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CAG(सीएजी) क्या है, CAG के कार्य और शक्तियां, अधिकार व इसके संवैधानिक प्रावधान

CAG Full Form in hindi - Comptroller and Auditor General of India(भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) :  

जब 2G स्पेक्ट्रम घोटाला हुआ उस वक्त CAG(Comptroller and Auditor General of India)  बहुत ज्यादा Highlight हुआ, 

जिससे इस संस्था को आम आदमी भी जानने लगा, क्योंकि CAG द्वारा ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को उजागर किया गया।

CAG क्या है :- किसी Account का यानी लेखा-जोखा के हिसाब को जांच करना Audit कहलाता है और आमतौर पर ऑडिट का काम CAG करता है, 

क्योंकि CAG सरकार द्वारा संचित निधि के धन की जांच करता है तथा सरकार द्वारा जो लेखा-जोखा दिखाया जाता है कि इतना खर्चा यहाँ हुआ, इतना खर्च वहां हुआ, इसकी जांच करने के लिए CAG की स्थापना की गई ताकि लेखा-जोखा की जांच की जा सके।

"भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक-CAG संभवत भारत के संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी है, वह ऐसा व्यक्ति है जो यह देखता है कि संसद द्वारा अनु मान्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च ना हो पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मतों पर भी धन खर्च किया जाए" 

                                                              "डॉक्टर बी आर अंबेडकर"


CAG(सीएजी) क्या है, CAG के कार्य और शक्तियां, अधिकार व इसके संवैधानिक प्रावधान : CAG Full Form in Hindi


CAG कौन होता है :- डॉक्टर अंबेडकर के अनुसार CAG संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी होता है| 

देश को चलाने के लिए धन की जरूरत होती है और इस धन को खर्च करने का अधिकार विधायिका (केंद्र के स्तर पर संसद और राज्य के स्तर पर विधानमंडल) को दिया गया है|

संसद में लोकसभा के पास धन के मामले में सबसे ज्यादा शक्ति है, उसके द्वारा कार्यपालिका द्वारा इस धन को योजनाओं जैसे कार्यों के माध्यम से खर्च करती है, 

यदि लोकतंत्र में इस धन को कंट्रोल नहीं किया गया, ऑडिट ना किया जाए, तो लोकतंत्र का क्या महत्व रह जाएगा।

इसलिए धन को ऑडिट करने का काम बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है इसके लिए संविधान में एक पद बनाया गया जिसको भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG) कहा जाता है|

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कौन करता है ? :- CAG-नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को राष्ट्रपति नियुक्त करता है और यह कार्यपालिका की जांच करता है, जैसे - यदि CAG को लगता है धन के मामले में कोई अनियमितता या गड़बड़ है, 

तो CAG केंद्र में राष्ट्रपति को और राज्य में राज्यपाल को बता देता है कि आप के मंत्रियों ने यह गड़बड़ी की है, तो राष्ट्रपति इसको संसद में रख देते हैं और राज्यपाल विधानमंडल में रख देते हैं|

और संसद इसे लोक लेखा समिति- PAC जांच के लिए दे देती है, PAC में कोई मंत्री नहीं होता और यदि इसमें कुछ गड़बड़ी पाई जाती है तो आगे कार्यवाही होती है।

CAG सरकार के सभी वित्तीय लेनदेन(केंद्र और राज्य) की जांच करता है, गोपनीय सेवाओं के अलावा| 

इसलिए इसे जनता के धन का प्रहरी भी कहा जाता है भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक में 2 शब्द है 

1.नियंत्रक  

2.महालेखा परीक्षक(Auditor) 

जिनके अर्थ निम्न है:- 

नियंत्रक(Comptroller) :- भारत में CAG के पास नियंत्रक की शक्ति नहीं है, क्योंकि यह पैसा खर्च होने के बाद जांच करता है| 

यहाँ नियंत्रक का मतलब है कि CAG  द्वारा वित्तीय संबंधी जो लेनदेन होता है उसे उजागर किया जाता है, जिससे आगे कार्यवाही होती है इसलिए इसका अप्रत्यक्ष नियंत्रण रहता है लेकिन इसका प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होता है।

