Translate

FDI full form in hindi : FDI क्या है? : विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI) के फायदे और नुकसान

भारत में Gross FDI में वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले वित्त वर्ष 2023 में 16 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है तथा Net FDI में भी 36 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है।


FDI full form in hindi - Foreign Direct Investment जिसको हिन्दी में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कहा जाता है, जिसका मतलब हुआ विदेश की कम्पनी जब किसी भारतीय कम्पनी के अन्दर निवेश करती है या अपना खुद का बिजनेस शुरू करती है इसे एफडीआई कहा जाता है। यह विदेशी कम्पनी भारतीय कम्पनी के शेयर या डिबेंचर खरीदकर निवेश करती है।


ये कम्पनियां दो तरह से निवेश करती है एक जब कोई विदेशी कम्पनी शेयर या डिबेचर के माध्यम से निवेश करती है, दूसरा जब वह खुद अपना बिजनेस शुरू करती है यानी खुद की कम्पनी खोलती है।


जब विदेशी कम्पनी भारतीय कम्पनी के शेयर या डिबेंचर खरीदती है तो यह उस कम्पनी शेयर होल्डर या उसको लोन देने वाली बन जाती है, जब विदेशी कम्पनी शेयर होल्डर बनने के बाद यह भारतीय कम्पनी के मैनेजमेंट में हिस्सा ले सकती है, उसमें वोट दे सकती है, मीटिंग में भाग ले सकती है।

ऐसा माना जाता है कि यदि यह कम्पनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी लेकर भारतीय कम्पनी के मैनेजमेंट में अच्छा खासा प्रभाव डालती है। यदि कोई विदेशी कम्पनी भारतीय कम्पनी के 51 प्रतिशत से ज्यादा के शेयर खरीद ले तो विदेशी कम्पनी उस कम्पनी पर मालिकाना हक ले लेती है यानी उसके द्वारा कंट्रोल किया जाता है।

यह भी शर्त है कि यदि किसी निवेश को एफडीआई का दर्जा दिलाना है तो उसे कम से कम 10 प्रतिशत शेयर खरीदने पड़ते है, जिसके बाद ही उसे निवेश करने वाली कम्पनी में वोट देने का अधिकार प्राप्त होता है।

ऐसा नहीं है कि कोई कम्पनी एफडीआई के लिये आ जायेगी, बल्कि इसके लिये सरकार से अनुमति लेनी होती है, कुछ सेक्टर ऐसे होते हैं, जिनमें यह तय किया जाता है कि कितने प्रतिशत लोग ही आ सकेंगे।


fdi in india is allowed by two modes government route and Automatic Route |


जब किसी देश में निवेश होता है तो वहां उत्पादन बढ़ता है और जब उत्पादन होता है तो रोजगार मिलता है और जब रोजगार मिलता है तो आय बढ़ती है और जब लोगों की आय बढ़ती है तो लोग दो काम करते हैं एक मांग पैदा करते है दूसरी वे बचत करते है, 


जिसके बाद वे निवेश(जैसे- शेयर खरीदते है, बैंक में रखते है, कोई चीज खरीदते है आदि) करते है, इस तरह ये साइकिल चलती रहती है।

निवेश क्या होता है?- निवेश उसको कहते हैं जो उत्पादन क्षमता में वृद्वि करता है यानी जो हम काम कर रहे है यदि हम उसको बढ़ाना चाहते हैं तो उसमें पैसा तो लगाना पड़ेगा। निवेश आय का वह भाग है जो पूंजी निर्माण के लिये खर्च किया जाता है।


Foreign direct investment (FDI) - FDI निवेश क्या होता है? : विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI) के फायदे और नुकसान


निवेश कई तरह से होता है जैसे किसी व्यक्ति ने कोई कंपनी खोली या सरकार द्वारा कोई निवेश किया गया, या कोई विदेशी व्यक्ति, देशी कंपनी में निवेश करता है या वह खुद कंपनी खोल लेता है। 


जब कोई व्यक्ति द्वारा कोई कंपनी, यूनिट या उत्पादन किया जाता  है तो इसे प्राइवेट निवेश कहते है और जब किसी सरकार द्वारा कोई कंपनी, यूनिट या उत्पादन किया जाता है तो इस पब्लिक निवेश कहते है। 

FDI(प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) क्या है?


