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Nanotechnology in Hindi : इसके विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग : नैनो टेक्नोलॉजी के लाभ और नुकसान

वैसे "नैनो" शब्द इतिहास में काफी पुराना है और इसको गणित की भाषा 10-9  कहते हैं| 

जो आकार वाली संरचना में प्रयोग किया जाता था उसे हम "नैनो" कहते हैं यानी 10-9 का मतलब 0.000000001 है जिसका आकार 1 नैनोमीटर से 100 नैनोमीटर तक होता है, किसी भी वस्तु का आकार नैनो तकनीक के अंतर्गत शामिल किया जाता है।

आज तकनीक के दौर में रोज कुछ ना कुछ Change हो रहा होता है, नैनो तकनीक में बहुत छोटे कण(Particle) को काम में लिया जाता है और यह टेक्नोलॉजी इतनी प्रभावशाली है कि आने वाले समय में इसका बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाएगा| 

नैनो साइंस का इस्तेमाल केमिस्ट्री, फिजिक्स, बायोलॉजी इंजीनियरिंग जैसे- विषय में किया जा सकता है।

 "नैनो" एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब होता है सूक्ष्म या छोटा|  

प्रत्येक वह पार्टिकल जिसका आकार 100  नैनोमीटर या इस से छोटा है "नैनोकण" माना जाता है| 

"नैनोटेक्नोलॉजी" शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1974 में "नोरियो तानिगूची" जापानी वैज्ञानिक द्वारा किया गया था|  

यह अणुओं और परमाणुओं की इंजीनियरिंग है जो भौतिक रसायन, जैव-सूचना व जैव-प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे - विषयों को आपस में जोड़ती है, यानी नैनो टेक्नोलॉजी के  लिए कई विषय की जरूरत पड़ती है।

नैनोटेक्नोलाजी की शुरुआत कहाँ से हुई - 1959 को(Cal Tech) - कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक अमेरिकी भौतिक शास्त्री रिचर्ड फेनमैन ने कहा था :  "there's plenty of Room at the Bottom" (उनका अर्थ था कि हम ज्यादा फोकस बड़ी चीजों पर कर रहे हैं लेकिन हमें सूक्ष्म चीजों पर फोकस करना चाहिए)| 

यही वाक्य आगे चलकर नैनोटेक्नोलॉजी का आधार स्तंभ बना|  

नैनोटेक्नॉली में दो अप्रोच अपनायी जाती है, टॉप-डाउन अप्रोच और बॉटम-अप अप्रोच। इन दोनों अप्रोच में गुणवत्ता, लगात  का अन्तर है। 

टॉप डाउन अप्रोच में एक बड़े पदार्थ को तोड़कर एक नैनो आकार के कणों में बदला जाता है, इस प्रकार की प्रक्रिया में इंजीनियरिंग, लिथोग्राफी तकनीक का प्रयोग किया जाता है, 

जबकि बॉटम अप अप्रोच का विकास रासायनिक और भौतिक संरचना में 1 से 100 नैनोमीटर की रेंज में किया जाता है यानी परमाणु या अणु के स्तर पर विकास किया जाता है, जिससे इसमें कचरा कम होता है।

फेनमैन ने अपनी भाषा में एक ऐसी प्रक्रिया का वर्णन भी किया, जिसमें वैज्ञानिक अलग-अलग परमाणुओ  और अणुओ को हेरफेर करने और नियंत्रित करने में सक्षम होंगे | 

नैनो टेक्नोलॉजी से संबंध रखने वाला नैनो एक ऐसा पदार्थ है जो बहुत ज्यादा छोटे आकार वाले तत्वों से मिलकर बना होता है, तो इसलिए नैनोटेक्नोलॉजी ऐसी तकनीक है जो 100 नैनोमीटर से छोटे Particle पर काम करती है।


नैनो टेक्नोलॉजी क्या है व इसके विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग : नैनो टेक्नोलॉजी के लाभ और नुकसान  :  Nano Technology in Hindi

