मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय की जानकारी खोजने वाले नागरिक एकदम सही लेख पर जानकारी को जान रहे है। आज इस लेख में हम मरुस्थलीकरण को रोकने के कुछ उपाय के बारे में जानेंगे वही जानेंगे कि अगर मरुस्थलीकरण को नहीं रोका गया तो ऐसी स्थिति में हमें क्या समस्या भविष्य में देखने को मिल सकती है। मरुस्थलीकरण एक बहुत ही गंभीर समस्या है ऐसे में इस विषय पर जरूर सभी नागरिकों को जानकारी जाननी चाहिए।
भारत सरकार के द्वारा भी मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं तथा अनेक योजनाएं भी आयोजित की गई है ऐसे में सभी नागरिकों को उन कार्यक्रमों में तथा योजनाओं में भाग लेना चाहिए ताकि मरुस्थलीकरण को रोका जा सके। अगर मरुस्थलीकरण को नहीं रोका जाता है तो ऐसी स्थिति में भविष्य में बहुत बड़ा संकट नागरिकों को देखने को मिल सकता है। तो चलिए हम मरुस्थलीकरण रोकने के उपाय के बारे में जानकारी को जानते हैं तथा सभी अन्य जानकारियां भी जान लेते हैं।
मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय
मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए नागरिकों को विभिन्न तरीकों को अपनाना होगा ऐसा करने पर ही मरुस्थलीकरण को रोका जा सकेगा मरुस्थलीकरण को रोकने के निम्नलिखित उपाय कुछ इस प्रकार हैं:-
वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए तथा अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए। वृक्ष की जड़े मिट्टी को पकड़ कर रखती है जिससे कि तेज बहाव में तथा हवा और बारिश में मिट्टी का ज्यादा कटाव नहीं हो पाएगा।
मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए सभी नागरिकों तक मरुस्थलीकरण से होने वाले नुकसान को लेकर जानकारी पहुंचानी है इससे लोग जागरूक होंगे और मरुस्थलीकरण को रोकने में अपना सहयोग करेंगे।
लोगों को मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए संगठित होकर कार्य करना चाहिए ताकि मरुस्थलीकरण को रोकने में जल्दी सफलता हासिल हो सके।
तालाबों और झीलों तथा बांधों का निर्माण करवाया जाना चाहिए जिससे कि पानी का संरक्षण हो सके।
भारत सरकार को वनों की कटाई के लिए कड़े से कड़े नियम बनाने चाहिए।
मरुस्थलीकरण को रोकने से लाभ
यदि मरुस्थलीकरण को रोका जाता है तो ऐसे में अनेक लाभ मिलेंगे जो कि हम मनुष्य के लिए तथा जीव जंतुओं के लिए दोनों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक साबित होंगे। कुछ महत्वपूर्ण लाभ को जाने तो वह इस प्रकार है: -
मरुस्थलीकरण को रोकने की वजह से आसानी से कृषि की जा सकगी जिससे कि किसान की आय में भी बढ़ोतरी होगी तथा भुखमरी जैसी समस्या भी देखने को नहीं मिलेगी।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं में भी सुधार देखने को मिलेगा मरुस्थलीकरण को रोकने के उद्देश्य से लगाए जाने वाले पेड़ पौधों से ऑक्सीजन गैस निकलेगी जिससे कि स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं तथा और भी समस्याओं से रोगियों को छुटकारा मिलेगा।
मरुस्थलीकरण के चलते व्यक्तियों को अनेक प्रकार की समस्याओं से सामना करना पड़ सकता है ऐसे में मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए कार्य करके आने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
मरुस्थलीकरण के चलते नुकसान
मरुस्थलीकरण के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को जीवन व्यतीत करने में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं व्यक्तियों के अंतर्गत तेजी से बढ़ सकती है।
गांव में अधिकतम व्यक्ति कृषि पर ही निर्भर रहते है और अगर मरुस्थलीकरण बढ़ता है तो ऐसी स्थिति में गांव में व्यक्ति खेती नहीं कर पाएंगे जिससे कि उन्हें भुखमरी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है तथा कमजोर आर्थिक स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है।
मरुस्थलीकरण के कारण अन्य जीव जंतुओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है वह विलुप्त होने लगते हैं तथा किसान पशुओं का पालन भी नहीं कर सकते हैं वहीं पर्याप्त मात्रा में सुविधा उपलब्ध होना बंद हो जाती है और लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने लग जाते हैं।
पानी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में मरुस्थलीकरण
अनेक ऐसे कारण है जिनके चलते भारत में मरुस्थलीकरण बढ़ा हैं जिनमें से सबसे मुख्य कारण यह है कि वनों की कटाई जनसंख्या वृद्धि, अत्यधिक चराई, जलवायु परिवर्तन आदि। अन्य देशों की तुलना में भारत में भी मरुस्थलीकरण बड़ा है ऐसे में सभी को इसके ऊपर विचार अवश्य करना चाहिए। मिलने वाली जानकारी के अनुसार वर्ष 2003 से 2005 और वर्ष 2011 से 2013 के बीच में हमारे भारत देश के 26 राज्यों में मरुस्थलीकरण की वृद्धि हुई है।
कुछ समय पहले ही संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें सरकारी आंकड़े दिखाए गए थे भारत के द्वारा भी अपना आंकड़ा दिखाया गया था कि किस प्रकार भारत में 31% यानी की 5.65 मिलियन हेक्टेयर चारे वाली हरी भूमि मरुस्थलीकरण में बदल चुकी है। भारत सरकार के द्वारा अब मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं तथा अनेक व्यक्ति भी जागरूक हो रहे हैं। मरुस्थलीकरण एक गंभीर मुद्दा है जिसे लेकर विश्व स्तर तक रोकने के लिए कदम उठाए जाते हैं।
मरुस्थलीकरण किसे कहते हैं
अगर बिल्कुल ही आसान शब्दों में समझा जाए तो मरुस्थलीकरण में उपजाऊ जमीन रेगिस्तान जैसी बन जाती है जहां पर आसानी से खेती नहीं की जा सकती है तथा अनेक प्रकार की समस्याएं व्यक्तियों तथा पशु दोनों को देखने को मिलती है। मरुस्थलीकरण प्राकृतिक तथा हमारे द्वारा किए जाने वाले अनेक कार्यों के कारण होता है। मरुस्थलीकरण में जमीन सुखी और बंजर हो जाती है वनस्पति बहुत ही कम देखने को मिलती है।
अगर आप कभी राजस्थान के मरुस्थल में गए हैं तो आपने वहां देखा होगा कि किस प्रकार अनेक व्यक्तियों को अनेक समस्या को सामना करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार अन्य जगहों पर भी मरुस्थलीकरण बढ़ने के कारण इसी प्रकार समस्याओं को सामना करना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
मरुस्थलीकरण को रोकने के उपाय को जानने के बाद में अब सभी को मरुस्थलीकरण को रोकने के बारे में अवश्य सोचना चाहिए। मरुस्थलीकरण को अगर नहीं रोका जाता है तो ऐसी स्थिति में भविष्य में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मरुस्थलीकरण को लेकर अगर आप विस्तार पूर्वक जानकारी को जानना चाहते हैं तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं इससे संबंधित हम आपके लिए अन्य जानकारी भी इसी वेबसाइट पर उपलब्ध करवा देंगे इससे आपको अपने अन्य सभी सवालों का जवाब भी मिल जाएगा।
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