जब किसी विदेशी व्यक्ति या कंपनी(गैर निवासी व्यक्ति) द्वारा किसी देश में कंपनी, यूनिट या उत्पादन किया जाता है या निवेश किया जाता है जिनसे सेवाएं व वस्तुएं या उत्पादन पैदा हो इस प्रकार किये गये निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहते है। 


या विदेशी व्यक्ति या कंपनी नई कंपनी या यूनिट ना खोलकर, जो देश में पुरानी कंपनी चल रही है उसमें निवेश करता है या उसे खरीद लेता है तो यह भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) ही माना जायेगा।


जैसे कोई विदेश कंपनी ए है और भारत में एक कंपनी बी है तो ऐसे में जब कंपनी ए ने कंपनी बी को खरीद लिया तो यह पोर्टफोलियो निवेश कहलायेगा जबकि कंपनी ए भारत में नई कंपनी खोलती उसमें उत्पादन करती तो यह ग्रीन फिल्ड निवेश कहलायेगा।


प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आम तौर पर लम्बे समय तक रहता है व किसी निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का दर्जा दिलाने के लिये उस कंपनी में कम से कम 10 फीसदी हिस्सा खरीदना पड़ता है, इसके द्वारा निवेशक को दूसरे देश की उस कंपनी में कंट्रोल और प्रबंधन की जिम्मेदारी मिल जाती है। 


भारत सरकार ने विदेशी निवेश में सुधार करने हेतु फरवरी, 2017 को जारी किये गये बजट 2017-18 में विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड-एफआईपीबी को समाप्त कर दिया गया। 


इससे पहले क्या होता था भारत में कि जब कोई व्यक्ति निवेश करता था तो उसके पास तीन रास्ते होते थे -


पहला - ओटोमेटिक रूट- इसमें निवेशक को सीधा पैसा लगाना होता था।
दूसरा: गवर्नमेंट रूट - इसमें निवेशक को सरकारी की अनुमति लेनी होती थीऔर फिर निवेश करना होता था। 
तीसरा : विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड-एफआईपीबी रूट-
इसमें निवेशक को एफआईपीबी से अनुमति लेनी होती थी फिर निवेशक करना होता था।

सरकार को लगा कि एफआईपीबी की कोई जरूरत नहीं है और इससे विदेशी निवेश में अड़चने भी पैदा हो रही थी तो सरकार ने इसे समाप्त कर दिया यानी निवेशक को एफआईपीबी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। 


भारत में FDI शरूआत कब हुई? - FDI of india


साल 1990-91 में भारत की वित्तीय स्थिति खराब थी और इसी वक्त कांग्रेस की सरकार आती है और श्री नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाया जाता है व  वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह को बनाया जाता है।


इनके प्रयास से उदारीकरण का दौर शुरू हुआ यानी अब सार्वजनिक क्षेत्र में प्राइवेट क्षेत्र भी शामिल होने लगा यानी मिश्रित स्वरूप होने लगा। इसी दौरान सन् 1991 नई औद्योगिक नीति के बाद भारत में एफडीआई की अनुमति मिली। 


शुरूआत में एफडीआई के लिये सीमित क्षेत्र ही थे जैसे किसी कंपनी या यूनिट का अधिग्रहण करना, व्यापार को बढ़ावा देना, सेवाओं में बढ़ोत्तरी करना आदि शामिल थे, 


लेकिन साल 1992-93 के बाद भारत सरकार द्वारा एफडीआई बढ़ाने के लिये अतिरिक्त कदम उठाये गये और वर्तमान में एफडीआई के लिये बहुत विस्तार किया गया है।


साल 1990-91 में भारत का विदेशी मुद्र भंडार बहुत कम हो चुका था यानी लगभग समाप्त ही हो चुका था इसी दौर में भारत में वित्तीय आपातकाल लागू होने की स्थिति आ गयी थी, 


