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महान्यायवादी क्या होता है : भारत के महान्यायवादी के कार्य, कर्तव्य, योग्यताएं, अधिकार व नियुक्ति

जैसा कि हमें मालूम है कि संविधान में राज्य की शक्तियों को तीन भागों (1.कार्यपालिका 2.विधायिका 3.न्यायपालिका) में बांटा गया है|  

केंद्र के स्तर पर कार्यपालिका में भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद और भारत के महान्यायवादी आदि शामिल होते हैं।

भारत के महान्यायवादी का पद एक संवैधानिक पद है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में इसका प्रावधान किया गया है।

महान्यायवादी क्या होता है :- जैसा कि हमें पता है कि भारत सरकार एक उत्तरदाई सरकार है, जो जनता के प्रति उत्तरदाई होती है, 

इसलिए सरकार के खिलाफ बहुत सारे मामले न्यायालय में चल रहे होते हैं जैसे - सरकार के किसी कानून को चुनौती देना, किसी निर्णय को चुनौती देना, जनहित याचिका दायर करना आदि के लिए हम न्यायालय चले जाते हैं तो सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए भारत के महान्यायवादी की पद की स्थापना की गई।

यह भारत सरकार के लिए ऐसे कार्य करता है जैसे - आपके लिए कोई वकील करता है तो हम कह सकते हैं कि महान्यायवादी भारत सरकार का वकील होता है।

भारत का महान्यायवादी कौन होता है :-  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के अंतर्गत भारत के महान्यायवादी के पद की व्यवस्था की गई है, यह देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है जो कि एक संवैधानिक पद है, जो केंद्र की कार्यपालिका के अंतर्गत आता है।

भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत की जाती है। 


महान्यायवादी क्या होता है : भारत के  महान्यायवादी के कार्य, कर्तव्य, योग्यताएं, अधिकार व नियुक्ति :  Attorney General of India in hindi

कौन व्यक्ति महान्यायवादी बन सकता है :

योग्यताएं :- 

इस पद के लिए ऐसा व्यक्ति जो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश होने की योग्यता रखता है तो वह भारत का महान्यायवादी बन सकता है यानी न्यायाधीश बनने के लिए जो योग्यताएं हैं जैसे :-

  • वह भारत का नागरिक हो, 
  • उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में 5 वर्ष का कार्य करने का अनुभव हो 
  • या उच्च न्यायालय में 10 वर्ष की वकालत का अनुभव हो 
  • या वह राष्ट्रपति की नजर में विधि का जानकार हो |

इन योग्यताओं के साथ कोई भी व्यक्ति भारत का महान्यायवादी बन सकता है।

महान्यायवादी का कार्यकाल कितना होता है :- वैसे भारत के महान्यायवादी के कार्यकाल के बारे में संविधान में उल्लेख नहीं है, बल्कि संविधान के अनुसार महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत तक अपने पद को धारण करता है यानी जब तक राष्ट्रपति चाहे उसे हटा सकते हैं।

और महान्यायवादी जब चाहे अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप सकता है,

वैसे परंपरा यह चली आ रही है कि जब सरकार त्यागपत्र दे दे या सरकार बदल जाए तो महान्यायवादी को भी त्यागपत्र देना होता है, क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर ही की जाती है।

प्रसादपर्यंत क्या होता है :- जो व्यक्ति जिसे नियुक्त कर रहा है वह जब चाहे उसे हटा सकता है, जैसे : राज्यपाल का कार्यकाल 5 साल का होता है, लेकिन राष्ट्रपति जब चाहे राजयपाल को हटा सकते हैं क्योकि राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत है।

महान्यायवादी का वेतन कितना होता है :- संविधान के अनुसार भारत के महान्यायवादी का वेतन निर्धारित नहीं है, बल्कि उसे राष्ट्रपति द्वारा पारिश्रमिक दिया जाता है| 

सामान्यता महान्यायवादी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान वेतन मिलता है तो इसलिए हम कह सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का वेतन ढाई लाख रुपए हैं तो महान्यायवादी का वेतन 2.5 लाख हुआ।

महान्यायवादी के कर्तव्य :-  यह भारत सरकार का मुख्य कानूनी अधिकारी है, जिसके निम्न कर्तव्य है:-

