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लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में क्या अंतर है व इनके कार्य


जब हम काला कोट किसी को पहनते हुए देखते हैं तो हमें लगता है यह वकील है, जबकि कालाकोट एक Advocate भी पहन सकता है, lawyer भी पहन सकता है, 

क्योंकि एडवोकेट व लॉयर अलग-अलग होते हैं और उनके काम भी अलग-अलग होते हैं, इसलिए आज हम जानते हैं कि लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में अंतर क्या होता है।

वैसे तो तीनों ही कानून की अच्छी समझ रखते हैं | 

Lawyer कौन होता है :- lawyer को हिंदी में वकील कहा जाता है, लॉयर वह होता है जो LLB  डिग्री के साथ, इस फील्ड में कानून की अच्छी समझ भी रखता है| 

यही वजह है कि लॉयर का काम अपने क्लाइंट को कानूनी मामलों में अच्छी व बेहतर सलाह देना होता है, 

लेकिन यह आपको यह बात ध्यान देने वाली बात है कि एक Lawyer आपको आपके behalf पर कोर्ट में जाकर case नहीं लड़ सकता, क्योंकि लॉयर के पास Bar Council of India-BCI का रजिस्ट्रेशन नहीं होता है।

यानी हम कह सकते हैं कि लॉयर एक डिग्री के साथ, एक स्टूडेंट भी होता है ताकि वह एडवोकेट के साथ रहकर कोर्ट की प्रैक्टिस, कार्य जान सके और जैसे ही वह BCI की परीक्षा पास कर लेता है तो वह एडवोकेट बन जाता है।

Barrister क्या होता है और यह क्या करता है :- Barrister उस व्यक्ति को कहा जाता है जो Law की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त करता है, Barrister को हिन्दी में बैरिस्टर कहा जाता है, जो कि यू.के. से डिग्री लेने के बाद किसी भी व्यक्ति को बैरिस्टर कहा जाता हैं बैरिस्टर को भारत में और नामों से भी जान सकते हैं जैसे- बड़ा वकील, वकील, विधिवक्ता, एडवोकेट |

क्योंकि भारतीय वकीलों को Bar Council of India-BCI का एग्जाम पास करना होता है और उसके बाद वह भारत के किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, 

Bar Council of India-BCI  U.K. की 45 यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भारत में प्रैक्टिस करने की भी अनुमति देता है| 

इन 45 यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भारत में आकर, किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, जैसे - महात्मा गांधी ने 1891 में इंग्लैंड में जाकर बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी, जिसके चलते गांधी जी को कानून की पकड़ बहुत अच्छी थी, 

तेलंगाना के M.P. असदुद्दीन ओवैसी ने भी इंग्लैंड में पढ़ाई की है इसलिए हम कह सकते हैं कि बैरिस्टर भी एक तरह का वकील ही होता है, जो कि दूसरे वकीलों की तरह कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकता है।

Advocate कौन होता है :- एडवोकेट को हिंदी में अधिवक्ता कहते हैं, जहां तक एडवोकेट की बात है तो यह किसी विवाद होने की स्थिति में अपने क्लाइंट के पक्ष में कोर्ट जा सकता है और जज के सामने तरह-तरह की दलील रख सकता है|  

वैसे एक एडवोकेट अपने शुरुआती करियर में एक Lawyer ही होता है लेकिन बार Bar Council of India-BCI के एग्जाम को पास करने के बाद, लाइसेंस लेने के बाद वह एडवोकेट बनता है और फिर वह कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकता है।


लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में क्या अंतर है व इनके कार्य : What is the difference between advocate, lawyer and barrister in hindi


भारत में famous वकील कौन से है :-  Ram Jethmalani राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, संजय दत्त जैसे - बड़े व्यक्तियों की तरफ से पैरवी कर चुके हैं, जो कि अब इस दुनिया में नहीं है | जो एक फेमस वकील थे जिनकी फीस भी बहुत ज्यादा थी| 

