UNO के 6 अंग कौन कौन से हैं ?:- संयुक्त राष्ट्र संघ(UNO) के 6 अंग हैं -
- आम सभा,
- सुरक्षा परिषद,
- आर्थिक एवं सामाजिक परिषद,
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय,
- सचिवालय,
- न्यास परिषद।
1. आम सभा - इसमें 193 सदस्य हैं, इसे लघु संसद भी कहते है, इसमें सभी सदस्यों की सितम्बर माह में वार्षिक बैठक का आयोजन होता है जिसमे सामान्य बहस होती है |
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गठन किया गया और इस को अधिकृत किया गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी स्थिति की जांच करें व शांतिपूर्ण समाधान की प्रक्रियाओं की सिफारिश करें,
यानी विश्व शांति स्थापित करना जैसे - म्यांमार में 1 फरवरी, 2021 को जो तख्तापलट हुआ तो इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा हस्तक्षेप किया गया है ।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में 15 न्यायाधीश चुने जाते हैं।एक ही राष्ट्र के 2 न्यायाधीश नहीं हो सकते।मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों का कार्यकाल 9 वर्ष का होता है।
इसमें 193 देश शामिल हैं, लेकिन जो देश संयुक्त राष्ट्र संघ(UNO) का सदस्य नहीं है वह भी न्याय पाने के लिये अपील कर सकता है।
सचिवालय का महासचिव संगठन का मुख्य प्रषासनिक अधिकारी होता है जिसे सुरक्षा परिषद की सिफारिष पर महासभा द्वारा 5 साल के लिये नियुक्त किया जाता है।
6. न्यास परिषद- न्यास परिषद की स्थापना 1945 में की गयी थी, यह संयुक्त राष्ट्र के न्यास परिषद द्वारा एक प्रषासनिक प्राधिकरण के तहत रखा गया एक गैर-स्वषासित क्षेत्र है। यह राष्ट्र संघ का प्रथम विष्व युद्वके बाद कुछ क्षेत्रों नियंत्रण करने का एक उपकरण था जिसमें राष्ट्र संघ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय रूप से सहमत, शर्ते शामिल थीं।
UNO का इतिहास :-
10 जनवरी, 1920 में राष्ट्र संघ की स्थापना वुडरो विल्सन द्वारा की गयी, जिसका मुख्यालय जेनेवा में था, जिसका मुख्य उदेदष्य द्वितीय विष्व युद्व को रोकना था, लेकिन राष्ट्र संघ असफल हो गया, जिसकी असफलता कारण निम्न थे-,
1 जो देष राष्ट्र संघ का सदस्य बनना चाहता है तो उसे अपने देष की संसद से अनुमति लेनी होती थी। जिसका नतीजा यह हुआ कि जो इसका संस्थापक देष था अमेरिका वह भी इसका सदस्य नहीं बन पाया।
2 जब जर्मनी ने अचानक पौलेण्ड पर आक्रमण कर दिया तो राष्ट्र संघ ने हस्तक्षेप नहीं किया, जर्मनी ने फ्रांस के क्षेत्र पर, बाल्टिक देष पर कब्जा किया तो यह चुपचाप देखता रहा।
जिसका कारण यह हुआ कि द्वितीय विष्व युद्व शुरू हो गया फिर UNO की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई।
द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तरराष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था।
उपनिवेशवाद के पूर्ण समाप्ति में संयुक्त राष्ट्र में सफल भूमिका निभाई सामाजिक समानता के मूलभूत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक तरफ अफ्रीका में रंगभेद की समाप्ति की,
वहीं दूसरी तरफ वैश्विक स्तर पर लिंग समानता के मुद्दे पर प्रभावी रणनीति के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाई |
आतंकवाद पारिस्थितिकी समस्याएं लोकतंत्र मानवीय अधिकार जैसे मुद्दों पर भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।
UNO क्या है-
UNO विश्व शांति और सहयोग की पेशकश करने वाली संस्था है यानी यह एक ऐसा मंच है जहां पर सभी देश युद्व जैसे मुददों का समाधान की बात उठा सकते हैं, इसकी स्थापना 1945 में हुई थी, और उस वक्त इसमें 51 सदस्य थे, लेकिन वर्तमान में जिस तरह से माहौल बदला है, उसी तरह इसमें सदस्य बढ़कर 193 हो गये हैं, जिससे यह पता लगता है कि यह संस्था वर्तमान में कितनी महत्वपूर्ण हो जाती है।