  • भारत सरकार को विधि संबंधी मामलों पर सलाह देना यानि यह सरकार का विधिक सलाहकार है, 
  • यह किसी भी न्यायालय में भारत सरकार का पक्ष रखता है जैसा कि हम अक्सर न्यूज़ में सुनते हैं कि सरकार ने न्यायालय में कहा, तो हमें महान्यायवादी का जिक्र सुनने को मिल जाता है क्योंकि वह सरकार का पक्ष रखता है | 
  • अन्य ऐसे ऐसे कर्तव्य जो उसे राष्ट्रपति के द्वारा सौंपे गए हैं उनका पालन करना।

महान्यायवादी की सीमाएं :-  महान्यायवादी के पास कुछ अधिकार है तो निम्नलिखित सीमाएं भी है:-

वह भारत सरकार के खिलाफ कोई सलाह या विश्लेषण नहीं कर सकता, 

जिस मामले में उसे भारत सरकार की ओर से पेश होना है उस पर वहां कोई भी टिप्पणी नहीं कर सकता  |

सरकार की अनुमति के बिना वह किसी आपराधिक मामले में व्यक्ति का बचाव नहीं कर सकता|

सरकार की अनुमति के बिना वह किसी परिषद या कंपनी के निदेशक का पद ग्रहण नहीं कर सकता, 

लेकिन महान्यायवादी सरकार का पूर्णकालिक वकील नहीं होता इसलिए वह एक सरकारी कर्मी की श्रेणी में नहीं आता,  इसलिए उसे निजी विधिक कार्यवाही से नहीं रोका जा सकता।

महान्यायवादी के अधिकार :- महान्यायवादी किसी भी न्यायालय में सुनवाई का अधिकार रखता है, लेकिन यहां समझने वाली बात है कि सुनवाई का मतलब निर्णय देना नहीं है, बल्कि वह किसी भी अदालत की कार्यवाही में भाग ले सकता है, सुन सकता है  |

महान्यायवादी संसद के दोनों सदनों में बोलने और कार्यवाही में भाग ले सकता है, 

वह संसद की किसी भी समिति का सदस्य भी हो सकता है महान्यायवादी संसद की बैठकों में भाग ले सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।

महान्यायवादी के बारे में Facts:-

हाल ही में भारत के महान्यायवादी आर. वेंकटरमणी को नियुक्त किया गया है, जिन्होंने के.के. वेणुगोपाल का स्थान लिया | 

भारत के प्रथम महान्यायवादी कौन थे :- भारत के प्रथम महान्यायवादी एम.सी. सीतलवाड़ हैं | 

भारतीय संविधान में महान्यायवादी के पद को ब्रिटेन से लिया गया है, राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित या सौपें गए सभी कार्यों को करने के लिए महान्यायवादी बाध्य है | 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 88 महान्यायवादी को संसद की सभी प्रक्रियाओं में बोलने और भागीदारी करने का अधिकार देता है | 

महान्यायवादी के अलावा भारत सरकार के अन्य कानूनी अधिकारी होते हैं वे हैं - भारत सरकार के महाधिवक्ता व अपर महाधिवक्ता, लेकिन इसका जिक्र अनुच्छेद 76 में नहीं किया गया है| 

ये महान्यायवादी को उसकी जिम्मेदारी पूरी करने में सहायता करते हैं।

निष्कर्ष :- महान्यायवादी सरकार को किसी भी कानूनी उलझन से निकालने में अपनी अहम भूमिका अदा करता है, 

न्यायपालिका की अवमानना के मामले में कार्यवाही शुरू करने से पहले महान्यायवादी की सहमति ली जाती है, इसके लिए उसे न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 शक्ति प्रदान करता है|  

इसी तरह राज्य सरकार के लिए होता है महाधिवक्ता।

भारत के  महान्यायवादी के बारे में जानकारी(FAQs) :

Q. महान्यायवादी का पद कहाँ से लिया गया है ?

A. भारतीय संविधान में महान्यायवादी के पद को ब्रिटेन से लिया गया है| 

Q. वर्तमान में भारत के महान्यायवादी कौन हैं ?

A. हाल ही में भारत के महान्यायवादी आर. वेंकटरमणी को नियुक्त किया गया है, जिन्होंने के.के. वेणुगोपाल का स्थान लिया | 

Q. महान्यायवादी कौन से भाग में है?

A. महान्यायवादी का वर्णन भाग 6 में है | भारत के महान्यायवादी का पद एक संवैधानिक पद है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 में इसका प्रावधान किया गया है।

Q. महान्यायवादी का वेतन कौन देता है?

A. महान्यायवादी के वेतन भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय किये जाते हैं |  

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