लेकिन वित्तीय आपातकाल लागू होने से बच गया और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर रूपये की कीमत गिरती जा रही थी, निर्यात कम होता जा रहा था व आयात तेजी के साथ बढ़ रहा था। 


इसी दौरान भारत अपने आयात की गयी वस्तुओं की कीमत चुकाने की स्थिति में भी नहीं था और इसी वक्त भारत को अपना स्वर्ण भंडार गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा यानी हम कह सकते है कि यह दौर भारत के लिये सबसे खराब दौर था। 


इस दौर से निकलने के लिये भारत को अपनी नीतियों में सुधार करने के लिये मजबूर कर दिया फिर भारत ने साल 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिये नई नीति को लागू किया, 


जिसमें उदारीकरण, प्राइवेटाइजेशन, भूमंडलीकरण (LPG) को अपनाया और यही से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) को अनुमति मिली।


इसी वक्त भारत की अर्थव्यस्था का स्वरूप सार्वजनिक अर्थव्यवस्था से बदलकर मिश्रित अर्थव्यस्था हो गया। मिश्रित अर्थव्यवस्था का मतलब होता है जिसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों का योगदान हो, जिससे दोनों सरकारी और प्राइवेट के लिये भागीदारी के अवसर हो गये।


किस क्षेत्रों में कितनी FDI की अनुमति है :-


साल 1995 में भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन(डब्ल्युटीओ) की सदस्यता ली तथा इस संगठन की स्थापना भी 1995 में हुई थी।


साल 1997 में सरकार द्वारा होलसेल के क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 100 प्रतिशत कर दी गयी। वर्ष 2006 में सिंगल ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में एफडीआई को 51 प्रतिशत की मंजूरी दी थी, 


जो वर्ष 2011 में बढ़कर 100 प्रतिशत कर दी गयी तथा 2012 में मल्टी ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गयी।


वर्तमान में सिंगल ब्रांड रिटेल के क्षेत्र में 100 प्रतिशत  एफडीआई की अनुमति प्राप्त है, जिसमें विज्ञापन, एयरपोर्ट, कोल्ड स्टोरेज, बीपीओ, कॉल सेन्टर, उर्जा, फिल्म, होटल, पर्यटन, मेट्रो, खान-पान, पोस्टल सेवा, हाई-वे, बन्दरगाह, फार्मा, पेट्रोलियम शामिल है।


कृषि, खनन, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रेलवे (आधारभूत ढांचे का विकास) में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक रूट से है।


उपग्रह की स्थापना व संचालन के लिये 100 प्रतिशत एफडीआई अनुमति सरकारी मार्ग से। पशुपालन में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक रूट से।


एटीएम संचालन, औषधि, डीटीएच व केवल नेटवर्क(गैर समाचार वाले चैनल) में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक रूट से। 


टाउनशिप, शॉपिंग मॉल, काम्प्लेक्स व व्यापार केन्द्र के लिये 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक मार्ग से। कॉफी, रबर, इलायची, पॉम ऑयल, जैतून तेल, वृक्षारोपण के लिये 100 प्रतिशत एफडीआई अनुमति ओटोमेटिक मार्ग से।


परमाणु खनिज, वैज्ञानिक पत्रिका, जर्नल, पेट्रोलियम, कोल एण्ड लिंग्नाइट खान के लिये 74 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति सरकारी मार्ग से है। 


निजी क्षेत्र की बैंकिंग में 74प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है जिसमें 49 प्रतिशत ओटोमेटिक मार्ग से है और 25 प्रतिशत सरकारी मार्ग से है। 


सरकारी क्षेत्र की बैंकिंग में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है जिसमें 20 प्रतिशत सरकारी मार्ग से और 29 प्रतिशत ओटोमेटिक मार्ग से है।


निजी सुरक्षा एजेंसी में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति सरकारी मार्ग से है। 


समाचार चैनल में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक मार्ग से है।  बीमा व पेंशन क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक मार्ग से है। प्रिंट मीडिया में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति ओटोमेटिक मार्ग से है।


