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समाजवाद(Socialism) क्या है : इसकी प्रमुख विशेषतायें व समाजवाद के गुण और दोष

Socialism in hindi :- समाजवाद का अंग्रेजी में मीनिंग Socialism है Socialism शब्द की उत्पत्ति सोशियस शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है समाज| 

समाजवाद शब्द की उत्पत्ति समाज और सामाजिक हित जैसे - शब्दों से हुई यानी इसका मतलब होता है समाज की सेवा करना और समाजवाद सामाजिक न्याय पर आधारित है, वही पूंजीवाद प्रतिस्पर्धा पर आधारित है।

"हर व्यक्ति अपनी क्षमता के साथ काम करेगा, लेकिन उसे अपने योगदान के हिसाब से मिलेगा" जबकि साम्यवाद में व्यक्ति की जरूरत के हिसाब से चीजें मिलती हैं|  

समाज में हर तरह के लोग निवास करते हैं, जिसके कारण समाज में संघर्ष भी रहता है तथा इसी संघर्ष को खत्म करने के लिए समाजवाद की आवश्यकता पड़ती है जो सामाजिक न्याय पर आधारित है।

समाजवाद की शुरुआत कब हुई :- पुराने जमाने में हमें बहुत से ऐसे Example मिल जाएंगे जैसे - बहुत से राजा ऐसे होते थे जो अपने हित के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक हित के लिए, अपनी प्रजा के लिए काम करते थे, जिसका बड़ा उदाहरण है चाणक्य दार्शनिक | 

जिन्होंने अपनी किताब अर्थशास्त्र में राजतंत्र और कल्याणकारी राज्य के बारे में बताया की राजा की सामाजिक हित में क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए ।

फिर कई दशकों के बाद यूरोप में औद्योगिक क्रांति होती है, औद्योगिक क्रांति में बहुत बुरी तरह से शोषण किया जाता है वर्कर्स का, बच्चों को 10 - 12 घंटे फैक्ट्री में काम कराया जाता था और इसका ज्यादातर मुनाफा इनके मालिकों के पास जाता था, जिससे असमानता बहुत तेजी के साथ बढ़ती है और फिर Monopolies की शुरुआत होती है| 

इन सब समस्याओं को दूर करने के लिए अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग सुझाव दिए जैसे - कार्ल मार्क्स ने साम्यवाद का सुझाव दिया, Thomas Payne ने Real Estate Tax और Inheritance tax लगाने का सुझाव दिया और इन टैक्सों से जो पैसा आएगा, उसका हम इस्तेमाल पेंशन, Disability पेंशन देने में इस्तेमाल करेंगे| 

उस वक्त और भी Philosopher थे जैसे रूसो और Proudhon जो प्राइवेट प्रॉपर्टी जैसे जमीन और मकान के खिलाफ थे यानी कोई एक व्यक्ति किसी जमीन या मकान का मालिक नहीं होना चाहिए,

यूटोपियन समाजवाद क्या है : - कुछ और Philosopher जैसे - Charless Fourier Robert Owen उनका कहना था कि समाजवाद कोई ऐसी विचारधारा नहीं है जो अमीर लोगों के खिलाफ है, बल्कि समाजवाद अमीर लोगों को नैतिक मूल्य सिखाती है, 

जिसके द्वारा जनता का तो भला होता है साथ ही इसे करने से इन्हें भी खुशी मिलती है जिसे यूटोपियन समाजवाद का नाम दिया जाता है।

भारत में भी यूटोपियन समाजवाद से महात्मा गांधी का Trusteeship सिद्धांत प्रभावित था जिसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति के पास जरूरत से ज्यादा पैसा है तो वह चोरी के समान है, जिसे दान कर दिया जाना चाहिए भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति J.R.D. टाटा और अजीम प्रेमजी जो गांधी जी के Trusteeship सिद्धांत से प्रभावित रहे हैं| 

ऐसा माना जाता है कि गांधी जी से भी पहले भारत से समाजवादी स्वामी विवेकानंद थे उनकी विचारधारा भी यूटोपियन समाजवाद से काफी मिलती-जुलती थी, लेकिन वे इसे भारत के Context में प्रयोग करते थे इसलिए कुछ लोग इनकी विचारधारा को आध्यात्मिक समाजवाद का नाम देते हैं।