यदि किसी देश को इसकी सदस्यता लेनी होती है तो यह सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर की जाती है, और इन सदस्यों को महासभा के निर्णय द्वारा इस संगठन में प्रवेश दिया जाता है। ंसंयुक्त राष्ट्र के चार्टर में लिखे उद्देश्य व सिद्वांतों द्वारा ही कार्य किये जाते है।
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना कब हुई ?:-
1998 में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति पर वर्साय की संधि हुई। 1919 में पेरिस शांति सम्मेलन हुआ तथा 1919 में राष्ट्र संघ की स्थापना हुई, और राष्ट्र संघ असफल हो गया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की विफलता क्या है :-
स्थानीय क्षेत्रीय संघर्ष को ना रोक पाना जैसे ईरान-इराक, भारत-पाक, कोरियाई प्रायद्वीप से लेकर पश्चिम एशिया तक लगातार स्थितियां जटिल होती गईं |
संयुक्त राष्ट्र एक धुव्रीय विश्व में अमेरिका द्वारा विभिन्न देशों की संप्रभुता पर हो रहे आक्रमण के संदर्भ में एक मूकदर्शक की भूमिका रही है
शीत युद्ध के दौर में भी सोवियत संघ का अफगानिस्तान पर आक्रमण हो या संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य हस्तक्षेप इन दोनों ही स्थितियों में UNO की भूमिका निष्क्रिय रही है।
यूएनओ कुछ देशों के प्रभाव में उनकी विदेश नीति के समर्थन मैं भी अक्सर देखा जिसने इस की निष्पक्षता और वैश्विक छवि को प्रभावित।
संयुक्त राष्ट्र संघ की कमियां क्या है :-
- संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यप्रणाली मैं एक बड़ी समस्या अपनी वित्तीय आवश्यकताओं के लिए इसका कुछ देशों पर अत्यधिक निर्भर रहना माना गया है
- अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ की समग्र वित्तीय जरूरतों को 25%, जापान 15%, जर्मनी 12% उपलब्ध कराता है यह निर्भरता संयुक्त राष्ट्र संघ की अमेरिका और उसके मित्र देशों के प्रति पक्षपात पूर्ण नीतियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- इससे बचने का एक विकल्प Tobin tax के अंतर्गत देखा जाता है यह कर किसी देश में प्रवेश के वक्त और उस देश की सीमा को छोड़ते वक्त दो तरफा रूट से लगता है
- माना जाता है कि वैश्वीकरण के वर्तमान दौर में कई ट्रिलियन डॉलर की पूंजी इस श्रेणी में आती है , जिस पर यह टोबिन टैक्स लगे तो ना सिर्फ यूएन की वित्तीय जरूरतें पूरी होंगी बल्कि पारिस्थितिकी मुद्दों के लिए भी आवश्यक वित्तीय संसाधनों का आवंटन हो सकता है।
सुरक्षा परिषद के विस्तार में सर्वप्रथम राजा ली कमेटी ने 24 सदस्यीय सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव दिया जिसमें 10 स्थाई तथा 14 अस्थाई सदस्य शामिल थे
स्थाई सदस्यों में पांच स्थाई सदस्यों के अलावा पांच नए देशों में जापान और जर्मनी के साथ एशिया अफ्रीका लैटिन अमेरिका से एक-एक देश का चयन होना था।
कार्लसन कमीशन उन्होंने सुरक्षा परिषद को अधिक तार्किक रूप देने के लिए एशिया अफ्रीका और लैटिन अमेरिका से कम से कम(भारत नाइजीरिया ब्राजील) को एक नए स्थाई सदस्य के रूप में मान्यता देने की बात कही |
अस्थाई सदस्यों पर किसी परिवर्तन को इस कमीशन ने प्रस्तावित नहीं।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक उच्च स्तरीय समिति को अंततः निर्मित किया जिसमें सुधार के दो मॉडल प्रस्तावित हुए पहले मॉडल में 6 नए स्थाई सदस्यों का प्रस्ताव दिया जिनमें दो एशिया प्रशांत क्षेत्र से दो अफ्रीका से और 1-1 लेटिन अमेरिका और यूरोप से शामिल किया।
दूसरे मॉडल में सदस्यता की एक नई श्रेणी को प्रस्तावित किया गया जिसे अर्ध स्थाई सदस्य कहा गया इनका कार्यकाल 2 वर्ष की जगह 4 वर्ष निर्धारित हुआ और इनके पुनः निर्वाचन पर लगी रोक को समाप्त कर दिया गया इन सभी प्रस्तावित सुधारों में नए स्थाई सदस्यों को वीटो की शक्ति नहीं प्रदान की गई।
सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी क्या है :-
सुरक्षा परिषद स्थाई सदस्यों के मामले में आज भी उन्हीं 5 देशों का प्रतिनिधित्व करता है जो इन के गठन के समय विश्व की 5 सबसे बड़ी शक्तियां विस्तारित सुरक्षा परिषद में स्थान रखती है -