नैनो तकनीक का इतिहास-

सबसे पहले साल 1959 में रिचर्ड फेनमैन इन्होंने एक कथन दिया -"there's plenty of Room at the Bottom"   इनका कहने का मतलब यह था कि हम लोग बड़ी बड़ी संरचना बनाने में तो व्यस्त है, लेकिन हमें उससे ज्यादा उत्पादकता छोटी संरचना में मिलेगी, इनके द्वारा दिया गया यह कथन नैनो टेक्नॉलाजी का आरंभ माना जाता है। 

फिर साल 1974 में जापान के वैज्ञानिक नॉरियो तानिगुची ने नैनो तकनीक का व्यावहारिक उपयोग किया, इन्होंने बताया कि हम किसी छोटे पदार्थ में नैनो तकनीक की सहायता से उपयोग किया जाये तो इसकी उत्पादकता ज्यादा होगी। इन्होंने डीएनए और आरएनए का जिक्र किया, कहा कि हमें इसको समझना है तो हमें नैनो तकनीक को समझना पड़ेगा।

उसके बाद साल 1981 में गर्ड बिन्निग, हेनरिक रोहर ने एसटीएम और एटीएम माइक्रोस्कोप बताये, ये ऐसे माइक्रोस्कोप थे जिनमें आप नैनो प्रोडेक्ट बड़ी आसानी से बना सकते थे। 

साल 1986 में एरिक ड्रेक्सलर द्वारा इंजन ऑफ क्रिएशन के माध्यम से नैनो तकनीक का रास्ता खोला।

फिर 1991 में सुमियो आईजिमा द्वारा कार्बन नैनोट्यूब बनायी गयी इसीलिये इनको कावली पुरस्कार 2008 में दिया गया।

फिर सन 2000 से कई देशों द्वारा नैनो टेक्नॉलॉजी पर काम करना शुरू किया गया जो कि आज इसका उपयोग बहुत ज्यादा हो रहा है और 2010 तक 60 से ज्यादा देशों द्वारा नैनो संसाधनों और विकास कार्यक्रमों का निर्माण किया गया।

इसी क्रम में भारत ने भी 2010 में नैनो रिसर्च शुरू कर दी।

नैनो टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ? :

आज नैनो टेक्नोलॉजी पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, वैसे नैनोटेक्नोलॉजी कोई नया Term नहीं है, बल्कि इसका इस्तेमाल बहुत पहले से हो रहा है|  

बहुत टाइम पहले पॉलिमर बना चुके हैं और कंप्यूटर Chips में भी इसका इस्तेमाल पिछले 20 सालों से हो रहा है| 

नैनो टेक्नोलॉजी भले ही छोटे आकार के पार्टिकल्स पर काम करती है, लेकिन इनकी पावर बहुत ज्यादा होती है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से Energy Efficiency को बढ़ाया जा सकता है, पर्यावरण को Clean रखा जा सकता है और बहुत सारी गंभीर बीमारियों को दूर किया जा सकता है|  

इस तकनीकी की यह खास बात होती है कि इस से बनी वस्तुएं बहुत तेजी व आकार में कम होती है और कीमत में भी कम होती है व इनको बनाने में भी Raw मटेरियल भी कम लगता है, इनको बनाने में ऊर्जा की भी जरूरत कम होगी जिससे नैनो टेक्नोलॉजी से कई सारे फील्ड में तेजी से उछाल आ सकता है।

नैनो टेक्नोलॉजी में परमाणुओं और अणुओं को देखने और कंट्रोल करने की क्षमता होती है| 

नैनो टेक्नोलॉजी में काम आने वाले पदार्थों को नैनो मटैरियल्स(Materials) कहा जाता है|  नैनोस्केल में चीजों को देखने के लिए आवश्यक सूक्ष्मदर्शी माइक्रोस्कोप का आविष्कार लगभग 30 साल पहले ही हो चुका है। 

नैनो टेक्नोलॉजी के लाभ :