समाजवाद(Socialism) क्या है  : इसकी प्रमुख विशेषतायें व समाजवाद के गुण और दोष


पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुसार समाजवाद :-  बल का प्रयोग करने के बजाय जन सहमति के तरीकों से राजनीतिक व आर्थिक शक्तियों की विकेंद्रीकरण की न्याय पूर्ण व्यवस्था ही लोकतांत्रिक समाज है।

जार्ज वंदिशा के अनुसार समाजवाद :- समाजवाद आय की असमानता(अमीर और गरीब) के अलावा और कुछ नहीं है।

सिडनी वेब के अनुसार समाजवाद :-  लोकतंत्रात्मक विचारधारा का आर्थिक पक्ष ही समाजवाद है।

सीएम जोड़ के अनुसार समाजवाद :- 'समाजवाद ऐसी टोपी है जिसका रूप प्रत्येक व्यक्ति के पहनने के कारण बिगड़ गया है।'

लास्की के अनुसार समाजवाद :- समाजवाद एक ऐसी टोपी था जिसे हर कोई अपने अनुसार पर लेता था।

यानी समाजवाद की परिभाषा हुई "हर व्यक्ति अपनी क्षमता के साथ काम करेगा, लेकिन उसे अपने हिसाब से मिलेगा" जबकि साम्यवाद में हर व्यक्ति अपनी क्षमता के साथ काम करेगा लेकिन उसे मिलेगा उसकी जरूरत के हिसाब से।

क्रांतिकारी समाजवाद क्या है :-  कार्ल मार्क्स, भगत सिंह जैसे व्यक्ति क्रांतिकारी समाजवाद में विश्वास करते थे, उनका कहना था कि सामाजिक न्याय कोई नैतिक मूल्य का सवाल नहीं है, बल्कि यह न्याय देने का सवाल है|  

यह अहिंसा से नहीं मिला तो इसे हिंसा के साथ लेना चाहिए इन सब का कहना था कि लाभ मिलना एक वर्कर का अधिकार होता है।

सुनने मैं यह विचारधारा साम्यवाद से काफी मिलती-जुलती है कार्ल मार्क्स ने साम्यवाद को बताया कि यह एक Classless सोसाइटी होगी, जहां सब मिल बांट कर रहेंगे और संसाधनों की इतनी अधिकता रहेगी कि सबको अपनी जरूरत के हिसाब से सब मिल जाएगा, 

कुछ लोगों ने कहा कि दुनिया भर में इतना स्वार्थ, लालच भरा पड़ा है कि जिससे साम्यवाद लाना बहुत मुश्किल हो जाता है, इसलिए कार्ल मार्क्स ने यूटोपियन समाजवाद के खिलाफ विद्रोह की बात कही

उनका मानना था कि समाजवाद में जो लोग पावरफुल होते हैं और उनकी ही विचारधारा ओर लोगों की विचारधारा बन जाती है, 

कार्ल मार्क्स के अनुसार समाजवाद :- यदि कुछ लोग समाज में लालच, स्वार्थ के दम पर पावर में आते हैं तो इससे लोग स्वार्थ, लालच से पावर में आने को प्राकृतिक ही मानेंगे, 

जिससे सीधे साम्यवाद नहीं आ सकता है, इसलिए बीच का रास्ता चाहिए इसी बीच के रास्ते को कार्ल मार्क्स ने समाजवाद का नाम दिया।

समाजवाद में वर्कर्स की एक पार्टी पूंजीवाद के नियम को हटायेगी और जो उत्पादन के साधनों पर अपना कब्जा करेगी, कौन सी वस्तु बनेगी, कितनी बनेगी, यह समाज की जरूरत पर निर्भर करेगा| 

"सब लोग काम करेंगे और काम के हिसाब से आय होगी" कार्ल मार्क्स के हिसाब से कोई कठोर प्रतिस्पर्धा नहीं रहेगी और ज्यादा लोग भूख से नहीं मरेंगे, फ्री शिक्षा, फ्री स्वास्थ्य यानी सभी लोगों को बेसिक जरूरतें मिल सकेंगी।

जिससे पूंजीवाद का लालच, स्वार्थ वाला नजरिया धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा और लोगों में नैतिकता आ जाएगी और राज्य अलग हो जाएगा, सरकार धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी और फिर साम्यवाद के साथ साझा करने वाला मॉडल लागू हो जाएगा।

