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पूंजीवाद क्या है, इसके लाभ और नुकसान : पूंजीवाद का इतिहास व इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई

Capitalism in Hindi : पूंजीवाद का अंग्रेजी में अर्थ होता है Capitalism, Capitalism शब्द Capital से निकला है, जिसका मतलब होता है धन या पैसा यानी यदि आपके पास कोई घर है गाड़ी है यह सब Capital है। 

पूंजीवाद "यह एक ऐसा समाज है जहां लोग अपनी क्षमता से काम करेंगे लेकिन उन्हें मिलेगा अपनी Capital के हिसाब से" यानी जिसके पास जितना पैसा होगा उसे उतना ही मिलना।

दरअसल पूंजीवाद एक ऐसी विचारधारा है जो Privatization को बढ़ावा देती है मतलब उत्पादन के साधनों जैसे - खेत फैक्ट्रियां, उद्योग, भूमि आदि को प्राइवेट लोगों द्वारा कंट्रोल किया जाता है जबकि साम्यवाद में इन्हें जनता द्वारा कंट्रोल किया जाता है।

वैसे तो साम्यवाद विचारधारा की तरह ही पूंजीवाद भी एक बड़ी विचारधारा है, जिसमें बहुत से Sub Section हैं जो थोड़ी बहुत अलग-अलग विचारधाराओं से हैं, 

लेकिन Commonly देखें तो कुछ चीजें ऐसी है जो हर तरह के पूंजीवाद में देखने को मिलती हैं जैसे- प्राइवेटाइजेशन, सरकार का कम से कम हस्तक्षेप, फ्री बाजार और प्रतिस्पर्धा होना, पैसे सही पैसा बनता है ऐसी सोच।

पूंजीवाद का इतिहास :-

इसका पुराना Example है सामंतवाद का, जिसे पूंजीवाद का प्राचीन स्वरूप कहा जा सकता है।

लगभग 10वीं शताब्दी के आसपास जो जमीन के मालिक होते थे वे जमीन पर कब्जा करके रखते थे और जो जमीन पर काम करने वाले किसान और मजदूर थे वह दिन - रात मेहनत करके फसल उगाते थे, 

लेकिन जो Profit होता था वह जमीन के मालिक ले जाते थे व किसान, मजदूरों को केवल इतना पैसा मिल पाता था कि वे अपना गुजारा चला पाए।

आज भी पूंजीवाद ऐसा ही काम कर रहा है जैसे मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी में जॉब कर रहे हो तथा आप दिन - भर मेहनत करते हो और उसके बदले आपको Monthly सैलरी मिलती है व कंपनी जो प्रॉफिट कमाती है उसका बहुत बड़ा हिस्सा कंपनी के मालिक के पास जाता है|  

लेकिन प्राचीन पूंजीवाद और आज के पूंजीवाद में कुछ अंतर देखने को मिलता है जिसे आज के पूंजीवाद में वर्कर्स के अधिकार मिलते हैं, Minimum Wage दी जाती है और इतना शोषण नहीं होता।

तथा इस कंपनी का मालिक वह होगा जिसके पास इस कंपनी की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है आप भी बन सकते हैं इसके मालिक| 

इस तरह का पूंजीवाद आज Exit करता है इसका मतलब यह हुआ है कि इस पूंजीवाद की दुनिया में वही ज्यादा पैसा कमा सकता है जिसके पास पैसा होगा।


पूंजीवाद क्या है, इसके लाभ और नुकसान : पूंजीवाद का इतिहास व इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई (What is Capitalism in Hindi)


पूंजीवाद का उदय कैसे हुआ ? :- 

आधुनिक पूंजीवाद क्या है : आधुनिक पूंजीवाद की शुरुआत 16वीं व 17वीं शताब्दी में यूरोपीय देशों में हुई खासकर नीदरलैंड और इंग्लैंड में|  

दुनिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज था Amsterdam Stock Exchange जहां पर सन 1602 में पहली कंपनी डच इंडिया कंपनी Listed हुई थी| 

जिस तरह से साम्यवाद के लिए कार्ल मार्क्स उसी तरह पूंजीवाद में एडम स्मिथ जिन्हें पूंजीवाद का पिता कहा जाता है जिन्होंने 1976 में "द वेल्थ ऑफ नेशंस" नामक किताब लिखी थी, 

इस किताब में इनके द्वारा एक पॉलिसी की बात की गई थी - Laissez Faire जोकि एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब है Leave Alone यानी सरकार को अर्थव्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, हीं से फ्री मार्केट Capitalism इसकी शुरुआत हुई| 

For Example जैसे - आप कोई रेस्टोरेंट चलाते हो और आपके पड़ोस में एक आदमी और रेस्टोरेंट चलाता है यदि आपके बीच कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा तो आप दोनों में अच्छा कंपटीशन देखने को मिलेगा कि कौन अच्छी क्वालिटी का खाना देता है, कौन अच्छी फैसिलिटी देता है, 