भारतीय सदस्यता का दावा निम्नलिखित आधारों पर तार्किक माना जा सकता है:-
- आर्थिक सहभागिता और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बढ़ता भारतीय प्रभाव सामरिक दृष्टि से दुनिया की सर्व प्रमुख शक्तियों में भारत का होना और परमाणु संपन्न देश होना,
- दुनिया का सबसे बड़ा और स्थिर लोकतंत्र, पंथनिरपेक्ष एवं पंचशील गुटनिरपेक्ष पर आधारित विदेश नीति जो यूएन चार्टर में उल्लेखित सिद्धांतों से पूर्ण ते संगत है,
- लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों का सम्मान,
- संयुक्त राष्ट्र के प्रयत्नों और कार्यक्रमों में इसके गठन से अब तक सबसे सक्रिय देशों में शांति रक्षण अभियानों में सबसे अधिक सहभागिता रखने वाला देश है,
- विकासशील देशों के नेतृत्व कर्ता के रूप में उभरना,
- जनसंख्या की दृष्टि से 1. 2 विलियम से अधिक भारतीय का होना सुरक्षा परिषद में भारतीय सदस्यता को सुनिश्चित करने में सहायक है,
- वैश्विक विविधता का प्रतिनिधित्व करना,
- प्रमुख आर्थिक और सैन्य शक्ति का होना,
- आतंकवाद पारिस्थितिकी समस्याएं, निशस्त्रीकरण, धार्मिक कट्टरता आदि सभी प्रमुख संयुक्त राष्ट्र के कार्यक्रमों और नीतियों में भारत का सहयोग और समर्थन महत्वपूर्ण है।
कॉफी क्लब:-
पाकिस्तान,
इटली,
दक्षिण अफ्रीका,
मैक्सिको,
तुर्की,
कनाडा यह चाहते हैं कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता नहीं मिले।
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता से क्या लाभ मिलेंगे :-
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता भारत को वैश्विक राजनीति के स्तर पर अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन, और रूस के समकक्ष ला खड़ा कर देगा।
सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनते ही भारत पड़ोसी देशों श्रीलंका(गृह युद्ध अपराध), म्यांमार (रोहिंग्या मुस्लिम) अफगानिस्तान(लिंग समानता) के मानवाधिकारों से संबंधित मामलों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ध्यान में ला सकता है,
हिंद महासागर को शांति का क्षेत्र घोषित किया जा सकता है और चीन की विस्तारवादी नीति को रोका जा सकता है इसके लिए भारत को गंभीर प्रयास करने चाहिए।
UN की प्रासंगिकता पर सवाल-
यूएन अफगानिस्तान में शांति बनाने में असफल रहा है, और वहां पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था, जिसके कारण वहां पर मानवाधिकार को बचाये रखने की मुद्दा सामने आया।
यह कोरोना महामारी का स्पष्ट अनुमान लगाने में असफल रहा है।
सीरिया संकट के समय भी यूएन शांत सा नजर आया।
इसमें जो सुरक्षा परिषद है उसके 5 सदस्यों को वीटों पॉवर मिला हुआ है, जिसका दुरूपयोग ये 5 देश समय समय पर करते रहते है, जहां पर इनका हित नहीं जुड़ा है, वहां पर ये देश इसका दुरूपयोग करते रहते हैं।
यूएन के सामने एक सवाल यह भी उभरकर आता है कि इसने उइगर मुस्लिमों का समाधान आजतक हल क्यों नहीं किया।
यह इजरायल-फिलिस्तीन के युद्व का समाधान निपटाने में सफल नहीं हो सकी ।
आगे की राह :-
संयुक्त राष्ट्र के नियमों में यह कहा गया है कि पांच स्थाई सदस्यों की स्थाई सदस्यता परिषद की संरचना को बदलने के लिए पहले संयुक्त राष्ट्र का चार्टर बदलना होगा,
चार्टर में बदलाव हेतु सुरक्षा परिषद के वर्तमान पांच स्थाई सदस्यों सहित संयुक्त राष्ट्र महासभा के दो तिहाई समर्थन की आवश्यकता होगी।
अन्य विकल्पों पर बात करें तो प्रसिद्ध राजनयिक किशआदे महबूबानी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए 7- 7 - 7 फार्मूले की वकालत की थी फार्मूले के तहत
7 स्थाई सदस्य,
7 अर्ध स्थाई सदस्य,
7 गैर स्थाई सदस्य करने की बात।
Q. वर्तमान में UNO में कितने देश हैं ?
A. वर्तमान में uno में 193 सदस्य हैं |
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