कार्ल मार्क्स की ये Theory शुरुआत में सोवियत संघ में अपनाई जाने लगी।

भगत सिंह की विचारधारा क्या थी :- भगत सिंह द्वारा समाजवाद के संदर्भ में कहां गया था कि समाज वर्कर्स की मेहनत पर टिका हुआ है, 

खेत में फसल उगाने वाले वर्कर, कपड़े धोने वाला वर्कर, कोयला-लोहे-तेल की खुदाई करने वाला वर्कर्स| सब काम तो करें वर्कर लेकिन वर्कर ही सबसे गरीब होता है, वह भूखा रहता है इसके बच्चे बिना कपड़े के रहते हैं ऐसा क्यों है? यह सवाल पूछा भगत सिंह ने।

भगत सिंह ने कहा कि क्रांति का उद्देश्य है समाजवादी - गणतंत्र बनाना क्योंकि समाजवादी देश में संसाधनों को कंट्रोल वर्कर्स करेंगे और मुनाफा भी वर्कर्स के पास ही जाएगा, 

जबकि पूंजीवाद में संसाधनों को कंट्रोल पूंजीपति करते हैं यानी फैक्ट्री का ज्यादा मुनाफा इन्हीं को मिलता है।

संसाधनों को वर्कर्स के हाथ में देने का एक तरीका हो सकता है राष्ट्रीयकरण यानी सरकार की कंपनियों हो और लोग उन कंपनियों में काम करें, विकेंद्रीकरण के लिए उत्पादन के संसाधनों को राज्य सरकार या पंचायत स्तर पर दिया जाए, 

इसी तरह की Philosophy गांधीजी ने भी दी थी, क्योंकि गांधीजी अक्सर आत्मनिर्भर गांव की बात करते थे जब गांधी जी ने सर्वोदय की बात की यानी सबका साथ सबका विकास, 

लेकिन समाजवाद में यह जरूरी नहीं कि उत्पादन के साधन केवल राष्ट्रीय या स्थानीय सरकार या पंचायत के हाथों में जाए, यह भी हो सकता है कि उत्पादन के साधन सीधे वर्कर्स के हाथ में भी रह सकते हैं |

या वर्कर्स अमूल सोसाइटी की तरह सहकारी समाज बना ले, क्योंकि  अमूल के मालिक एक आदमी ना होकर लगभग 36 lac किसान है और जो भी मुनाफा Amul से आता है यह सब इन किसानों में जाता है| 

इसी तरह समाजवाद में MSME शब्द बहुत सुनने को मिलता है जैसे एक ठेला लगाने वाला खुद मालिक भी होता है और वर्कर भी, लेकिन बड़ी कंपनियों में इसके उलट है कि जैसे कोई कंपनी बड़ी होती जाती है वैसे ही वर्कर्स का मुनाफा कम होता जाता है।

जवाहरलाल नेहरू की समाजवादी विचारधारा :-  जवाहरलाल नेहरू की विचारधारा को Fabian सोसायटी कहा जाता है यह ऐसी विचारधारा है जो हिंसा में विश्वास नहीं रखती और उनका कहना था कि समाजवाद एक अंतिम उद्देश्य नहीं है, 

बल्कि सुधारवादी तरक्की है जिसे धीरे-धीरे लागू किया जाता है जिसमें एक प्राइवेट व्यक्ति भी कंपनी का मालिक बन सकता है, सब सरकारी कंट्रोल नहीं रहेगा इसी को Mixed Economic कहा जाता है।

प्राइवेट कंपनियों पर Rule और Regulations लगाए जाएंगे, ताकि इनकी Monopoly ना हो सके और साथ ही सरकारी कंपनियां होंगी, PSU (ONGC, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक, इसरो DRDO) इनको कंट्रोल किया जायेगा सरकार द्वारा।

लाल बहादुर शास्त्री कि समाजवादी विचारधारा :- इनकी विचारधारा नेहरू से काफी मिलती जुलती है उनका कहना था कि हम प्राइवेट सेक्टर लागू करते हैं, लेकिन हमारा उद्देश्य है समाजवाद इन्होंने श्वेत क्रांति की शुरुआत की,  अमूल कॉपरेटिव को को भी बढ़ावा दिया।