महालेखा परीक्षक(Auditor) :- CAG भारत(केंद्र और राज्य) के सभी वित्तीय प्रणाली (यानी जहां भारतीय जनता का धन शामिल हो सरकारी या प्राइवेट) की ऑडिट करता है| 

ऑडिट में दो कार्य आते हैं :- 

1. लेखांकन-( इसमें अकाउंट को तैयार किया जाता है)| 

2. लेखा परीक्षण इसका मतलब है जांच करना।

नोट :- CAG 1976 से केंद्र के लिए लेखांकन का कार्य नहीं करता, बल्कि केवल लेखा परीक्षण(Audit) करता है तथा राज्य के लिए लेखांकन और ऑडिट दोनों काम करता है|


CAG लोक वित्त का संरक्षक तथा देश की संपूर्ण वित्तीय व्यवस्था का नियंत्रक है।

CAG का इतिहास :-

महालेखाकार का कार्यालय वर्ष 1858 में स्थापित किया गया था इसी साल भारत में कंपनी का शासन समाप्त हुआ था और ब्रिटिश सरकार का शासन शुरू हुआ था | 

वर्ष 1960 में सर एडवर्ड डूमंड को पहले ऑडिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया व इसके कुछ समय बाद भारत के महालेखा परीक्षक को भारत सरकार का महालेखा परीक्षक और महालेखाकार कहा जाने लगा, 

फिर साल 1866 में इस पद का नाम बदलकर नियंत्रक महालेखा परीक्षक कर दिया गया व साल 1884 में इसे भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के रूप में फिर से नामित किया गया।

1919 के अधिनियम के तहत महालेखा परीक्षक को सरकारी कंट्रोल से मुक्त कर, इसे वैधानिक दर्जा दिया गया तथा 1935 के अधिनियम द्वारा प्रांतीय क्षेत्रों में प्रावधान करके इसे और शक्ति दी गई थी, 

यानी 1919 में अधिनियम में स्वतंत्रता दी गई थी और 1935 के अधिनियम में इसे और शक्तिशाली बना दिया गया।

साल 1935 के अधिनियम मैं नियुक्ति और सेवा प्रक्रिया और CAG के कर्तव्यों का उल्लेख किया गया।

साल 1936 के लेखा परीक्षक आदेश ने महालेखा परीक्षक के उत्तरदायित्व और परीक्षा कार्यों का प्रावधान किया गया, 

यह व्यवस्था वर्ष 1947 तक चलती रही, फिर स्वतंत्रता के बाद संविधान के अनुच्छेद - 148 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक नियंत्रक और महालेखा परीक्षक नियुक्त किए जाने का प्रावधान किया गया, 

फिर इसे संवैधानिक पद बनाया गया, जिससे इसे और शक्ति मिली| 

इसे स्वतंत्र एजेंसी के रूप में रखा गया।

कैग की स्थापना कब हुई :- 1958 में CAG के क्षेत्राधिकार में जम्मू कश्मीर को शामिल किया गया और फिर भारत सरकार ने 1971 में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के अधिनियम 1971 लागू किया गया, जिसमें CAG के कर्तव्य, शक्ति और सेवा की शर्तें तय की गई।

CAG और CGA में अंतर:- 

  • CAG का पूरा नाम "Comptroller and Auditor General of India" और CGA का पूरा नाम "Controller General of Accounts" होता है || 
  • CAG केंद्र में ऑडिट का कार्य करता है, जबकि CGA केंद्र में लेखांकन का कार्य करता है|  
  • CAG एक संवैधानिक पद है, जबकि CGA सरकार द्वारा बनाया गया एक पद है।

लोक लेखा समिति-PAC और CAG :- यह 1919 के तहत बनाई गई एक स्थाई संसदीय समिति है ||

केंद्र और राज्य में CAG की ऑडिट रिपोर्ट लोक लेखा समिति-PAC को सौंपी जाती है| 

विनियोग खातों, वित्त खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट की जांच लोक लेखा समिति-PAC  द्वारा की जाती है।

