अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति और अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में अंतर-
अन्तर्राष्ट्रीय संबंध किसी भी आधार पर हो सकते हैं, जैसे सांस्कृतिक आधार पर, आर्थिक रूप से एक दूसरे से संबंध बनाना, राजनीतिक रूप से संबंध बनाना या कोई निजी संबंध के आधार पर संबंध बनाना,
जबकि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में दो देशों के बीच शक्ति के लिये संषर्घ होता है, दोनों देश एक दूसरे से ताकत भर बनना चाहते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति क्या है (International Politics in hindi):-अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति(International Politics) का मतलब है राज्यों(nations) के मध्य राजनीति(Politics) करना, शक्ति(power) के लिए संघर्ष(Struggle) करना ही राजनीति(Politics) है।
अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों का मुख्य केंद्र क्या है? :- यदि हम अन्तर्राष्ट्रीय Level पर Study करते है तो कुछ Tools होते है
जैसे राज्यों में परस्पर सहभागिता(mutual participation) जैसे -भारत-भूटान), राज्यों के मध्य agreement, राज्यों के बीच टकराव के साथ सहयोग(Collaboration) जैसे-भारत-नेपाल, भारत-चीन), अपने राष्ट्रहित (National interest) को Fulfill करने के लिए Power का इस्तेमाल करना
यानी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति(International Politics) में एक राज्य(nation) अपने national interest को fulfill करने के लिए power के आधार पर संघर्ष(Conflict) करना,
राजनीति में राष्ट्रीय हित(national interest) बहुत महत्वपूर्ण होता है, Conflict इसलिए करना है ताकि direction मिल सके और Power राज्य(nation) के मकसद को प्राप्त करने का एक साधन है।
इसका मुख्य मकसद होता है शक्ति(power) को किस तरह प्राप्त किया जा सके। यह नकारात्मक अवधारणा(negative concept) है।
अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों का इतिहास :-
मान लेते है चीन जैसा देश अपने अन्तर्राष्ट्रीय संबंध के बारे में सोचता है या अन्य देशों के बारे में सोचता है तो यह कोशिश करता है कि उसका प्रभुत्व बना रहे।
ऐसे ही कोई देश जब अपने अन्तर्राष्ट्रीय संबंध के बारे में सोचता है तो वह कोशिश करता है कि वह प्रत्येक दृष्टिकोण से सोचे जैसे उसे एक महाशक्ति के रूप में रखकर भी सोचना पड़ेगा।
जब द्वितीय विश्व युद्व समाप्त हुआ तो उस विश्व तीन समूह में बंटा हुआ था -
एक समूह अमेरिका के पक्ष में था जिसे प्रथम विश्व कहा गया और यह पूंजीवाद की ओर झूका था, दूसरा सोवियत संघ के पक्ष में था जिसे द्वितीय विश्व कहा गया
और जो समाजवाद की ओर झुका हुआ था व तीसरा जो इन दोनों समूह से अलग रहना चाहता था, जिसे तीसरा विश्व कहा गया और जो खुद को स्वतंत्र रखकर अपना विकास करना चाहता था।
द्वितीय विश्व युद्व से पहले अन्तर्राष्ट्रीय संबंध की जगह अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का प्रयोग किया जाता था, क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में केवल दो राज्यों के बीच संबंधों को दर्शाया जाता था जो कि एक नकारात्मक Concept था।
लेकिन द्वितीय विश्व युद्व के बाद अन्तर्राष्ट्रीय संबंध का प्रयोग किया जाने लगा और वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय संबंध की जगह वैश्विक संबध का प्रयोग किया जाने लगा।
क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में दो राष्ट्रों के बीच संबंध को दर्शाया जाता है, जबकि वैश्विक संबंध में कई राष्ट्रों के बीच संबंध को दर्शाया जाता है।
जैसे जब हम भारत और चीन के संबंध को देखते हैं तो पाते है कि केवल हमें भारत और चीन के संबंध को ही नहीं देखना बल्कि हमें रूस, और अमेरिका के संबंध चीन से कैसे है यह भी देखना होगा।
तथा भारत के रूस और अमेरिका के साथ झूकाव को भी देखना होगा साथ ही अमेरिका और रूस के बीच विवाद को भी देखना होगा।
इसलिये अब केवल दो राष्ट्रों के बीच संबंध की बात ना रह कर बल्कि कई देशों के साथ संबंध को देखना होता है इसलिये यह वैश्विक संबंध को दर्शाते हैं।