चिकित्सा क्षेत्र में :- नैनो तकनीक का इस्तेमाल करके सूक्ष्म स्तर के ऑपरेशन किए जा सकते हैं, किसी विशेष अंग की दवा पहुंचाने वाले तंत्र बनाए जा सकते हैं, जिससे वह सीधे उस अंग का फायदा करेगा | 

नैनो उर्वरक, नैनो खरपतवारनाशी आदि का उपयोग कृषि क्षेत्र में फसलों को बचाने एवं वृद्धि के लिए उपयोग किया जा सकता है|  

भंडारा, संरक्षण, गुणवत्ता के सुधार तथा फ्लेवर आदि के लिए भी नैनो तकनीक का प्रयोग हो सकता है|

नैनो तकनीक का प्रयोग करके इंजन में घर्षण को कम किया जा सकता है | 

ग्राफीन(मतलब कार्बन) का यूज करके हल्के और मजबूत वाहन बनाए जा सकते हैं।

ग्राफीन क्या होता है :-  ग्राफीन को fold करके जो पाइप बनाए जाते हैं वह बहुत मजबूत होते हैं, ग्राफीन की परतों को किसी चीज पर लगा देते हैं तो उस पर bacteria वगैरह का संक्रमण नहीं होता है, जैसे - खाना काफी लंबे समय तक खराब नहीं होगा।

यह इधन की खपत को कम करने में भी काम में लिया जा सकता है|  

माइलेज तथा प्रदूषण की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है|  

नैनो तकनीक के कारण ही कंप्यूटर और मोबाइल का आकार काफी छोटा हो चुका है, जैसे - नैनो Chip बनाना जिसमें काफी मात्रा में data स्टोर हो सकता है | 

नैनो तकनीक के द्वारा ऐसी चीज बनाई जा रही है, जिसमें बहुत कम क्षेत्र में अधिक मेमोरी का प्रयोग हो रहा है|  

नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से खाद्यता बढ़ाई जा सकती है, जिसमें खेती की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है|  

वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुंए को हानि रहित में बदला जा सकता है, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सकेगा|  

आने वाले समय में बल्व जैसी चीजों में इस तकनीक का इस्तेमाल कर खपत को कम किया जा सकता है | 

नैनो तकनीक से ज्यादा मजबूत रेशे बनाए जा सकते हैं जो कपड़े व अन्य सामग्री में काम आ सकते हैं।

इस तकनीक की मदद से हथियारों को हल्का व मजबूत बनाया जा सकता है, सिपाहियों के लिए हल्के व मजबूत सुरक्षा कवच बनाए जा सकते हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी के और नुकसान :

  • सबसे बड़ा नुकसान तो यह है कि जिस तकनीक का प्रयोग करके आप खुद की सुरक्षा की बात करते हो, 
  • हो सकता है यह तकनीक दुश्मन के हाथ लग जाए तो और परेशानी हो सकती है, जैसे - आतंकवाद/ नक्सलवाद को यह तकनीक हाथ लग जाए तो यह हमारे लिए और नुकसान हो सकता है ।
  • नैनो कणों  के उपयोग के साथ कुछ चुनौतियां भी उभर रही है | 
  • धात्विक नैनो कणों के उत्पादन और उपयोग में लगातार वृद्धि होने के कारण पर्यावरण, मानव, स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ रही है | 
  • विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नैनो कण का भंडार भर रही है यानी मिट्टी पर लगातार नैनो कण जमा होने से मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आ रही है|  
  • ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2025 तक धात्विक(Metallic) नैनो कणों का भंडार 2 मिलियन टन तक पहुंच सकता है।
  • आज बाजार में हजारों नैनो उत्पाद है जिसमें अधिकतर में उपयोग होने वाले नैनो कण की सांद्रता व प्रकार आदि का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता है|  
  • नैनो कणों से संबंधित उत्पादों में लगभग 2500 से ज्यादा नैनोकण युक्त उत्पाद बाजार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध है, 
  • जिसमें 60% से ज्यादा में नैनोकणों  की डिटेल्स नहीं है कि यह कैसा नैनो कण है? इसका क्या असर पड़ेगा ?
  • इन उत्पादों और इनकी उत्पादन प्रक्रिया के दौरान निकले वाले अपशिष्ट वातावरण में जाएंगे | 
  • ऐसे में जानना जरूरी है कि नैनोकण पौधों, जीव जंतु और मानव को कैसे प्रभावित करते हैं | 
  • खाद्य फसलों में नैनोकणों का जमाव या फसलों में वृद्धि को प्रभावित करने के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं|  
  • नैनोकण आसानी से मानव शरीर में पानी, हवा में खाद्य पदार्थ के द्वारा प्रवेश कर जाते हैं और बीमारियां भी पैदा कर सकते हैं | 
  • नैनोकणों का प्रयोग बढ़ने के साथ-साथ पारिस्थितिकी नैतिक स्वास्थ्य सुरक्षा नीति और नियमों आदि को लेकर चिंताएं बढ़ रही है | 
  • नैनोकण प्रदूषको के साथ मिलकर अधिक विषाक्त प्रदूषको जन्म दे सकते हैं|  
  • यहां ध्यान देने वाली बात है कि यहां नैनोकणों की संभावना की बात ज्यादा हो रही है क्योंकि बहुत से क्षेत्र में अभी रिसर्च नहीं हुई है।