CAG सबसे जरूरी मामलों की एक सूची तैयार करके लोक लेखा समिति को सौंपता है, CAG यह देखता है कि उसके द्वारा प्रस्तावित सुधारात्मक कार्यवाही की गई है या नहीं, 

यदि नहीं, तो वह मामले को लोक लेखा समिति के पास भेज देता है जो मामले पर आवश्यक कार्यवाही करती है।

CAG की स्वतंत्रता :- 

CAG एक बार नियुक्त होने पर 6 वर्ष या 65 वर्ष तक अपने पद पर बना रहता है(दोनों में से जो भी पहले हो)|  

CAG को उसी प्रक्रिया के द्वारा हटाया जा सकता है, जिस प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाया जाता है|  

CAG एक बार अपने पद से सेवानिवृत्त होने या इस्तीफा देने के बाद वह भारत व राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में पद ग्रहण नहीं कर सकता|  

CAG को सभी वेतन, भत्ते और पेंशन आदि संचित निधि पर पारित होते हैं, जिन पर संसद में मतदान नहीं होता है, 

वेतन, भत्तों में अलाभकारी परिवर्तन नहीं होता है|  

CAG का वेतन व अन्य शर्तें नियुक्ति के बाद कम नहीं की जा सकती।

CAG के कार्य और शक्तियां :

CAG भारत व राज्य व केंद्र शासित प्रदेश की संचित निधि से संबंधित खातों के सभी प्रकार के खर्चों का ऑडिट करता है|  

भारत का आकस्मिक फंड और भारत के सार्वजनिक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य का  आकस्मिक फंड और सार्वजनिक खाते से होने वाले सभी खर्चों का ऑडिट करता है|  

केंद्र सरकार और राज्य सरकार के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ - हानि खाता, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों का ऑडिट करता है|  

ऐसे सभी निकायों, प्राधिकरण, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों के लेखा-जोखा का ऑडिट करना, जिसमें केंद्र या राज्य राज्य द्वारा पैसा लगा हो।

यानी ऐसा कार्य या ऐसी संस्था जिसमें जनता का पैसा लगा हो, उन सबका ऑडिट करता है|  

संसद की लोक लेखा समिति-PAC  के मार्गदर्शक, मित्र और सलाहकार के रूप में भी कार्य करता है।

CAG के अधिकार :-

CAG को निम्न स्रोतों से ऑडिट करने का अधिकार प्राप्त हैं, जैसे : 

  • नियंत्रक और महालेखा परीक्षक अधिनियम, 1971, 
  • अनुच्छेद - 148 से 151,
  • भारत सरकार के निर्देश, 
  • महत्वपूर्ण निर्णय, 
  • लेखा और लेखा परीक्षण विनियम, 2017।


भारत के CAG और ब्रिटेन के CAG में अंतर :- 

भारत का CAG केवल ऑडिट करता है नियंत्रक नहीं करता, जबकि ब्रिटेन का CAG ऑडिट के साथ नियंत्रक की भूमिका निभाता है |

भारत का CAG जब पैसा खर्च हो जाता है उसके बाद खातों का लेखा-जोखा करता है जिसे post-facto कहते हैं, जबकि ब्रिटेन के CAG की मंजूरी के बिना सरकारी खजाने से पैसा नहीं निकाला जा सकता|  

भारत में CAG संसद का सदस्य नहीं होता, जबकि ब्रिटेन में के हाउस ऑफ कॉमंस का सदस्य होता है|  

हम कह सकते हैं कि ब्रिटेन का CAG  ज्यादा शक्तिशाली है भारत के CAG से।

CAG के लिए संवैधानिक प्रावधान :--

अनुच्छेद 148 - CAG की नियुक्ति, शपथ राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और यह अनुच्छेद CAG की सेवा की शर्तों से संबंधित है | 

अनुच्छेद - 149  : इसमें भारत के CAG के कर्तव्य और शक्तियों के बारे में बताया गया है|  अनुच्छेद  - 150  : केंद्र और राज्यों CAG को खातों का विवरण राष्ट्रपति के अनुसार(CAG की सलाह पर) रखना होगा | 

अनुच्छेद - 151 :  संघ के खातों से संबंधित CAG की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जाएगी, जो संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखी जाएगी, 