भारत का सबसे मंहगा वकील कौन है :- Harish Salve -  यह भी किसी भी मुद्दे पर खुलकर बात रखने के लिए जाने जाते हैं, Harish Salve 1999 -2002 तक सरकार में सॉलीसीटर जनरल की भी भूमिका निभा चुके हैं, 

इनकी फीस बहुत महंगी है, ये सलमान खान से जुड़े हिट एंड रन केस में लड़ रहे हैं और इनकी क्लाइंट में टाटा, रिलायंस, वोडाफोन जैसी कई कंपनियां शामिल है।

एडवोकेट कितने प्रकार के होते हैं :- एडवोकेट कई प्रकार के होते हैं जैसे -

सीनियर एडवोकेट :- सीनियर एडवोकेट वह होता है जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करता है, ऐसे वकील के लिए किसी भी कोर्ट का कम से कम 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए वैसे सीनियर एडवोकेट का पद केवल प्रैक्टिस से ही नहीं, बल्कि उनके द्वारा लड़े गए case के हार - जीत track Record  से भी मिलता है।

यानी हम कह सकते हैं कि सीनियर एडवोकेट बनने के लिए केवल किसी डिग्री की ही नहीं, बल्कि अनुभव की भी जरूरत होती है जैसे - कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल एक सीनियर एडवोकेट हैं।

एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड क्या होता है :- जैसे सुप्रीम कोर्ट में केवल एक एडवोकेट ही ऑन रिकॉर्ड फाइल कर सकता है, जैसा कि हर कोर्ट कि अपने अलग नियम और कानून होते हैं, 

उसी तरह सुप्रीम कोर्ट के भी कुछ Rule और Regulations होते हैं, जिन्हें सभी को Follow करना जरूरी होता है, 

क्योंकि सुप्रीम कोर्ट देश का सबसे बड़ा न्यायालय होता है इसलिए इसका समय बचाने व डेकोरेट मेंटेन करने के लिए ऐसा किया जाता है तथा जो एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड से पहले से ही रजिस्टर्ड होते हैं, केवल वही सुप्रीम कोर्ट में case फाइल कर सकते हैं।

नोट :-  लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि यह पाबंदी केवल case फाइल करने तक ही होती है उसके बाद case फाइल हो जाता है तो  उसके बाद होने वाली बहस को ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट के जूनियर भी कर सकते हैं।

एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड कैसे बनते हैं :- एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के लिए आप को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से होने वाले AOR टेस्ट को पास करना पड़ता है और इस टेस्ट में appear होने के लिए कम से कम 4 साल की प्रैक्टिस किसी भी कोर्ट में होनी चाहिए।

और कम से कम 1 साल एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के अंदर प्रैक्टिस का अनुभव होना चाहिए|  

वैसे इसके अलावा कानून के मामले में और भी पद हैं जैसे - Advocate General, solicitor General|  

Advocate General(महान्यायवादी) क्या होता है :- जैसा कि हमें पता है कि भारत सरकार एक उत्तरदाई सरकार है, जो जनता के प्रति उत्तरदाई होती है, 

इसलिए सरकार के खिलाफ बहुत सारे मामले न्यायालय में चल रहे होते हैं जैसे - सरकार के किसी कानून को चुनौती देना, किसी निर्णय को चुनौती देना, जनहित याचिका दायर करना आदि के लिए हम न्यायालय चले जाते हैं तो सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए भारत के महान्यायवादी की पद की स्थापना की गई।

यह भारत सरकार के लिए ऐसे कार्य करता है जैसे - आपके लिए कोई वकील करता है तो हम कह सकते हैं कि महान्यायवादी भारत सरकार का वकील होता है।

भारत का महान्यायवादी कौन होता है :-  भारतीय संविधान के अनुच्छेद 76 के अंतर्गत भारत के महान्यायवादी के पद की व्यवस्था की गई है, यह देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है जो कि एक संवैधानिक पद है, जो केंद्र की कार्यपालिका के अंतर्गत आता है।

सॉलीसीटर जनरल कौन होता है :- इसे देश का दूसरा कानूनी अधिकारी भी कहते हैं और इसका काम एडवोकेट जनरल के विधिक(Legal) कार्य में सहायता करना होता है।