इससे होगा यह की आप दोनों इस कंपटीशन की वजह से नए विचार लाओगे यहां कोई आपको फोर्स नहीं कर रहा, लेकिन बाजार की Situation तय कर रही है कि आप और अच्छा करो।

इसमें आप तो अपने interest के लिए काम कर रहे हो लेकिन इससे पूरे समाज को लाभ मिल रहा है, क्योंकि जब आप बड़ा करोगे तो आप अपने रेस्टोरेंट में और आदमियों को नौकरी पर रखोगे, फिर कोई खाना बनाएगा, कोई खाना परोसेगा, कोई खाना डिलीवरी करेगा, 

इससे हर कोई अपने काम में Specialization होगा और यह हुआ Division of labor, इसी Division of labor और Specialization की वजह से प्रोडक्टिविटी बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है|

एडम स्मिथ ने इसका जिक्र अपनी किताब में किया है इसी वजह से आज पूंजीवाद दुनियाभर में इतना सफल क्यों हुआ, क्योंकि हर किसी ने सोचा कि यदि हमें किसी काम को अच्छे से वे तेजी के साथ करना है तो हमें Division of labor और Specialization करना पड़ेगा, 

इन्हीं सब विचारों को implement करके औद्योगिक क्रांति की शुरुआत होती है, फिर कामगारों का शोषण होने लगा, फिर इससे साम्यवाद की शुरुआत हुई।

कॉल मार्क्स एडम स्मिथ के विचारों में अंतर :- 

दोनों एक Situation को अलग-अलग तरीके से देख रहे थे जहां एक और एडम स्मिथ क्षमता और उत्पादकता पर फोकस कर रहे थे, वही कार्ल मार्क्स इससे सहमत थे लेकिन कार्ल मार्क्स का फोकस एक व्यक्तिगत पर था, 

जैसे वर्कर एक काम को बार-बार करेगा, जिससे वर्कर अपने काम से Proud महसूस नहीं करेगा और सोचेगा की मैं एक मशीनरी मैं झुकता जा रहा हूं और इससे वर्कर स्थिर  नहीं हो पाएंगे जिससे पूंजीवाद के हाथ में और ताकत आ जाएगी, जिससे वर्कर्स का शोषण होगा| 

लेकिन कार्ल मार्क्स और एडम स्मिथ दोनों अलग-अलग जमाने में पैदा हुए थे।

पूंजीवाद की शुरुआत कब हुई :-  सन 1902 में अमेरिका में तीन बड़ी स्टील कंपनियां(Carnegie Steal, Federal Steel, National Steel) आपस में मिल जाती हैं जिसका नाम US Steel हुआ था और यह दुनिया की पहली मिलियन डॉलर कॉर्पोरेशन बनी| 

इस कंपनी के Elbert H Gary चेयरपर्सन बने और पहले साल  पूरे देश की दो तिहाई स्टील इसी कंपनी ने बनाई।

तथा स्टील उद्योग में थोड़ी बहुत जो प्रतिस्पर्धा बची थी तो Elbert H Gary ने  सब Competitors को बुलाया और सुझाव दिया कि हम सब साथ में मिलकर Competitive Pricing को बंद कर देते हैं, इस तरह इस कंपनी की Monopoly सामने आई |

एडम स्मिथ के अनुसार फ्री बाजार का Concept इस सिचुएशन में काम करना चाहिए था, लेकिन Reality में ऐसा नहीं हुआ किसी एक चीज की monopoly आम जनता के लिए बहुत खतरनाक होती है।

सरप्लस वैल्यू क्या होती है : - सामानों की वैल्यू - श्रम की वैल्यू,  जैसे - मान लेते हैं आप एक कंपनी चला रहे हैं और उस कंपनी में 1 लाख का लाभ होता है और आपने लेबर को मजदूरी दी 15000 तो आपको 85000 मिले इसे ही सर प्लस वैल्यू कहते हैं।

कार्ल मार्क्स के अनुसार यहां हर कोई एक सीढ़ी पर चढ़ने की कोशिश कर रहा है अपना शोषण रोकने के लिए, लेकिन जैसे ही वह सीढ़ी पर ऊपर पहुंचता है तो वह शोषण करने लगता है पूंजीवाद में काम को इतना Reward नहीं मिलता, जितना पैसे को मिलता है।

वर्ष 1929 में पूंजीवाद को बहुत बड़ा नुकसान हुआ, जब स्टॉक मार्केट बहुत बुरी तरह से गिर गया जिससे महामंदी आई, 

महामंदी के कारण बहुत बड़ी मात्रा में गरीबी और बेरोजगारी अमेरिका में देखने को मिली, फिर पूंजीवाद के इतिहास में John M. Keynes की एंट्री होती है, 