राज्य क्या है :-- जनसंख्या(population) + भू-भाग(Territory) + सरकार(Government) + सम्प्रभूता(Sovergnnity) से मिलकर बनता है।
अन्तर्राष्ट्रीय संबंध को प्रभावित करने वाले तत्व कौन से हैं ?: -
अन्तर्राष्ट्रीय संबंध क्या है (International Relations):- दो या दो से अधिक देशों/संगठनों के बीच जो संबंध होते है उनका अध्ययन(Study) किया जाता है,
साथ ही इसमें अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों(International Organizations), NGOs और Multinational Companies के Role का भी अध्ययन(Study) किया जाता है,
इसका मुख्य मकसद होता है अन्तर्राष्ट्रीय स्तर(International level) पर शांति कायम करना। यह सकारात्मक अवधारणा(Positive Concept) है।
Example- अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाये गए ईरान दोनों के संबंध अच्छे है भारत - जिससे भारत और अमेरिका में तनाव सा पैदा हो रहा है इसी Power को अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति(International Politics) कहते है।
Current Study:- अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) एक Broad Concept है तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति(International Politics), अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) का ही एक भाग है,
इसलिए अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति(International Politics) के Wide Concept के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) का प्रयोग करते है,
लेकिन वर्तमान में(at Present) बढ़ते हुए (Globalization) के कारण अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) के स्थान पर वैश्विक संबंध(Global Relation) कहना सही होगा,
क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) दो राज्य(nations) के Relations पर ज्यादा जोर देता है
भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध कैसे हैं ?:- जबकि वर्तमान दौर में यदि 2 देशों के बीच संबंध है तो उस पर और देशों, संगठनों आदि का असर बहुत ज्यादा पड़ता है
जैसे भारत और चीन के संबंध में दोनों देशों के अलावा यहां Brics (दोनों इसके सदस्य है) को देखना पड़ेगा, रूस के संबंध, अमेरिका के संबंध, UNSC में Permanent सदस्यता आदि को भी देखना पड़ेगा।
इसलिए वर्तमान दौर में किसी दो देशों के संबंधों में उनके नेता संबंध तय नहीं कर सकते, क्योंकि उनको सोचना पड़ेगा Global Relation के संबंध के बारे में यानी दूसरे देशों, संगठनों आदि के बारे में।
वर्तमान के माहौल में किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) के मुददे पर बोलने से पहले हमें समझना पड़ेगा कि इसका प्रभाव हम पर कैसा पड़ेगा इसलिए हमें भावनाओं(Feelings) के साथ नहीं बल्कि maturity के साथ बात रखनी पड़ेगी
जैसे वर्तमान में हुई अफगानिस्तान की घटना में भारत ने जल्दी प्रतिक्रिया(React) नहीं दी जो कि एक Maturity diplomacy को दर्शाता है या
इसके अलावा कोई भी घटना हो वहां परिस्थितियों(Circumstances) को समझकर निर्णय(decision) लिया जाता है
अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) में Use होने वाली Terminology को समझते है-
- कूटनीति(Diplomacy):- ऐसी नीति जिससे कोई राष्ट्र्(nation) अधिक लाभ ले सके और अपने अन्तर्राष्ट्रीय संबंध(International Relations) में बढ़त हासिल कर सके।
- यहां यह गौर करने वाली बात है कि कूटनीति(diplomacy) का मतलब यह नहीं है कि केवल अपना ही लाभ प्राप्त करना बल्कि इसमें दोनों को लाभ होता है, लेकिन अपना ज्यादा लाभ होता है
- For Example India मे Beauty Product का Market बहुत तेजी के साथ फैला, गावं तक पहूंचा इससे भारत को तो लाभ हुआ ही साथ उन Multinational Companies को भी अधिक लाभ हुआ, क्योंकि उन कंपनियों न भारत के बाजार पर दबदबा(dominate) बनाया।
कूटनीति को तीन Category में बांट सकते है-
- Track-1 diplomacy:- इसमें बेहतर संबंध बनाने के लिए दो देशों के मध्य यानी दोनों सरकारों के मध्य जो बातचीत(negotiations) की जाती है जैसे राष्ट्रपति-राष्ट्रपति के मध्य बातचीत( श्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ बातचीत)
