Translate

BIMSTEC(बिम्सटेक ) क्या है, इसके उद्देश्य, महत्व, सम्मेलन list

इन्द्र मणि पांडे को बिम्सटेक को महासचिव नियुक्त किया गया है और इन्होंने भूटान के तेनजिन लेकफेल की जगह ली, इन्द्र मणि पांडे ने अपना कार्यभाल जनवरी, 2024 में संभाला।

BIMSTEC full form in hindi:-  Bay of Bengal initiative multi-sectoral technical and economic cooperation(बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीक और आर्थिक सहयोग पहल ) 

बिम्सटेक की स्थापना जून 1997 में बैकॉक घोषणा के तहत की गयी, इसका सचिवालय ढाका में स्थापित हुआ। यह क्षेत्रीय बहुपक्षीय संगठन है यानी क्षेत्रीय स्तर पर बहुपक्षीय चर्चा करना तथा यह दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच संपर्क का काम कर रहा है।

बिम्सटेक ऐसे देशों का संगठन है जो बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती या उसके आसपास के देश हैं। इस संगठन में दुनिया की लगभग 22 प्रतिशत आबादी निवास करती है और जीडीपी का 3.8 ट्रिलियन है। यह सार्क और आसियान के ब्रिज का काम भी करता है।

BIMSTEC(बिम्सटेक ) क्या है : - यह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण संगठन है, जो दक्षिण - पूर्व एशिया की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है तथा दक्षिण एशिया व दक्षिण - पूर्व एशिया को जोड़ने वाला संगठन जो बन रहा है वह दरअसल बिम्सटेक ही है | 

इसलिए आज हम बिम्सटेक के बारे में पढ़ने जा रहे हैं कि बिम्सटेक क्या है? इसकी स्थापना कब हुई? इसका महत्व व कमियां क्या है? क्या यह सार्क का विकल्प है?।

बिम्सटेक की स्थापना : इसका सबसे पहले नाम BISTEC था जिसे 6 जून, 1997 में बैंकॉक(थाईलैंड) में 4 देशों (बांग्लादेश, इंडिया, श्रीलंका, थाईलैंड) की बैठक द्वारा बनाया गया, 

इन चारों देशों की तटीय सीमा बंगाल की खाड़ी से लगती है और इन देशों ने निश्चय किया कि हम आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देंगे, 

ताकि अपनी साझा समस्याओं का समाधान इस प्लेटफार्म के माध्यम से किया जाए बंगाल की खाड़ी में सुरक्षा की जा सके, पर्यटन के क्षेत्र में एक दूसरे को बढ़ावा दे सके, दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ सकें ऐसे बहुत सारे उद्देश्य के साथ BISTEC की स्थापना हुई|  

कुछ समय बाद ही लगभग 6 माह बाद म्यांमार जो दक्षिण - पूर्व एशिया में, इन देशों के पड़ोस में ही स्थित है, जिसके पास दक्षिण पूर्व एशिया में सबसे ज्यादा समस्या है और दिसंबर 1997 में म्यांमार भी शामिल हो गया है तथा इसके शामिल होते ही BISTEC  का नाम बदलकर भी BIMSTEC हो गया।

जब बिम्सटेक बना उस वक्त भारत में गठबंधन की सरकार थी, बांग्लादेश में भी गठबंधन की सरकार थी, श्रीलंका तमिल समस्याओं से जूझ रहा था, म्यांमार में तानाशाही शासन था, 

जिसके कारण इसका अंतरराष्ट्रीय संगठन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा सका और इसमें ना ही कोई क्षेत्रीय बैठक सम्मेलन हुआ फिर फरवरी 2004 में जाकर इसमें हलचल हुई व इसमें दो देश (नेपाल, भूटान) और शामिल हुए जिससे बिम्सटेक में कुल देशों की संख्या 7 हो गई।

बिम्सटेक संगठन का पूरा नाम क्या है :- जब नेपाल और भूटान को इसमें शामिल किया गया तो इसका जो पूरा नाम था उसको बदल दिया गया और इसका पूरा नाम Bay of Bengal initiative multi-sectoral technical and economic cooperation कर दिया गया।

BIMSTEC(बिम्सटेक ) क्या है : बिम्सटेक में कितने देश है : इसके उद्देश्य : महत्व, सम्मेलन list


बिम्सटेक का सम्मेलन:-  बिम्सटेक में यह कमी है कि यह Proper तरीके से अपने सम्मेलन आयोजित नहीं कर सका है तथा इसके अभी तक 5 सम्मेलन आयोजित हुए हैं: 

बिम्सटेक सम्मेलन list : 

  1. 2004 बैंकॉक (थाईलैंड)
  2. 2008 नई दिल्ली (भारत) 
  3. 2014 ना पीता (म्यांमार) 
  4. 2018 काठमांडू (नेपाल) 
  5. 2022 श्रीलंका की अध्यक्षता में (वर्चुअल मोड में बैठक हुई।)

बिम्सटेक में कितने देश है ?