नैनो टेक्नोलॉजी क्या है व इसके विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग : नैनो टेक्नोलॉजी के लाभ और नुकसान  :  Nano Technology in Hindi

नैनो टेक्नोलॉजी में करियर :

नैनो साइंस, मेडिकल साइंस, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक, कॉस्मेटिक, सिक्योरिटी, Fabric, कृषि, Defense, रिसर्च जैसे - बहुत से क्षेत्रों में आप करियर बना सकते हैं|  

यदि आप इससे संबंधित पढ़ाई का कोर्स कर लेते हैं तो आपको काफी अच्छे अवसर मिल सकते हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी में कोर्स : - 

  • B.E.(Bachelor of engineering) nano technology, 
  • B.Tech(Bachelor of technology) nano technology, 
  • M.Tech(Master of Engineering) nanotechnology, 
  • MSc(Master of Science) nanotechnology.

यदि आप नैनोटेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो आपको 10+2 फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स से पास करना जरूरी है तथा फिर आपको Entrance एग्जाम Clear करना होगा और साथ ही नैनोटेक्नोलॉजी में MSc करने के लिए आपको फिजिक्स केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स के साथ BSc की डिग्री भी होनी चाहिए| 

अगर आप नैनो तकनीक में M. Tech करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए B.Tech (बायो टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर साइंस, मैटेरियल साइंस, मैकेनिकल बायो मेडिकल, केमिकल इन विश्व में ) Complete करना जरूरी है, 

आप पोस्ट ग्रेजुएट के बाद आप नैनो टेक्नोलॉजी में Phd भी कर सकते हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी का कोर्स कराने वाले संस्थान कौन से हैं:- 

  • Delhi University, 
  • Pune University, 
  • IIT Roorkee, 
  • IIT Mumbai, 
  • IIT Guwahati, 
  • IIT Kanpur, 
  • Amity University Gurgaon, 
  • University of technology Jaipur, 
  • BITS Hyderabad.

नैनो टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग : (Applications nanotechnology) : -

पर्यावरण के क्षेत्र में :- नैनो टेक्नोलॉजी सिस्टम बहुत छोटी व पर्यावरण के लिए उपयुक्त होती है, जो पर्यावरण को स्थिर करने में महत्वपूर्ण है | 

इसमें ग्रीन नैनो उत्पादों को बनाने व  उन उत्पादों का उपयोग करना शामिल है| 

नैनो उत्पादों को बनाकर व उसका उपयोग करके विभिन्न संभावित पर्यावरणीय एवं मानव स्वास्थ्य जोखिम को कम किया जा सकता है | इसके उपयोग से बढ़ते हुए प्रदूषण को भी कम किया जा सकता है | 