इनका मानना था कि यह फ्री मार्केट का जो कॉन्सेप्ट है वह Actual में Exit नहीं करता है क्योंकि फ्री मार्केट को इतना फ्री छोड़ा जाएगा तो इससे मंदी, Monopoly जैसे नुकसान होंगे।

John M. Keynes का कहना था कि यहां सरकार को कंपनियों में हस्तक्षेप व इनको रेगुलेट करना चाहिए और छोटी कंपनियों को Support करना चाहिए व बड़ी कंपनियों की मोनोपोली रोकना चाहिए फिर, कई देशों ने John M. Keynes के सिद्धांतो सीखकर अपने यहां पूंजीवाद को अपनाया, जहां रूल और रेगुलेशन होते थे। 

फिर 1980 में पूंजीवाद को एक और झटका लगा जब अमेरिका में Ronald Reagan और UK में Margaret Thatcher ने एडम स्मिथ के फ्री मार्केट के कांसेप्ट को उन्हें लागू किया, इसको इन दो देशों में जो पूंजीवाद लागू किया जाता है इसे Neo-liberalism कहा जाता है।

नव उदारवादी(Neo-liberalism) क्या है : - इसके अंतर्गत समकालीन परिस्थितियों के संदर्भ में उदारवाद की मूल मान्यताओं को दोहराने का प्रयत्न किया जाता है, 

इसकी मुख्य मान्यता यह थी कि राज्य को व्यक्तियों की आर्थिक गतिविधियों में कम से कम हस्तक्षेप करना चाहिए।

पूंजीवाद क्या है, इसके लाभ और नुकसान : पूंजीवाद का इतिहास व इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई (What is Capitalism in Hindi)


पूंजीवाद की सफलता/लाभ :- 

विकेंद्रीकृत :-  इसमें जो विकेंद्रीकृत बिजनेस होते हैं वे स्वतंत्र रूप से काम करते हैं जिससे यह और ज्यादा प्रॉफिट कमाते हैं और इस प्रॉफिट को कमाने के लिए यह बिजनेस और अच्छा काम करना चाहेंगे जिससे इनोवेशन होगा |

इसी इनोवेशन की वजह से पिछले कई दशकों से हमें कई तकनीक मिली है|  

गरीबी कम होना :- कई एक्सपर्ट्स यह दावा करते हैं कि पिछले 50 सालों से गरीबी कम हुई है और शिक्षा का स्तर बढ़ा है| 

स्वतंत्रता - इसमें हर किसी को स्वतंत्रता मिलती है कि आप भी ऊपर पहुंच सकते हो यदि आप भी मेहनत करते हो तो आप भी कितनी भी तरक्की कर सकते हो।

पूंजीवाद के नुकसान :-

कहने को तो पूंजीवाद में विकेंद्रीकृत हैं लेकिन Reality में इसमें Monopoly होती है जैसे - कुछ कंपनी Merge होकर एक बड़ी कंपनी बनती हैं, 

फिर वह मोनोपोली करती है जिससे जनता के लिए सही नहीं है क्योंकि इससे जनता का शोषण होता है, इसमें छोटी कंपनियों को कब्जा किया जाता| 

असमानता - इससे अमीर लोग और अमीर होते जाते हैं और गरीब दबते जाते क्योंकि गरीब के पास इतने पैसे ही नहीं होते कि वे ऊपर उठ सके | 

पर्यावरण को नुकसान : पिछले 16 सालों से पर्यावरण को जितना नुकसान हुआ उतना पूरे इतिहास में नुकसान नहीं हुआ, क्योंकि पूंजीवाद में कंपनियां केवल अपने प्रॉफिट पर ध्यान देती हैं, 

उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि पृथ्वी को क्या नुकसान हो रहा| 

समाज को नुकसान - कंपनियां Ads  के द्वारा हमारे Mindset को चेंज करती हैं जैसे केमिकल से बनी चीजों को अच्छा बताकर बेचा जाता है( तंबाकू, वर्गर )| 

Current View of Capitalism in hindi :-  पिछले तीन चार दशकों से अमेरिका में Neo-liberalism लागू करते हुए देखा है जिसकी वजह से असमानता बड़ी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है 

यानी अमीर लोग और भी अमीर बनते जा रहे हैं और गरीब लोग दबते जा रहे हैं जो बड़ी कंपनियां है उनका Monopoly  होता जा रहा है जैसे इंडिया में रिलायंस।

पूंजीवाद के बारे में जानकारी(FAQs) : 

Q. पूंजीवाद के जनक कौन है ?

A. पूंजीवाद के जनक एडम स्मिथ है |

Q. पूंजीवाद देश कौन से हैं  ?

A. पूंजीवाद देश जैसे - USA, U.K., France आदि |  

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