  • भारत, 
  • बांग्लादेश, 
  • श्रीलंका,
  • थाईलैंड, 
  • म्यांमार, 
  • नेपाल, 
  • भूटान।

बिम्सटेक का महत्व :- 

यह दक्षिण एशिया और दक्षिण - पूर्वी एशिया को जोड़ता है भारत के पूर्वी राज्यों का विकास तेजी के साथ नहीं हुआ है तथा भारत के पूर्वी राज्यों की सीमा बांग्लादेश, म्यांमार से मिलती है जिससे इनके विकास में योगदान मिलेगा|  

बिम्सटेक का एक प्रोजेक्ट कलादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट, इसमें भारत के मिजोरम राज्य से एक नदी निकलती है जो म्यांमार में गिरती है जिसका नाम है कालादान, 

वहां पर म्यांमार का एक बंदरगाह है जिसका नाम है सितवे, जिसको भारत Reconstruction करेगा जिससे दक्षिण एशिया व दक्षिण - पूर्व एशिया में अच्छी कनेक्टिविटी हो सकती है जिसमें बिम्सटेक अहम भूमिका निभा सकता है।

भारत - म्यांमार - थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग का निर्माण इसी बिम्सटेक के अंतर्गत किया जा रहा है|  

वर्ष 2015 को पर्यटन वर्ष के रूप में मनाया है व बिम्सटेक पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा सकता है | 

Bimstec Energy Grid  की स्थापना कहा हुई : बिम्सटेक के देश अपनी एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए भी Bimstec Energy Grid की स्थापना बेंगलुरु में कर रहे हैं| 

बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी में अहम भूमिका अदा करता है, यदि भारत इसके सदस्यों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर लेता है तो बढ़ते हुए चीन की विस्तारवादी नीति जैस चीन की Maritime Silk Route के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकेगा| 

क्या बिम्सटेक सार्क का नया विकल्प बन सकता है ? :  

2016 में उरी हमले के बाद भारत ने बिम्सटेक को बढ़ावा दिया, जिसके चलते बिम्सटेक के देशों ने नबंवर, 2016 में इस्लामाबाद मे ंहोने वाले सार्क के सम्मेलन के बहिष्कार किया और भारत के आह्वान का समर्थन किया, 

जिसके बाद सार्क के सम्मेलन को अनिश्चितकाल के लिये टाल दिया गया, लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि यह सम्मेलन केवल स्थगित हुआ है, रद्द नहीं हुआ है। इसलिये हम यह नहीं कह सकते कि सार्क की जगह बिम्सटेक ने ले ली है, बल्कि सार्क का अपना महत्व है, और बिम्सटेक का अपना है ।

बिम्सटेक सार्क का नया विकल्प बन सकता है और पाकिस्तान के  इस संगठन में शामिल ना होने की वजह से भारत बिम्सटेक के सदस्यों के साथ अच्छे संबंध स्थापित कर सकता है, 

यदि बिम्सटेक सदस्य देशों के संबंध अच्छे होते हैं तो यह आसियान मास्टर प्लान बना सकते हैं, जो ऊर्जा, पर्यटन के क्षेत्र में अहम भूमिका अदा कर सकता है।

बिम्सटेक के उद्देश्य :- 

  • बिम्सटेक का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशियाई और दक्षिण - पूर्व एशियाई देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है|  
  • सदस्य देशों के बीच आपसी व्यापार में आने वाली दिक्कतों को कम करना |
  • सहयोग और समानता की भावना विकसित करना| 
  • क्षेत्र में तेजी से आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना |
  • शिक्षा, विज्ञान, व्यापार, ऊर्जा, तकनीकी, परिवहन, पर्यटन, कृषि, मत्स्य पालन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद रोकना, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों का लोगों से संपर्क, जलवायु परिवर्तन इन क्षेत्रों में एक दूसरे का सहयोग करना |
  • सदस्य राष्ट्रों के साझा हितों के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना|

सहयोग के क्षेत्र :-

    • विज्ञान, 
    • व्यापार, 
    • ऊर्जा, 
    • तकनीकी, 
    • परिवहन, 
    • पर्यटन, 
    • कृषि, 
    • मत्स्य पालन, 
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य, 
    • गरीबी उन्मूलन, 
    • आतंकवाद रोकना, 
    • पर्यावरण, 
    • संस्कृति, 
    • लोगों का लोगों से संपर्क, 
    • जलवायु परिवर्तन।

बिम्सटेक की बैठकें : 

