

OIC के बारे में facts :- 

  • OIC  सदस्य राष्ट्रों की संख्या 57 हैं, इसमें 40 मुस्लिम बहुल देश हैं।
  • इसका मुख्यालय जेद्दा(सऊदी अरब) में है। 
  • पाकिस्तान इसका शुरुआत से ही सदस्य रहा है। 
  • IOC के पास सयुंक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के स्थायी प्रतिनिधिमंडल है।
  • क्या रूस OIC का हिस्सा है :- रूस और थाईलैंड जैसे देश भी OIC पर्यवेक्षक सदस्य हैं, जहाँ मुस्लिम की संख्या अधिक नहीं है।
  • इस संगठन को दुनिया भर की मुस्लिमों की सामूहिक आवाज़ कहा जाता है।
  • सयुंक्त राष्ट्र के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन है। 
  • IOC में सयुंक्त अरब अमीरात (UAE) और सऊदी अरब का दबदबा ज्यादा है।
  • IOC के शिखर सम्मेलन का आयोजन प्रत्येक तीन वर्ष बाद किया जाता है।
  • लगभग 34% मुस्लिम आबादी वाला इथोपिया इसका सदस्य नहीं है।
  • यह अपने सदस्य देशों में सामजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाता है।
  • भारत के कामगार ओमान, बहरीन, कतर तथा कुवैत समेत सभी बड़े देशों के विकास में योगदान दे रहा है।
  • IOC में 4 महाद्वीपों के कुल 57 देश हैं इसमें पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश भी शामिल  है।

इस्लामिक शिखर सम्मेलन- यह किसी देश के राजाओं और देश के प्रमुखों द्वारा गठित है जिनके पास संगठन से संबंधित सर्वोच्च अधिकार हैं।

विदेश मंत्रियों की परिषद- मुख्य निर्णय परिषद द्वारा लिये जाते हैं व OIC की सामान्य नीतियों पर निर्णय लेने व इन नीतियों को कैसे लागू करें इसके लिये विदेश मंत्रियों की परिषद की वार्षिक बैठक होती है।

इसके द्वारा सदस्य देश को परेशान करने वाले विशिष्ट मुददों पर विचार किया जाता है और किसी नये अंग या समिति की स्थापना की सिफारिश करते हैं।

क्या भारत OIC से अलग-थलग पड़ रहा है-

जब भारत आजाद हुआ उस वक्त शीत युद्व चल रहा था, अमेरिका और सोवियत संघ के बीच, उस वक्त पश्चिम एशिया पर अमेरिका का दब दबा ज्यादा था, जब लगभग पश्चिमी एशिया के सब देश कम्युनिस्ट(जिसका नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था) के विरोधी, और पूंजीवाद की तरफ झूकाव रखते थे, जिसका नेतृत्व यूएसए कर रहा था।

ेलेकिन जब भारत ने किसी भी गुट में ना जाने की इच्छा जाहिर की तो, पश्चिम की नाराजगी साफ तौर पर दिखाई दी, 1980 के दशक में ईरान की क्रांति से पश्चिमी खेमे से उसकी दूरी बनती गयी, साथ ही ईरान की सउदी अरब के साथ भी दुश्मनी रही।

वर्तमान में जो पश्चिमी देश कम्युनिस्ट का विरोध करते थे, वहीं देश कम्युनिस्ट की तरफ बढ़ रहे हैं, क्योंकि चीन(जो कि एक कम्युनिस्ट देश है) इस क्षेत्र में तेजी के साथ बढ़ रहा है और चीन ईरान व सउदी अरब में दोस्ती कराने पर जोर दे रहा है, जिससे ऐसा लग रहा है कि पूरा पश्चिमी खेमा अमेरिका के दब दबे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है।

जहां तक भारत के परिप्रेक्ष्य की बात है तो जानकारों का मानना है कि पश्चिमी एशिया से इस हल चल के चलते, भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि चीन ने सउदी और ईरान के बीच जिस तरह से राजनयिक संबंध अच्छे किये हैं, इससे भारत को अलग तरह से सोचना होगा, और जो काम चीन कर रहा है भारत इस काम को क्यों नहीं कर पा रहा है इसे भारत को सोचना चाहिए।

कुछ जानकार इससे सहमत नहीं है, वे कहते हैं भारत को चीन के नहीं बल्कि अपने हिसाब से चलना चाहिए, क्योंकि भारत की कूटनीति अलग है, जैसे भारत के अन्दर साम्प्रदियक माहौल का असर, पाकिस्तान का इस्लामिक कार्ड खेलना।

OIC की आलोचना- 

  • यह अपने सदस्य देशों के लोगों के मानवाधिकारों के मामले में रूचि कम रखता है जबकि फिलिस्तीन, म्यांमार व भारत जैसे देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के अधिकारों के मामलें में रूचि ज्यादा रखता है।
  • मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करने में सक्षम नहीं।
  • यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति और आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका के रूप् में विकसित नहीं हो सका।


OIC की फुल फॉर्म क्या है - Organization Of Islamic Cooperation

OIC(इस्लामिक सहयोग संगठन)  के बारे में जानकारी(FAQs ):- 

Q. इस्लामिक सहयोग संगठन में कितने सदस्य देश हैं?

A. इसमें 4 महाद्वीपों के 57 सदस्या देश शामिल हैं।

Q. इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव कौन है?

A. OIC के सेक्रेटरी हिसेन ब्राहिम ताहा है | 

Q. दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन कौन सा है?

A. दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन नहदलतुल उलेमा( इंडोनेशिया का ) है | 

Q. क्या भारत इस्लामिक सहयोग संगठन का सदस्य है?

A. भारत मुस्लिम आबादी के मामले में तीसरे नंबर पर आता है लेकिन भारत फिर भी OIC का सदस्य नहीं है,

जब 2006 में सऊदी के किंग भारत आए थे, इस दौरे में उन्होंने कहा था कि भारत को OIC का पर्यवेक्षक का दर्जा मिलना चाहिए और यह प्रस्ताव पाकिस्तान द्वारा पेश किया जाना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान ने इस पर आपत्ति जताई थी|  

लेकिन भारत OIC में पर्यवेक्षक का दर्जा रखता है | 

Q. OIC किसने बनाया ?

A. अगस्त 1969 को यरुशलम में स्थित "अल-अक्सा" मस्जिद पर हमला हुआ था और उसी वक्त और अरब विदेश मंत्रियों ने तुरंत बैठक बुलाई।

संयुक्त अरब गणराज्य का मानना था कि इस बैठक में केवल अरब देशों को बुलाना चाहिए था, लेकिन सऊदी अरब और मोरक्को का मानना था कि इस बैठक में सभी इस्लामिक देशों को बुलाना चाहिए, जिसे लेकर दोनों देश काफी उत्साहित थे| 

इस पर विचार करने के बाद एक "तैयारी समिति" को बनाया गया  

फिर "तैयारी समिति" में एक शिखर सम्मेलन आयोजित करने की सिफारिश की, 

जिसके परिणामस्वरूप 22-24 सितंबर, 1969 को सम्मेलन रबात में हुआ,  जिसमे सितंबर, 1969 को OIC का गठन हुआ।


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