भारत में 49 प्रतिशत से ज्यादा की एफडीआई की अनुमति के लिये विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड(एफआईपीबी) की अनुमति बहुत जरूरी हो जाती है। 


किस क्षेत्रों में FDI की अनुमति नहीं है :-


  • भारत में निम्न क्षेत्रों में एफडीआई प्रतिबंधित है-
  • लॉटरी व्यापार,
  • जुआ और सट्टेबाजी,
  • चिट फण्ड कम्पनियां,
  • निधि कम्पनी,
  • सिगरेट-तम्बाकु उद्योग,
  • परमाणु उर्जा, लेकिन परमाणु खनन में एफडीआई की अनुमति है।
  • रेल परिचालन, लेकिन रेलवे के आधारभूत ढांचे में एफडीआई की
  • अनुमति है। 
  • रियल स्टेट व फार्म हाउस| 

भारत में सर्वाधिक एफडीआई अनुमति वाले क्षेत्र कौन से हैं-


  • सेवा क्षेत्र,
  • निर्माण एवं विकास,
  • कम्प्यूटर,
  • दूरसंचार,
  • ऑटोमोबाइल।
देश में सबसे ज्यादा एफडीआई करने वाले देशों में मरीशस पहले नंबर
पर है
उसके बाद सिंगापुर, तीसरे पर ब्रिटेन, चौथे पर जापान, पांचवे पर अमेरिका है।

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI) के फायदे -


एफडीआई किसी भी देश के लिये बहुत लाभदायक है। एफडीआई के मिलने से सबसे बडा फायदा तो यह कि बाजार में पैसे की मात्रा बढ़ जायेगी, जिसकी वजह से औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार होता है और साथ ही उत्पादन की मात्रा भी बढ़ जाती है। 


एफडीआई से देश के राजस्व में बढ़ोत्तरी होती है और साथ ही इससे सरकार पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ भी कम होता है। जब एफडीआई आती है तो इससे बाजार में कम्पीटिशन बढ़ जाता है जिसका सीधा लाभ उपभोक्ता को मिलता है। जैसे ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा नहीं होती तो आज हमें इतने सारे फिचर देखने को नहीं मिल पाते


जब विदेशी कम्पनियां किसी देश में आती है तो इससे उस देश में जिस देश में कम्पनियां आ रही है उसमें आर्थिक लाभ तो होता ही है साथ ये कम्पनियां नई-नई तकनीक भी साथ में लाती है। 


जब एफडीआई आता है तो साथ में डॉलर लाता है, लेकिन निवेश रूपये में करता है जिससे ये डॉलर आरबीआई के पास जमा हो जाते है और इससे हमारे देश का फॉरेन रिजर्व बढ़ता है जो कि आयात करने में काम आता है।


जब एफडीआई आता है तो जिस देश के निवेशक किसी देश में निवेश करते हैं तो वह देश नहीं चाहेगा कि उस देश के साथ संबंध खराब हो 


इसलिये एफडीआई से दो देशों के बीच संबंध भी अच्छे होते हैं जैसे दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी भारत में अच्छी तरह से काम कर रही है तो दक्षिण कोरिया क्यों चाहेगी कि उसके संबंध भारत के साथ खराब हो। जिस देश में एफडीआई आता है उस देश को ग्लोबल वैल्यु चैन बनाने में मदद करता है 


जैसे  कोई प्रोडेक्ट है उसका कुछ पार्ट किसी देश से है तो कुछ पार्ट किसी देश से है और कुछ पार्ट किसी और देश से तो इसके बाद वो जो प्रोडेक्ट बनता है उसमें सभी देशों का योगदान रहता है। इसी को ग्लोबल वैल्यु चैन कहते है। 


जब किसी देश में निवेशकों आते है तो इससे नये उद्योग की स्थापना, नई तकनीक के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मिलते हैं जिससे देश की आर्थिक विकास भी होता है। 


एफडीआई के आने से देश के वित्तीय बाजार में स्थिरता होती है व अधिक निवेश की संभावना बढ़ती है और नये व्यापारिक अवसर भी उत्पन्न होते हैं।


