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गिग इकॉनमी क्या है ? गिग इकॉनमी के फायदे और नुकसान, चुनौतियां

Gig economy in hindi : जब हम अखबार या टीवी देखते हैं तो अक्सर गिग इकॉनमी के बारे सुनने को या देखने को मिल जाता है, या कभी कभी डेली की बातों में गिग इकॉनमी के बारे में सुनने को मिल जाता है, यदि नहीं सुना तो कोई बात नहीं आज हम गिग इकॉनमी के बारे में बात करेंग, और जानेंगे इसके फायदे नुकसान और भारत में गिग इकॉनमी की स्थिति क्या है,

जिस तरह अर्थव्यस्था में डिजिटल की भूमिका बढ़ी है उसी तरह रोजगार के नये नये तरीके उत्पन्न हो रहे हैं, और एक नई प्रकार की अर्थव्यस्था उभर रही है उसे गिग इकॉनमी कहते हैं। गिग इकॉनमी क्या होती है इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं। 

गिग इकॉनमी को समझने से पहले गिग वर्कर को समझते हैं, मान लेते हैं कि किसी कंपनी में कर्मचारी काम कर रहे है, जिनमें से कुछ स्थाई होते है जिनको हर माह सेलरी के तौर पर रखा जाता है, इनको हर माह सेलरी मिलती है, 

वही कुछ कर्मचारी ऐसे होते हैं जिनको कुछ प्रोजेक्ट या टास्क करने के लिये दिया जाता है। जो वर्कर प्रोजेक्ट और टास्क को पूरा करने के लिये रखा जाता है इनको ही गिग वर्कर कहा जाता है।

गिग वर्कर गिग इकॉनमी का एक हिस्सा है, इसी तरह के कार्य ही गिग इकॉनमी कहलाती है यानी गिग इकॉनमी में एक ऐसी अवधारणा है जिसमें कुछ समय के लिये स्वतंत्र रूप से काम करने के लिये लोगों को नियुक्त किया जाता है। और इस काम को पूरा करने के लिये बाद कांट्रेक्ट समाप्त कर दिया जाता है इसमें डॉक्टर, वकील, पत्रकार, इंजीनियर्स आदि आते है। 

गिग इकॉनमी वर्तमान समय में बहुत ज्यादा चलन में है इसमें प्रोजेक्ट या टास्क आधारित काम को महत्व दिया जाता है, इसमें वर्क फ्रोम होम की अवधारणा बहुत ज्यादा प्रचलित होती जा रही हैं।

आजकल जो डिलवरी बॉय या कोई अपनी कला के दम पर किसी को सर्विस देता है, इस तरह के कार्य गिग इकॉनोमी में आते हैं। भारत में इस तरह की इकॉनोमी बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है। 

सरकार भी इसे आगे बढ़ाने के लिये प्रयास कर रही है और सरकार इन श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिये एक सत्र का आयोजन कर रही है। इस सत्र में केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के कर्मचारियों को गिग इकॉनोमी के बारे में ट्रेनिंग देने की बात कही है।

गिग इकॉनमी पर नीति आयोग की रिपोर्ट :-

इस रिपोर्ट के अनुसर भारत में वर्ष 2029-30 तक गिग कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 2.35 करोड़ हो जायेगी, जो कि 2020-21 में 77 लाख थी।

इस रिपोर्ट में गिग इकॉनोमी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने की भी सिफारिश की गयी है।

इंडियाज बूमिंग गिग एंड प्लेटफॉर्म इकोनॉमी का शीर्षक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2029-30 तक गिग कर्मचारियों की संख्या गैर-कृषि में काम करने वाले वर्कर का 6.7 फीसदी व भारत में कुल आजीविका का 4.1 फीसदी होने की संभावना हैं।

प्लेटफॉर्म वाले कर्मचारियों का काम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करना होता है जबकि गैर प्लेटफॉर्म वाले कर्मचारी आम तौर पर दैनिक वेतन वाले वर्कर होते है जो अल्प कालिक काम करते है इन्हें घण्टे के आधार पर भुगतान किया जाता है। 

गिग इकॉनमी क्या है  : - प्राचीन काल से ही लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से काम करते रहे हैं, लेकिन जरूरत के हिसाब से काम का स्वरूप बदलता गया है। आज इंटरनेट के जमाने में काम का स्वरूप बदल गया है।