ऐसे ही राज्यों के खातों से संबंधित भारत के CAG की रिपोर्ट राज्य के राज्यपाल को दी जाएगी जिसे राज्यपाल राज्य की विधान मंडल के सामने रखेगा|  

अनुच्छेद  - 279 : CAG  द्वारा "शुद्ध आय" की गणना को प्रमाणित की जाती है उसे अंतिम प्रमाण पत्र माना जाता है।


CAG(सीएजी) क्या है, CAG के कार्य और शक्तियां, अधिकार व इसके संवैधानिक प्रावधान : CAG Full Form in Hindi


CAG की आलोचना :-

यह जो पद है वह औपनिवेशिक शासन से लिया गया है|  

निर्णय लेने तथा काम करने की इच्छा ना हो, जैसे : सरकारी प्राधिकारी को यह लगता है कि सभी वित्तीय प्रणाली की जांच ऑडिट करता है तो वह काम करने व निर्णय लेने से बचते हैं, 

अच्छे प्रशासन के बारे में ज्ञान का ना होना, क्योंकि CAG प्रशासक के रूप में नहीं होता है, इसलिए उसे अच्छे प्रशासन के बारे में जानकारी होती भी नहीं है|  

लेखा परीक्षण और प्रशासन का अलग होना, ऑडिट करना अलग काम है और प्रशासन करना अलग काम है | 

विभागीय विशेषज्ञता का ना होना CAG केवल ऑडिट करता है तथा उसे उस विभाग की ज्यादा जानकारी नहीं होती जहां वह एडिट करता है | 

CAG  की नियुक्ति के लिए कोई मानदंड या प्रक्रिया संविधान या कानून में निर्धारित नहीं की गई है, 

कार्यपालिका को यह शक्ति दी गई है कि वह अपनी पसंद के व्यक्ति को CAG के रूप में नियुक्त कर सके | 

CAG को किसी भी कार्यालय का ऑडिट करने व किसी भी खाते को मंगवाने का अधिकार है लेकिन यह व्यवहारिक रूप से ऐसा नहीं होता।

CAG के लिए सुझाव :- 

पूर्व CAG विनोद राय ने कुछ सुझाव दिए :-

CAG के दायरे में सभी निजी सार्वजनिक सहभागी(PPP), पंचायती राज संस्थान और सरकार द्वारा वित्त पोषित सेवा संस्थानों को लाना चाहिए, 

क्योंकि नगरपालिका और पंचायती राज CAG के दायरे में नहीं आते हैं, 

1971 के CAG अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि शासन में बदलाव से तालमेल हो सके|  

नया CAG चुनने के लिए मुख्य सतर्कता आयुक्त(CVC) के चयन की तरह एक कॉलेजियम जैसा तंत्र होना चाहिए जैसे : CVC के चयन के लिए 3 सदस्यों की समिति बनती है।

CAG के बारे में जानकारी(FAQs ):

Q. भारत के पहले CAG कौन थे?

A. भारत के पहले CAG वी. नरहरि राव है | 

Q. भारत के सीएजी को कौन हटा सकता है ?

A. CAG को राष्ट्रपति द्वारा उसी प्रक्रिया के द्वारा हटाया जा सकता है, जिस प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाया जाता है|  

CAG एक बार अपने पद से सेवानिवृत्त होने या इस्तीफा देने के बाद वह भारत व राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में पद ग्रहण नहीं कर सकता|  

Q. सीएजी की रिपोर्ट की जाँच कौन करता है  ?

A. केंद्र और राज्य में CAG की ऑडिट रिपोर्ट लोक लेखा समिति-PAC को सौंपी जाती है| 

विनियोग खातों, वित्त खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट की जांच लोक लेखा समिति-PAC  द्वारा की जाती है।

Q. भारत के वर्तमान में सीएजी कौन है  ?

A. भारत के वर्तमान में सीएजी श्री गिरीश चंद्र मुर्मू  है | 

Q. CAG को हिंदी में क्या कहते है  ?

A.  CAG को हिंदी में  भारत का नियंत्रक और महालेखा परीक्षक कहते है | 

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