जब विदेशी निवेशक आते हैं तो इससे उस देश को निवेशकों के अनुभव व ज्ञान का लाभ मिलता है जो कि देश के विकास के लिये बेहतर होता है। 


एफडीआई से किसी देश को तो फायदा होता ही है साथ ही इससे निवेशकों को भी फायदा होता है जैसे निवेशक भारत जैसे विविधता वाले देश का लाभ उठा सकते हैं। 


भारत जैसे देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था में निवेशक निवेश करके इस वृद्वि का लाभ उठा सकते हैं और साथ ही निवेशकों को स्थानीय विकास की मांग के साथ साझेदारी करने का अवसर भी मिलता है। 


निवेशक किसी देश में निवेश करके विश्व स्तर पर अपनी पहूंच बना सकते है। 


इसलिये बढ़ती हुई भारतीय अर्थव्यस्था में विदेश निवेशकों के लिये एक महत्वपूर्ण विकल्प हो सकता है।


विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI) के नुकसान :- 


जब विदेशी निवेश आता है तो इससे घरेलू उद्योगों में मुनाफे में कमी आती है, 


क्योंकि घरेलू उद्योग इनसे कम्पीटिशन नहीं कर पायेंगे और जब विदेशी निवेश आयेगा तो वह अपने साथ नई तकनीक लायेगा जिससे जो पारम्परिक उद्योग वो टिक नहीं पायेंगे।


हां एफडीआई के आने से देश में विकास तो होता है लेकिन कहीं ना कहीं इससे घरेलू उद्योगों में नुकसान भी होता है 


क्योंकि जब बड़ी कम्पनियां आती है तो वे तकनीक और पूंजी के दम पर और बड़ी हो जाती है साथ ही ये अपने प्रोडेक्ट के दामों को भी सस्ते में बेचती हैं 


The human development index is release by -  मानव विकास सूचकांक यूएनडीपी यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम द्वारा प्रकाशित होता है यूएनडीपी एक वैश्विक विकास एजेंसी जो गरीबी असामनता को कम करने का काम करती है और सतत विकास को प्रोत्साहित करती है।


जिससे छोटी कम्पनियां ग्राहकों की मांगों पूरा करने में नाकाम रह जाती हैं जिसके चलते इन छोटी कम्पनियों को घाटा उठाना पड़ता है। 


जब बड़ी कम्पनियां किसी प्रोजेक्ट पर काम करती हैं तो ये स्थानीय संसाधनों व मजदूरों का अधिक से अधिक दोहन करना चाहती हैं जिसके लिये ये कम्पनियों सरकार पर मन चाहा संशोधन कानून बनाने का दबाव बनाती हैं। 


एफडीआई (FDI) से काफी आर्थिक लाभ भी है तो इसके कई सारे नुकसान भी हैं।


Is called the engine of economic development:-  विदेशी निवेश के आने से वेसिक संसाधनों की कमी हो सकती है जिससे देश के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। 


जब विदेशी कम्पनियां आयेंगी तो इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों की कमी हो सकती है और यदि विदेशी कंपनियां अपने निवेश को घरेलू उद्योग में नहीं करती हैं तो इससे स्थानीय रोजगार कम हो सकते हैं।


यदि विदेशी कम्पनी को आपातकालीन स्थिति के कारण निकलने की जरूरत होती है तो इससे देश के कुटनीति के मामलों को प्रभावित कर सकता है, जिसके कारण देश की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नकारात्मक छवि बनती है।

 

विदेशी निवेश क्या होता है :-


विदेशी निवेश उसको कहते हैं जब किसी देश में उस देश से बाहर के निवासी, कम्पनी या विदेशी संस्थाएं निवेश करती है तो उसे विदेशी निवेश कहते हैं। सामान्यत‘ यह 2 प्रकार का होता है-

 1 प्रत्यक्ष निवेश 

 2 अप्रत्यक्ष निवेश।


भारत में प्रत्यक्ष निवेश को एफडीआई कहते हैं तो अप्रत्यक्ष निवेश के कई तरीके हैं जैसे- FPI, FII(विदेशी संस्थागत निवेश) ।