इसी इंटरनेट काम के स्वरूप से निकलकर आती है गिग इकॉनोमी। इसमें जो नियोक्ता(जो कर्मचारियों को काम पर रखता है) और कर्मचारी के बीच अस्थाई संबंध को दर्शाता है और इसमें जो कर्मचारी होते हैं उन्हें कम समय के लिये फ्रीलांसर्स के तौर पर नियुक्त किया जाता है। जब यह काम खत्म हो जाता है तो उनके बीच कांट्रेक्ट समाप्त हो जाता है। 

इन कर्मचारियों को कम समय व स्वतंत्र कांट्रेक्ट के आधार पर नियुक्त किया जाता है। हम कह सकते हैं कि गिग इकॉनोमी एक ऐसी अर्थव्यस्था होती है जो फ्रीलांस व अस्थाई कांट्रेक्ट के आधार पर विकसित हुई है।

इसमें जो कर्मचारी छोटे समय के लिये कंपनी से जुडे होते हैं उनको ज्यादा वरीयता दी जाती है जैसे फ्रीलांसर(वेब डिजाइनर/डेवलपर), स्वतंत्र कांट्रेक्टर, प्रोजेक्ट के आधार पर वर्कर, अस्थाई वर्कर शामिल होते हैं।

गिग अर्थव्यवस्था एक आधुनिक विश्व योग की अवधारणा है जिसमें डिजिटल और इंटरनेट के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने उपलब्ध कौशल के अनुरूप किसी एक या एक से अधिक कंपनियों के लिए कहीं से और कभी भी प्रोजेक्ट आधारित कार्य कर सकता है जैसे freelance कार्य कहा जाता है।

इस अर्थव्यवस्था के अंतर्गत कोई श्रमिक किसी कंपनी में पूर्णकालिक सदस्य या कर्मचारी नहीं होता है बल्कि यह अल्पकालिक और प्रोजेक्ट आधारित कार्य करता है।

इसमें व्यक्ति स्वतंत्र और सुविधा के साथ काम करता है और और उनकी सेवाओं का मूल्यांकन आधार पर होता है यहां लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपनी सेवाएं देते हैं और अपना समय और वेतन खुद निर्धारित करते हैं।

जैसे जोमैटो और sweegy के डिलीवरी राइडर्स को उनके द्वारा की की गई डिलीवरी के अनुसार भुगतान किया जाता है और ओला और उबर ड्राइवर को भुगतान प्रत्येक राइड के अनुसार किया जाता है।

गिग इकोनामी का संचालन मुख्यता ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से क्यों होता है जहां लोग अपनी सेवाएं देते हैं और इच्छुक ग्राहक उन्हें आवश्यकता और बजट के अनुसार चुनते है।

गिग श्रमिक क्या है : 

गिग श्रमिक, गिग इकोनामी के अंतर्गत काम करने वाले लोगों को कहा जाता है| 

गिग श्रमिक उन व्यक्तियों को कहा जाता है जो स्थाई रूप से किसी कंपनी या संगठन में नौकरी नहीं करते, बल्कि स्वतंत्र रूप से अलग-अलग काम और परियोजनाओं पर काम करते हैं।

और ये व्यक्ति अपने काम को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से करते हैं और अपनी प्रोफाइल द्वारा अनेकों काम और परियोजनाओं के लिए उपलब्ध होते हैं।


Gig Economy क्या है ? गिग इकॉनमी के फायदे और नुकसान : चुनौतियां : What is gig economy in hindi


भारत में गिग इकॉनमी की स्थिति (gig economy India): -

भारत में गिग इकोनामी एक ऐसा system है जिसमें लोग स्थाई रूप से नौकरी की बजाएं स्वतंत्र रूप से या अनियमित काम करते हैं इस सिस्टम में व्यक्ति अपनी skill और क्षमताओं के आधार पर अनेकों काम या सेवाओं पर काम करते हैं ।

भारत में गिग इकोनामी तेजी से बढ़ रही है विशेष कर इंटरनेट और स्मार्टफोन के विस्तार के कारण।

यह लोगों को ज्यादा व्यक्तिगत, स्वतंत्रता और आय की संभावनाएं प्रदान करती है, 

साथ ही यह छोटे काम काज करने वालों, महिलाओं छात्रों या इमरजेंसी कार्यवाही करने वालों के लिए एक विकल्प प्रदान करती है,

लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे कि कामकाजी अधिकार, सुरक्षा और न्याय के मामले में सुधार की जरूरत है।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में गिग इकॉनोमी में काम करने वाले कर्मचारी लगभग 15 मिलियन हैं यही वजह है कि भारत गिग इकॉनोमी के मामले में दुनिया भर में पांचवे नंबर पर है।

भारत में कुछ रोजगार को लगभग 56 प्रतिशत हिस्सा गिग इकॉनोमी के तहत उत्पन्न होता है। 

गिग इकॉनमी के फायदे :(Advantages of Gig economy) :- 

वैसे तो गिग इकोनामी के बहुत से फायदे हैं, कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्न हैं :-

रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे, 

अर्थव्यवस्था में उद्यमशीलता का विकास होगा|  

आउटसोर्सिंग बिजनेस मॉडल का विकास एवं विस्तार होगा|  

लॉजिस्टिक सुविधाओं में सुधार और आपूर्ति श्रृंखला ओर  सशक्त होगी | 

उद्योग इकाइयों के लिए स्थाई श्रमिकों की नियुक्ति की समस्या से समाधान मिलेगा|  

गैर कौशल और निम्न कौशल श्रमिकों को रोजगार और आजीविका के साधन विकसित होंगे| 

अर्थव्यवस्था में आर्थिक और सामाजिक विषमता कम होगी | 

अर्थव्यवस्था के रूप में शहरों के कारण महिलाओं की भागीदारी अर्थव्यवस्था में बढ़ेगी।

गिग इकोनामी में काम करने से लोगों को स्वतंत्रता और नियंत्रण प्राप्त होता है यानी वह अपने काम को अपनी आवश्यकता अनुसार, अपनी प्राथमिकता के अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं और अपने समय को अपनी पसंद के अनुसार लगा सकते हैं।

ज्यादा विकल्पों का होना : गिग इकोनामी में काम करने से लोगों को बहुत ज्यादा विकल्प मिलते हैं, 

वे अलग-अलग ग्राहकों और प्रोजेक्ट के साथ काम कर सकते हैं जिससे उनकी नौकरियों में रोचकता बनी रहती है।

गिग इकोनामी आर्थिक रूप से भी स्वतंत्रता देती है इसमें व्यक्ति अपने काम का  मूल्यांकन कर सकता है और उसके अनुसार अपनी दर का स्वतंत्र रूप से निर्धारित कर सकते हैं, 

जिससे वे अपने उचित मूल्य पर काम करने के लिए संवेदनशील होते हैं और अधिक आय का लाभ उठा सकते हैं।

इसमें नए कामों और प्रोजेक्ट के लिए अपनी क्षमता का यूज करके अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं और नए ग्राहकों को प्राप्त कर सकते हैं।

गिग इकोनामी मैं लोगों को ज्यादा कमाई का विकल्प मिलता है यह उनकी आय को बढ़ाने का एक माध्यम हो सकता है और उन्हें आर्थिक सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने में मदद करता है।

गिग इकॉनमी के नुकसान :(Disadvantages of gig economy):-

गिग इकोनामी में काम करने वाले लोगों की नौकरी सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।

इस सिस्टम में काम करने वाले अक्सर स्थाई नौकरी की तुलना में अधिक आर्थिक अनिश्चितता, अनियमितता का सामना करते हैं ।

इसके बारे में लोगों को सोचने से पहले लोगों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि उचित बचत, आर्थिक योजनाओं को संभालकर इस अनिश्चितता का काम सामना कर सकते हैं।

काम करने के अधिकारों में कमी : इसमें काम करने वाले लोगों के अधिकारो की कमी हो सकती है ।

यहां काम करने वाले अधिकारों की लिए संगठन के साथ समझौता या संबंधी कानून संरक्षण की कमी हो सकती है,

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपने अधिकारों को समझें और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

गिग इकोनामी मैं काम करने वालों की अनियमितता पर असर पड़ सकता है, क्योंकि यह जब होता है तब आपूर्ति नियमित होती है और आवश्यकता के अनुसार कामकाज की उपलब्धता बदलती रहती है,