इंदिरा गांधी की समाजवादी विचारधारा :- इंदिरा गांधी ने प्राइवेट सेक्टर को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इससे ना तो समाजवाद की वृद्धि हो पाई और भ्रष्टाचार ज्यादा हो गया, लालफीताशाही  हो गयी, फिर बाद में चीजों को थोड़ा उदार बनाया गया और समाजवाद का मतलब कल्याणकारी राज्य में बदल गया।

Keynes द्वारा कहा गया है कि हमें कंपनियों को Regulate करना चाहिए, मोनोपोली को रोकने के लिए, असमानता को कम करने के लिए।

इस मॉडल को चीन ने अपनाया, जिसका नतीजा हम आज देख रहे हैं। 


समाजवाद(Socialism) क्या है  : इसकी प्रमुख विशेषतायें व समाजवाद के गुण और दोष

समाजवादी विचारधारा क्या है :-

समाजवाद की  क्या विशेषतायें है:-

इसमें व्यक्ति से ज्यादा समाज को ज्यादा महत्व दिया जाता है यानी समाजवाद किसी एक व्यक्ति को महत्व नहीं देता है, बल्कि पूरे समाज को महत्व देता है | 

इसमें व्यक्तिगत संपत्ति की वजाये सामाजिक संपत्ति की बात की जाती है | 

सहयोग पर आधारित - समाजवाद लोगों की भलाई की बात करता है| 

आर्थिक समानता पर बल -  समाजवाद आर्थिक समानता लाने की बात करता है | 

उत्पादन का लक्ष्य सामाजिकरण करना - यानी जो भी उत्पादन हो उसका उद्देश्य अधिक से अधिक लाभ कमाना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज का विकास करना होना चाहिए | 

उत्पादन तथा वितरण के संसाधनों पर किसी व्यक्ति का कंट्रोल ना होकर, राज्य का control होना चाहिए।

राजनीतिक और आर्थिक आजादी का समर्थन|  

असीमित संपत्ति जमा करने से रोकना।

समाजवाद के गुण :-

पूंजीपतियों द्वारा गरीबों, वर्कर्स से जो उत्पादन कराया जाता है उसका उचित मूल्य नहीं दिया जाता है, जिससे गरीबों, वर्कर्स का शोषण होता है तथा समाजवाद में इस शोषण को समाप्त किया जाता है|  

समाजवाद सामाजिक न्याय पर आधारित है|  

उत्पादन के साधनों पर समाज का कंट्रोल होना|  

उत्पादन का लक्ष्य होता है सामाजिक आवश्यकता को पूरा करना|  

सभी को उन्नति का समान अवसर देना।

साम्राज्यवाद का विरोधी|  

सामाजिक हित को बढ़ावा देना | 

सत्ता के राजनीतिक एवं आर्थिक विकेंद्रीकरण पर बल देना|  

धर्म व नैतिकता के महत्व को स्वीकार ना करना, बल्कि समाजवाद के अनुसार सभी लोगों का एक सामाजिक धर्म है।

समाजवाद की कमियां/दोष :- 

राज्य के कार्य क्षेत्र में वृद्धि - राज्य द्वारा छोटे-छोटे कार्य मैं भी ज्यादा हस्तक्षेप होने लगता है,

वस्तुओं के उत्पादन में कमी हो जाती है, क्योंकि समाजवाद लोगों की आर्थिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने लगता है जिससे उत्पादन में कमी आ जाती है।

पूर्ण समानता संभव नहीं है क्योंकि समाज में कोई बहुत ज्यादा अमीर है तो कोई बहुत ज्यादा गरीब  है।

समाजवाद हिंसा को बढ़ावा देता है|  

समाजवाद कोई स्पष्ट विचारधारा नहीं है।

नौकरशाही को बढ़ावा - क्योंकि नौकरशाही में जो प्रशासक है उसके कार्यों में वृद्धि हो जाती है जिससे उनका हस्तक्षेप होने लगता है।

समाजवाद के बारे में जानकारी(FAQs ): 

Q. समाजवाद का उद्देश्य क्या है?

Aसमाज में हर तरह के लोग निवास करते हैं, जिसके कारण समाज में संघर्ष भी रहता है तथा इसी संघर्ष को खत्म करने के लिए समाजवाद की आवश्यकता पड़ती है जो सामाजिक न्याय पर आधारित है।

Q. समाजवाद के जनक कौन है?

A. समाजवाद के जनक कार्ल मार्क्स को माना जाता है | 

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