  • बिम्सटेक शिखर सम्मेलन: यह बिम्सटेक का सर्वोच्च नीति निर्धारण निकाय है तथा इसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्य/सरकार के प्रमुख शामिल होते हैं।
  • मंत्रिस्तरीय बैठक : यह बिम्सटेक का दूसरा शीर्ष नीति-निर्माण फोरम है इसमें सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्री भाग लेते हैं।
  • वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक : सदस्य राष्ट्रों के विदेशी मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसका प्रतिनिधित्व किया जाता है।
  • बिम्सटेक कार्यकारी समूह : बिम्सटेक के सदस्य देशों के राजदूत अथवा उनके प्रतिनिधि ढाका स्थित बिम्सटेक सचिवालय में प्रतिमाह एकत्र होते हैं।
  • व्यापार मंच तथा आर्थिक मंच: ये निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु दो महत्वपूर्ण मंच हैं।
BIMSTEC(बिम्सटेक ) क्या है : बिम्सटेक में कितने देश है : इसके उद्देश्य : महत्व, सम्मेलन list



भारत के लिए बिम्सटेक का महत्व :

नेबरहुड फर्स्ट: देश की सीमा के नज़दीकी क्षेत्रों को प्रधानता।

 एक्ट ईस्ट: भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है।

 भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास: पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश और म्याँमार के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से जोड़ना।

बिम्सटेक में कमियां क्या है :- 

सबसे पहली कमी तो इसकी यह है कि बिम्सटेक का सम्मेलन एक निश्चित समय पर नहीं हो पा रहा है| 

बिम्सटेक में क्षेत्रीय समूह में जो बिंदु डाले गए हैं उन पर सही तरह से क्रियान्वित नहीं हो पा रहा है, 

क्योंकि बिम्सटेक में हर 2 साल में शिखर सम्मेलन, हर साल मंत्री स्तरीय बैठक आयोजित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन 2020 तक इसकी केवल चार ही बैठक हो पाई है|  

सदस्य राष्ट्रों द्वारा बिम्सटेक पर ध्यान केंद्रित ना होना जैसे- थाईलैंड और म्यांमार द्वारा आसियान पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना, भारत द्वारा इसका प्रयोग तब किया जाना, जब भारत सार्क के माध्यम से क्षेत्रीय व्यवस्था बनाने में सफल ना हो पाया है|  

बिम्सटेक का व्यापक कार्यक्षेत्र होना, क्योंकि इसमें प्रौद्योगिकी, पर्यटन जैसे लगभग 15 क्षेत्र शामिल हैं जबकि बिम्सटेक को कम क्षेत्रों पर प्रतिबद्ध होना चाहिए।

इसके सदस्य देशों के अपने विवाद जैसे - बांग्लादेश शररणथियो का संकट का सामना कर रहा है, म्यांमार में रखाइन प्रांत से रोहिंग्या मुसलमानों का लगातार पर पलायन होना | 

थाईलैंड म्यांमार  के बीच सीमा विवाद|  

बिम्सटेक ने मुक्त व्यापार समझौता पर 2014 में चर्चा की थी लेकिन अभी तक इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला है | 

आर्थिक सहयोग हेतु अपर्याप्त ध्यान।

बिम्सटेक और सार्क में क्या अंतर है : 

बिम्सटेक एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को जोड़ता है, जबकि सार्क दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय संगठन है|  

बिम्सटेक की स्थापना 1997 में हुई थी व सार्क की स्थापना 1995 में | 

बिम्सटक में सत्ता का संतुलन है व सार्क में शक्ति संतुलन असीमित है।

आगे की राह :- बिम्सटेक की पहचान अपनी विविधता के लिए हैं व सदस्य राष्ट्रों को क्षेत्रीय तालमेल बनाने और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है, जिससे बिम्सटेक को और मजबूती व गति मिलेगी|  

भारत को भी बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका जैसे भागीदारी के साथ समान रूप से निरंतर राजनीतिक जुड़ाब सुनिश्चित करना होगा|  

बिम्सटेक देशों को कनेक्टिविटी और सहयोग को बढ़ावा देना होगा, बिम्सटेक को भविष्य के नए क्षेत्रों जैसे - ब्लू इकोनॉमी,  डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्टार्ट अप, MSMEs पर अधिक ध्यान केंद्रित रखना होगा।।

 बिम्सटेक के बारे में जानकारी(FAQs ) :

Q. 2022 में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन का मेजबान कौन सा देश है?

A. 2022 में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीलंका द्वारा वर्चुअल मोड द्वारा की गई

Q. क्या पाकिस्तान बिम्सटेक का सदस्य है?

A. पाकिस्तान बिम्सटेक का सदस्य नहीं है | 

Q. bimstec full form and headquarters :-

A. bimstec full form - Bay of Bengal initiative multi-sectoral technical and economic cooperation and headquarters -dhaka(bangladesh) में है

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