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IPC और CrPC में क्या अंतर होता है : IPC और CrPC क्या है व इनकी धाराएं

संसद में तीन संशोधन विधेयक पेश किये गये, जिसका उद्देश्य है भारतीय दंड संहिता, 1960, दंड प्रक्रिया संहिता 1973 और साक्ष्य अधिनियम, 1972 में परिवर्तन करना और ये विधेयक संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिये गये हैं।

इसमें प्रस्तुत किये गये संशोधन निम्न हैं-

  • राजद्रोह से जुड़ी धारा-124ए समाप्त किया गया,
  • मॉब लिंचिंग के लिये कठोर दंड का प्रावधान,
  • शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने पर कठोर दंड का प्रावधान,
  • पीड़िताओं के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य किया गया है
  • आईपीसी की धारा 377 को खत्म किया गया है,
  • दोषी की तलाशी और जब्ती जैसे कार्रवाई की वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
नई IPC का नाम BNS 2023 होगा, जिसे हिंदी में भारतीय न्याय संहिता 2023 कहा जायेगा, नई CrPC का नाम BNSS 2023 होगा, जिसे हिंदी में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 कहा जायेगा व Evidence Act, का नाम होगा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023| 

IPC full form -    Indian Penal Code जिसे हिंदी में भारतीय दंड संहिता कहते हैं | 

CrPC full form -  Criminal Procedure Code जिसे हिंदी में दंड प्रक्रिया संहिता कहते हैं ।

26 जनवरी, 1950 को हमारा संविधान लिखा गया, लेकिन इस संविधान में सब कुछ ना लिखकर महत्वपूर्ण चीजें सब लिखी गई है,  

जैसे - देश कैसे चलेगा?, राज्य सरकारें कैसे चलेंगी?, सरकार कैसे काम करेगी?, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि की शक्तियां क्या होंगी ?, नागरिकता की बात की गई है, अधिकारों की बात की गई है, कानून कैसे बनते हैं ?आदि महत्वपूर्ण चर्चाएं इसी संविधान में लिखी गई है।

संविधान में कुछ कानून ऐसे हैं जो इस संविधान में लिखे नहीं गए हैं, उसके लिए अलग से कानून बनाए गए हैं जैसे सिविल कानून, IPC, CrPC।

एक बात ध्यान रखने वाली है कि संविधान सब कानूनों से ऊपर है इसके अंतर्गत ही सब कानून (Civil Law, IPC, CrPC) आदि आते हैं।

Civil law में Muslim law, Hindu law, Contract Law आदि आते हैं इनके लिए CPC का यूज़ होता है,

क्रिमिनल लॉ के लिए IPC का यूज होता है, इसके लिए Policy की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है जब इस मामले को पुलिस कोर्ट में ट्रांसफर कर देती है कोर्ट में जो Procedure चलता है उसे CrPC कहते हैं।

CPC, IPC, CrPC में जो point to point बातें लिखी होती हैं उसे धारा (Section) कहते हैं।


IPC और CrPC में क्या अंतर होता है : IPC और CrPC क्या है व इनकी धाराएं



IPC और CrPC में अंतर जानने से पहले इसे पढ़े :- 

IPC 1860 : ऐसा कोई भी काम जिसके लिए आपका अंतर्मन कहता है कि यह सही नहीं है, यह गलत है तो उसे 1860 की IPC में दंडनीय बना दिया है, 

जैसे यदि आप रोड पर जा रहे हैं और रोड पर लिखा है कि इससे ज्यादा गाड़ी की स्पीड नहीं हो सकती, लेकिन आपने उस स्पीड को Cross किया यानी आपने गलत किया तो इसके लिए IPC की धारा 279 के तहत छह माह की सजा का प्रावधान है।

जब हम IPC and CrPC के अंतर की बात करते हैं तो हमें यह जानना पड़ेगा कि कानून को दो कैटेगरी में रखा जाता है :

1. Substantive Law(मौलिक विधि) 

2. Procedural Law(प्रक्रिया विधि)। 

Substantive law and Procedural law को फिर से 2 भागों में बांटा जाता है - 


1. Civil law(दीवानी कानून) 

2. Criminal law(फौजदारी कानून)।


IPC और CrPC दोनों ही आपराधिक कानून के अंतर्गत आते हैं,

CrPC Criminal law  है और IPC Substantive law।

IPC अपराध की परिभाषा करता है और सजा का प्रदान करता है, 

जैसे: चलते हुए व्यक्ति को 5 व्यक्तियों ने उससे पैसे छीन लिया या उससे सामान छीन लिया या दो डकैतों ने बैंक का ताला तोड़कर पैसे लूटे।

