इतने प्रयासों के बावजूद आज भी भारत में लाखो ऐसे बच्चे है जिनको अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं होती है। शिक्षा तो दूर की बात है बहुत सारे तो कुपोषण का शिकार भी बन जाते है। इन समस्याओं का ही समाधान करने के लिए सरकार निरंतर नई नई स्कीमें निकालती रहती है। उन्ही स्कीमों में से केंद्र सरकार द्वारा आरंभ की गई एक स्कीम है प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण अभियान योजना।
यह स्कीम पुरानी मिड डे मील स्कीम का ही नया रूप है। सितंबर 2021 में केंद्रीय सरकार ने 1.31 ट्रिलियन रुपए का प्रयोग करके सरकारी एवं अर्ध सरकारी प्राप्त स्कूलों में पोषण युक्त भोजन प्रदान करने के लिए निश्चित किया गया।
मिड डे मील स्कीम की तरह प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण अभियान के अंतर्गत प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शिक्षा के बच्चो को पोषण युक्त भोजन प्रदान करवाया जायेगा।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण अभियान क्या है?
प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक बच्चो में 700 कैलोरीज़ की जरूरत को पूरा करने के लिए साल के कम से कम 200 प्रति दिन 100 ग्राम और 150 ग्राम खाद्य दिया जायेगा। इसमें प्री प्राइमरी के बच्चो को भी शामिल किया गया है और उन्हें भी न्यूनतम तरह से बने भोजन की प्राप्ति होगी।
इस
अभियान
के
अंतर्गत
सबसे
ज्यादा
अनाज
प्रदान
किया
जायेगा।
जिन
अनाज
का
उपयोग
होगा
उनमें
ज्वार,
बाजरा,
और
रागी
रहेंगे
एवं
अन्य
अनाज
जिनमे
प्रोटीन,
विटामिन
बी
कॉम्प्लेक्स
और
एंटीऑक्सीडेंट्स
भरपूर
मात्रा
में
होंगे।
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण अभियान के उद्देश्य क्या है?
इस स्कीम का सबसे ज्यादा ध्यान एनीमिया के उच्च प्रसार वाले बच्चों पर दिया जायेगा। इस अभियान के अंतर्गत राज्य के अनुसार भोजन तय किया जायेगा एवं इसके लिए धन का भी केंद्र के तरफ से ही प्रबंध किया जायेगा।
इसके अलावा बच्चो को प्रकृति और बागवानी का भी पूर्ण अनुभव दिया जायेगा। ये अभियान और भी बहुत से लोगो को बढ़ावा देगा जैसे की वोकल फॉर लोकल, महिला स्वयं सहायता समूह, एवं किसान की भी सहायता की जाएगी।
सार्वजनिक
तौर
पे
त्योहार
तीज
पर
प्राथमिक
एवं
उच्च
प्राथमिक
शिक्षा
के
बच्चों
को
स्थानीय
व्यंजन
उपलब्ध
कराने
के
लिए
भी
प्रोत्साहित
किया
जायेगा।
लोगो
के
मन
में
विश्वास
बना
रहे
और
किसी
भी
तरह
को
कुपोषण
को
कम
करने
के
लिए
खान
पान
में
लगने
वाला
नकद
सीधा
सरकारी
एवं
सरकार
की
सहायता
से
चलने
वाले
स्कूलों
के
पास
भेजा
जायेगा।
मुख्य
पोषण
उद्यानों
के
साथ
ही
स्थानीय
खाद्य
पदार्थो
के
उपयोग
को
भी
प्रोत्साहन
प्राप्त
होगा।
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