विदेशी पोर्टफोलियों निवेश(FPI) क्या है-


FPI में विदेशी निवेशकों द्वारा निष्क्रिय रूप से रखी गयी प्रतिभूतियां व अन्य वित्तीय सम्पत्ति शामिल है। यानी इसमें विदेशी निवेशक आते है और किसी देश में निवेश करते है, 


लेकिन इसमें विदेशी निवेशक केवल सिक्युरिटी, शेयर, बॉण्ड, Mutual Funds, ADR-अमेरिका डिपॉजिटरी रसीदें, GDR-ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीदें में ही निवेश कर सकता है।


ऐसे निवेशक जो सरकारी सिक्युरिटीज में निवेश करते है FPI कहलाते हैं। ये द्वितीय बाजार मे निवेश होता है। इसमें कोई भी लोकिंग अवधि नहीं होती है। FPI में केवल 10 प्रतिशत ही निवेश किया जा सकता है।


FDI को अक्सर हॉट मनी कहा जाता है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में संकट के शुरूआती संकेतों के साथ ही पलायन कर सकता है।



fdi india in hindi :-


अभी हाल ही में, सेबी(भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने एक परामर्श लेटर जारी किया है, जिसमें उसने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों(एफपीआई) से अतिरिक्त खुलासे करने का प्रस्ताव रखा है तथा संयुक्त अरब अमीरात भारत के विदेशी निवेश के चौथे सबसे बड़े स्त्रोत के रूप में उभरा है।


FDI  और FPI के बीच अंतर :-

एफडीआई किसी विदेशी कंपनी, संस्था या व्यक्ति द्वारा अन्य देश के किसी व्यवसाय या उद्योग में किया गया निवेश होता है, जबकि एफपीआई किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा किसी देश की सिक्योरिटीज(बॉण्ड, म्यूचुल फण्ड) में किया गया निवेश होता है।

एफडीआई में विदेशी निवेशक का सामान्यता व्यापार या उद्योग में कुछ कंट्रोल होता है, जिसमें वे निवेश कर रहे होते हैं जबकि एफपीआई में विदेशी निवेशकों का जिसमें वे निवेश कर रहे है उस सम्पत्ति पर कोई कंट्रोल नहीं होता है।

एफडीआई का उद्योग या व्यवसाय के संचालन और उसके परफोर्मेंस पर सीधा प्रभाव होता है इसलिये यह संभावना बनी रहती है कि इसमें ज्यादा रिटर्न आ सकता है।

एफडीआई ज्यादा नियमें से बंधे होते है जबकि एफपीआई कम नियमों से बंधे होते हैं।

एफडीआई में प्रत्यक्ष निवेश होता है जबकि एफपीआई में अप्रत्यक्ष निवेश होता है।

एफडीआई लॉन्ग टर्म के लिये निवेश होता है जबकि एफपीआई में शॉर्ट टर्म के लिये निवेश होता है।

निष्कर्ष


वैसे किसी भी देश के बुनियादी ढांचे के विकास में एफडीआई की अहम भूमिका होती है व रोजगार, व्यापार और जीडीपी को भी विशेष रूप से प्रभावित करती है।


भारत में सेवा क्षेत्र का एफडीआई में सबसे ज्यादा योगदान है तथा एफडीआई सेवा क्षेत्र के विस्तार में अहम भूमिका निभाता है।


एफडीआई भारत में इसलिये भी जरूरी हो जाती है कि भारत एक विकासशील देश है जिसको विकास के लिये बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है इसलिये हमें यह समझना होगा कि एफडीआई के कम आने से देश के विकास में थोड़ी कठिनाई आ सकती है। वैसे सरकार ने इस संबंध में काफी सुधार किये है और जानकारों का मानना है कि इसमें और सुधार की आवश्यकता है।