ऊर्जा के क्षेत्र में :-  नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग ऊर्जा के क्षेत्र में अधिक कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि इसका उत्पादन भंडारण अधिक कुशल और टिकाऊ है|  

जिस तरह से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में नैनो तकनीक का उपयोग सही साबित हो रहा है उससे संभावना बनती है कि आने वाले समय में नैनो तकनीक ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है | 

100 नैनो मीटर से कम वाले पार्टिकल में नैनो तकनीक का प्रयोग होता है, इस तकनीक के द्वारा ऊर्जा को संग्रहित करने और स्थानांतरित करने के नए तरीकों के विकास के कई दरवाजे खुलते है ऊर्जा के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नैनो तकनीक बहुत उपयोगी है।

युद्ध के क्षेत्र में :- नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग युद्ध के क्षेत्र में बहुत ही उन्नत किस्म के हथियार बनाने में किया जाता है, जैसे - रोबोट | 

वैसे तो इससे बने हथियार ज्यादा विनाशकारी हो सकते हैं तथा इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में बहुत आसानी होती है, 

लेकिन हमें मानवता के लिए इसके प्रभावों, जोखिमों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है और हो रहे टेक्नोलॉजी के विकास पर लगातार निगरानी रखने की जरूरत है|  

उद्योग के क्षेत्र में:- ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में नैनो तकनीक का उपयोग टेक्नोलॉजी और उद्योग के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा, 

इस तकनीक का उपयोग कई क्षेत्रों में प्रभावशाली दिख रहा है और इनमें कई तरह के उत्पाद शामिल हैं, जिनमें नैनोमेटेरियल्स का उपयोग किया जाता है, जैसे - सेल फोन की कम वजन, पतली और मजबूत स्क्रीन, कार के हल के बंपर आदि|  

इसके अलावा नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग कई क्षेत्रों में हो रहा है जैसे - मेडिकल के क्षेत्र में, नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स, नैनो टेक्नोलॉजी आदि।

कृषि के क्षेत्र में- कृषि क्षेत्र में  नैनोटेक्नॉलोजी का प्रयोग में नैनोफर्टिलाइजर्स, क्वांटम डॉट्स और नैनोपेस्टिसाइड्स आदि मुख्य है।

नैनोफर्टिलाइजर्स की पोषक तत्व क्षमता का यूज, जो पूरानी उवर्रकों की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि ये पोषक तत्वों को धीरे-धीरे मुक्त करते हैं, जिसके कारण भूमि जल में उवर्रकों की लिचिंग की भी कमी आती है।

क्वांटम डॉटस में पौधों की क्रिया विज्ञान संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। 

नैनोमैग्नेट का यूज जो मिट्टी में प्रदूषक पदार्थ होते हैं उनकी पहचान करना होता है, वैसे नैनोमैग्नेट ने क्रांति इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में की है।

इंटीग्रेटेड सर्किट में लगने वाले ट्रांजिस्टर्स का आकार कम होने से छोटे इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माण संभव हुआ है साथ ही डिस्प्ले अच्छी होने से स्क्रीन से होने वाली उर्जा खपत, इकसे वजन और मोटाई में कमी आई है।

नैनोटेक्नोलॉनी का प्रयोग CNT(कार्बन, नैनो टयूब) के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है। सीएनटी, माइक्रो चिप्स के लिये सिलिकॉन की जगह इस्तेमाल किये जा रहे हैं।

सीएनटी जानकारों के अनुसार सबसे अधिक कठोर पदार्थों में से एक है, इनकी संरचना व इनके गुण बहुत सारे एप्लीकेशन के लिये उपयोगी बनाते हैं।