इसलिए यह लोगों को नियमित आय और इस तरह के लिए चुनौती प्रदान कर सकता है।

गिग इकोनामी काम करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा की कमी का सामना करना पड़ सकता है,

क्योंकि इस सिस्टम में लोग स्वतंत्र रूप से काम करते हैं इसलिए उन्हें कंपनी द्वारा कोई सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिलता है तथा लोगों को स्वयं सामाजिक सुरक्षा के लिए योजनाएं बनानी और निवेश करनी होती हैं।


Gig Economy क्या है ? गिग इकॉनमी के फायदे और नुकसान : चुनौतियां : What is gig economy in hindi


भारत में गिग इकॉनमी और रोजगार के अवसर :- 

भारत में गिग इकोनामी और रोजगार के अवसर में काफी वृद्धि हुई है,

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे उबर, ओला, स्वीगी, फ्लिपकार्ट, अमेजॉन  आदि भारत में गिग रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।

इन के माध्यम से लोग गाड़ी चालक, डिलीवरी एजेंट, खुदरा विक्रेता, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधक आदि के रूप में काम कर सकते हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे फ्रीलांसर वेबसाइट(Freelancer, Upwork, Fiverr) ग्राहक सेवा मार्केटप्लेस(Urban Clap, Housejoy), शिक्षा मार्केटप्लेस(Unacademy, Byju's) आदि भी गिग इकॉनम के अवसर प्रदान करते हैं।

इन के माध्यम से लोग आपस में बातचीत करके सेवाएं प्रदान करते हैं जैसे - राइटर, वेब डेवलपर, ग्राफिक डिजाइनर, शिक्षक, संगीतकार, व्यापार सलाहकार आदि।

जिस तरह से डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ता जा रहा हूं इसी तरह वेब और एप डेवलपमेंट में  भी गिग इकोनामी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है |  लोग वेबसाइट और एप्स के लिए काम कर सकते हैं।

वित्तीय सेवाओं में भी गिग इकोनामी काफी मौजूद है, वित्तीय सेवाओं में लोग अलग-अलग वित्तीय कार्यों के लिए संगठनों के साथ सहयोग कर सकते हैं, 

इसमें लेखा-जोखा टैक्स नियमिती, वित्तीय परामर्श, निवेश सलाह, बीमा आदि शामिल हो सकते हैं।

भारत में जिस तरह से डिजिटलीकरण बढ़ रहा है इसने गिग इकोनामी के विकास को बढ़ावा दिया है।

गिग इकोनामी के चलन से देश में डिजिटल संचार में तेजी हो रही है जिसमें जॉब के साथ-सथ काम काफी फ्लैक्सिबल बन रहा है, क्योंकि इसमें कहीं से भी कार्य किया जा सकता है।

गिग इकोनामी को अपनाने से कंपनियों की ऑपरेशन लागत कम हो जाती है क्योंकि कंपनियों को अपने कर्मचारियों को पेंशन व अन्य सामाजिक सुरक्षा देनी नहीं होती है।

भारत में जिस तरह औपचारिक क्षेत्र में नौकरियों की संख्या में कमी हो रही है इस कमी को को कम करने के लिए गिग इकोनामी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

एक तरफ तो औपचारिक नौकरियों की संख्या में भारी कमी हो रही है तो दूसरी तरफ बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है।

 ऐसी स्थिति में  देश में नौकरियों की कमी ने भी गिग इकोनामी के प्रचलन को बढ़ावा दिया है।

गिग इकॉनोमी से संबंधित कानूनी प्रावधान क्या हैं :-

वेतन संहिता, 2019- इसमें गिग श्रमिकों व संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों के लिये सार्वभौमिक न्यूनतम मजदूरी की बात की गयी है।

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020- इसमें निम्न प्रावधान हैं-

इसमें गिग श्रमिकों को एक व्यावसायिक श्रेणी की मान्यता दी गयी है। इसमें गिग श्रमिकों की परिभाषा दी गयी है कि जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी से अलग जो काम करते हैं उन्हें गिग श्रमिक कहा जाता है। 

लेकिन कुछ आलोचक इस बात लेकर आलोचना करते हैं कि गिग इकॉनोमी में सामाजिक सुरक्षा की बात तो की गयी है लेकिन इसके संबंध में कोई सामाजिक सुरक्षा को लेकर आधारभूत कानूनी प्रावधान नहीं किये गये है। 