एडवोकेट दो तरह के ऑप्शन पर कार्य करता है:- 

  1. Criminal,
  2. Civil 

Criminal-  जब किसी आपराधिक घटना को अंजाम दिया जाता है और न्याय दिलाने के लिए जिस वकील को victim की तरफ से रखा जाता है उसे Public Prosecutor कहा जाता है | 

Public Prosecutor एक ऐसा वकील होता है जिसे क्रिमिनल केस में State की तरफ से case लड़ने के लिए नियुक्त किया जाता है और इसका कार्य तब शुरू होता है, जब पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन खत्म करने के बाद आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर कर देती है।

जब किसी व्यक्ति के साथ क्राइम होता है तो यह मान लिया जाता है कि यह Crime State के खिलाफ हुआ है और जब ऐसी Situation Create होती है कि वह खुद से अपना वकील नहीं कर सकता, तो ऐसे में सरकार न्याय दिलाने के लिए कई बार कोर्ट अपनी तरफ से एडवोकेट नियुक्त करती है।

एडवोकेट और लॉयर में अंतर :-

एक एडवोकेट लॉयर हो सकता है लेकिन लॉयर बिना Bar Council of India-BCI की परीक्षा पास किये एडवोकेट नहीं बन सकता| लॉयर बनने के बाद एडवोकेट बनते है यानी एडवोकेट लॉयर से एक कदम आगे का पद है।

लॉयर लॉ की पढ़ाई करने के बाद ट्रेनिंग की स्थिति में होता है, इसलिए वह मुकदमा नहीं लड़ सकता, जबकि एडवोकेट कोर्ट में अपने क्लाइंट का पक्ष रख सकता है|  

लॉयर का कार्य अपने क्लाइंट को कानूनी सलाह देना होता है, जबकि एडवोकेट अपने क्लाइंट का प्रतिनिधित्व कर उनका पक्ष कोर्ट में रख सकता है।

लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर से सम्बंधित जानकारी(FAQs) :- 

Q. बैरिस्टर बनने के लिए क्या करना पड़ता है?

A. Barrister उस व्यक्ति को कहा जाता है जो Law की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त करता है, 

क्योंकि भारतीय वकीलों को Bar Council of India-BCI का एग्जाम पास करना होता है और उसके बाद वह भारत के किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, 

Bar Council of India-BCI  U.K. की 45 यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भारत में प्रैक्टिस करने की भी अनुमति देता है| 

Q. बैरिस्टर का क्या काम है ?- 

A. Barrister उस व्यक्ति को कहा जाता है जो Law की डिग्री इंग्लैंड से प्राप्त करता है, 

क्योंकि भारतीय वकीलों को Bar Council of India-BCI का एग्जाम पास करना होता है और उसके बाद वह भारत के किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, 

Bar Council of India-BCI  U.K. की 45 यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भारत में प्रैक्टिस करने की भी अनुमति देता है| 

इन 45 यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भारत में आकर, किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं, जैसे - महात्मा गांधी ने 1891 में इंग्लैंड में जाकर बैरिस्टर की डिग्री हासिल की थी, जिसके चलते गांधी जी को कानून की पकड़ बहुत अच्छी थी, 

तेलंगाना के M.P. असदुद्दीन ओवैसी ने भी इंग्लैंड में पढ़ाई की है इसलिए हम कह सकते हैं कि बैरिस्टर भी एक तरह का वकील ही होता है, जो कि दूसरे वकीलों की तरह कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकता है।

Q.पहला बैरिस्टर कौन है ?

A. भारत के पहले बैरिस्टर मनमोहन घोष थे| 

Q.एक लॉयर वकील कैसे बनता है: 

A. लॉयर एक डिग्री के साथ, एक स्टूडेंट भी होता है ताकि वह एडवोकेट के साथ रहकर कोर्ट की प्रैक्टिस, कार्य जान सके और जैसे ही वह BCI-Bar Council of India की परीक्षा पास कर लेता है तो वह एडवोकेट बन जाता है।

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