तो यहां पर IPC के द्वारा ही पता लगेगा कि कौन सा अपराध है जैसे - IPC मैं लिखा है 5 या 5 से अधिक व्यक्तियों द्वारा की गई लूट डकैती खिलाती है व तत्काल मृत्यु या चोट का डर दिखाकर किसी संपत्ति को प्राप्त करना लूट कहलाती है।

IPC क्या है :- 

IPC का पूरा नाम Indian Penal Code 1860 है, 

हिंदी में इसे 2 नामों से भारतीय दंड संहिता या भारतीय दंड विधान के नाम से जाना जाता है तथा उर्दू में इसे "ताज-इरात-ए-हिंद" कहते हैं।

धारा(Section) क्या होती है :- धारा लगातार संख्याओं को कहते हैं जैसे - IPC में कुल 511 धाराएं और 23 Chapters हैं,  सबसे पहले IPC में 488 धाराएं थी।

1834 में पहला विधि आयोग बनाया गया जिसके चेयर पर्सन थे लॉर्ड मैकाले।

इन्हीं की अध्यक्षता में first कानून की सिफारिशों पर ही IPC कानून सन 1850 में तैयार हुआ, 

लेकिन 1857 की क्रांति के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका, लेकिन लार्ड मैकाले की अध्यक्षता में ही IPC का ड्राफ्ट तैयार किया गया।

यह विश्व का सबसे बड़ा दांडिक कानून है।

IPC में ही सभी अपराधों को परिभाषित किया गया है और इनके लिए दंड का प्रावधान भी इसी में तैयार किया गया है।

IPC द्वारा ही सभी अपराधों और उनकी सजा को सूचीबद्ध किया गया है, 

IPC ऐसे प्रत्येक मानव व्यवहार और कार्यों को परिभाषित करता है जिससे दूसरे व्यक्ति और समाज को हानि होती हो।

यही व्यवहार और कार्य अपराध कहलाते हैं, IPC से ही पता चलता है कि कोई कार्य अपराध है या नहीं, 

किस अपराध का क्या नाम है? और यदि कोई कार्य अपराध है तो इसके लिए कौन सी सजा दी जाएगी? यानी आसान भाषा में आईपीसी अपराध का मतलब समझ आती है और दंड का प्रावधान करती है।

उदाहरण के तौर पर :-  अगर दो व्यक्ति किसी घर या बैंक में सेंध लगाकर चाहे कितना ही पैसा लेकर भाग जाए तो यह चोरी कहलाएगी और 

यदि दो व्यक्ति हथियार के बल पर गार्ड को या किसी अन्य को डरा कर किसी घर या बैंक से पैसे लेते हैं तो यह लूट कहलाएगी, 

लेकिन यही काम अगर पांच व्यक्ति करें तो यह डकैती कहलाएगी।

IPC  की धाराएं :-

IPC  की धारा 307 : -   हत्या की कोशिश,
धारा 302       :-                      हत्या, 
धारा 376      : -                 बलात्कार, 
धारा 395       :-                     डकैती, 
धारा 377       :-            अप्राकृतिक कृत्य, 
धारा 396        :-       डकैती के दौरान हत्या, 
धारा 120       :-             षड्यंत्र रचना, 
धारा 365        :-             अपहरण, 
धारा 201        :-           सबूत मिटाना, 
धारा 34          :-          सामान आशय, 
धारा 412         :-          छीना झपटी।


CrPC क्या है :-

CrPC का फुल फॉर्म है Criminal Procedure Code जिसे हिंदी में दंड प्रक्रिया संहिता कहते हैं ।

CrPC मैं उन सभी प्रक्रियाओं के बारे में बताया गया है जिन से यह पता चलता है कि यह किसी अपराध के संबंध में है यानी अपराध होने के बाद किस तरह से कार्यवाही की जाएगी।

किसी भी तरह का अपराध होने पर मुख्यत:  दो तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है

1. सिविल 

2. अपराधिक।

इन्हीं प्रक्रियाओं को अदालत के लिए कार्यवाही करने के लिए बनाया जाता है।


CrPC के कार्य :-

  • पुलिस के क्या कार्य हैं ?
  • अपराध की जांच करना? 
  • संदिग्धों के प्रति बर्ताव कैसा किया जाता है ?
  • सबूत इकट्ठा करना, 
  • अपराधियों को कैसे गिरफ्तार किया जाता है?
  •  गिरफ्तारी के तरीके कैसे होंगे ?
  • गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति जेल में कितने दिन रखा जाएगा ?
  • मजिस्ट्रेट के सामने अपराधी को कब और कैसे पेश करना होगा?
  •  वकील और मजिस्ट्रेट के कार्य क्या है ?
  • अदालत की क्या कार्यवाही होगी और कैसे होगी?
  •  संबंध वारंट का पालन करना, 
  • जमानत के लिए प्रार्थना पत्र कहां दिया जाता है ?
  • जमानत कैसे दी जाती है ?
  • अपराधी के दोषी या निर्दोष होने का निर्धारण करना, 
  • अपराधियों को सजा देने के लिए एक व्यवस्था करना।