गिग इकॉनमी से सम्बंधित डेटा :-

गिग अर्थव्यवस्था की संभावनाएं एनर्सों के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में लगभग 1.50 करोड लोग इस श्रेणी के रूप में कार्य कर रहे हैं|

 एक ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक क्रांति 4.0 के विस्तार के कारण आगामी 5 से 6 वर्षों में 9 करोड़ की अर्थव्यवस्था में रोजगार के अवसर सृजित होंगे, 

वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था के अंतर्गत महिलाओं के श्रम भागीदारी दर मात्र 9 % है कि अर्थव्यवस्था के विकास से स्तर में वृद्धि की संभावनाएं विकसित होती हैं,  

क्योंकि गिग  अर्थव्यवस्था महिलाओं को आर्थिक कार्य और गृह कार्य के बीच संतुलन बिठाने की स्वतंत्रता प्रदान करती है।


गिग इकॉनमी के समक्ष चुनौतियां :-

निम्न कौशल और गैर कौशल श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा की समस्या और अनिश्चितता आय की समस्या | 

गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा जैसे पेंशन, दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा आदि से वंचित रखा जाता है | 

इंटरनेट आधारित कार्य है जो बड़े शहर तक ही सीमित है और ग्रामीण क्षेत्र तक इसकी संभावना विकसित नहीं हो पायीं है जो भारत में अवसंरचना व्यवस्था के समक्ष एक व्यापक चुनौती है| 

कर्मचारियों की गुणवत्ता, निष्पादन और संबंधित समस्याएं वर्क फ्रॉम होम के कर्मचारियों के बीच प्रतिस्पर्धा और कार्य संस्कृति का उत्पन्न होता है|  

इंटरनेट आधारित कार्य के कारण उपभोक्ता की निजी जानकारी और गोपनीयता को खतरा | 

आगे की राह :-

निश्चित रूप से गिग अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए आवश्यक है, परंतु इस अवधारणा के समक्ष उत्पन्न हुई चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता | 

इसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा राज्य के साथ मिलकर एक व्यापक रूपरेखा और नियामक संख्या का निर्माण करना होगा, 

ताकि यह अर्थव्यवस्था युवाओं को रोजगार, उद्यमशीलता का विकास और महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को बढ़ाने में अर्थव्यवस्था में सहयोग करें।

नोट :-  केंद्रीय सरकार के द्वारा विकसित श्रम संहिता लेबर कोड, 2020 में गिग इकॉनमी को सामाजिक सुरक्षा 

जैसे - भविष्य निधि, पीएफ, पेंशन बीमा, रोजगार की सुरक्षा आदि सुविधाएं प्रदान की गई है और इसके अलावा श्रमिकों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कौशल विकास योजना और विभिन्न प्रशिक्षण केंद्र विकसित किए गए हैं।

उत्पादन के साधन :- उत्पादन की प्रक्रिया के लिए मुख्य चार साधन की आवश्यकता होती है,

जिसे कोई उत्पादक किसी वस्तु और सेवा के उत्पादन के लिए प्रयोग करता है :- (1.भूमि 2.पूंजी 3. श्रम 4. उद्यम )

नोट :- इन सभी उत्पादन के साधन का स्वामी घरेलू क्षेत्र होता है।

गिग इकॉनमी के बारे में जानकारी(FAQs)(People also ask ) :-

Q. Gig Economy Full form | 

A.  Gig Economy Full form - Global Independent(or Gig) Economy 

Q. Gig Full form | 

A.  गिग की वैसे तो कोई फुल फॉर्म नहीं है लेकिन गिग को हम temporary job के रूप में use करते हैं | 

Q. सरल शब्दों में गिग इकॉनमी क्या है ? | 

A.  डिजिटल और इंटरनेट के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने उपलब्ध कौशल के अनुरूप किसी एक या एक से अधिक कंपनियों के लिए कहीं से और कभी भी प्रोजेक्ट आधारित कार्य कर सकता है जैसे freelance कार्य कहा जाता है।

Q. Gig Economy Examples | 

A.  Gig में डॉक्टर, engineer, non permanent employees, पत्रकार, ड्राइवर, पेंटर, फ्रीलांस वर्कर, फिटनेस ट्रेनर, कोच, आदि गिग इकॉनमी के examples हैं |   ' 


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