- Track 2 diplomacy:- इसमें बेहतर संबंध बनाने के लिए दो देशों के मध्य जनता को जनता से जोड़ना जैसे- Sports diplomacy, Transportance diplomacy etc
- Track 1.5 diplomacy:- इसमें दो देशों के मध्य बेहतर संबंध बनाने के लिए सरकार को सरकार एवं जनता को जनता के साथ जोड़ना या अन्तरक्रिया(interaction) के लिये प्रयास किये जाते है।
- Hard Power diplomacy:- जब कोई देश अपने राष्ट्रहित(National interest) को प्राप्त करने लिए युद्व का सहारा लेता है तो Hard power country कहा जाता है।
- Soft Power diplomacy:- जो देश कूटनीति के द्वारा अपना प्रभाव जमाना व अपने राष्ट्रहित(National interest) के मकसद को प्राप्त करता है उसे Soft Power Country कहा जाता है।
- द्विपक्षीय संबंध(Bilateral Relations):- इसमें केवल दो पक्षों(Countries) का ही संबंध होता है यानी किसी विवाद(dispute) दो पक्ष ही मिलकर समाधान निकालते है, इसमें तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं होती है, जैसे कश्मीर के मुददे पर भारत और पाकिस्तान ही सुलझायेंगे।
- बहुपक्षीय संबंध(multilateral relations):- इसमें कई देशों का संबंध होता है यानी निर्णय लेने में कई पक्षों की भूमिका होती है जैसे भारत का UNSC में Permanent सदस्यता के लिए कई पक्षों की भूमिका है।
- भू-राजनीति(Geo-Politics):- किसी देश की International Politics पर भौगोलिक(Geo) जैसे स्थिति, संसाधन, सामरिक(Strategic) आदि Factor की Study ।
- वैश्वीकरण/भूमण्डलीकरण(Globalization):- 1991 से शुरू हुई नई विश्व व्यवस्था, जिसमें बिना किसी रोकथाम के वस्तुओं, सेवाओं, तकनीकों, पूंजी, विचारों आदि लेन-देन होना।
- नवसाम्राज्यवाद(New-Imperialism): - किसी देश की अर्थव्यवस्था या आर्थिक नीतियों(Economic policies) पर किसी देश या देशों के समूह द्वारा Indirectly Control करने का Concept।
- शक्ति संतुलन(balance of Power) :- जहां पर किसी एक देश/संस्था का केन्द्रीकरण(Centralization) न होकर विश्व के अन्य देश/संस्थाओं का केन्द्रीकरण होता है।
- गुट निरपेक्ष(Non-aligned) आंदोलन :- जब दुनिया दो गुटों में बंटी थी पूंजीवाद(Capitalism) और साम्यवाद(Communism) तो इसका मकसद था कि इन दोनों गुटों की राजनीति से दूर रहना;
- लेकिन मैत्री(Friendship) रखना, किसी के साथ सैनिक संधि ना करना और एक स्वतंत्र विदेश नीति(Independent Foreign policy) का विकास करना।
अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति के महत्वपूर्ण प्रश्न :-
जबकि अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में 2 देशों के बीच संबंध है तो उस पर और देशों, संगठनों आदि का असर बहुत ज्यादा पड़ता है
लेकिन द्वितीय विश्व युद्व के बाद अन्तर्राष्ट्रीय संबंध का प्रयोग किया जाने लगा और वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय संबंध की जगह वैश्विक संबध का प्रयोग किया जाने लगा।
क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय संबंध में दो राष्ट्रों के बीच संबंध को दर्शाया जाता है, जबकि वैश्विक संबंध में कई राष्ट्रों के बीच संबंध को दर्शाया जाता है।
A. जब शीत युद्व हुआ उस वक्त शक्ति के संघर्ष की बात की गयी, तो जब शक्ति के संघर्ष की शुरूआत हो गयी थी, जहां से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की शुरूआत का चरण था, फिर 1991 में यूएसएसआर का विघटन हो गया, तो वैश्विक स्तर पर एक ही शक्तिशाली देश बन गया वह था अमेरिका।
उसके बाद भी आज नये नये तरीके से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की झलक देखने को मिलती है, जैसे भारत के बॉर्डर पर, चीन के बॉर्डर पर शक्ति का संघर्ष देखने को मिल जाता है, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति की झलक है।
वर्तमान में आतंकवाद और पर्यावरण जैसे टॉपिक अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति जुड़ते जा रहे हैं, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
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