CNT को लेकर लगातार नये-नये खोज हो रहे हैं।

इसके अलावा क्वांटमडॉट्स, नैनो वायर्स और नैनो डॉट्स का प्रयोग भी इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में किया जाता है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में(nanotechnology in medicine) :- नैनोटेक्नोलॉजी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है जैसे कार्डियोवेसकुलर डिजीज में डॉक्टरों के लिये सबसे बड़ी चुनौती इसका पता लगाना है, लेकिन नैनोटेक्नोलॉजी द्वारा हार्टअटैक डिटेक्टर नैनोसेंसर को बनाकर किया गया है। 

यह बड़े हुए ब्लड प्लाजमा में मायोग्लोबिन की पहचान कर देता है। इसके साथ नैनोटेक्नोलॉजी का प्रयोग दवाइयों के क्षेत्र में भी काफी किया गया है जैसे कोलाइडल ड्रग कैरियर सिस्टम में 500 नैनोमीटर से छोटे आकार के कणों का प्रयोग किया जाता है साथ ही बायोनैनोचिप को बायोमार्कर के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।

नैनो तकनीक की पीढ़ियां-

जिस तरह कम्प्यूटर की जनरेशन होती है, उसी तरह नैनो तकनीक की भी जनरेशन है, जो कि वर्तमान में चौथी जनरेशन चल रही है।

पहली पीढ़ी- यह 2005 तक थी, इसे निष्क्रिय तकनीक कहते है, क्योकि इसमें ऐसे प्रोडेक्ट बनाये गये थे जो एक्टिव नहीं थे। जैसे नैनो बहुलक, नैनो जैल आदि

दूसरी पीढ़ी 2006 से 2010 तक थी- इसे सक्रिय नैनो तकनीक कहते हैं, जैसे लक्षित दवाइयां बनाना।

तीसरी पीढ़ी  यह 2011 से 2015 तक थी- इसमें 3उी संरचनाओं का विकास हुआ जैसे रोबोट, नैनो मशीन।

चौथी पीढ़ी  यह 2016 से वर्तमान तक थी- इसे आणविक नैनो तकनीक कहते है इसमें डीएनए और आरएनए के परिवर्तन के बारे में है।

निष्कर्ष :- नैनो टेक्नोलॉजी अभी अपने विकास के प्रारंभिक दौर में है, वैसे इस तकनीक के कई लाभ हैं तो इसके साथ कई चुनौतियां भी जुड़ी है|  

इसलिए वैज्ञानिकों को इस संबंध में कोशिश करनी चाहिए कि इसके लाभ की संभावनाओं को विस्तार देते हुए इससे उत्पन्न होने वाले नुकसान को कम किया जा सके, 

ताकि नैनो टेक्नोलॉजी का अधिकतम Use मानव कल्याण व विकास में किया जा सके।

नैनो टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी(FAQs) :

Q. भारत में नैनो टेक्नोलॉजी का जनक कौन है?

A. 1959 को(Cal Tech) - कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक अमेरिकी भौतिक शास्त्री रिचर्ड फेनमैन ने कहा था :  "there's plenty of Room at the Bottom" (उनका अर्थ था कि हम ज्यादा फोकस बड़ी चीजों पर कर रहे हैं लेकिन हमें सूक्ष्म चीजों पर फोकस करना चाहिए)| 

यही वाक्य आगे चलकर नैनोटेक्नोलॉजी का आधार स्तंभ बना| भारत में नैनो टेक्नोलॉजी का जनक सी. एन. आर. राव को कहा जाता है |  

Q. नैनो टेक्नोलॉजी का जनक कौन था? 

A. कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एक अमेरिकी भौतिक शास्त्री रिचर्ड फेनमैन ने कहा था :  "there's plenty of Room at the Bottom" (उनका अर्थ था कि हम ज्यादा फोकस बड़ी चीजों पर कर रहे हैं लेकिन हमें सूक्ष्म चीजों पर फोकस करना चाहिए)| 