इन्हीं अपराधिक मामलों की प्रक्रिया के लिए CrPC के बारे में बताया गया है।

CrPC में कितनी धाराएं और Chapters हैं :-  CrPC में 484 धाराएं हैं तथा 2 अनुसूचियां हैं और इन धाराओं को 37 Chapters में बांटा गया है।

CrPC कब लागू किया गया :-  भारत में CrPC, 1898 लागू थी तथा इसमें कई संशोधन के बाद 1898 के स्थान पर CrPC, 1973 को पारित किया गया, जिसके बाद 1 अप्रैल, 1974 से जम्मू कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में लागू कर दिया गया।

लेकिन 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर को भी CrPC में शामिल कर लिया गया।

CrPC को लागू करने का उद्देश्य : - CrPC का उद्देश्य आपराधिक कानून संबंधित कानून को मजबूत करना ।

अपराधो का निवारण करना।

CrPC के तहत कार्यवाही कौन कर सकता है : -

  • सुप्रीम कोर्ट, 
  • हाई कोर्ट, 
  • डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट, 
  • एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज, 
  • जुडिशल मजिस्ट्रेट, 
  • पुलिस गवर्नमेंट वकील और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर्स, 
  • एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट।

भारतीय संविधान कहानी आधारित ना होकर बल्कि Point के आधार पर बनाया गया है ताकि किसी भी कानून को पढ़ने में आसानी हो इसी Point को अनुच्छेद कहते हैं, जो वर्तमान में 395 अनुच्छेद हैं।

 ipc 420 in hindi - 

हम अक्सर धारा 420 आम तौर पर बहुत ज्यादा सुनते है, जो कि एक तरह से गाली, धोखाधड़ी, चीटिंग करना आदि के लिये इस्तेमाल की जाती है और अक्सर यह भी कहा जाता है कि यह व्यक्ति 420 है। दरअसल धोखाधड़ी, फ्रॉड करने वाले को 420 कहा जाता है। वैसे एक मूवी भी इस पर बनी थी।

ipc Section 420 में धोखा करना, छल करना और चीटिंग करने के बाद किसी व्यक्ति को सम्पत्ति देने के लिये प्रेरित करना।

Cheating and dishonestly inducing delivery of property- whoever cheats and thereby dishonestly induces the person deceived to deliver any property to any person, or to make, alter or destroy the whole or any part of a valuable security, or anything, which is signed or sealed, 

and which is capable of being converted into a valuable security, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also he liable to fine.

धारा 420 में बताती है कि धोखा करना व संपत्ति त्याग करने के लिये धोखे से उत्प्रेरित करना-  जब कोई धोखा करेगा और वह व्यक्ति जिसे वंचित किया गया है बेइमानी के साथ उकसायेगा, कोई व्यक्ति सम्पत्ति को दे दे, या किसी वैल्यु वाली सिक्युरिटी को या कोई ऐसी चीज जिस पर हस्ताक्षर किये गये हो या उस पर मुद्रांकित किया गया हो।

और जो वैल्यु वाली सिक्युरिटी में परिवर्तन किये जाने योग्य है, पूर्णत‘ या अंशत परिवर्तित कर दे, या नष्ट कर दे, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 7 साल तक हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डित होगा।

आसान भाषा में-

किसी व्यक्ति को दोखा देना जैसे कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को पीतल का सामान दिखाकर यह विश्वास दिलाता है कि यह सोने का है और वह व्यक्ति उसकी बातों पर विश्वास करके उस कीमत पर पीतल को खरीद लेता है जिस कीमत पर सोना है, फिर उस व्यक्ति को बाद में पता लगता है कि यह सोना नहीं है, बल्कि यह तो पीतल है, जिसकी वैल्यु बहुत कम है ऐसे में उस व्यक्ति के साथ धोखा हुआ है। 

और उसको धोखा देने के बात उससे व्यक्ति से पैसे(परिसम्पत्ति) ले लिये गये हैं, और उस व्यक्ति को बेईमानी से उकसाया गया कि आप इसको खरीदो।

इसे ही धोखा, छल, चिटिंग कहा जाता है। इस धोखे के लिये आपीसी की धारा 420 में 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।

IPC और CrPC के बारे में जानकारी(FAQs)(People also ask) :-

Q. CrPC में कुल कितनी धाराएं होती है?

A. CrPC में 484 धाराएं हैं तथा 2 अनुसूचियां हैं और इन धाराओं को 37 Chapters होते हैं | 

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