तथा सरकार को घरेलू उद्योग में एफडीआई की वृद्वि को लेकर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। 


government policy about export and import is known as - नई व्यापार नीति 2023 1 अप्रैल से हुई लागू जिसमें आयात घटाने और निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत को दुनिया की फैक्ट्री बनाने के लिए नई विदेश व्यापार नीति 2023 लागू की।


government policy about exports and imports is called- लॉजिस्टिक बगैरा तो CHA(Custom house Agent) कर देते हैं हमारा सामान तो दूसरी कंट्री में भेजने का काम लॉजिस्टिक वाला कर देता है, लेकिन हमको buyer को प्रोडक्ट बेचने के लिए pricing करना पड़ता है, 

क्योंकि pricing बहुत महत्वपूर्ण होता है इसलिए आपको Competitive pricing करना होगा क्योंकि अक्सर देखा जाता है कि नए Exporters उनका competitive pricing नहीं होता है जिसके कारण buyer उनके सामान को महंगा बता कर, लेने से मना कर देता है।


what is called the engine of economic development - The engine of economic development of often callled to as " Entrepreneurship and innovation. because Entrepreneurship play the role driving of economic development.


bajaj finance share price - Current price of bajaj finance share is 7211.90 


benefits of fdi to mnc:  MNC के लिए FDI के कई लाभ होते हैं एफबीआई द्वारा एमएनसी भारतीय बाजार में स्थानीय व्यापार, उद्योग को गाइड करने का काम करता है वह सूचना देता है।


एफडीआई से mnc को भारतीय संस्थानों के साथ वित्तीय सहयोग भी मिलता है।


fdi policy in india :- भारत सरकार ने विदेशी निवेश में सुधार करने हेतु फरवरी, 2017 को जारी किये गये बजट 2017-18 में विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड-FIPB को समाप्त कर दिया गया। 


इससे पहले क्या होता था भारत में कि जब कोई व्यक्ति निवेश करता था तो उसके पास तीन 

रास्ते होते थे -


पहला - ओटोमेटिक रूट- इसमें निवेशक को सीधा पैसा लगाना होता था।
दूसरा : गवर्नमेंट रूट - इसमें निवेशक को सरकारी की अनुमति लेनी होती थी
और फिर निवेश करना होता था।  
तीसरा: विदेशी निवेश संवर्द्वन बोर्ड-एफआईपीबी रूट- इसमें निवेशक को
FIPB से अनुमति लेनी होती थी फिर निवेशक करना होता था।

FDI के लिए भारत में कानून :-

भारत में FDI को रेगुलेट करने के लिए कई सारे नियम हैं जैसे -

  • SEBI, 1992
  • Foreign Trade(Development and Regulate) 1992,
  • Civil Procedure code, 1908,
  • Indian Contract Act, 1872,
  • Arbitration and Conciliation Act, 1996,
  • Competition Act, 2002,
  • Income tax Act, 1961,
  • Foreign Direct Investment Policy(FDI policy.


किस राज्य में कितना एफडीआई आता है-
र्ष 2020 में FDI के मामले में गुजरात का पहला स्थान था, लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 में सबसे ज्यादा FDI कर्नाटक में आया है उसके बाद दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र आता है।

 FDI आने के मामले में तीसरे नंबर पर दिल्ली आता है व चौथे नंबर पर तमिलनाडु और पांचवे नंबर पर हरियाणा का आता है।

steps taken by government to promote fdi in india upsc |


 विदेशी प्रत्यक्ष निवेश(FDI) के बारे में जानकारी(FAQs) :-

Q.  विदेशी निवेश के प्रकार | 
A. विदेशी निवेश 2 प्रकार का होता है-

 1 प्रत्यक्ष निवेश 

 2 अप्रत्यक्ष निवेश।


भारत में प्रत्यक्ष निवेश को एफडीआई कहते हैं तो अप्रत्यक्ष निवेश के कई तरीके हैं जैसे- 

FPI, FII(विदेशी संस्थागत निवेश) ।


Q.  एफडीआई कौन सा निवेश होतौ है

A. एफडीआई वह निवेश होता है जो विदेश से आता है, इसलिये इसे हम विदेश प्रत्यक्ष निवेश कहते है। विशेषकर विदेशी कम्पनी ही निवेश करती है, ताकि वे मैनेजमेंट को रन कर सके और ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सके, इसी उद्देश्य से विदेशी कम्पनियां निवेश करती है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