यही वाक्य आगे चलकर नैनोटेक्नोलॉजी का आधार स्तंभ बना|

Q. नैनोस्केल कितना छोटा होता है?

A. वैसे "नैनो" शब्द इतिहास में काफी पुराना है और इसको गणित की भाषा 10-9  कहते हैं| 

10-9 का मतलब 0.000000001 है जिसका आकार 1 नैनोमीटर से 100 नैनोमीटर तक होता है, किसी भी वस्तु का आकार नैनो तकनीक के अंतर्गत शामिल किया जाता है।

Q. नैनो टेक्नोलॉजी UPSC, नैनो टेक्नोलॉजी drishti ias, 

A. नैनो" एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब होता है सूक्ष्म या छोटा|  

प्रत्येक वह पार्टिकल जिसका आकार 100  नैनोमीटर या इस से छोटा है "नैनोकण" माना जाता है| 

"नैनोटेक्नोलॉजी" शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1974 में "नोरियो तानिगूची" जापानी वैज्ञानिक द्वारा किया गया था|  

यह अणुओं और परमाणुओं की इंजीनियरिंग है जो भौतिक रसायन, जैव-सूचना व जैव-प्रौद्योगिकी विज्ञान जैसे - विषयों को आपस में जोड़ती है, यानी नैनो टेक्नोलॉजी के  लिए कई विषय की जरूरत पड़ती है।

Q. कृषि में नैनो टेक्नोलॉजी का उपयोग|  

A. नैनो टेक्नोलॉजी की मदद से खाद्यता बढ़ाई जा सकती है, जिसमें खेती की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है|

नैनो टेक्नोलॉजी को नैनो उर्वरक, नैनो खरपतवारनाशी आदि का उपयोग कृषि क्षेत्र में फसलों को बचाने एवं वृद्धि के लिए उपयोग किया जा सकता है|  

भंडारा, संरक्षण, गुणवत्ता के सुधार तथा फ्लेवर आदि के लिए भी नैनो तकनीक का प्रयोग हो सकता है|

कृषि क्षेत्र में  नैनोटेक्नॉलोजी का प्रयोग में नैनोफर्टिलाइजर्स, क्वांटम डॉट्स और नैनोपेस्टिसाइड्स आदि मुख्य है।

नैनोफर्टिलाइजर्स की पोषक तत्व क्षमता का यूज, जो पूरानी उवर्रकों की तुलना में अधिक होता है, क्योंकि ये पोषक तत्वों को धीरे-धीरे मुक्त करते हैं, जिसके कारण भूमि जल में उवर्रकों की लिचिंग की भी कमी आती है।

क्वांटम डॉटस में पौधों की क्रिया विज्ञान संबंधी जानकारी प्राप्त होती है। 

नैनोमैग्नेट का यूज जो मिट्टी में प्रदूषक पदार्थ होते हैं उनकी पहचान करना होता है, वैसे नैनोमैग्नेट ने क्रांति इलेक्ट्रॉनिक के क्षेत्र में की है।

Q. नैनो टेक्नोलॉजी का व्यावहारिक उपयोग किसने किया ?  

A. नैनो टेक्नोलॉजी का व्यावहारिक उपयोग जापान  वैज्ञानिक नारियो तनिगुची द्वारा किया गया, यह उपयोग 1974 में किया गया | इन्होंने व्यावाहिक उदारण देते हुए बताया| 

Q. Nano शब्द की उत्पत्ति कहां से हुई  

A.  "नैनोटेक्नोलॉजी" शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1974 में "नोरियो तानिगूची" जापानी वैज्ञानिक द्वारा किया गया था|  

Q. नैनो टेक्नोलॉजी की खोज किसने की

नैनो टेक्नोलॉजी की खोज अमेरिकी भौतिकी वैज्ञानी रिचर्ड फेनमैन ने 1959 में की।

Q. नैनो टेक्नोलॉजी की शुरूआत कब हुई

भारत सरकार ने नैनो मिशन की शुरूआत 2017 में की, यह मिशन नैनो विज्ञान व प्रौद्योगिकी से जुड़ा है।

Q. नैनो का शाब्दिक अर्थ क्या है

नैनो का शाब्दिक अर्थ होता है सूक्ष्म या बहुत छोटा।

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